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79047528

निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा संबंधी मास्टर परिपत्र

 

भारिबैं/2005-06/15
संदर्भ मौनीवि. सं. 270/07.01.279/2005-06

1 जुलाई 2005
10 आषाढ़ 1927 (शक)

सभी अनुसूचित बैंकों के अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक (ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय,

निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा संबंधी मास्टर परिपत्र

आपको विदित है कि भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा से संबंधित मामलों के संबंध में बैंकों के लिए समय-समय पर अनेक दिशा निर्देश/अनुदेश/निदेश जारी किये हैं । बैंकों को वर्तमान अनुदेश एक ही स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए उपर्युक्त विषय पर विद्यमान दिशा-निर्देश/अनुदेश/निदेशों को शामिल करते हुए एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है। यह नोट किया जाए कि इस मास्टर परिपत्र में 30 जून 2005 तक जारी किये गये परिपत्रों में अन्तर्विष्ट उन सभी अनुदेशों/दिशा-निर्देशों को समेकित और अद्यतन किया गया है जो अब तक बैंकों को रुपया निर्यात ऋण पुनर्वित्त उपलब्ध कराने से संबंधित है । इस मास्टर परिपत्र को भारतीय रिज़र्व बैंक के वेबसाइट ैैैर्.स्ीेूाीर्म्iीम्ल्त्ीी.ींi.दीु.iह पर डाला गया है ।

भवदीय

 

(दीपक मोहन्ती)
प्रभारी परामर्शदाता

 


मास्टर परिपत्र

निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा

विषय - सूची

1. परिचय
2.सहभागी

3. निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा
4. सीमा

5. ब्याज दर
6. मार्जिन अपेक्षा
7. अवधि
8. संपार्श्विक
9. न्यूनतम उपलब्ध राशि
10. प्राप्ति का स्थान
11. चुकौती
12. दण्ड
13. प्रलेखीकरण
14. रिपोर्टिंग - अपेक्षा
15. शर्त
16. संलग्नक
17. रिपोर्टिंग हेतु फार्मेट

18. परिभाषाएं

19. फॉर्म

20. परिशिष्ट : परिपत्रों की सूची


निर्यात ऋण पुनर्वित्त (ईसीआर) सुविधा संबंधी मास्टर परिपत्र

1. परिचय

1.1 अधिक उदार निर्यात ऋण उपलब्ध कराने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित करने की दृष्टि से भारतीय रिज़र्व बैंक, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 17 (3क) के अंतर्गत बैंकों को निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा उपलब्ध कराता है । यह सुविधा पोतलदान-पूर्व और पोतलदानोत्तर स्तरों, दोनों पर ही बैंकों की पात्र बकाया रुपया निर्यात ऋण राशियों के आधार पर दी जाती है । पुनर्वित्त की मात्रा भारतीय रिज़र्व बैंक की मौद्रिक और ऋण नीति की अवस्थिति के आधार पर समय-समय पर निर्धारित की जाती है ।

2. सहभागी

2.1 विदेशी मुद्रा के प्राधिवफ्त व्यापारी समस्त अनुसूचित बैंक जिन्होंने निर्यात ऋण दिया है, निर्यात ऋण पुनर्वित्त का लाभ उठाने के पात्र हैं ।

3. निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा

3.1 दिनांक 27 अप्रैल 2000 से बैंकों की निर्यात ऋण पुनर्वित्त सीमाओं की गणना के प्रयोजन के लिए हिसाब में लिये जाने वाले बकाया निर्यात ऋण की परिभाषा में आशोधन किया गया है । तदनुसार, पुनर्वित्त सीमाओं की गणना के लिए बकाया निर्यात ऋण के अंतर्गत एक्ज़िम बैंक/अन्य बैंकों/वित्तीय संस्थाओं के पास पुन: भुनाये गये निर्यात बिल तथा निर्यात ऋण शामिल होंगे जिनके आधार पर नाबाड़/एक्ज़िम बैंक से पुनर्वित्त प्राप्त किया गया है । तथापि विदेशी मुद्रा में पोत-लदानपूर्व ऋण, ‘विदेश में निर्यात बिलों की पुनर्भुनाई’ योजना के अंतर्गत भुनाये गये/पुन:भुनाये गये निर्यात बिल, अतिदेय रुपया निर्यात ऋण और पुनर्वित्त के लिए अपात्र अन्य निर्यात ऋण इसमें शामिल नहीं होंगे । आशोधित परिभाषा से, बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक से उपलब्ध पुनर्वित्त सीमाओं में लगातार कमी के बिना ही निर्यात-आयात बैंक जैसी संस्थाओं के पास निर्यात बिलों की पुनर्भुनाई का लाभ मिल सकेगा ।

4. सीमा

4.1 वर्तमान में अनुसूचित बैंकों का दूसरे पूर्वगामी पखवाड़े के अंत में पुनर्वित्त के लिए पात्र बकाया निर्यात ऋण के 15.0 प्रतिशत तक निर्यात ऋण पुनर्वित्त प्रदान किया जाता है ।

5. ब्याज दर

5.1 निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा रिवर्स रिपो दर पर उपलब्ध है ( जो चलनिधि समायोजन सुविधा के अंतर्गत समय-समय पर यथा घोषित रिपो दर से संबद्ध है) ।

ब्याज मासिक अंतरालों पर देय होगा और दैनिक शेषराशियों पर गणना किये गये ऐसे ब्याज की राशि संबंधित महीने के अंत में अथवा पहले, जब बकाया शेष का निपटान कर दिया जाएगा, ऐसे अग्रिमों के खाते में नामे डाल दी जाएगी ।

6. मार्जिन-अपेक्षा

6.1 कोई मार्जिन रखने की आवश्यकता नहीं है ।

7. अवधि

7.1 मांग पर अथवा निर्धारित अवधि के समाप्त होने पर, जो एक सौ अस्सी दिन से अधिक नहीं होगी, चुकौती की जा सकेगी ।

8. संपार्श्विक

8.1 भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकों के मांग वचन पत्र (डीपीएन) पर निर्यात ऋण पुनर्वित्त प्रदान करता है । मांग वचन पत्र के साथ इस आशय की घोषणा होनी चाहिए कि उन्होंने निर्यात ऋण दिया है एवं पुनर्वित्त के लिए बकाया राशि भारतीय रिज़र्व बैंक से लिये गये ऋण /अग्रिम से कम नहीं है ।

9. न्यूनतम उपलब्ध राशि

9.1 इस सुविधा के अंतर्गत न्यूनतम उपलब्ध राशि एक लाख रुपये है और न्यूनतम से अधिक की रााशि एक लाख रुपये के गुणजों में होगी ।

10. प्राप्ति का स्थान

10.1 रिज़र्व बैंक के बैंकिंग विभाग वाले केन्द्र पर यह सुविधा प्राप्त की जा सकती है ।

11. चुकौती

11.1 पुनर्वित्त की मांग पर अथवा 180 दिन के भीतर चुकौती करनी होगी ।

12. दण्ड

12.1 निर्यात ऋण पुनर्वित्त की अनियमित प्राप्ति वाले अनुसूचित बैंक के मामले में, बकाया ऋण अथवा ऋणों पर रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा निर्धारित दण्ड -ब्याज-दर वसूल की जाएगी ।

12.2 निर्यात ऋण पुनर्वित्त की अनियमित प्राप्ति के लिए लागू दण्डात्मक दर वाले उदाहरण सारणी 1 में दिये गये हैं।

सारणी त् : निर्यात ऋण पुनर्वित्त की अनियमित प्राप्ति के उदाहरण

क) कुल सीमा से अधिक निर्यात ऋण पुनर्वित्त का उपयोग
ख) बैंकों द्वारा पुनर्वित्त सीमा की गलत गणना/रिपोर्टिंग
ग) 180 दिनों के भीतर पुनर्वित्त की चुकौती न किया जाना
घ) बैंकों द्वारा अधिक उपयोग किये जाने की रिपोर्टिंग में विलंब ।

13. प्रलेखीकरण

13.1 बैंकों को निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा प्राप्त करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों का निष्पादन करना होता है :

क) फॉर्म सं.डीएडी 297 में मुद्रांकित करार

ख) फॉर्म सं.डीएडी 295 ए में एक मांग वचन पत्र (डीपीएन)

ग) फॉर्म सं.डीएडी 298 में बोड़ का संकल्प जिसमें इस योजना के अंतर्गत उधार लेने एवं बैंक की ओर से ऋण दस्तावेजों का निष्पादन करने वाले अधिकारियों को भी प्राधिवफ्त किया गया हो।

घ) सीमा बढ़ाने के लिए, फॉर्म सं.डीएडी 299 में एक पत्र जिसमें नयी सीमा के लिए समेकित मांग वचन पत्र (डीपीएन) के साथ सीमा बढ़ाने के लिए, करार की अवधि में विस्तार किया गया हो।

ड.) बैंकिंग विभाग के मैनुअल के पैराग्राफ 7.30 के अनुसार यदि विस्तार के पत्र एवं करार की शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है तो उनका नवीकरण कराने की आवश्यकता नहीं है । किन्तु, मांग वचन पत्रों का, लेन-देन की तारीख से तीन वर्ष के लिए उनकी वैधता के बावजूद, उनके निष्पादन की तारीखों से प्रत्येक तीन वर्ष की समाप्ति पर नवीकरण किया जाना चाहिए ।

13.2 उधारकर्ता बैंक द्वारा फॉर्म सं. डीएडी 390 में निर्यात पुनर्वित्त पात्रता के विवरण के साथ फॉर्म सं.डीएडी.389 में एक पाक्षिक घोषणा मौद्रिक नीति विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जानी चाहिए ताकि भारतीय रिज़र्व बैंक अपने बकाया निर्यात ऋण अग्रिमों के संबंध में इस योजना के अंतर्गत बकाया उधार राशियों की स्थिति की निगरानी कर सके ।

14. रिपोर्टिंग - अपेक्षा

14.1 पुनर्वित्त का लाभ उठाने वाले बैंकों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे संलग्नक 1 में दिये गये फॉर्मेट में, संबंधिंत तारीख से पाँच दिन के भीतर पुनर्वित्त के लिए पात्र अपने बकाया निर्यात ऋण की रिपोर्ट करें।

15. शर्त

15.1 सभी समय बकाया उधारराशियों को उधारकर्ता बैंकों द्वारा उनके नवीनतम घोषणा-पत्र में रिपोर्ट किये गये अनुसार निर्यात बिलों की धारिता/पात्र पोतलदान-पूर्व अग्रिमों की राशि द्वारा पूर्ण रूप से रक्षित (कवर) होना आवश्यक है । यदि किसी भी समय यह पाया जाए कि बैंकों द्वारा धारित बिलों की कुल राशि/घोषणा पत्र में उल्लिखित पात्र पोतलदान-पूर्व अग्रिमों की राशि उधार ली गई राशि से कम है तो उस बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक से लिये गये अतिरिक्त पुनर्वित्त का समायोजन/उसकी चुकौती तुरंत की जानी चाहिए ।



संलग्नक 1

रिपोर्टिंग फॉर्मेटफ्स

फार्म डीएडी 389

बैंक का नाम __________________________________________________ को समाप्त पखवाड़े के लिए निर्यात ऋण पुनर्वित्त सीमा दर्शानेवाला विवरण

भाग क

(लाख रु.)

1. ----------@*को बकाया निर्यात ऋण (यथा पुन: परिभाषित) ___________

2. निर्यात ऋण पुनर्वित्त सीमा (मद सं.1 की 15 प्रतिशत) ___________

* पुनर्वित्त सीमाओं की गणना के प्रयोजन के लिए बकाया निर्यात ऋण, कुल बकाया निर्यात ऋण में से, विदेशी मुद्रा में पोत-लदान पूर्व ऋण (पीसीएफसी), ‘विदेश में निर्यात बिलों की पुनर्भुनाई’ की योजना के अतंर्गत भुंनाए गये/पुन: भुनाये गये निर्यात बिल, पुनर्वित्त के लिए अपात्र अतिदेय रुपया निर्यात ऋण को घटाकर होगा, परंतु इसमें अन्य बैंकों/निर्यात-आयात बैंक/वित्तीय संस्थाओं के पास भुनाये गये निर्यात बिल, निर्यात ऋण, जिसके आधार पर नाबाड़/निर्यात-आयात बैंक से पुनर्वित्त प्राप्त किया गया है, शामिल होंगे।

@ दूसरे पूर्ववर्ती रिपोर्टिग पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार की स्थिति के अनुसार बकाया निर्यात ऋण


भाग - ख

____________@की स्थिति के अनुसार कुल बकाया निर्यात ऋण

(लाख रु.)

1. कुल बकाया निर्यात ऋण उनमें से - ____________

(व)अन्य बैंकों/निर्यात-आयात बैंक/वित्तीय संस्थाओं के पास पुनर्भुनाये गये निर्यात बिल ____________

(वव)निर्यात ऋण, जिसके आधार पर नाबाड़/निर्यात-आयात बैंक से पुनर्वित्त प्राप्त किया गया है ____________

(ववव)विदेशी मुद्रा में पोत-लदान पूर्व ऋण ____________

(वख्)‘विदेश में निर्यात-बिलों की पुनर्भनाई’ योजना के अंतर्गत भुनाये गये/पुनर्भुनाये गये निर्यात बिल ____________

(ख्)अतिदेय रुपया निर्यात ऋण ____________

(ख्व)उपर्युक्त (व से ख् तक) हिसाब में न लिया गया और पुनर्वित्त के लिए अपात्र निर्यात ऋण* ____________

2. पुनर्वित्त के लिए पात्र बकाया निर्यात ऋण मद 1 में से घटाएं ड(व)+(वव)+(ववव)+(वख्)+(ख्)+(ख्व) ____________


भाग - ग

_____________@ की स्थिति के अनुसार बकाया निर्यात ऋण

(लाख रु.)

    1. पोत-लदान पूर्व रुपया निर्यात ऋण **

      (i) 180 दिन तक ____________

      (ii) 180 दिन से अधिक और 270 दिन तक जोड़ (व+वव) ____________

    2. पोत-लदानोत्तर रुपया निर्यात ऋण **

(iii) 180 दिन तक ____________

      (iv) 180 दिन से अधिक और 270 दिन तक जोड़ (व+वव) ____________

3.कुल रुपया निर्यात ऋण (1+2) ____________

___________________________________________________________________

@ दूसरे पूर्ववर्ती रिपोर्टिंग पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार की स्थिति के अनुसार कुल बकाया निर्यात ऋण ।

* उदा., यदि पैकिंग ऋण 180 दिन से अधिक समय के लिए मंजूर किया गया हो तो 180 दिन तक की अवधि के लिए बकाया राशियां मद 2 के सामने दर्शायी जानी चाहिए तथा 180 दिन से अधिक दिन की अवधियों के लिए बकाया राशियों को मद 1(ख्व) के सामने दर्शाया जाना चाहिए ।

** अतिदेय राशियों को मिलाकर


 

संलग्नक II

परिभाषाएं

इन दिशानिर्देशों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो:

    i. "पखवाड़े" का आशय शनिवार से लेकर दूसरे अनुवर्ती शुक्रवार की अवधि से है जिसमें दोनों दिन शामिल हैं ।

    ii. "बैंक" अथवा "बैंकिंग कंपनी" से आशय बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (1949 का 10) की धारा 5 के खंड (सी) में यथा परिभाषित बैंकिंग कंपनी अथवा उसके खंड (डीए), खंड (एन सी) और खंड (एन डी) में क्रमश: यथा परिभाषित किसी "तदनुरूपी नया बैंक", "भारतीय स्टेट बैंक" अथवा "सहायक बैंक" से है और जिसमें उस अधिनियम की धारा 56 के साथ पठित धारा 5 के खंड (सीसीआइ) में यथापरिभाषित "सहकारी बैंक" शामिल है ।

    iii. "अनुसूचित बैंक" से आशय भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की दूसरी अनुसूची में शामिल बेैंक है ।

    iv. "निर्यात बिल" से आशय भारत में अथवा भारत से बाहर किसी भी ऐसे देश में जो अतंराष्ट्रीय मुद्रा कोष का सदस्य हो अथवा किसी अन्य देश जो भारत के राजपत्र में बैंक द्वारा इसके लिए अधिसूचित हो, में आहरित ऋण पत्रों अथवा अन्यथा के अंतर्गत उधारकर्ता बैंक द्वारा खरीदे गये/तयशुदा/भुनाये गये ऐसे सभी निर्यात बिलों से है जिनकी मीयाद 180 दिन से अनधिक है, बैंक द्वारा प्रस्तुत किये जाने वाले घोषणा पत्र में शामिल करने के लिए पात्र होगा ।

    v. "पोत-लदान पूर्व ऋण" का आशय ऐसे ऋण से है जो बैंकों द्वारा वास्तविक निर्यातकों को, स्थानीय निर्यातक के पक्ष में विदेश में प्रतिष्ठित बैंकों द्वारा स्थापित साख पत्रों के आधार पर अथवा निश्चित निर्यात आदेश के आधार पर दिया जाता है और उधारकर्ता बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सम्बद्ध दस्तावेज उसके पास जमा करा दिये गये हैं ।

    vi. "पुनर्वित्त के लिए पात्र निर्यात ऋण" का आशय दूसरे पूर्ववर्ती रिपोर्टिंग पखवाड़े के अंतिम शुक्रवार को कुल बकाया निर्यात ऋण से है जिसमें विदेशी मुद्रा में पोत-लदान पूर्व ऋण (पीसीएफसी), ‘विदेश में निर्यात बिलों की पुनर्भुनाई’ की योजना के अंतर्गत भुनाये गये/पुन:भुनाये गये निर्यात बिल, अतिदेय रुपया निर्यात ऋण तथा पुनर्वित्त के लिए अपात्र अन्य निर्यात ऋण, अन्य बैंकों/एक्ज़िम बैंक/वित्तीय संस्थाओं के पास पुन: भुनाये गये निर्यात बिल और निर्यात ऋण, जिसके आधार पर नाबाड़/एक्झिम बैंक से पुनर्वित्त प्राप्त किया गया है, शामिल नही होंगे ।


संलग्नक III

करार का फॉर्म

डीएडी 297

पैरा 7.50

माल के निर्यात के लिए बैंक-वित्त के संबंध में उधार लेने हेतु अनुसूचित बैंक के प्रधान कार्यालय से प्राप्त किये जाने वाले करार का फार्म (प्रत्येक राज्य में लागू मुद्रांक विधि के अनुसार करार के रूप में मुद्रांकित किया जाए)

भारतीय रिज़र्व बैंक

महोदय,

इस बात पर विचार करते हुए कि आप भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम की धारा 17 (3 ए) के अंतर्गत और दिनांक 20 जनवरी 1969 के परिपत्र डीबीओडी सं.बीएम.78/सी. 297 (एम) - 69 के साथ संलग्न ज्ञापन में निहित शर्तों पर समय-समय पर आपके विवेकानुसार अग्रिम देने के लिए सहमत हैं, किन्तु किसी भी अवसर पर वे रु._________ (बाज को ेड़कर) से अधिक नहीं होंगे, जिसके लिए हमने यहाँ इसके बाद उल्लिखित दर से ब्याज वाला, आपके पक्ष में लिखा हुआ एक मांग वचन-पत्र आपको सुपुर्द किया है । अग्रिम मांग पर प्रतिदेय होंगे एवं वे आपके द्वारा यथा निर्धारित फार्मों में घोषणा के आधार पर आप द्वारा दिये जाएंगे । हम निम्नानुसार सहमत हैं :

    उक्त अग्रिमों की किसी भी समय बकाया शेष राशि मांगने पर हमारे द्वारा आपको प्रतिदेय होगी ।

(2) इस करार के अंतर्गत अग्रिमों के प्रत्येक आहरण की परिपक्वता अवधि 180 दिन से अनधिक होगी एवं वह उक्त अवधि के भीतर हमारे द्वारा प्रतिदेय होगा ।

(3) हमारे द्वारा आपको देय ब्याज मासिक अंतरालों पर, समय-समय पर आपके द्वारा अधिसूचित दर पर होगा और दैनिक शेष राशियों पर गणना किये गये इस प्रकार के ब्याज की राशि प्रत्येक संबंधित महीने के अंत में अथवा पहले, जब बकाया शेष राशि चुकता हो जाती है, उक्त अग्रिमों के खाते में नामे डाल दी जाए । इस बात का आपको अधिकार होगा कि आप अपने पास रखे गये हमारे चालू खाता में से इस प्रकार की नामे डाली गई ब्याज की राशि की स्वयं प्रतिपूर्ति कर सकेंगे ।

(4) हम इस बात से सहमत हैं कि यहाँ दिये गये खंड (1) और (2) की शर्तों के अंतर्गत राशि की चुकौती में कोई चूक होने की स्थिति में, आप ऐसा करने के लिए किसी बाध्यता के बिना, उक्त अधिनियम की धारा 17 (3ए) के अनुसार मंजूर किये गये अग्रिम ऋण की राशि में से हमारे द्वारा देय राशि को आपके पास रखे गये हमारे चालू खाते में नामे डाल सकते हैं ।

(5) हम इस बात से सहमत हैं और वचन देते हैं कि निर्यातकों अथवा पुनर्वित्त के लिए पात्र अन्य व्यक्तियों को भारत से बाहर माल भेज सकने के लिए हमारे द्वारा मंजूर किये गये और किसी भी समय आहरित एवं बकाया ऋण अथवा अग्रिम हमारे द्वारा आपसे लिये गये ऋण अथा अग्रिम की बकाया राशि से कम नहीं होंगे । इसके अलावा, हम इस बात से भी सहमत हैं कि आपके पक्ष में ऐसा मार्जिन बनाये रखेंगे जो आप समय-समय पर निर्धारित करेंगे ताकि उसमें निर्धारित मार्जिन में कमी होने पर, हम आपके द्वारा मांग की जाने पर तुरंत नकद भुगतान द्वारा आपको देय शेष राशि में कमी कर देंगे ताकि अपेक्षित मार्जिन की राशि रखी जा सके ।

(6) हम इस बात से भी सहमत हैं कि इन अग्रिमों के जारी रहते हुए जब भी कभी आप द्वारा मांग की जाएगी, पुनर्वित्त के लिए पात्र वस्तुओं के निर्यात के संबंध में हमारे द्वारा दिये गये अग्रिमों की बकाया राशि के बारे में तथा उधारकर्ताओं की शोध-क्षमता के बारे में आपके द्वारा निर्धारित किये अनुसार सत्य रिपोर्टें आपको प्रस्तुत की जाएगी तथा इस प्रकार के किसी उधारकर्ता की स्थिति में किसी ऐसे परिवर्तन के बारे में, जो हमारी प्रतिभूति को पर्याप्त रूप से प्रभावित करने वाला समझा जाएगा, आपको सूचित किया जाएगा ।

(7) हम एतद द्वारा ऐसे दस्तावेज आपकी मांग पर आपके पक्ष में निष्पादित करने के लिए सहमत हैं जिससे पुनर्वित्त के लिए पात्र वस्तुओं के निर्यात के संबंध में हमारे द्वारा दिये गये अग्रिमों के रूप में हमारे बही ऋण समग्र रूप से आपके प्रभार में आ जाए अथवा आपके द्वारा यथा विनिर्दिष्ट प्रतिभूति आपके कब्जे में रहे ताकि वह किसी भी समय आपके द्वारा बेची जा सके अथवा अंतरित की जा सके ।

(8) हम निम्नलिखित मामलों में आप द्वारा निर्धारित उच्चतर दर पर ब्याज अदा करने के लिए सहमत हैं और वचन देते हैं; जहाँ

(क) निर्यात ऋण पुनर्वित्त का उपयोग अनुमत सीमा से अधिक किया गया है,

(ख) पुनर्वित्त सीमाओं की गणना अथवा रिपोर्टिंग गलत ढंग से की गई है,

(ग) हमारे खाते में पर्याप्त निधि नहीं होने के कारण निकासियां 180 दिन से अधिक की अवधि तक बकाया रही है,

(घ) विलंब की अवधि के लिए हमारे द्वारा अधिक अथवा अनियमित उपयोग के बारे में रिपोर्ट करने में अधिक विलंब किया गया हो ।

(9) हम इस बात से भी सहमत हैं कि यह करार और रु. ________ का उक्त मांग वचन पत्र किसी भी समय जमा-शेष की स्थिति अथवा किसी आंशिक भुगतान अथवा खातों में घट-बढ़ अथवा प्रतिभूति के किसी भाग के आहरण के बावजूद उक्त अग्रिम के लिए एक निरंतर जमानत के रूप में कार्य करेगा ।

भवदीय

_________________ (अनुसूचित बैंक का नाम)

के लिए और की ओर से

(प्राधिवफ्त अधिकारी के हस्ताक्षर)

(पदनाम)


डीएडी 295 ए

(पत्रशीर्ष पर)

मांग वचन पत्र

(निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा)

मांगने पर, हम (बैंक का नाम), भारतीय रिज़र्व बैंक को, या आदेश पर रु._____________ (रुपये________________________________________) प्राप्त मूल्य के लिए, रिज़र्व बैंक द्वारा निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा के लिए यथा घोषित रिवर्स रिपो दरों पर पूर्ण चुकौती के समय अथवा मासिक अंतरालों, जो भी पहले होगा, पर अदा करने का वचन देते हैं ।

__________________________

के लिए और की ओर से

स्थान :

दिनांक :

(2 हस्ताक्षरी और रसीदी टिकट)

दोनों हस्ताक्षरियों के नाम और पदनाम


डी ए डी - 298

पैरा 7.71

निदेशक मंडल के संकल्प का नमूना

बोड़ की - - - - - - - - को आयोजित बैठक में पारित

बोड़ संकल्प सं. - - - - - - - - - - - -- - - - - - - - - - - - की एक प्रति

संकल्प किया जाता है कि -

(व) बैंक, पोत-लदान पूर्व ऋण योजना और/अथवा धारा 17 (3ए) के अंतर्गत निर्यात बिल ऋण योजना अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर लागू की जाने वाली शर्तों पर तथा अनुमोदित सीमा तक भारतीय रिज़र्व बैंक से ऋण ले;

(वव) बैंक के निम्नलिखित अधिकारियों को एतद् द्वारा अलग-अलग रूप से भारतीय रिज़र्व बैंक से उपर्युक्त सुविधाएं प्राप्त करने के लिए बैंक की ओर से आवश्यक करार, ऋण दस्तावेज, घोषणाएं, विवरण तथा प्रमाणपत्र तथा अन्य ऐसे लिखत और दस्तावेज जो भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में मांगे जाते हैं, निष्पादित करने और प्रस्तुत करने के लिए प्राधिवफ्त किया जाता है ।


फॉर्म ’डी’

डी ए डी- 299

दिनांक :

भारतीय रिज़र्व बैंक

जमा लेखा विभाग

मुंबई - 400 001

प्रिय महोदय

दिनांक - - - - - - - - - - - - - - - - - - -के करार के संदर्भ में उसमें विनिर्दिष्ट रु. - - - - - - - - - - - - - (रुपये - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -) को बढ़ाकर र.- - - - - - - - - - - -(रुपये - - - -- - - - - - - - - - - - - - - - - - - -)

की एक नयी सीमा के लिए आपकी सहमति पर विचार करते हुए जिस राशि के लिए मासिक अंतरालों के साथ - - - - -- - - वार्षिक ब्याज वाला एक समेकित मांग वचन - पत्र हमने आपको सुपुर्द किया है, हम इस बात से सहमत हैं कि उक्त करार की सभी शर्तें नयी सीमा पर तथा उसके संबंध में रु.-- - - - - - - - - - -(रुपये - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - - -)के समेकित मांग वचन पत्र और उसके अंतर्गत दिये गये अग्रिमों पर उसी रूप में लागू होगी जैसी कि वे रु.- - - - - - - -(रुपये -- - - - - - - - - - - - - - - - - की सीमा पर और उसके संबंध में मांग वचन पत्र और उसके अंतर्गत दिये गये अग्रिमों पर लागू होती है ।

 

भवदीय,

के लिए और की ओर से

(अनुसूचित बैंक का नाम )


परिशिष्ट

परिपत्रों की सूची

क्र.सं.

परिपत्र सं.

विषय

1.

बैंपविवि.सं.बीएम 2732/सी.297/के-63
13 मार्च 1963

निर्यात बिल ऋण योजना

2.

बैंपविवि. सं. बीएम.78/सी.297(एम)-69
20 जनवरी 1969

पोत-लदान पूर्व ऋण का पुनर्वित्त

3.

बैंपविवि.सं.बी.एम.931/सी.297पी-69
9 जून 1969

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम 1934 की धारा 17(3ए) के अंतर्गत पुनर्वित्त - पोतलदान पूर्व ऋण योजना

4.

सीपीसी.सं. बीसी. 45/279ए-81
18 मार्च 1981

निर्यात पुनर्वित्त

5.

सीपीसी.सं.बीसी.46/279ए-81
27 मई 1981

निर्यात ऋण पुनर्वित्त पर ब्याज दर

6.

सीपीसी.सं.बीसी. 60/279ए-82
25 अक्तूबर 1982

निर्यात ऋण पुनर्वित्त पर ब्याज दर में परिवर्तन

7.

सीपीसी.सं.बीसी.64/279ए-83 अक्तूबर 1983

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

8.

सीपीसी.सं.बीसी.77/279ए-85
25 अक्तूबर 1985

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

9.

सीपीसी.सं.बीसी.79/279ए-86
1 अगस्त 1986

निर्यात ऋण पुनर्वित्त - ब्याज दर में परिवर्तन

10.

सीपीसी.सं.बीसी.91/279ए-88
2 अप्रैल 1988

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

11.

सीपीसी.सं.बीसी. 98/279ए-88
27 मार्च 1989

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

12.

सीपीसी.सं.बीसी.103/279ए-90
12 अप्रैल 1990

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

13.

सीपीसी.सं.बीसी.111/279ए-91
12 अप्रैल 1991

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

14.

सीपीसी.सं. बीसी.115/279ए-91
3 सितंबर 1991

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

15.

सीपीसी.सं.बीसी.116/279ए- 91
8 अक्तूबर 1991

निर्यात ऋण पुनर्वित्त


 

16.

सीपीसी.सं. बीसी.122/279ए- 92
21 अप्रैल 1992

निर्यात ऋण पुनर्वित्त पर ब्याज दरें (रुपया) और पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण के लिए अमरीकी डॉलर मे पुर्नवित्त

17.

सीपीसी.सं.बीसी.124/279ए-92
8 अप्रैल 1992

निर्यात ऋण पुनर्वित्त (रुपया) तथा अमरीकी डॉलर में निर्दिष्ट पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण की गांरटी पर पुर्नवित्त

18.

सीपीसी.सं.बीसी.129/07.01.279/92-93
7 अप्रैल 1993

निर्यात ऋण पुनर्वित्त (रुपया) तथा अमरीकी डॉलर में निर्दिष्ट पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण की गांरटी पर पुर्नवित्त

19.

सीपीसी.सं.बीसी. 132/07.01.279/93-94
11 अक्तूबर 1993

निर्यात ऋण पुनर्वित्त (रुपया) तथा अमरीकी डॉलर में निर्दिष्ट पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण की गांरटी पर पुर्नवित्त

20.

सीपीसी.सं.बीसी.136/07.01.279/93-94
14 मई 1994

निर्यात ऋण पुनर्वित्त (रुपया) तथा अमरीकी डॉलर में निर्दिष्ट पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण की गांरटी पर पुर्नवित्त

21.

सीपीसी.सं.बीसी.144/07.01.279/94-95
17 अप्रैल 1995

मीयादी जमाराशियों पर ब्याज दर

22.

सीपीसी.सं. 3559/03.02.15/94-95
20 अप्रैल 1995

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

23.

शबैंवि.डीएस.एसयूबी.सीआइआर.
3/13.04.00/95-96
7 फरवरी 1996

अग्रिमों पर ब्याज दरें

24.

सीपीसी.सं.2101/03.02.01/95-96

15 जनवरी 1996

अमरीकी डॉलर में मूल्यवर्गित पोतलदानोत्तर निर्यात ऋण पर पुनर्वित्त

25.

सीपीसी /03.02.01/95-96
7 फरवरी 1996

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

26.

सीपीसी.सं. 3466/03.02.01/95-96
4 अप्रैल 1996

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

27.

औनिऋवि. सं.10/04.02.01/96-97
19 अक्तूबर 1996

अग्रिमों पर ब्याज दरें -पोतलदानोत्तर रुपया ऋण

28.

सीपीसी.सं. 1067/03.02.01/96-97
23 अक्तूबर 1996

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

29.

सीपीसी.सं.2652/03.02.01/96-97
21 अप्रैल 1997

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

30.

मौनीवि. सं.2035/03.02.01/97-98
16 जनवरी 1998

रिज़र्व बैंक पुनर्वित्त

31.

सीपीसी.सं.2662/03.02.01/97-98
18 मार्च 1998

भारतीय रिज़र्व बैंक से पुनर्वित्त सुविधाओं पर ब्याज दरें

32.

मौनीवि.सं. 2932/03.02.01/97-98
2 अप्रैल 1998

भारतीय रिज़र्व बैंक से पुनर्वित्त सुविधाओं पर ब्याज दरें

33.

मौनीवि. सं. 3121/03.02.01/97-98
29 अप्रैल 1998

भारतीय रिज़र्व बैंक से पुनर्वित्त सुविधाएं

34.

मौनीवि.बीसी.सं. 177/07.01.279/97-98
11 जून 1998

निर्यात ऋण पर ब्याज दर

35.

मौनीवि.49/03.02.01/98-99
8 जुलाई 1998

निर्यात ऋण पुनर्वित्त

36.

मौनीवि.बीसी.सं. 179/07.01.279/98-99
6 अगस्त 1998

निर्यात ऋण और निर्यात ऋण पुनर्वित्त पर ब्याज दरें

37.

मौनीवि.सं. 1018/03.02.01/98-99
15 अक्तूबर 1998

निर्यात ऋण पुनर्वित्त सीमाओं को दर्शाने वाला पाक्षिक विवरण

38.

मौनीवि.बीसी.सं. 182/07.01.279/98-99
1 मार्च 1999

बैंक दर और निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा

39.

मौनीवि.बीसी.सं. 184/07.01.279/98-99

1 मार्च 1999

निर्यात ऋण और निर्यात ऋण पुनर्वित्त पर ब्याज दरें

40.

मौनीवि. 3278/03.02.01/99-2000

1 अप्रैल 2000

निर्यात ऋण पुर्नवित्त और संर्पाश्विकीवफ्त उधार सुविधाओं संबंधी ब्याज दरें

41.

मौनीवि. 3538/03.02.01/99-2000

27 अप्रैल 2000

उदारीवफ्त निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा

42.

मौनीवि.बीसी. 198/07.01.279/2000-01

21 जुलाई 2000

बैंक दर

43.

मौनीवि.बीसी.सं.200/07.01.279/2000-01

21 जुलाई 2000

निर्यात ऋण पुनर्वित्त और संर्पाश्विकीवफ्त उधार सुविधा

44.

मौनीवि. 2992/03.02.01/2000-01

21 जुलाई 2000

स्थायी चलनिधि सुविधा योजना

45.

मौनीवि. 3115/03.02.01/2000-01

30 अप्रैल 2001

स्थायी चलनिधि सुविधा योजना

46.

मौनीवि.बीसी.सं.213/02.01.279/2001-02

18 मार्च 2002

निर्यात ऋण पुर्नवित्त योजना

 

47.

मौनीवि.बीसी. सं. 223/07.01.279/2002-03

29 अक्तूबर 2002

निर्यात ऋण पुनर्वित्त योजना

48.

मौनीवि. बीसी.सं.232/07.01.279/2002-03

29 अप्रैल 2003

निर्यात ऋण पुनर्वित्त योजना

49.

मौनीवि.बीसी.सं. 243/07.01.279/2003-04

5 नवंबर 2003

स्थायी सुविधाओं का युक्तिकरण

50.

मौनीवि.बीसी.सं. 246/07.01.279/2003-04

25 मार्च 2004

बैंकों के लिए निर्यात ऋण और प्राथमिक व्यापारियों हेतु स्थायी चलनिधि सुविधाएं: युक्तिकरण

51.

मौनीवि.बीसी.सं.247/07.01.279/2003-04

7 अप्रैल 2004

निर्यात ऋण के लिए बैंकों को स्थायी चलनिधि सुविधाएं: युक्तिकरण

52.

मौनीवि.बीसी.सं. 252/07.01.279/2004-05

3 जुलाई 2004

निर्यात ऋण पुनर्वित्त सुविधा संबंधी मास्टर परिपत्र


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