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अनुसूचित वाणिज्य बैंक में एस्क्रो खाते का रखरखाव

आरबीआई/2020-21/68
डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.660/02.14.008/2020-21

17 नवंबर 2020

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक / प्राधिकृत प्रीपेड भुगतान लिखत जारीकर्ता /
भुगतान एग्रीगेटर / भुगतान प्रणाली प्रदाता / प्रणाली प्रतिभागी

महोदया / महोदय,

अनुसूचित वाणिज्य बैंक में एस्क्रो खाते का रखरखाव

भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी किए गए (क) ‘प्रीपेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) को जारी करना और उनका परिचालन करना’ पर दिनांक 11 अक्टूबर 2017 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.1164/02.14.006/2017-18 (28 फरवरी, 2020 को अद्यतन किया गया); और (ख) 'भुगतान एग्रीगेटर्स (पीए) और भुगतान गेटवे (पीजी) के विनियमन' पर दिनांक 17 मार्च, 2020 के परिपत्र डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.1810/02.14.008/2019-20 का संदर्भ लें।

2. एक प्राधिकृत पीपीआई जारीकर्ता अथवा पीए को सतत रूप से एक वाणिज्य बैंक में एस्क्रो खाता रखना आवश्यक होता है। जोखिम को कम करने की दृष्टि से और करोबारी निरंतरता संबंधी चिंताओं का समाधान करने के लिए किसी अन्य अनुसूचित वाणिज्य बैंक में एक अतिरिक्त एस्क्रो खाता रखने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। संबन्धित अनुदेशों को इस परिपत्र में दिये गए अनुबंध 1 और 2 के अनुसार संशोधित किया जा रहा है ।

3. ये निर्देश भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम, 2007 की धारा 10 (2) के साथ पठित धारा 18 के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(पी. वासुदेवन)
मुख्य महाप्रबंधक


अनुबंध 1

पूर्वदत्त भुगतान लिखतों के निर्गमन एवं परिचालन से संबंधित मास्टर निदेश (पीपीआई-एमडी) में संशोधन
डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.1164/02.14.006/2017-18 दिनांक 11 अक्टूबर, 2017
(28 फरवरी, 2020 तक अद्यतन)

पैरा सं. मौजूदा अनुदेश संशोधित अनुदेश
12.3 गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ताओं को चाहिए कि वे अपना बकाया शेष किसी अनुसूचित वाणिज्य बैंक के एस्‍क्रो खाते में रखें। एस्‍क्रो खाता बनाए रखने के प्रयोजन से गैर-बैंक संस्‍थाओं द्वारा पीपीआई जारी करने के लिए संचालित की गई भुगतान प्रणाली को पीएसएस अधिनियम, 2007 की धारा 23ए (वर्ष 2015 में यथा संशोधित) के अंतर्गत 'निर्दिष्‍ट भुगतान प्रणाली' माना जाएगा। एस्‍क्रो शेष बनाए रखने के लिए निम्‍नलिखित शर्तें होंगी:- गैर-बैंक पीपीआई जारीकर्ताओं को अपना बकाया शेष किसी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के निलंब खाते में रखने की आवश्यकता है । पीपीआई जारीकर्ता द्वारा विवेकानुसार किसी अलग अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में एक अतिरिक्त निलंब खाता रखा जा सकता है । निलंब खाता बनाए रखने के प्रयोजन हेतु पीपीआई जारी करने के लिए गैर-बैंक संस्‍थाओं द्वारा परिचालित भुगतान प्रणालियों को पीएसएस अधिनियम, 2007 (वर्ष 2015 में यथा संशोधित) की धारा 23ए के अंतर्गत 'निर्दिष्‍ट भुगतान प्रणाली' माना जाएगा । निलंब खाते में शेष राशि बनाए रखने के लिए निम्‍नलिखित शर्तें होंगी :-
12.3 (i) एस्‍क्रो शेष किसी भी एक समय में केवल एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में रखा जाएगा। विलोपित
12.3 (ii) यदि एस्‍क्रो खाते को एक बैंक से दूसरे बैंक में अंतरित करना हो तो उसे समय-बद्ध ढंग से किया जाए ताकि व्‍यापारियों के भुगतान चक्र पर प्रतिकूल असर न पड़े। ऐसा अंतरण यथासंभव कम समय में पूरा किया जाए और इसके लिए भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति ली जाए। यदि निलंब खाते को एक बैंक से दूसरे बैंक में अंतरित करना हो तो उसे समयबद्ध तरीके से किया जाए ताकि व्‍यापारियों के भुगतान चक्र पर प्रतिकूल असर न पड़े । ऐसा अंतरण भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति से और यथासंभव न्यूनतम समय में पूरा किया जाए ।
12.3 (iv) एस्‍क्रो खाते से केवल निम्‍नलिखित नामे और जमा की अनुमति होगी: निलंब खाते में केवल निम्नलिखित डेबिट और क्रेडिट की अनुमति होगी; ऐसे मामले में जहां एक अतिरिक्त निलंब खाता रखा जा रहा है, एक निलंब खाते से दूसरे खाते में क्रेडिट और डेबिट की भी अनुमति होगी । तथापि, जहां तक संभव हो, अंतर-निलंब अंतरण से बचा जाए और यदि इसका सहारा लिया जाता है, तो लेखापरीक्षक के प्रमाणीकरण में ऐसे लेनदेनों का स्पष्ट रूप से उल्लेख होगा :
12.3 (v) जारीकर्ता/ऑपरेटर और जिस बैंक में एस्‍क्रो खाता है उस बैंक के बीच किए गए करार में इस बात का अनिवार्य खंड होना चाहिए कि बैंक एस्‍क्रो खाते की राशि का उपयोग केवल व्‍यापारियों/पीपीआई धारकों को भुगतान के लिए कर सकेगा। जारीकर्ता/परिचालक और निलंब खाते वाले बैंक के बीच किए गए करार में एक अनिवार्य खंड शामिल होगा जो बैंक को इस बात के लिए समर्थ बनाएगा कि वह निलंब खाते की राशि का उपयोग केवल उन्हीं प्रयोजनों के लिए करे जिनका उल्लेख इन निर्देशों में किया गया है ।
12.3 (x) प्राधिकृत संस्‍थाएं तिमाही आधार पर डीपीएसएस, रिज़र्व बैंक के क्षेत्रीय कार्यालय को लेखापरीक्षक/कों द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाणपत्र (प्ररुप संलग्‍न – अनुलग्‍नक-5) प्रस्‍तुत करेंगे जिसमें यह प्रमाणित किया गया होगा कि जारी किए गए पीपीआई का बकाया मूल्‍य और व्‍यापारियों को देय भुगतान चुकता करने के लिए संस्‍था के एस्‍क्रो खाते में पर्याप्‍त शेषराशि रखी जा रही है। यह प्रमाणपत्र संबंधित तिमाही समाप्‍त होने पर पंद्रह दिनों के भीतर जमा किया जाना चाहिए। संस्‍थाएं लेखापरीक्षक/कों द्वारा हस्‍ताक्षरित वार्षिक प्रमाणपत्र (अनुलग्‍नक-5) भी रिज़र्व बैंक को प्रस्‍तुत करेंगी जो कि संस्‍था के लेखा वर्ष के लिए होगा। प्राधिकृत संस्थाओं को तिमाही आधार पर डीपीएसएस, आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को लेखापरीक्षक(कों) द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण-पत्र (प्रारूप संलग्‍न – अनुलग्‍नक-5) प्रस्‍तुत करना होगा जिसमें यह प्रमाणित किया गया होगा कि जारी किए गए पीपीआई का बकाया मूल्‍य और व्‍यापारियों को देय भुगतान चुकता करने के लिए संस्‍था द्वारा निलंब खाते(तों) में पर्याप्‍त शेष राशि(यां) बनाए रखा जा रहा है । यदि एक अतिरिक्त निलंब खाता रखा जा रहा है, तो उपर्युक्त प्रमाणीकरण के लिए दोनों खातों में शेष राशि पर विचार किया जाना सुनिश्चित किया जाएगा । प्रमाण-पत्र में इसका भी उल्लेख किया जाएगा । एक ही लेखापरीक्षक को दोनों निलंब खातों की लेखापरीक्षा के लिए नियोजित किया जाएगा । यह प्रमाण-पत्र संबंधित तिमाही समाप्‍त होने पर पंद्रह दिनों के भीतर जमा किया जाना चाहिए। संस्‍थाएं लेखापरीक्षक द्वारा हस्‍ताक्षरित वार्षिक प्रमाण-पत्र (अनुलग्‍नक-5) भी प्रस्‍तुत करेंगी । यह प्रमाण-पत्र संस्‍था का रिज़र्व बैंक के साथ निर्धारित लेखा वर्ष के लिए होगा ।
12.4 (ई) निम्‍न प्रकार परिकलित मुख्‍य अंश एस्‍क्रो खाते से जुड़ा रहेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक को तिमाही और वार्षिक आधार पर प्रस्‍तुत किए जाने वाले लेखापरीक्षकों के प्रमाणपत्रों में एस्‍क्रो खाते की शेष राशि और मुख्‍य अंश के संबंध में स्‍पष्‍ट रूप उल्‍लेख होना चाहिए। प्रत्येक निलंब खाते के लिए मूल अंश की गणना अलग से की जाएगी और यह संबंधित निलंब खाते से जुड़ी रहेगी । तिमाही और वार्षिक आधार पर आरबीआई को प्रस्तुत किए गए लेखापरीक्षकों के प्रमाणपत्रों में निलंब खाते की शेष राशि और बनाए रखे गए मूल अंश का स्पष्ट रूप से प्रकटीकरण किया जाएगा ।

अनुबंध 2

भुगतान एग्रीगेटर्स (पीए) और भुगतान गेटवे (पीजी)
के विनियमन के लिए दिशानिर्देशों में संशोधन
डीपीएसएस.सीओ.पीडी.सं.1810/02.14.008/2019-20 दिनांक 17 मार्च, 2020

पैरा सं. मौजूदा अनुदेश संशोधित अनुदेश
8.1 गैर-बैंक भुगतान एग्रीगेटर्स (पीए) किसी भी अनुसूचित वाणिज्य बैंक में अपने एस्क्रो खाते में स्वयं द्वारा एकत्र की गई राशि को रखेंगे । एस्क्रो खाते के रखरखाव के उद्देश्य से, भुगतान एग्रीगेटर्स (पीए) के परिचालनों को पीएसएसए की धारा 23 ए (2015 में यथा संशोधित) के अंतर्गत 'नामित भुगतान प्रणाली' माना जाएगा। गैर-बैंक भुगतान एग्रीगेटर्स (पीए) किसी भी अनुसूचित वाणिज्य बैंक में अपने एस्क्रो खाते में स्वयं द्वारा एकत्र की गई राशि को रखेंगे । पीए के विवेक पर एक अलग अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक के साथ एक अतिरिक्त एस्क्रो खाता रखा जा सकता है । एस्क्रो खाते के रखरखाव के उद्देश्य से, भुगतान एग्रीगेटर्स (पीए) के परिचालनों को पीएसएसए की धारा 23 ए (2015 में यथा संशोधित) के अंतर्गत 'नामित भुगतान प्रणाली' माना जाएगा।
8.2 एस्क्रो खाता शेष किसी भी समय में केवल एक अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक में रखा जाएगा। यदि एस्क्रो खाते को एक बैंक से दूसरे बैंक में शिफ्ट करने की आवश्यकता होती है तो इसे व्यापारियों के लिए भुगतान चक्र को प्रभावित किए बिना एक समयबद्ध तरीके से किया जाएगा और इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित भी किया जाएगा। यदि एस्क्रो खाते को एक बैंक से दूसरे बैंक में शिफ्ट करने की आवश्यकता होती है तो इसे व्यापारियों के लिए भुगतान चक्र को प्रभावित किए बिना एक समयबद्ध तरीके से किया जाएगा और इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक को सूचित भी किया जाएगा।
8.9 एस्क्रौ खाते में क्रेडिट / डेबिट की अनुमति निम्नलिखित अनुसार की जाएगी : एस्क्रौ खाते में क्रेडिट / डेबिट की अनुमति निम्नलिखित अनुसार की जाएगी ; उस मामले में जहां एक अतिरिक्त एस्क्रो खाता रखा गया है वहाँ एक एस्क्रो खाते से दूसरे एस्क्रो खाते में क्रेडिट और डेबिट करने की अनुमति भी होगी । तथापि, अंतर -एस्क्रो अंतरण जहां तक हो सके न किया जाए और यदि यह किया जाता है तो ऑडिटर के प्रमाणीकरण में स्पष्ट रूप से ऐसे लेनदेन का उल्लेख किया जाए।
8.13 प्राधिकृत संस्थाओं द्वारा लेखा परीक्षक (परीक्षकों) द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण पत्र को डीपीएसएस, आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय जहां पीए का पंजीकृत कार्यालय स्थित है, में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें यह प्रमाणित किया गया होगा कि इकाई ने अनुलग्नक 3 में निर्धारित आवधिकता के अनुसार, इन निर्देशों का अनुपालन करते हुए एस्क्रो खाते में शेष राशि सतत रूप से बनाए रखी है। प्राधिकृत संस्थाओं द्वारा लेखा परीक्षक (परीक्षकों) द्वारा हस्ताक्षरित एक प्रमाण पत्र को डीपीएसएस, आरबीआई के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय जहां पीए का पंजीकृत कार्यालय स्थित है, में प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें यह प्रमाणित किया गया होगा कि इकाई ने अनुलग्नक 3 में निर्धारित आवधिकता के अनुसार, इन निर्देशों का अनुपालन करते हुए एस्क्रो खाते (खातों) में शेष राशि सतत रूप से बनाए रखी है। यदि एक अतिरिक्त एस्क्रो खाता रखा गया है तो इस बात को सुनिश्चित किया जाएगा कि उपर्युक्त प्रमाणीकरण के लिए दोनों खातों में बकाया राशि पर विचार किया जाए। इस बात को प्रमाण पत्र में भी इंगित किया जाएगा। दोनों खातों की लेखापरीक्षा के लिए एक ही लेखा परीक्षक को रखा जाएगा।
8.15.5 निम्‍न प्रकार परिकलित मुख्‍य अंश एस्‍क्रो खाते से जुड़ा रहेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक को तिमाही और वार्षिक आधार पर प्रस्‍तुत किए जाने वाले लेखापरीक्षकों के प्रमाणपत्रों में एस्‍क्रो खाते की शेष राशि और मुख्‍य अंश के संबंध में स्‍पष्‍ट रूप उल्‍लेख होना चाहिए। प्रत्येक एस्क्रो खाते के लिए मुख्‍य अंश की गणना पृथक रूप से की जाएगी और यह संबन्धित एस्‍क्रो खाते से जुड़ा रहेगा। भारतीय रिज़र्व बैंक को तिमाही और वार्षिक आधार पर प्रस्‍तुत किए जाने वाले लेखापरीक्षकों के प्रमाणपत्रों में एस्‍क्रो खाते की शेष राशि और मुख्‍य अंश के संबंध में स्‍पष्‍ट रूप उल्‍लेख होना चाहिए।

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