मास्टर परिपत्र - विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 1976 - भारत में एसोसिएशनों/संगठनों द्वारा विदेशी अंशदानों की प्राप्ति को विनियमित करने में बैंकों की बाध्यताएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 1976 - भारत में एसोसिएशनों/संगठनों द्वारा विदेशी अंशदानों की प्राप्ति को विनियमित करने में बैंकों की बाध्यताएं
भारिबैं/2008-09/61 01 जुलाई 2008 अध्यक्ष तथा मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय मास्टर परिपत्र - विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम कृपया 2 जुलाई 2007 का हमारा मास्टर परिपत्र संदर्भ सं. बैंपविवि. एएमएल. बीसी. सं. 3/14.08.001/2007-08 देखें। उपर्युक्त मास्टर परिपत्र में निहित अनुदेशों को 30 जून 2008 तक संशोधित किया गया है तथा अद्यतन किये गये अनुदेश इस मास्टर परिपत्र में शामिल किये गये हैं। बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे संलग्न मास्टर परिपत्र की विषयवस्तु अपने नियंत्रक कार्यालयों/शाखाओं के ध्यान में लाएँ और यह सुनिश्चित करें कि अनुदेशों का विधिवत् अनुपालन किया जाता है ।यह मास्टर परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (http://www.rbi.org. in) पर भी उपलब्ध कराया गया है। भवदीय मास्टर परिपत्र विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 1976 -
यह मास्टर परिपत्र भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट www.rbi.org.in पर भी देखा जा सकता है और डाउनलोड किया जा सकता है। मास्टर परिपत्र - विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम प्रयोजन रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर दिशानिर्देश जारी किये हैं जिनमें बैंकों को यह सूचित किया गया है कि एसोसिएशन/संगठन के खातों में जमा करने के लिए विदेशी अंशदान स्वीकार करते समय सह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संबंधित एसोसिएशन/संगठन गृह मंत्रालय में पंजीकृत है या उसे ऐसे विदेशी अंशदान प्राप्त करने की उनकी पूर्व अनुमति है जैसा कि उक्त अधिनियम के अधीन अपेक्षित है तथा नामित शाखाओं के अलावा कोई अन्य शाखा विदेशी अंशदान स्वीकार नहीं करती है । बैंकों को यह भी सूचित किया गया है कि वे ऐसे विदेशी अंशदान की प्राप्ति की छमाही रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजें। इस मास्टर परिपत्र में इस संबंध में समय-समय पर बैंकों को जारी सभी अनुदेश समेकित किये गये हैं। 1.1 बैंकों द्वारा विदेशी दान स्वीकार करने की शर्तें विदेशी अंशदानों की प्राप्ति के संबंध में कार्रवाई करते समय बैंकों को विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए), 1976 के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन करना अपेक्षित है। उक्त अधिनियम की धारा 4 के अनुसार यह निर्धारित है कि कोई भी चुनाव का उम्मीदवार; पंजीकृत समाचार पत्र का संवाददाता, स्तंभलेखक, व्यंगचित्रकार, संपादक, स्वामी, मुद्रक अथवा प्रकाशक; न्यायाधीश, सरकारी नौकर अथवा किसी निगम के कर्मचारी; किसी विधानमंडल के सदस्य; राजनीतिक दल अथवा उसके पदधारी, कोई भी विदेशी अंशदान स्वीकार नहीं करेगा/करेंग। उक्त अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (क) तथा (ख) में यह प्रावधान है कि केंद्र सरकार पूर्वोक्त धारा 4 में उल्लेख न किये गये किसी एसोसिएशन अथवा किसी भी व्यक्ति को कोई विदेशी अंशदान स्वीकार करने से रोक सकती है अथवा किसी भी एसोसिएशन द्वारा किसी प्रकार के विदेशी अंशदान को स्वीकार करने से पहले केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करना आवश्यक बना सकती है। ऊपर उल्लिखित अधिनियम की धारा 5 में यह भी प्रावधान है कि राजनीतिक स्वरूप का कोई भी संगठन, राजनीतिक दल न होते हुए भी, केंद्र सरकार की पूर्वानुमति के बिना विदेशी अंशदान स्वीकार नहीं कर सकता है। अधिनियम में यह भी प्रावधान है कि जिन एसोसिएशनों का एक निश्चित सांस्कृतिक, आर्थिक, शैक्षिक, धार्मिक तथा सामाजिक कार्यक्रम है, उन्हें किसी प्रकार का विदेशी अंशदान प्राप्त करने से पूर्व स्वयं को गृह मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली, में पंजीकृत करवा लेना चाहिए। ऐसे विदेशी अंशदान केवल उस नामित बैंक शाखा, जिसका नाम गृह मंत्रालय को पंजीकरण हेतु प्रस्तुत आवेदन में विनिर्दिष्ट किया गया है, के माध्यम से ही प्राप्त किये जाएँ। अधिनियम में इसके अतिरिक्त यह भी निर्धारित किया गया है कि धारा (6) की उप-धारा (1) में संदर्भित कोई भी तथा प्रत्येक एसोसिएशन, यदि उसे केंद्र सरकार में पंजीकृत नहीं किया गया है तो, केवल केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करने के बाद ही विदेशी अंशदान स्वीकार कर सकता है। 2. दिशानिर्देश 2.1 सामान्य (i) बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इन एसोसिएशनों/ संगठनों के खातों पर विशेष रूप से नजर रखने के लिए अपनी सभी शाखाओं को सूचित करें तथा इनके द्वारा अधिनियमों के प्रावधानों का किसी भी प्रकार का उल्लंघन किये जाने पर, इसे गृह मंत्रालय के ध्यान में तत्काल लाएं। (ii) विदेशी मुद्रा में लेनदेन का कार्य करनेवाली बैंक की सभी शाखाओं से अपेक्षित है कि वे भारत सरकार को एक अर्ध-वार्षिक विवरण भेजें जिसमें उक्त अधिनियम के अंतर्गत एसोसिएशनों/संगठनों के खातों में आगे जमा करने के लिए प्राप्त विदेशी अंशदानों के ब्योरे दिये गये हों। सरकार ने सूचित किया है कि बैंक गृह मंत्रालय को नियमित रूप से यह जानकारी प्रस्तुत नहीं करते हैं। यह प्रस्तुतीकरण न करना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आशंका है कि बैंकिंग माध्यम से प्राप्त विदेशी दानों का कुछ हिस्सा गैर कानूनी कार्यकलापों के निधीयन के लिए उपयोग में लाया जा रहा है। अत:, भारत सरकार ने बैंकों द्वारा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 1976 के प्रावधानों के अनुपालन में की गयी चूकों को गंभीरता से लिया है। (iii) बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपनी सभी शाखाओं/नियंत्रक कार्यालयों को इन अनुदेशों के साथ अवगत कराएं कि वे जारी किये गये अनुदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें। बैंकों को संबंधित नियंत्रक कार्यालयों के माध्यम से शाखाओं के अनुपालन की निगरानी तथा इस संबंध में पायी गयी चूक का दायित्व निर्धारित करने की एक प्रणाली भी विकसित करनी चाहिए। 2.2 विदेशी अंशदान प्राप्त करने की प्रक्रिया इस संबंध में रिज़र्व बैंक ने बैंकों को कई बार यह सूचित किया गया है कि वे एफसीआरए, 1976 के प्रावधानों का सावधानीपूर्वक पालन करें। इस संबंध में पूर्व में जारी किये गये परिपत्रों की सूची संलग्न है। यह दोहराया जाता है कि बैंकों को यह सुनिश्चित करना अपेक्षित है कि एफसीआरए, 1976 के प्रावधानों के उल्लंघन को टाला जाता है तथा विदेशी अंशदान प्राप्त करते समय नीचे दर्शायी गयी क्रियाविधि का अनुपालन किया जाता है। तदनुसार, (क) एफसीआरए, 1976 की धारा 4 तथा 5 के अंतर्गत आनेवाली कंपनियों के खातों में विदेशी अंशदान स्वीकार करने से पहले बैंकों को इस बात पर बल देना चाहिए कि केंद्र सरकार की पूर्व अनुमति प्राप्त की गई है; (ख) विदेशी अंशदानों के रूप में प्राप्त होनेवाले चेकों/ड्राफ्टों की राशि को वे केवल तभी जमा करें जब एसोसिएशन आदि उक्त अधिनियम की धारा 6 में दर्शाए गये अनुसार गृह मंत्रालय, भारत सरकार के पास पंजीकृत किये गये हैं; (ग) विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 1976 के अंतर्गत यदि कोई एसोसिएशन पंजीकृत नहीं किया गया है तो विदेशी अंशदान की विशिष्ट राशि स्वीकार करने के लिए केंद्र सरकार की पूर्वानुमति सूचित करने वाला गृह मंत्रालय का पत्र प्रस्तुत करने पर वे बल दें ; (घ) वे ऐसे एसोसिएशनों के खाते में कोई राशि जमा न करें जो विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 1976 के अंतर्गत विदेशी अंशदान स्वीकार करने के प्रयोजन से गृह मंत्रालय के पास अलग से पंजीकृत नहीं हैं; (ङ) वे उन एसोसिएशनों के खाते में कोई राशि जमा न करें जिन्हें यह निदेश दिया गया है कि वे केवल केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करने के बाद ही विदेशी अंशदान प्राप्त करें; (च) राजनीतिक स्वरूप के संगठनों, जो कि राजनीतिक दल (उनकी शाखाओं और इकाइयों सहित) नहीं हैं, को चेक /मांग ड्राफ्ट आदि से प्राप्त राशियों को जमा करने की वे तब तक अनुमति न दें, जब तक कि ऐसे संगठनों द्वारा विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 1976 के अंतर्गत केंद्र सरकार की पूर्वानुमति दर्शाने वाला पत्र प्रस्तुत नहीं किया जाता है; (छ) विभिन्न एसोसिएशनों को गृह मंत्रालय द्वारा दी गयी पंजीकरण संख्या को संबंधित अभिलेखों में, विशेषत: उन खाता-बहियों के पन्नों पर, जिनमें एसोसिएशनों के विदेशी अंशदान खातों को रखा जाता है, बैंकों को नोट करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो कि ऐसे एसोसिएशनों को कोई अनावश्यक परेशानी नहीं होती है। स्पष्टीकरण भारत में संगठन/एसोसिएशन "विदेशी स्रोत" से अंशदान केवल तभी स्वीकार कर सकते हैं जब वे गृह मंत्रालय में पंजीकृत किये गये हैं अथवा केवल उपर्युक्त मंत्रालय से उन्होंने पूर्वानुमति प्राप्त कर ली ह। ऊपर उल्लिखित अधिनियम के प्रयोजन के लिए "विदेशी स्रोत" को पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 2 (ई) में परिभाषित किया गया है और उससे यह स्पष्ट है कि उपर्युक्त एसोसिएशनों/संगठनों को अंशदान देने के प्रयोजन से विदेश में रहने वाले भारतीयों अर्थात् भारतीय नागरिकों से प्राप्त प्रेषणों के संबंध में एफसीआरए के प्रावधान लागू नहीं होते ह। तथापि, भारतीय मूल के अनिवासी विदेशी नागरिकों द्वारा भारत में रखे गए अपने एनआरई और एफसीएनआर खातों के माध्यम से दिये गये अंशदानों के मामले में एफसीआरए के प्रावधान लागू होंगे तथा इन अंशदानों को "विदेशी स्रोत" समझा जाए। इसके परिणामस्वरूप, प्राप्तकर्ता एसोसिएशनों/संगठनों को "विदेशी स्रोत" से अंशदान स्वीकार करने से पहले एफसीआरए के अंतर्गत पंजीकृत होना अथवा केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त करना आवश्यक होगा। 2.3 केंद्र सरकार को आवधिक सूचना देना विद्यमान अनुदेशों के अनुसार विदेशी मुद्रा में लेनदेन का कार्य करने वाली बैंक की सभी शाखाओं से संलग्न फॉर्मेट में प्रति वर्ष 30 सितंबर और 31 मार्च को समाप्त होने वाली अवधि के लिए भारत सरकार को एक अर्ध-वार्षिक विवरण भेजना अपेक्षित है, जिसमें संबंधित एसोसिएशनों/संगठनों के खातों में जमा करने के लिए प्राप्त अंशदानों के ब्योरे दिये गये हा। ऐसे विवरण छमाही समाप्त होने के दो महीनों के भीतर भारत सरकार को प्रस्तुत करने होते हैं 2.4 पायी गयी सामान्य अनियमितताएं इस संबंध में पायी गयी कुछ अनियमितताएं निम्नानुसार हैं : (क) विदेशी अंशदानों के लेनदेन का कार्य करने के लिए कतिपय एसोसिएशन उसी शाखा में अथवा विभिन्न शाखाओं में एक से अधिक खाते (पंजीयन के लिए प्रस्तुत पत्र में विनिर्दिष्ट खाते से भिन्न) परिचालित करते हुए पाये गय। (ख) कतिपय एसोसिएशनों को पंजीकृत हुए बिना ही अथवा उनके द्वारा केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त किये बिना ही विदेशी अंशदानों के चेक/ड्राफ्ट जमा करने तथा उसके आहरण की अनुमति दी गयी। (ग) इस तथ्य के बावजूद कि उक्त अधिनियम की धारा 10 की उप-धारा (क) और (ख) के अंतर्गत किसी एसोसिएशन को निषिद्ध श्रेणी में अथवा पूर्वानुमति श्रेणी में रखने के आदेशों की प्रतिलिपियां बैंक शाखाओं को भेजी गयी थीं, उन्होंने सरकार से पूर्वानुमोदन लिए बिना ही उक्त एसोसिएशनों को विदेशी अंशदानों को जमा/आहरित करने की अनुमति दी। भारत सरकार द्वारा कई अवसरों पर हमारे ध्यान में यह बात लायी गयी है कि बैंकों की शाखाएँ एफसीआरए, 1976 के प्रावधानों का सावधानीपूर्वक पालन नहीं करती हैं तथा धारा 6 (1) और धारा 5 (1) द्वारा विनियंत्रित कंपनियों द्वारा केंद्र सरकार की पूर्वानुमति प्राप्त किये बिना ही विदेशी अंशदान प्राप्त किये गये हैं। अत: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे इस परिपत्र में दिये गये अनुदेशों का सावधानीपूर्वक पालन करें। अनुबंध-1 3. मास्टर परिपत्र में समेकित किये गये परिपत्रों की सूची
4. विदेशी अंशदान (विनियमयन) अधिनियम, 1976 के अधीन आनेवाले एसोसिएशनों द्वारा प्राप्त विदेशी अंशदानों का ब्यौरा .................... को समाप्त छमाही के लिए विवरण बैंक की शाखा का नाम एवं पता ..................................................................................
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