वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य - - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य -
आरबीआई/2007/362
शबैंवि (पीसीबी).परि.सं.39/13.05.000/2006-07
30 अप्रैल 2007
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदय/महोदया
वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य -
स्वर्ण और चांदी के गहनों पर ऋण प्रदान करना -
जोखिम भार को कम करना - शहरी सहकारी बैंक
कृपया वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य का पैराग्राफ 151 (प्रति संलग्न) देखें।
2. हमारे 05 जनवरी 2005 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि.33/09.116.00/2004-05 के अनुसार वयैक्तिक ऋण सहित उपभोक्ता ऋण पर जोखिम भार को 100% से बढ़ाकर 125% कर दिया गया था।
3. यह निर्णय लिया गया है कि स्वर्ण और चांदी के गहनों पर 01 लाख रुपये तक के ऋणों पर मौजूदा 125% स्तर का जोखिम भार घटाकर 50% कर दिया जाए।
भवदीय
(एन.एस.विश्वनाथन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक: यथोपरि
वर्ष 2007-08 के लिए वार्षिक नीति वक्तव्य ।
(घ) स्वर्ण और चांदी के गहनों पर ऋण प्रदान करना - जोखिम भार को कम करना
151. ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्र में समाज के कमज़ोर वर्गों द्वारा स्वर्ण और चांदी के गहनों पर सामान्य रूप से ऋण लिए जाते हैं। इन ऋणों में विशेषत: जहां पर ऋण की मात्रा कम है वहां आनुपातिक दृष्टि से जोखिम कम होता है क्योंकि ये ऋण पर्याप्त मार्जिन पर दिए जाते हैं और जमानत (स्वर्ण या चांदी) आसानी से विपणन योग्य होती है। ये ऋण खुदरा (वैयक्तिक) स्वरूप के होते हैं और वर्तमान में इस पर 125 प्रतिशत का जोखिम भार है। अब यह प्रस्तावित है कि :
- बैंकों के सभी संवर्गों के लिए स्वर्ण और चांदी के गहनों पर 01 लाख रुपए तक के ऋणों पर वर्तमान 125 प्रतिशत स्तर का जोखिम भार घटाकर 50 प्रतिशत किया जाए।