मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लिये दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लिये दिशानिर्देश
वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लिये दिशानिर्देश आरबीआई/2008-09/23 01 जुलाई 2008 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक महोदय मास्टर परिपत्र - वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लिये दिशानिर्देश जैसा कि आप जानते हैं, वाणिज्यिक पत्र (सीपी), वचन पत्र के रूप में जारी की जानेवाली एक गैर-जमानती मुद्रा बाज़ार लिखत है जिसे भारत में 1990 में पहली बार शुरू किया गया था। इसका उद्देश्य यह था कि उच्च दर्जे के कार्पोरेट उधारकर्ता अपने अल्पावधि उधारों के स्रोतों का विवधीकरण कर सकें और निवेशकों को एक अतिरिक्त लिखत मुहैया कराया जा सके। वर्तमान में सीपी जारी करने के दिशानिर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी किये गये, समय-समय पर यथा संशोधित, विभिन्न निर्देशों द्वारा शासित होते हैं। 2. इस विषय पर सभी मौजूदा दिशा-निर्देशों/अनुदेशों/निदेशों को शामिल कर मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है। यह उल्लेखनीय है कि इस मास्टर परिपत्र के परिशिष्ट में सूचीबद्ध परिपत्रों में दिए गए "जमा प्रमाणपत्र जारी करने के लिए दिशा-निर्देश" से संबंधित सभी अनुदेशों/दिशा-निर्देशों का समेकन करके उन्हें अद्यतन किया गया है। इस मास्टर परिपत्र को भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट /en/web/rbi/notifications/master-circulars पर भी उपलब्ध कराया गया है। भवदीय (चंदन सिन्हा) वाणिज्यिक पत्र (सीपी) जारी करने के लिए दिशानिर्देशों पर मास्टर परिपत्र वाणिज्यिक पत्र (सीपी) एक गैर जमानती मुद्रा बाज़ार लिखत है जिसे वचन-पत्र के रूप में जारी किया जाता है। निजी तौर पर जारी की जाने वाली लिखत के रूप में सीपी भारत में 1990 में प्रारंभ किया गया ताकि उच्च दर्जे के कार्पोरेट उधारकर्ता अपने अल्पावधि उधारों के स्रोतों का विविधिकरण कर सकें और निवेशकों को एक अतिरिक्त लिखत मुहैया कराया जा सके। बाद में प्राथमिक व्यापारियों, अनुषंगी व्यापारियों* और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं को भी सीपी जारी करने की अनुमति प्रदान की गई ताकि वे अपने परिचालनों के लिए अपनी अल्पावधि निधि आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। वर्तमान में सीपी जारी करने के दिशानिर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी, समय-समय पर यथा संशोधित, विभिन्न निर्देशों द्वारा शासित होते हैं। अब तक जारी सभी संशोधनों को समाहित करते हुए तैयार किए गए सीपी जारी करने संबंधी दिशानिर्देश तत्काल संदर्भ हेतु नीचे प्रस्तुत हैं। वाणिज्यिक पत्र (सीपी) कौन जारी कर सकता है 2. कंपनियां, प्राथमिक व्यापारी और अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाएं जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित समग्र सीमा के तहत अल्पावधि संसाधन जुटाने की अनुमति प्रदान की गई है; सीपी जारी करने के लिए पात्र हैं। 3. एक कंपनी सीपी जारी करने के लिए पात्र है बशर्ते कि: (क) लेखापरीक्षित अद्यतन तुलन पत्र के अनुसार कंपनी की वास्तविक स्वाधिकृत निधि चार करोड़ से कम नहीं होनी चाहिए; (ख) कंपनी को बैंक/बैंकों या अखिल भारतय वित्तीय संस्था/ संस्थाओं द्वारा कार्यशाील पूंजी मंजूर की गई हो; और (ग) कंपनी के उधार संबंधी खाते को वित्त प्रदान करने वाले बैंक/ बैंकों/ संस्थाओं द्वारा मानक आस्ति के रूप में वर्गीकृत किया गया हो। 4. सभी पात्र प्रतिभागी वाणिज्यिक पत्र जारी करने के लिए क्रेडिट रेटिंग इनफार्मेशन सर्विसेज़ ऑफ इंडिया लि. (क्रिसिल) या इन्वस्टमेंट इन्फार्मेशन आर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ऑफ इंडिया लि. (आईसीआरए) या क्रेडिट एनालेसिस एंड रिसर्च लि. (सीएआरई) या एफ.आई.टी.सी.एच. रेटिंग्स इंडिया प्रा.लि. या इस प्रयोजन के लिए समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किसी अन्य रेटिंग एजेंसी से क्रेडिट रेटिंग प्राप्त करेंगे। न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग क्रिसिल की पी-2 या इसी के समतुल्य किसी अन्य एजेंसी की होनी चाहिए। सीपी जारी करने के समय जारीकर्ता यह सुनिश्चित करेगा कि इस प्रकार प्राप्त की गई रेटिंग वर्तमान समय की है और इसकी समीक्षा लंबित नहीं है। 5. सीपी निर्गम की तारीख से न्यूनतम 7 दिन और अधिकतम 1 वर्ष तक की परिपक्वता अवधि के लिए जारी किए जा सकते हैं। सीपी की परिपक्वता की तारीख जारीकर्ता की क्रेडिट रेटिंग की वैधता क तारीख से अधिक नहीं होनी चाहिए। 6. सीपी रु. 5 लाख के मूल्यवर्ग या उसके गुणकों में जारी किए जा सकते हैं। किसी एक निवेशक द्वारा निवेशित राशि (अंकित मूल्य) 5 लाख रपए से कम नहीं होनी चाहिए। सीपी जारी करने की सीमा और राशि 7. सीपी ‘एकल’ उत्पाद के रूप में जारी किया जा सकता है। किसी जारीकर्ता द्वारा जारी किए गए वाणिज्यिक पत्रों की समग्र राशि इसके निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित सीमा या विनिर्दिष्ट रेटिंग के लिए क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा दर्शाई गई मात्रा, जो भी कम हो, के भीतर होनी चाहिए। तथापि, बैंक और वित्तीय संस्थाओं को वाणिज्यिक पत्रों सहित वित्तपोषण करने वाली कंपनियों के संसाधन ढांचे को ध्यान में रखते हुए कार्यशील पूंजी सीमाओं को निर्धारित करने के लिए लचीलापन उपलब्ध रहेगा। 8. कोई वित्तीय संस्था भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित समग्र सीमा के भीतर सीपी जारी कर सकती है। समग्र सीमा का तात्पर्य यह है कि अन्य लिखतों अर्थात सावधि मुद्रा उधारों, सावधि जमा राशियों, जमा प्रमाणपत्रों और अंतर-कंपनी जमा राशियों सहित सीपी का निर्गम अद्यतन लेखापरीक्षित तुल पत्र के अनुसार निवल स्वाधिकृत निधियों के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। 9. जारी किए जाने वाले प्रस्तावित सीपी की कुल राशि जारीकर्ता द्वारा अभिदान के लिए इश्यू खोलने की तारीख से दो सप्ताह के भीतर जुटाई जानी चाहिए। सीपी एक दिन या विभिन्न तारीखों को भागों में जारी किए जा सकते हैं बशर्ते कि विभिन्न तारीखों को जारी किए जाने की स्थिति में प्रत्येक सीपी की परिपक्वता की तारीख समान होगी। 10. नवीकरण सहित वाणिज्यिक पत्रों के प्रत्येक निर्गम को एक नए निर्गम के रूप में माना जाना चाहिए। जारीकर्ता और भुगतानकर्ता एजेंट कौन बन सकता है (आईपीए) 11. सीपी जारी करने के लिये केवल अनुसूचित बैंक ही आईपीए के रूप में कार्य कर सकता है। 12. सीपी व्यक्तियों, बैंकिंग कंपनियों, भारत में पंजीकृत या निगमित अन्य कार्पोरेट निकायों और गैर-निगमित निकायों, अनिवासी भारतीयों और विदेशी संस्थागत निवेशकों को जारी किए जा सकते हैं और उनके द्वारा रखे जा सकते हैं। तथापि, विदेशी संस्थागत निवेशकों द्वारा किया गया निवेश भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) द्वारा उनके लिए निर्धारित सीमा के भीतर होना चाहिए। 13. सीपी वचनपत्र (अनुसूची–I) के रूप में या सेबी द्वारा अनुमोदित और उसके पास पंजीकृत किसी भी निक्षेपागार के माध्यम से अमूर्त रूप में जारी किया जा सकता है। 14. सीपी अंकित मूल्य से बट्टागत मूल्य पर जारी किया जाएगा जिसका निर्धारण जारीकर्ता द्वारा किया जायेगा। 15. सीपी का कोई भी जारीकर्ता निर्गम को हामीदारी के तहत या सह-स्वीकार्य रूप में जारी नहीं करेगा। 16. जबकि जारीकर्ता और ग्राहक दोनों के लिए सीपी को इलेक्ट्रॉनिक रूप में या भौतिक रूप में जारी करने/होल्ड करने का विकल्प उपलब्ध है, जारीकर्ता और ग्राहक को इश्यू/होल्डिंग के इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म पर विशेष निर्भरता को प्राथमिकता देने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। हालांकि, 30 जून 2001 से, बैंकों, एफआई और पीडी द्वारा केवल इलेक्ट्रॉनिक रूप में रूप में नए निवेश करने और सीपी को केवल धारित रखना अपेक्षित है। वाणिज्यिक पत्र (सीपी) का भुगतान 17. सीपी में प्रारंभिक निवेशक आईपीए के माध्यम से जारीकर्ता के खाते में एक रेखांकित खाता आदाता चेक के माध्यम से सीपी के रियायती मूल्य का भुगतान करेगा। सीपी की परिपक्वता पर, जब सीपी को भौतिक रूप में रखा जाता है, तो सीपी का धारक आईपीए के माध्यम से जारीकर्ता को भुगतान के लिए लिखत प्रस्तुत करेगा। हालांकि, जब सीपी को डीमैट रूप में रखा जाता है, तो सीपी के धारक को इसे डिपॉजिटरी के माध्यम से भुनाना होगा और आईपीए से भुगतान प्राप्त करना होगा। 18. सीपी के एक 'स्टैंड अलोन' उत्पाद होने के मद्देनजर, सीपी के जारीकर्ताओं को स्टैंड-बाय सुविधा प्रदान करने के लिए बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के लिए यह किसी भी तरह से बाध्यकारी नहीं होगा। तथापि, बैंकों और वित्तीय संस्थाओं के पास उनके व्यावसायिक निर्णय के आधार पर सीपी इश्यू, स्टैंड-बाय सहायता/क्रेडिट, बैक-स्टॉप सुविधा आदि के माध्यम से क्रेडिट वृद्धि प्रदान करने की छूट है, जो लागू विवेकपूर्ण मानदंडों और उनके बोर्ड द्वारा विशिष्ट अनुमोदन के अधीन है। 19. गैर बैंक संस्थाओं समेत कॉर्पोरेट्स भी बिना शर्त और स्थिर सीपी इश्यू के लिए क्रेडिट वृद्धि की गारंटी प्रदान कर सकते हैं बशर्ते : (i) जारीकर्ता सी पी जारी करने के लिए निर्धारित पात्रता मानदंड पूरा करता है। (ii) गारंटीकर्ता के पास अनुमोदित क्रेडिट रेटिंग एजेंसी द्वारा जारीकर्ता की तुलना में कम से कम एक पायदान अधिक क्रेडिट रेटिंग है; और (iii) सीपी के लिए प्रस्ताव दस्तावेज गारंटीकर्ता कंपनी के नेटवर्थ का ठीक से खुलासा करता है, उन कंपनियों के नाम जिनके लिए गारंटीकर्ता ने समान गारंटी जारी की है, दी गई गारंटी की सीमा से गारंटीकर्ता कंपनी, और शर्तें जिनके अंतर्गत गारंटी लागू की जा सकती है। 20. प्रत्येक जारीकर्ता को सीपी जारी करने के लिए एक आईपीए नियुक्त करना चाहिए। जारीकर्ता को मानक बाजार प्रथाओं के अनुसार संभावित निवेशकों को अपनी वित्तीय स्थिति का प्रकटीकरण करना चाहिए। निवेशक और जारीकर्ता के बीच सौदे की पुष्टि के बाद जारी करनेवाला, जारी करनेवाली कंपनी भौतिक प्रमाणपत्र को निवेशक या सीपी को निक्षेपागार के साथ निवेशक के खाते में जमा करने की व्यवस्था करेगा। निवेशकों को इस आशय के आईपीए प्रमाणपत्र की एक प्रति दी जाएगी कि जारीकर्ता का आईपीए के साथ वैध करार है और दस्तावेज ठीक हैं (अनुसूची III)। 21. जारीकर्ता, जारी करनेवाले और भुगतान एजेंट (आईपीए) और क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (सीआरए) की भूमिका और उत्तरदायित्व नीचे निर्धारित किए गए हैं: (ए) जारीकर्ता सीपी जारी करने की प्रक्रियाओं में सरलीकरण के साथ, जारीकर्ताओं के लिए अब यह अधिक सुविधाजनक होगा। हालांकि, जारीकर्ताओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि सीपी जारी करने के लिए निर्धारित दिशा-निर्देशों और प्रक्रियाओं का कड़ाई से पालन किया जाता है। (बी) जारी करने वाले और भुगतान प्रतिनिधि (आईपीए) (i) आईपीए यह सुनिश्चित करेगा कि जारीकर्ता के पास आरबीआई द्वारा निर्धारित न्यूनतम क्रेडिट रेटिंग है और सीपी जारी करने के माध्यम से जुटाई गई राशि सीआरए द्वारा निर्दिष्ट रेटिंग के लिए या उसके निदेश मडल द्वारा अनुमोदित मात्रा, जो भी कम हो, के भीतर है। (ii) आईपीए को जारीकर्ता द्वारा जमा किए गए सभी दस्तावेजों, जैसे बोर्ड के संकल्प की प्रति, अधिकृत निष्पादकों के हस्ताक्षरों का सत्यापन करना होता (जब सीपी भौतिक प्रपत्र में हो) और एक प्रमाणपत्र जारी करना होता है कि वे दस्तावेज सही हैं। उन्हें यह भी प्रमाणित करना चाहिए कि इसका जारीकर्ता (अनुसूची III) के साथ वैध समझौता है। (iii) आईपीए द्वारा सत्यापित प्रमाणित प्रतियों के मूल दस्तावेज़ आईपीए की अभिरक्षा में होने चाहिए। (iv) प्रत्येक सीपी के मामले की सूचना मुख्य महाप्रबंधक, वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिजर्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई-400001 को दी जानी चाहिए। (v) आईपीए, जो एनडीएस के सदस्य हैं, को सीपी निर्गम पूरा होने की तारीख से दो दिनों के भीतर सीपी निर्गम का ब्यौरा एनडीएस प्लेटफॉर्म पर रिपोर्ट करना चाहिए। (vi) इसके अलावा, सभी अनुसूचित बैंक, जो आईपीए के रूप में कार्य कर रहे है, सीपी निर्गम संबंधी ब्योरे को पहले की तरह जारी होने की तारीख से तीन दिनों के भीतर रिपोर्ट करना जारी रखेंगे जिसमें अनुसूची II के अनुसार ब्योरे शामिल हों, जब तक कि एनडीएस रिपोर्टिंग स्थिर न हो जाए और आरबीआई उससे संतुष्ट न हो जाए। (सी) क्रेडिट रेटिंग एजेंसी (सीआरए) (i) पूंजी बाजार लिखतों की रेटिंग करने के लिए सीआरए हेतु सेबी द्वारा निर्धारित आचार संहिता सीपी की रेटिंग के लिए उन (सीआरए) पर लागू होगी। (ii) इसके अलावा, अब से जारीकर्ता के सामर्थ्य के बारें में अपने अनुभव के आधार पर क्रेडिट रेटिंग एजेंसी के पास उसकी वैधता अवधि निर्धारित करने का विवेकाधिकार होगा। तदनुसार, रेटिंग के समय सीआरए स्पष्ट रूप से समीक्षा की तिथि इंगित करेगा। (iii) जबकि सीआरए क्रेडिट रेटिंग की वैधता अवधि तय कर सकते हैं, उन्हें जारीकर्ता को समनुदेशित रेटिंग की तुलना में उनके ट्रैक रिकार्ड की नियमित रूप से बारीकी से निगरानी करनी चाहिए तथा रेटिंग के अपने संशोधनों को अपने प्रकाशनों और वेबसाइट पर सार्वजनिक करना चाहिए। 22. फिक्स्ड इनकम मनी मार्केट एंड डेरिवेटिव्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एफआईएमएमडीए) भारतीय रिज़र्व बैंक के परामर्श से, सीपी बाजार के परिचालनगत लचीलेपन और सुचारू रूप से संचालन के लिए किसी भी मानकीकृत प्रक्रिया और दस्तावेज़ का निर्धारण कर सकता है जिसका अनुसरण अंतरराष्ट्रीय सर्वोत्तम प्रथाओं के अनुरुप प्रतिभागियों द्वारा किया जाना है। जारीकर्ता/आईपीए इस संबंध में फिम्डा द्वारा 05 जुलाई 2001 को जारी विस्तृत दिशानिर्देश देखें। 23. इन दिशानिर्देशों का उल्लंघन करने से इकाई को दंडित किया जा सकता है जिसमें संबंधित इकाई को सीपी मार्केट से वंचित किया जा सकता है। वाणिज्यिक पत्र (सीपी) बाजार में चूक 24. सीपी के मोचन में चूक की निगरानी करने के लिए, अनुसूचित बैंक जो आईपीए के रूप में कार्य करते हैं, उन्हें सूचित किया जाता है कि वे सीपी की चुकौती में चूक होने पर अनुबंध-I में दिए गए प्रारूप में वित्तीय बाजार विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, फोर्ट, मुंबई – 400 001, फैक्स 022-22630981/22634834 को तुरंत सूचित करें। कुछ अन्य निदेशों की अप्रयोज्यता 25. सार्वजनिक जमा की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों में स्वीकृति (रिज़र्व बैंक) संबंधी निदेश, 1998 में निहित कोई भी निदेश किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी पर लागू नहीं होगा क्योंकि इन दिशानिर्देशों के अनुसार वह सीपी के निर्गम द्वारा जमा की स्वीकृति से संबंधित है। 26. दिशानिर्देशों में प्रयुक्त कुछ शर्तों की परिभाषाएँ अनुबंध–II में दी गई है। सीपी के पुनर्भुगतान पर चूक का विवरण
इन दिशानिर्देशों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो: (ए) "बैंक" या "बैंकिंग कंपनी" का अर्थ बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 5 के खंड (सी) में परिभाषित एक बैंकिंग कंपनी या "संबंधित नया बैंक", "भारतीय स्टेट बैंक" है, "या" सहायक बैंक "जैसा कि क्रमशः खंड (डीए), खंड (एनसी) और खंड (एनडी) में परिभाषित किया गया है और इसमें धारा 5 के खंड (सीसीआई) में परिभाषित "सहकारी बैंक" शामिल है, जिसे धारा 56 के साथ पढ़ा जाए। (बी) "अनुसूचित बैंक" का अर्थ भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल बैंक है। (सी) "अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान (एफआई)" का अर्थ उन वित्तीय संस्थानों से है, जिन्हें भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विशेष रूप से सावधि धन, सावधि जमा, जमा प्रमाणपत्र, वाणिज्यिक पत्र और इंटर-कॉर्पोरेट के माध्यम से संसाधन जुटाने की अनुमति दी गई है जो संपूर्ण सीमा के अंतर्गत प्रयोज्य है। (डी) "प्राथमिक व्यापारी" का अर्थ एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है, जिसके पास दिनांक 29 मार्च, 1995 के "सरकारी प्रतिभूति बाजार में प्राथमिक व्यापारियों के लिए दिशानिर्देश" के अनुसार रिज़र्व बैंक द्वारा जारी एक प्राथमिक व्यापारी के रूप में वैध प्राधिकरण पत्र है जिसे समय-समय पर संशोधित किया जाता है। (ई) "कॉर्पोरेट" या "कंपनी" का अर्थ भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 I (एए) में परिभाषित कंपनी है, लेकिन इसमें ऐसी कंपनी शामिल नहीं है, जो उस समय किसी कानून के तहत समाप्त हो रही है। (एफ) "गैर-बैंकिंग कंपनी" का अर्थ बैंकिंग कंपनी के अलावा अन्य कंपनी है। (जी) "गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी" का अर्थ भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45 I (एफ) में परिभाषित कंपनी है। (एच) "कार्यशील पूंजी सीमा" का अर्थ कुल सीमा है, जिसमें कार्यशील पूंजी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए एक या एक से अधिक बैंकों/वित्तीय संस्थाओं द्वारा स्वीकृत बिलों की खरीद/भुनाई शामिल है। (आई) "मूर्त निवल मूल्य" का अर्थ है चुकता पूंजी और मुक्त भंडार (शेयर प्रीमियम खाते में शेष राशि, पूंजी और डिबेंचर मोचन भंडार और किसी भी भविष्य की देनदारी के पुनर्भुगतान के लिए या परिसंपत्तियों में मूल्यह्रास के लिए नहीं बनाया जा रहा है) कंपनी के नवीनतम लेखापरीक्षित तुलन पत्र के अनुसार अशोध्य ऋण या संपत्ति के पुनर्मूल्यांकन द्वारा बनाए गए रिजर्व के लिए, जैसा कि नुकसान की संचित शेष राशि, आस्थगित राजस्व व्यय की शेष राशि, साथ ही अन्य अमूर्त संपत्ति की राशि से घटाया गया है। (जे) शब्दों और अभिव्यक्तियों का उपयोग किया गया है लेकिन यहां परिभाषित नहीं किया गया है और भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) में परिभाषित किया गया है, वही अर्थ होगा जो उस अधिनियम में उन्हें सौंपा गया है। परिपत्रों की सूची
* 1 जून, 2002 से अनुषंगी व्यापारी की प्रणाली को बंद कर दिया गया है। |