मास्टर परिपत्र - नयी श्रेणी के गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का परिचय- गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) - निदेश - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - नयी श्रेणी के गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का परिचय- गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) - निदेश
भारिबैं /2012-13/31 2 जुलाई 2012 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां महोदय, मास्टर परिपत्र - नयी श्रेणी के गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों का परिचय- गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) - निदेश जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक अद्यतन परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है।इस परिपत्र में अंतर्विष्ट अनुदेश, जो 30 जून 2012 तक अद्यतन किए गए हैं, नीचे दिए जा रहे हैं। अद्यतन की गई अधिसूचना बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। भवदीया, (सी.आर.संयुक्ता)
नवम्बर 2010 के द्वितीय तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में दिये गए संकेत के अनुसार , रिजर्व बैंक की केन्द्रीय समिति की उप समिति (श्री वाई एच मालेगाम की अध्यक्षता) का गठन लघु वित्त संस्थान क्षेत्र के मामलों के अध्यन हेतु किया गया था. समिति द्वारा अपनी रिपोर्ट जनवरी 2011 में प्रस्तुत किया गया. वर्ष 2011-12 के मौद्रिक निती भाषण में यह घोषणा किया गया कि समिति की व्यापक विनियामक संरचना, बैंक द्वारा स्वीकार कर ली गई है. 2. अलग श्रेणी एनबीएफसी-एमएफआई का बनाना एनबीएफसी की एक पृथक श्रेणी जैसे गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी - लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) बनाने का निर्णय लिया गया है तदनुसार गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की निम्नलिखित श्रेणियां होगी :-
3. उप समिति द्वारा एनबीएफसी- एमएफआई के अनुपालन पर निगरानी के लिए अद्यौगिक संघ की भूमिका हेतु शिफारिस की गई है. इस संबंध में अलग दिशा निदेश जारी किया जाएगा. 4. एनबीएफसी - एमएफआई की विनियामक संरचना पर 02 दिसम्बर 2011 का अधिसूचना सं:गैबैंपवि.नीप्र.सं:234/मुमप्र(यूएस) 2011 , गैर बैंकिंग वित्तीय ( जमाराशि नहीं स्वीकार करने या धारण करने वाली ) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007 के लिए संशोधित 02 दिसम्बर 2011 का संशोधित अधिसूचना सं: गैबैंपवि.नीप्र.सं:235/मुमप्र(यूएस) 2011 तथा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी लेखा परीक्षक रिपोर्ट (रिजर्व बैंक) निदेश 2008 के लिए संशोधित 02 दिसम्बर 2011 का संशोधित अधिसूचना सं: गैबैंपवि.नीप्र.सं:236/मुमप्र(यूएस) 2011 गहन अनुपालन हेतु जारी किया गया था। 1. निदेशो का संक्षिप्त नाम तथा प्रयोग में लाना i. यह निदेश गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (रिजर्व बैंक) निदेश - 2011 से जाने जाएंगे. ii. यह निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे.यह निदेश प्रत्येक एनबीएफसी-एमएफआई पर लागू होंगे जो इन निदेशों में परिभाषित है. । एनबीएफसी-एमएफआई से यह अभिप्रेत है कि जमाराशि नहीं स्वीकार करने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (भारतीय कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत लाईसेंस प्राप्त से अलग) जो निम्नलिखित शर्तों को पूरा करता हो.:
उक्त ii के लिए , “ निवल आस्तियों” से तात्पर्य है नकद तथा बैंक बैलेंस और पूंजी बाजार लिखतों के अतिरिक्त कुल आस्तियां वह ऋण “ अर्हक आस्ति”होगा, जो निम्नलिखित मानदण्डों को पूरा करता है:- ए. ग्रामिण क्षेत्र में ₹ 60,000/- तक के पारिवारिक आय या अर्ध शहरी तथा शहरी में क्षेत्र ₹1,20,000/- तक के पारिवारिक आय वाले उधारकर्ता को एनबीएफसी- एमएफआई द्वारा ऋण दिया जाये. बी. पहले चरण में ऋण राशि ₹ 35,000/- से अधिक नहीं हो तथा क्रमबद्ध अगले चरण में ₹ 50,000/- से अधिक नहीं हो. सी. उधारकर्ता की कुल ऋण ग्रस्तता ₹ 50,000/- से अधिक नहीं हो. डी. बिना पूर्वभुगतान दण्ड के साथ ₹ 15000/- से अधिक की ऋण राशि के लिए ऋण अवधि 24 माह से कम नहीं हो. ई.ऋण बिना कोलेटरल (संपार्श्विक जमानत) के दिया जाना चाहिए. एफ. आय सृजन के कार्यकलापों के लिए प्रदान की गई राशि, लघु वित्त संस्था द्वारा दिए गए कुल ऋण के 75प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए. जी. उधारकर्ता की इच्छानुसार ऋण को साप्ताहिक ,पाक्षिक या मासिक किश्तों में चुकाया जा सकता है.iii. इसके अतिरिक्त शेष आस्तियों के 15 प्रतिशत से व्युत्पन्न गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्था का आय को उस विनिर्दिष्ट निमित्त के अनुसार विनियमन किया जाएगा. iv.गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जो गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी-लघु वित्त संस्था के लिए योग्य नहीं पायी गई वे उन लघु वित्त क्षेत्र में ऋण नहीं देगी जिसका अपना कुल परिसंपत्ति 10% से अधिक है. 4. गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थायें विनियामक संरचना ए. प्रवेश के लिए मानदण्ड उपर्युक्त कथनानुसार, सभी नई एनबीएफसी-एमएफआई को, देश के पूर्वोत्तर के अतिरिक्त, पंजीकरण के लिए न्यूनतम निवल परिसंपत्ति ₹ 5 करोड , तथा पूर्वोत्तर में स्थित सभी नई एनबीएफसी-एमएफआई को न्यूनतम निवल परिसंपत्ति ₹ 2 करोड रखना होगा. मौजूदा गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां जो एनबीएफसी-एमएफआई की श्रेणी में आना चाहती है उन्हें 1 अप्रैल 2012 से वांछित मानदण्डों का अनुपालन करना होगा.1 लघु वित्त संस्थानों (एमएफआई) के समक्ष आने वाली कठिनाईयों तथा उनसे बैंक को प्राप्त अभ्यावेदन को देखते हुए, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी- लघु वित्त संस्थान (एनबीएफसी-एमएफआई) के लिए परिसंपत्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण मापदण्ड का कार्यान्वयन 1 अप्रैल 2013 तक के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया है। बी. विवेकपूर्ण मानदण्ड ए. पूंजीगत अपेक्षाएं सभी नई एनबीएफसी-एमएफआई को टियर I तथा टियर II पूंजी का पूंजी पर्याप्तता के अनुपात सामंजस्य को बनाये रखना होगा जो कि इसके समग्र जोखिम भारित परिसंपत्ति के 15 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए. किसी भी समय टियर II पूंजी टियर I पूंजी से 100 प्रतिशत अधिक नहीं होनी चाहिए. तुलन पत्र परिसंपत्ति तथा तुलन पत्र इत्तर मदों पर ऋण परिवर्तन घटक, गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकारने वाली या धारण करने वाली) कंपनी के लिए विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश, 2007 के पैरा 16 में दिए गए वर्तमान नियमों के अनुसार जोखिम भारित होंगी. नोट: i. मैजूदा एनबीएफसी के बीच से एनबीएफसी-एमएफआई की श्रेणी में आने वाली कंपनियां जिनका परिसंपत्ति आकार ₹ 100 करोड से कम है उन्हें 1 अप्रैल 2012 से इन नियमों का अनुपालन करने की आवश्यकता है. जिनका परिसंपत्ति आकार ₹ 100 करोड या उससे अधिक है उन्हें पहले से ही न्यूनतम सीआरएआर का 15% बनाये रखना की आवश्यकता है. ii. आन्ध्र प्रदेश राज्य में 25% से अधिक ऋण देने वाली एनबीएफसी-एमएफआई का सीआरएआर वर्ष 2011-12 के लिए 12% रखना होगा. इसके बाद सीआरएआर का 15% बनाये रखना होगा. बी. आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंड : 12 अप्रैल 2012 से प्रभावी सभी एनबीएफसी-एमएफआई निम्नलिखित दिशानिर्देश अपनायें ( तब तक वे गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकारने वाली या धारण करने वाली) कंपनी के लिए विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश, 2007 में विनिर्दिष्ट आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण मानदंड का पालन करें )परिसंपत्ति वर्गीकरण मानदंड :
प्रावधानीकरण मानदंड : एनबीएफसी-एमएफआई द्वारा किसी भी समय समग्र ऋण का प्रावधानीकरण निम्नलिखित से उच्च नहीं होना चाहिए ए) बकाया ऋण पोर्टफोलियो का 1% या बी) समग्र ऋण किस्त का 50% जो 90 दिनों से अधिक किंतु 180 दिनों से कम से बकाया हो तथा समग्र ऋण किस्त का 100% जो 180 दिनों या उससे अधिक समय से बकाया हो. सी. एनबीएफसी-एमएफआई के लिए अन्य सभी प्रावधान गैर बैंकिंग वित्तीय (जमा राशि नहीं स्वीकार या धारण करने वाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिजर्व बैंक) निदेश 2007 के अनुसार लागू होंगे, जिसे इसमें शामिल नहीं किया गया है. सी. अन्य विनियम ए. ऋण का किमत निर्धारण
बी ऋण देने हेतु उचित व्यवहार संहिता I. ब्याज दरों में पारदर्शिता ए. ऋण के मूल्यनिर्धारण में केवल मात्र तीन घटक यथा ब्याज शुल्क, प्रोसेसिंग शुल्क तथा बीमा प्रिमियम (जिसमें प्रशासनिक शुल्क शामिल होंगे) होंगे. (i) ब्याज शुल्क का प्रभावी दर एफ. एनबीएफसी-एफएफआई द्वारा प्रभारित प्रभावी ब्याज दर प्रमुखता से इसके सभी कार्यालयों तथा इसके द्वारा जारी साहित्य और इसके वेबसाइट पर प्रदर्शित होना चाहिए. II. बहुविध –ऋण , अति- उधारी तथा छ्द्म –उधारकर्ता ए. एनबीएफसी- एमएफआई उन व्यक्तिगत उधारकर्ताओं को ऋण दे सकता है जो संयुक्त देनदारी समूह (जेएलजी)/ स्वंय सहायता समूह (एसएचजी) के सदस्य या जेएलजी / एसएचजी के उधारकर्ता सदस्य नहीं हो. बी. उधारकर्ता एक से अधिक जेएलजी / एसएचजी का सदस्य नहीं हो. सी. एक ही उधारकर्ता को दो से अधिक एनबीएफसी- एमएफआई ऋण नहीं देगा. डी.ऋण स्वीकृति तथा प्रथम किस्त के पुर्नभुगतान के बीच न्यूनतम ऋणस्थगन अवधि होनी आवश्यक है. ऋण स्थगन पुर्नभुगतान की नितंतरता से कम नहीं होनी चाहिए उदाहरण स्वरूप साप्ताहिक पुर्नभुगतान के मामले में ऋण स्थगन एक सप्ताह से कम नहीं होना चाहिए. ई.ऋण की वसूली की नियमों में दिए गए उल्लंघनको तब तक अस्थगित किया जाना चाहिए जब सभी पूर्व मौजूदा ऋण को पूरी तरह चुकाया जाता है. एफ. सभी ऋणों की मंजूरी तथा वितरण केवल मात्र केन्द्रीत स्थान से किया जाना चाहिए तथा इसमें एक से अधिक व्यक्ति शामिल होना चाहिए. इसके अतिरिक्त, वितरण कार्य में गहन पर्यवेक्षण किया जाना होना चाहिए. III. चुकौती के गैर अनिवार्य उपाये
सी. कॉर्पोरेट गवर्नेंस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए कार्पोरेट गवर्नेंस पर जारी 1 जुलाई 2011 का मास्टर परिपत्र यथा सीसी संख्या: 187 भी एनबीएफसी-एमएफआई के लिए लागू होगा. डी.कार्यनिष्पादन क्षमता बढाना एनबीएफसी-एमएफआई अपने कार्यालय परिचालन की समीक्षा करें तथा सूचना प्रौद्योगिकी तथा प्रणाली में आवश्यक निवेश करें ताकि तथा कम लागत में बेहतर नियंत्रण और आसान प्रक्रिया को अपनाया जा सके. ई. अन्य सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां, बैंकों के लिए प्राथमिकता क्षेत्र के संबंध में दिशानिर्देश पर ग्रामिण आयोजना ऋण विभाग द्वारा जारी “माइक्रो फाइनांस संस्थाओं (एमएफआई) को बैंक ऋण –प्राथमिकता क्षेत्र का दर्जा” पर 3 मई 2011 का परिपत्र ग्राआऋवि.केंका.आयो.बीसी.सं.66/04.09.01/2010-11 का संदर्भ लें. 5. मौजूदा एनबीएफसी जो उक्त शर्तों को पूरा करती हो बैंक द्वारा जारी मूल पंजीकरण प्रमाण पत्र के साथ एनबीएससी-एमएफआई की श्रेणी में परिवर्तीत होने के लिए उस क्षेत्रीय कार्यालय से संपर्क करें, जिसके क्षेत्राधिकार में उनका पंजीकृत कार्यालय अवस्थित है. अपने अनुरोध के साथ 31 मार्च 2011 तक का परिसंपत्ति (ऋण) पैटर्न को दर्शाता हुआ उनका लेखा परीक्षक का रिपोर्ट अनिवार्य रूप से संलग्न होना चाहिए. एनबीएफसी-एमएफआई की श्रेणी के लिए संबंधित कंपनी को पात्रता परिसंपत्ति के भार को शामिल करना है. श्रेणी में परिवर्तन को बैंक द्वारा एनबीएफसी-एमएफआई के रूप पंजीकरण प्रमाण पत्र में शामिल किया जाएगा. 6. गैर बैंकिंग वित्तीय (जमाराशि न स्वीकारने वाली या धारण करने वाली) कंपनी के लिए विवेकपूर्ण मानदंड (रिज़र्व बैंक) दिशानिदेश, 2007 के पैराग्राफ 15 के अनुसार सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को प्रत्येक वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च तक की वित्तीय स्थिति का सांविधिक लेखा परीक्षा प्रमाण पत्र प्रस्तुत करने की आवश्कता है. एनबीएफसी-एमएफआई के लिए, ऎसे प्रमाण पत्र में भी यह दर्शाया जाए कि इस परिपत्र के एनबीएफसी-एमएफआई श्रेणी के लिए निर्धारित सभी शर्तें कंपनी द्वारा पूरी की जा रही है. 7. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत इस निदेश का गैर अनुपालन के लिए दंड का प्रावधान है. 8. एनबीएफसी-एमएफआई के विशिष्ठ कारोबार प्रकृति पर विचार करते हुए, वे 26 मार्च 2012 का परिपत्र यथा डीएनबीएस.सीसी.पीडी सं:266 द्वारा उचित व्यवहार संहिता पर जारी विशेष दिशानिदेश के अधीन होंगे, इसके अतिरिक्त सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों पर लागू सामान्य एफपीसी भी लागू होगा।
120 मार्च 2012 का यथा गैबैंपवि.नीप्र/कंपरि.सं:263/03.10.038/2011-12 द्वारा शामिल किया गया |