माँग और मी?ाादी दे?ाताओं/निवल माँग और मी?ाादी दे?ाताओं की गणना - आरबीआई - Reserve Bank of India
माँग और मी?ाादी दे?ाताओं/निवल माँग और मी?ाादी दे?ाताओं की गणना
आरबीआई / 2004-05/ 166
बैंपविवि. सं.आरईटी. बीसी. 38 /12.01.001/2004-05
9 सितंबर 2004
18 भाद्र 1926 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोर्ड़कर)
प्रिय महोदय,
प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात / सांविधिक चलनिधि अनुपात रखना -
माँग और मीयादी देयताओं/निवल माँग और मीयादी देयताओं की गणना
हमारे बैंक के बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग द्वारा हाल ही में किए गए कुछ बैंकों के निरीक्षण के दौरान, प्रारक्षित नकदी निधि अनुपात / सांविधिक चलनिधि अनुपात रखने के प्रयोजन हेतु मांग और मीयादी देयताओं / निवल मांग और मीयादी देयताओं गणना में कुछ कमियाँ पायी गईं जिनका विवरण नीचे दिया गया है :
- ’विदेशी मुद्रा में पोतलदानपूर्व ऋण’ के निधीयन के लिए विदेशों से लिये गये ऋण की गणना ‘‘अन्यों के प्रति देयताएं’’ के बजाय ‘‘भारत में बैंकिंग प्रणाली के प्रति देयताएं’’ के रूप में करना (जैसा कि दिनांक 13 अक्तूबर 1997 के हमारे परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी. 111/12.02.001/97 में बताया गया था) ।
- जो मदें बाहरी देयताओं के स्वरूप की हं, उन्हें अंतर-शाखा लेखा में से ठीक तरीके से अलग-अलग न कर पाना और इस प्रकार बाहरी देयताओं को कम करके बताना ।
- शीघ्रावधि उधारों को ‘‘बैंकिंग प्रणाली के प्रति देयताएं’’ और ‘‘अन्येां के प्रति देयताएं’’ में ठीक तरीके से अलग-अलग न कर पाना।
- समरूप बैंकों पर भुगतान योग्य ड्राफ्टों /ब्याज /लाभांश वारंटों के अंतर्गत देयताओं की, प्रधान कार्यालय लेखे में गलत तरीके से गणना करना जिसके परिणामस्वरूप बाहरी देयताएं कम करके दिखायी जाती हैं ।
इसके अलावा, हमारे निरीक्षण के दौरान यह देखा गया है कि निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना के लिए कुछ बैंकों द्वारा प्रयोग किया जा रहा इन-हाउस सॉफ्टवेयर दोषपूर्ण था क्योंकि उसके द्वारा यह सुनिश्चित नहीं किया जा सकता था कि जो मदें बाहरी देयताओं के स्वरूप की हैं, उन सबकी गणना मांग और मीयादी देयताओं /निवल मांग और मीयादी देयताओं के प्रयोजन हेतु की जा सके ।
2. उपर्युक्त से यह स्पष्ट है कि बैंकों द्वारा अभी भी एक ऐसी प्रणाली लागू की जानी है जिसके द्वारा यह सुनिश्चित किया जा सके कि बाहरी देयाताओं से संबंधित सभी मदों की गणना मांग और मीयादी देयताओं / निवल मांग और मीयादी देयताओं के संकलन के लिए की जा सके, जिसके आधार पर प्रारक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं का पता लगाया जाता है।
3. उपुर्यक्त पहलुओं को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि सभी बैंक अपनी मांग और मीयादी देयताओं / निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना की विशेष संवीक्षा करें ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उनकी गणना इस विषय से संबंधित वर्तमान अनुदेशों के पूर्णत: अनुरूप की जा रही है । अत: आपसे अनुरोध है कि आप अपने बैंक द्वारा मांग और मीयादी देयताओं /निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना की विशेष समीक्षा /संवीक्षा तुरंत करने की व्यवस्था करें । इस प्रयोजन के लिए आपके बैंक द्वारा इस्तेमाल किये जा रहे सॉफ्टवेयर की सक्षमता की भी जांच पड़ताल कर ली जाए । ऐसी संवीक्षा आंतरिक या बाहरी लेखा परीक्षकों द्वारा की जा सकती है ।
4. संवीक्षा के निष्कर्ष के आधार पर मांग और मीयादी देयताओं / निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना में जो भी कमियां पायी जाएं, संबंधित बैंक उनका ब्योरा हमारे पास भेजें तथा संशोधित फॉर्म ए /फॉर्म ङघ्घ्घ् भी भेजें । जिन मामलों में मांग और मीयादी देयताओं /निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना में कोई कमी न पायी जाए, उनमें बैंक आंतरिक /बाहरी लेखा परीक्षकों तथा बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित इस आशय का प्रमाणपत्र हमारे पास भेजें कि मांग और मीयादी देयताओं / निवल मांग और मीयादी देयताओं की गणना पूर्णत: भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किये गये अनुदेशों के अनुसार की जा रही है । ऐसा प्रमाणपत्र यह परिपत्र जारी किये जाने की तारीख से एक महीने के अंदर हमारे पास भेज दिया जाना चाहिए ।
भवदीय,
ह./-
(प्रशांत सरन)
मुख्य महाप्रबंधक