जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश
आरबीआई/2008-09/24 01 जुलाई 2008 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक महोदय/ महोदया जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश जैसा कि आप जानते हैं, मुद्रा बाजार लिखतों के विस्तार को और अधिक बढ़ाने और निवेशकों को अपनी अल्पावधि अतिरिक्त निधियों के अभिनियोजन में ज्यादा अवसर प्रदान करने की दृष्टि से भारत में 1989 में जमा प्रमाणपत्र शुरू किए गए थे। वर्तमान में जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी, समय-समय पर यथासंशोधित, निदेशों द्वारा शासित होते हैं। इस विषय पर सभी मौजूदा दिशानिर्देशों/अनुदेशों/निदेशों को शामिल कर मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि इस मास्टर परिपत्र के परिशिष्ट में सूचीबद्ध परिपत्रों में दिए गए "जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशा-निर्देश" से संबंधित सभी अनुदेशों/दिशानिर्देशों का समेकन करके उन्हें अद्यतन किया गया है। इस मास्टर परिपत्र को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट /en/web/rbi/notifications/master-circulars पर भी उपलब्ध कराया गया है। भवदीय (चंदन सिन्हा) मास्टर परिपत्र- जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश जमा प्रमाणपत्र एक परक्राम्य मुद्रा बाजार लिखत है और इसे अमूर्तीकृत रूप में या एक निर्दिष्ट समय अवधि के लिए किसी बैंक या अन्य पात्र वित्तीय संस्था में जमा की गई निधि के लिए मीयादी वचनपत्र के रूप में जारी किया जाता है। वर्तमान में जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी समय-समय पर यथासंशोधित निदेशों के द्वारा शासित होते हैं। जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशानिर्देश अब तक जारी किए गए संशोधनों को शामिल कर तत्काल संदर्भ के लिए नीचे दिए गए हैं। 2. जमा प्रमाणपत्र (i) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) और स्थानीय क्षेत्र बैंकों (एलएबी) को छोड़कर अनुसूचित वाणिज्य बैंकों और (ii) चयनित अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं, जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा तय समग्र सीमा के भीतर रिज़र्व बैंक द्वारा अल्पकालिक संसाधन जुटाने की अनुमति दी गई है, द्वारा जारी किए जा सकते हैं। 3. बैंकों को अपनी निधियन आवश्यकतानुसार जमा प्रमाणपत्र जारी करने की छूट है। 4. कोई वित्तीय संस्था रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित समग्र सीमा के भीतर जमा प्रमाणपत्र जारी कर सकती है अर्थात, अन्य लिखतों जैसे मियादी मुद्रा, मीयादी जमा, वाणिज्यिक पत्र और अंतर-कंपनी जमाराशियों के साथ जमा प्रमाणपत्र जारी करना, जिसे अद्यतन लेखा परीक्षित तुलन पत्र के अनुसार स्वाधिकृत निधियों के 100 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होना चाहिए। निर्गम का न्यूनतम आकार और मूल्यवर्ग 5. जमा प्रमाणपत्र की न्यूनतम राशि 1 लाख रुपए होनी चाहिए अर्थात् एक अभिदाता से स्वीकार की जाने वाली न्यूनतम जमाराशि 1 लाख रूपये से कम नहीं होनी चाहिए और उससे अधिक की राशि 1 लाख रुपए के गुणकों में होनी चाहिए। 6. जमा प्रमाणपत्र व्यक्तियों, निगमों, कंपनियों, न्यासों, निधियों, संघों, आदि को जारी किए जा सकता है। अनिवासी भारतीय भी जमा प्रमाणपत्र का अभिदान कर सकते हैं, लेकिन ऐसा अभिदान केवल अप्रत्यावर्तनीय आधार पर होगा और जिसका स्पष्ट रूप से प्रमाणपत्र पर उल्लेख किया जाना चाहिए। ऐसे जमा प्रमाणपत्र द्वितीयक बाज़ार में किसी अन्य अनिवासी भारतीय को बेचे नहीं जा सकते। 7. बैंकों द्वारा जारी जमा प्रमाणपत्रों की परिपक्वता अवधि 7 दिन से कम और एक वर्ष से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। 8. वित्तीय संस्थाओं द्वारा 1 वर्ष से अधिक एवं 3 वर्ष से कम अवधि के लिए जमा प्रमाणपत्र जारी किए जा सकते हैं। 9. जमा प्रमाणपत्र अंकित मूल्य से कम बट्टे पर जारी किए जा सकते हैं। बैंकों /वित्तीय संस्थाओं को अस्थिर दर आधार पर भी जमा प्रमाणपत्र जारी करने की अनुमति है बशर्तें कि अस्थिर दर की संकलन पद्धति वस्तुनिष्ठ, पारदर्शी और बाजार-आधारित हो। जारीकर्ता बैंक/वित्तीय संस्था बट्टा/कूपन दर निर्धारित करने के लिए स्वतंत्र हैं। अस्थिर दर जमा प्रमाणपत्र पर एक ऐसे पूर्व-निर्धारित सूत्र के अनुसार ब्याज दर को आवधिक रूप से पुनर्निधारित करना होगा जो स्प्रेड को एक पारदर्शी बेंचमार्क पर दर्शाता हो। 10. बैंकों को जमा प्रमाणपत्र जारी करने के मूल्य पर उचित प्रारक्षित निधि अपेक्षाओं अर्थात् आरक्षित नकदी निधि अनुपात (सीआरआर) और सांविधिक चलनिधि अनुपात (एसएलआर) को पूरा करना होगा। 11. प्रत्यक्ष जमा प्रमाणपत्र पृष्ठांकन और सुपुर्दगी के द्वारा मुक्त रूप से अंतरणीय हैं। डीमेट रूप में जारी जमा प्रमाणपत्र को अन्य डीमेट प्रतिभूतियों के लिए लागू प्रक्रिया के अनुसार अंतरित किया जा सकता है। जमा प्रमाणपत्र के लिए कोई निश्चित अवरुद्धता अवधि नहीं है। 12. बैंक/ वित्तीय संस्थाएं जमा प्रमाणपत्र पर ऋण प्रदान नहीं कर सकती हैं। इसके अलावा, वे परिपक्वता से पहले अपने जमा प्रमाणपत्र की वापसी-खरीद नहीं कर सकतीं। 13. बैंकों/ वित्तीय संस्थाओं को केवल अमूर्त रूप में ही जमा प्रमाणपत्र जारी करने चाहिए। हालांकि, निक्षेपागार अधिनियम, 1996 के अनुसार, निवेशकों को भौतिक रूप में प्रमाणपत्र प्राप्त करने का विकल्प दिया गया है। तदनुसार, अगर निवेशक भौतिक रूप में प्रमाणपत्र की मांग करता है तो बैंक / वित्तीय संस्था मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाज़ार विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई 400 001 को ऐसी मांग के बारे में अलग से सूचित करें। साथ ही, जमा प्रमाणपत्रों के निर्गम पर स्टांप शुल्क लगेगा। इस संबंध में बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के लिए एक प्रारूप (अनुलग्नक 1) संलग्न है। जमा प्रमाणपत्र की चुकौती के लिए कोई रियायत अवधि नहीं होगी। यदि परिपक्वता की तारीख को छुट्टी का दिन होता है तो जारीकर्ता बैंक को चाहिए कि वह छुट्टी के ठीक पहले वाले कार्यदिवस को भुगतान करे। इसलिए बैंकों/वित्तीय संस्थाओं को जमा की अवधि इस प्रकार तय करना चाहिए कि परिपक्वता की तारीख छुट्टी का दिन न हो ताकि बट्टा/ब्याज दर में होने वाली हानि से बचा जा सके। सुरक्षा पहलु 14. चूंकि प्रत्यक्ष जमा प्रमाणपत्र पृष्ठांकन और सुपुर्दगी द्वारा आसानी से अंतरणीय हैं, अतः बैंक यह सुनिश्चित करें कि प्रमाणपत्र अच्छी गुणवत्ता वाले सुरक्षा कागज पर मुद्रित हों और दस्तावेज़ को छेड़छाड़ से बचाने के लिए आवश्यक सावधानियां बरती गई हों। इन पर दो या अधिक प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ताओं के हस्ताक्षर होने चाहिए। 15. चूंकि जमा प्रमाणपत्र अंतरणीय हैं इसलिए अंतिम धारक द्वारा भुगतान के लिए भौतिक प्रमाणपत्र प्रस्तुत किया जाए। पृष्ठांकनों की श्रृंखला में किसी दोष के कारण दायित्व का प्रश्न उठ सकता है। अत: यह वांछनीय है कि बैंक आवश्यक सावधानी बरतें और केवल रेखित चेक के माध्यम से भुगतान करें। इन जमा प्रमाणपत्रों का सौदा करने वालों को भी समुचित रूप से सावधान किया जाए। 16. डीमेट रूप में जारी जमा प्रमाणपत्रों के धारक अपने संबंधित निक्षेपागार प्रतिभागियों से संपर्क करेंगे और उन्हें जारीकर्ता के 'जमा प्रमाणपत्र मोचन खाता' में विशिष्ट आईएसआईएन द्वारा अभिहित डीमेट प्रतिभूति के अंतरण के लिए अंतरण/सुपुर्दगी आदेश देना होगा। धारक को चाहिए कि वह जारीकर्ता से उस सुपुर्दगी अनुदेश की प्रति संलग्न कर पत्र/फैक्स द्वारा भी संपर्क करे जिसे उसने अपने निक्षेपागार प्रतिभागी को दिया है और त्वरित भुगतान के लिए भुगतान के अभीष्ट स्थान के बारे में भी सूचित करे। "जमा प्रमाणपत्र मोचन खाता" में जमा प्रमाणपत्र के डीमेट क्रेडिट प्राप्त होने पर जारीकर्ता परिपक्वता तारीख को धारक/अंतरणकर्ता को बैंकर चेक/ उच्च मूल्य चेक के माध्यम से चुकौती की व्यवस्था करेगा। प्रमाणपत्र की अनुलिपि जारी करना 17. प्रत्यक्ष प्रमाण पत्र के गुम हो जाने पर, प्रमाणपत्र की अनुलिपि निम्नलिखित के अनुपालन के बाद जारी की जा सकती है: (ए) कम से कम एक स्थानीय समाचार पत्र में एक नोटिस देना आवश्यक है (बी) समाचार पत्र में नोटिस देने की तारीख से उचित अवधि (उदा. 15 दिन) बीतने के बाद, और (सी) निवेशक द्वारा क्षतिपूर्ति बांड निष्पादित किया जाना जिससे कि जमा प्रमाणपत्र का जारीकर्ता संतुष्ट हो। 18. प्रमाणपत्र की अनुलिपि केवल भौतिक रूप में ही जारी की जानी चाहिए। इस पर नए सिरे से स्टाम्प लगाने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि खो गए मूल जमा प्रमाणपत्र के स्थान पर उसकी ही अनुलिपि जारी की जाती है। जमा प्रमाणपत्र की अनुलिपि में स्पष्ट रूप से यह उल्लेख होना चाहिए कि जमा प्रमाणपत्र अनुलिपि है और उस पर मूल मूल्य तारीख, देय तारीख और जारी करने की तारीख (जैसा कि "अनुलिपि _____तारीख को जारी'') जैसी प्रविष्टियां अंकित होनी चाहिए। 19. बैंक/वित्तीय संस्थाओं को चाहिए कि वे ''निर्गमित जमा प्रमाणपत्र'' शीर्ष के तहत निर्गम मूल्य का लेखांकन करें और इसे जमा राशियों के तहत दर्शाएं। बट्टे के लिए लेखा प्रविष्टियां "नकदी प्रमाणपत्र'' के मामले में की जाने वाली प्रविष्टियों की तरह की जाएंगी। बैंकों / वित्तीय संस्थाओं को जारी किए गए जमा प्रमाणपत्रों का एक रजिस्टर पूर्ण विवरण सहित रखना होगा। मानकीकृत बाजार प्रक्रिया और प्रलेखीकरण 20. भारतीय निर्धारित आय मुद्रा बाज़ार और डेरिवेटिव्ज़ संघ (एफआईएमएमडीए) भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से परिचालनगत लचीलापन और जमा प्रमाणपत्र के बाज़ार में सुचारू संचालन के लिए किसी मानकीकृत प्रक्रिया और प्रलेखीकरण को विहित कर सकता है जिसका अनुपालन अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रक्रिया के अनुरूप प्रतिभागियों को करना होगा। बैंक/वित्तीय संस्थाएं इस संबंध में एफआईएमएमडीए द्वारा 20 जून 2002 को जारी विस्तृत दिशा-निर्देश देखें। 21. बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम,1934 की धारा 42 के अधीन पाक्षिक विवरणी में जमा प्रमाणपत्रों की राशि शामिल करनी होगी और इस प्रकार शामिल राशि को एक फुटनोट के रूप में अलग से भी उल्लिखित करनी होगी। 22. इसके अलावा, बैंकों / वित्तीय संस्थाओं को चाहिए कि वे अनुबंध II में दिए गए प्रारूप के अनुसार, मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाज़ार विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय भवन, फोर्ट, मुंबई- 400 001, फैक्स 91-22-22630981/ 22634824 को संबंधित पखवाड़े की अंतिम तारीख से 10 दिनों के भीतर विवरणी प्रस्तुत करनी चाहिए।
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