भारत में पंजीकृत/निगमित कंपनी /फर्म/निगमित निकाय द्वारा विदेशी मुद्रा खाते का रख-रखाव - आरबीआई - Reserve Bank of India
भारत में पंजीकृत/निगमित कंपनी /फर्म/निगमित निकाय द्वारा विदेशी मुद्रा खाते का रख-रखाव
भारतीय रिज़र्व बैंक ए.पी.(डीआइआर सिरीज़ ) परिपत्र सं.54 जून 29, 2002 सेवा में महोदया / महोदय भारत में पंजीकृत/निगमित कंपनी /फर्म/निगमित निकाय प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध (भारत में निवासी व्यक्ति द्वारा विदेशी मुद्रा खाता ) विनियमावली, 2000, से संबंधित मई 3, 2000, की रिज़र्व बैंक की अधिसूचना सं. फेमा 10/2000-आरबी दिसंबर 5, 2001 की अधिसूचना सं. फेमा 47/2001-आरबी द्वारा आशोधित (प्रतिलिपि संलग्न) की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. अब भारतीय सत्ता को भारत के बरहर स्थित कार्यालय / शाखा के नाम में भारत के बाहर के बैंक के साथ दक्त अधिसूचना में दी गई शर्तों के अधीन उक्त कार्यालय / शाखा अथवा प्रतिनिधि के सामान्य कारोबार के परिचालन हेतु प्रेषण द्वारा विदेशी मुद्रा खोलने, धारण करने और रख रखाव करने की अनुमति दी गई है । 3. अत: प्राधिकृत व्यापारी निम्नलिखित नियम और शर्तों के अधीन इससे संबंधित विनियमावली के प्रावधनों के अनुसार भारत के बाहर के कार्यालय (व्यापार / गैर व्यापार ) / शाखा अथवा प्रतिनिधि को सामान्य कारोबार परिचालनों के प्रयोजन हेतु प्रेषण की अनुमति दें । i) विदेशी कार्यालय (व्यापार / गैर व्यापार) शाखा / प्रतिनिधि भारत स्थित मुख्य कार्यालय के लिए कोई भी आकस्मिक अथवा अन्य वित्तीय देयताओं का सृजन न करें । ii) विदेशी कार्यालय (व्यापारिक / गैर व्यापारिक ) / शाखा / प्रतिनिधि रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति के बिना विदेश में अधिशेष निधियों का निवेश न करें । सभी अधिशेष निधियों को भारत में प्रत्यावर्तित किया जाए । iii) सॉफ्टवेयर निर्यातक कंपनी / फर्म के विदेशी कार्यालय / शाखा प्रत्येक "ऑफ साइट" संविदा का शत प्रतिशत संविदा मूल्य और प्रत्येक "ऑन-साईट" संविदाओं संविदागत मूल्य की कम से कम 30 प्रतिशत राशि भारत में प्रत्यावर्तित करें और विदेश के कार्यालय शाखा के व्यय सहित संविदा से संबंधित व्यय के लिए "ऑन-साईट" संविदा के संविदा मूल्य की (70 प्रतिशत) शेष राशि का उपयोग कर सकते है । विदेशी कार्यालय द्वारा किए गए "ऑफ - साइट" और "ऑन-साइट" संविदाओं के अधीन प्राप्तियाँ व्यय और प्रत्यावर्तित राशि विधिवत लेखा परीक्षित वार्षिक विवरण प्राधिकृत व्यापारी को भेजें । iv) विदेश में खोले गए बैंक खातों के ब्यौरे अविलंब प्राधिकृत व्यापारी को प्रस्तुत करें । 4. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें । 5. इस परिपत्र में अन्तर्विष्ट निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किए गए है । भवदीया ग्रेस कोशी |