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राज्य सरकार के खातों का अनुरक्षण - देरी से विप्रेषण पर ब्याज की पुन: प्राप्ति (राज्य सरकार के लेनदेन)

आरबीआई/2006-2007/291
डीजीबीए.जीएडी.सं.एच-14061/31.04.008/2006-07

21 मार्च, 2007

अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक / प्रबंध निदेशक
सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक (आईडीबीआई बैंक लिमिटेड को छोड़कर)

महोदय,

राज्य सरकार के खातों का अनुरक्षण - देरी से विप्रेषण पर ब्याज की पुन: प्राप्ति (राज्य सरकार के लेनदेन)

कृपया हमारे दिनांक 22 फरवरी, 2003 के परिपत्र डीजीबीए.जीएडी.सं 1377/31.04.008/2002-03 देखें जिसमें “राज्य सरकार के लेन-देन के लेखा और मिलान” पर कार्यदल की अनुशंसा के कार्यान्वयन के संबंध में हमारे अनुदेश बैंकों को भेजे गए थे। हमारे ऊपर उल्लिखित परिपत्र के साथ अग्रेषित "निर्देश ज्ञापन" के पैरा 5.11 (ए) और 5.11 (बी) में निहित निर्देशों के आंशिक संशोधनों में, हम निम्नानुसार सलाह देते हैं:

2. भारतीय रिज़र्व बैंक को केंद्र और राज्य सरकार के लेन देन की रिपोर्टिंग के लिए समय-सीमा में एकरूपता लाने की दृष्टि से भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के अनुमोदन से यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र सरकार के लेनदेन पर लागू मौजूदा प्रक्रिया, जैसा कि नीचे बताया गया है, राज्य सरकार के लेनदेन पर भी लागू की जा सकती है।

(क) स्थानीय लेन-देन - जहां भी संग्राहक बैंक शाखा और बैंक की केन्द्र बिंदु शाखा एक ही शहर/समूह में हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ लेन-देन का निपटान टी+3 कार्य दिवसों (जहां टी वह दिन है जब बैंक शाखा को धन उपलब्ध है) के भीतर पूरा किया जाएगा। कार्य दिवसों की गणना के लिए, आरबीआई कैलेंडर का पालन किया जाएगा।

(ख) बाहरी लेन-देन- जहां भी संग्राहक बैंक शाखा और बैंक की केन्द्र बिंदु शाखा अलग-अलग शहरों/समूहों में हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक के साथ लेन-देन का निपटान टी+5 कार्य दिवसों (जहां टी वह दिन है जब बैंक शाखा को धन उपलब्ध है) के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। कार्य दिवसों की गणना के लिए, आरबीआई कैलेंडर का पालन किया जाएगा।

(ग) स्थानीय और बाहरी दोनों लेनदेन के मामले में, आरबीआई के साथ निपटान की तारीख को क्रमशः टी + 3 और टी + 5 कार्य दिवसों की इस समय सीमा से बाहर रखा जाएगा।

(घ) विलंबित अवधि ब्याज बैंकों पर वास्तविक विलंबित अवधि के लिए लगाया जाएगा, न कि लेनदेन के दिनांक से। दूसरे शब्दों में, 'देरी अवधि' गणना निर्धारित तिथि के बाद के दिन से शुरू होगी।

(ङ) 1 लाख रुपये और उससे अधिक के लेनदेन के संबंध में देरी की अवधि में बैंक दर + 2% पर विलंबित अवधि ब्याज प्राप्त होगा।

(च) 1 लाख रुपये से कम के लेनदेन के लिए, विलंबित अवधि ब्याज 5 कैलेंडर दिनों तक की देरी के लिए बैंक दर पर लगाया जाएगा और 5 कैलेंडर दिनों से अधिक की देरी के मामले में बैंक दर + 2% पर देरी की पूरी अवधि के लिए ब्याज लगाया जाएगा।

(छ) पैरा 4 (क) से (च) में दिए गए उपर्युक्त अनुदेश गैर-कर और अन्य सभी सरकारी प्राप्तियों के संबंध में भी लागू होंगे।

(बैंक दर आरबीआई द्वारा समय-समय पर अधिसूचित दर होगी जैसा कि लेनदेन के समय लागू होता है)।

3. संशोधित प्रक्रिया 1 अप्रैल, 2007 से लागू होगी। विलंबित अवधि ब्याज का दावा/ पुन: प्राप्ति की प्रक्रिया अपरिवर्तित रहेगी और यह ब्याज लिया जाएगा चाहे किसी विशेष लेनदेन में शामिल विप्रेषन की राशि कुछ भी हो।

4. आप राज्य सरकार के लेनदेन करने के लिए मान्यता प्राप्त अपनी शाखाओं के ध्यान में संशोधित प्रक्रिया ला सकते हैं और उन्हें राज्य सरकार के लेनदेन की रिपोर्ट करने के लिए निर्धारित समय अनुसूची का सख्ती से पालन करने की सूचना दे सकते हैं।

5. सभी राज्य सरकारों को संशोधित प्रक्रिया के बारे में सूचना दी जा रही है।

भवदीय

(एम. टी. वर्गीज)
महाप्रबंधक

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