सभी वाणिज्?िाक बैंकों के मुख्?ा कार्?ापालक - आरबीआई - Reserve Bank of India
सभी वाणिज्?िाक बैंकों के मुख्?ा कार्?ापालक
आरबीआई /2004-05/112
संदर्भ: बैंपविवि/औनिऋअ.सं.26/08.12.01/2004-2005
12 अगस्त 2004
सभी वाणिज्यिक बैंकों के मुख्य कार्यपालक
महोदय,
मास्टर परिपत्र- आवास वित्त
वफ्पया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 29 दिसंबर, 2003 का हमारा मास्टर परिपत्र औविऋनि सं. (आ वि) 4 / 03.27.25 / 2003-2004 देखें। आज तक जारी किए गए सभी अनुदेशों को इस मास्टर परिपत्र में शामिल करके इसे अद्यतन बना दिया गया है।
भवदीय,
(वाई डी राव)
मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक : यथोपरि
विषय वस्तु
1. प्रस्तावना2. प्रत्यक्ष आवास वित्त
3. अप्रत्यक्ष आवास वित्त
4. प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत आवास ऋण
5. रिज़र्व बैंक द्वारा पुनर्वित्त प्रदान किया जाना
6.बैंक ऋण के लिए पात्रता नहीं रखने वाली निर्माण गतिविधियाँ
7. रिपोर्ट भेजना
8. आवास वित्त के लिए विशेष शाखाएँ खोलना
9. राष्ट्रीय आवास बैंक के लिए गफ्ह ऋण खाता योजना
10. आवास -वित्त पर जोखिम भार
11. बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों में बैंकों के निवेश के लिए शर्तेंं
अनुबंध 1
अनुबंध 2
अनुबंध 3
परिशिष्ट
प्रमुख शब्दानुक्रमणी
आवास -वित्त से संबंधित मास्टर परिपत्र
1. प्रस्तावनाकेन्द्रीय सरकार की राष्ट्रीय आवास नीति का पालन करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैक आवास क्षेत्र को ऋण उपलब्ध करा रहा है । पिछले दो वर्षों के दौरान, बैंकों के वित्त का बहुत बड़ा भाग आवास क्षेत्र को गया है । रिज़र्व बैंक के वर्तमान विनियमों का मुख्य केन्द्रविन्दु बैंकों के आवास ऋण संविभाग का व्यवस्थित विकास करना है।
2.1. प्रत्यक्ष आवास-वित्त व्यक्तियों या व्यक्तियों के समूहों को प्रदत्त वित्त है तथा इसके अंतर्गत सहकारी समितियों को वित्त प्रदान किया जाना भी शामिल है ।2.2 प्रतिभूति / जमानत, मार्जिन, मकान की आयु, चुकौती की अवधि इत्यादि मामलों में बैंक अपने निदेशक मंडलों के अनुमोदन से स्वयं दिशानिर्देश तैयार करने के मामले में स्वतंत्र है ।
2.3 अन्य दिशानिर्देश
प्रत्यक्ष आवास-वित्त के अंतर्गत निम्नलिखित प्रकार का बैंकवित्त शामिल किया जा सकता है :
डव किसी ऐसे व्यक्ति को उसी या दूसरे शहर / गाँव में स्वयं के रहने के लिए दूसरा मकान खरीदने / बनवाने के लिए दिया गया बैंकवित्त जिसके पास पहले से ही शहर / गाँव में मकान है जिसमें वह रह रहा है ।
डवव किसी ऐसे उधारकर्ता द्वारा मकान खरीदे जाने के लिए दिया गया बैंकवित्त जो मुख्यालय से बाहर अपनी तैनाती हो जाने के कारण या अपने नियोक्ता द्वारा आवासीय सुविधा प्रदान किए जाने के कारण डखरीदे जाने वाले मकान को भाड़े पर दे देना चाहता है ।
डववव किसी ऐसे व्यक्ति को दिया गया बैंकवित्त जो उस पुराने मकान को खरीदना चाहता है जिसमें वह फिलहाल किरायेदार के रूप में रह रहा है ।
डवख़् भूखंड के क्रय के लिए मंजूर किया गया बैंकवित्त, बशर्ते उधारकर्ता से इस आशय का घोषणापत्र प्राप्त किया जाय कि वह बैंकवित्त से अथवा अन्यथा उक्त भूखंड पर बैंकों द्वारा निर्धारित अवधि के भीतर मकान बनाना चाहता है ।
डख़् पूरक वित्त
डक बैंक अपने द्वारा पहले से ही वित्तपोषित मकान /फ्लैट में परिवर्तन /परिवर्द्धन / मरम्मत का काम करने के लिए, समग्र अधिकतम सीमा के भीतर अतिरिक्त वित्त प्रदान किए जाने संबंधी अनुरोध पर विचार कर सकते हैं ।
डख जिन व्यक्तियों ने आवास के निर्माण / क्रय हेतु अन्य स्रोतों से धन की व्यवस्था की है और वे पूरक वित्त चाहते हैं, उनके मामले में, अन्य ऋणदाताओं के पक्ष में पहले से ही गिरवी रखी हुई संपत्ति पर समरूप या द्वितीय बंधक प्रभार प्राप्त करके और / या उपने विचार से किसी अन्य उपयुक्त प्रतिभूति / जमानत के आधार पर बैंक पूरक वित्त प्रदान कर सकते हैं ।
3.1 सामान्य
बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनका अप्रत्यक्ष आवास-वित्त, आवास-वित्त संस्थाओं, आवास बोर्डों, अन्य सरकारी आवास एजेंसियों इत्यादि को मुख्यत: विकसित भूमि व निर्मित भवनों की आपूर्ति में वफ्द्धि करने के लिए मीयादी ऋणों के रूप में उपलब्ध कराया जाता है । यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि भूखंडो / मकानो की आपूर्ति एक निश्चित समय-सीमा के भीतर की जाती है और सरकारी एजेंसियाँ बैंक के ऋणों का उपयोग केवल भूमि अर्जित करने के लिए नहीं कर रही हैं । उसी प्रकार, इन एजेंसियों को चाहिए कि वे विकसित भूखंड सहकारी समितियों, प्रोफेसनल डेवलपर्स और व्यक्तियों को इस शर्त पर बेचें कि सम्बन्धित भूखंडों पर एक उपयुक्त अवधि के भीतर मकान बना लिए जाएँगे तथा यह अवधि तीन साल से अधिक नहीं होगी । इस प्रयोजन हेतु, बैंक विकसित भूखंडों तथा निर्मित भवनों की आपूर्ति में वफ्द्धि करने के मामले में राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों का लाभ ले सकते हैं ।
3.2 आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों का ऋण देना
3.2.1 आवास-वित्त संस्थाओं को ऋण देना
डव डदीर्घावधिक ऋण-इक्विटी अनुपात, पिछले रिकाड़, वसूली संबंधी कार्यनिष्पादन और अन्य संगत तथ्यों को दृष्टिगत रखते हुए बैंक आवास-वित्त संस्थाओं को मीयादी ऋण मंजूर कर सकते हैं ।
डवव राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा जारी किए गए दिशानिर्देशों के अनुसार जमा, डिबेंचरों / बांडों के निर्गम, बैंकों या वित्तीय संस्थाओं से प्राप्त ऋणों व अग्रिमों के रूप में आवास वित्त कंपनी द्वारा लिया गया कुल उधार उसकी निवल स्वाधिवफ्त निधि (अर्थात् प्रदत्त पूँजी और निर्बंध आरक्षित निधियों में से संचित हानिशेष, आस्थगित राजस्व व्यय तथा अगोचार आस्तियों को घटाने के बाद बचने वाले शेष) के 16 गुना से अधिक नहीं होना चाहिए ।
डववव सभी आवास-वित्त कंपनियाँ जो राष्ट्रीय आवास बैंक में पंजीवफ्त हैं
उससे पुनर्वित्त प्राप्त करने की पात्र हैं,और उनकी पात्रता राष्ट्रीय आवास बैंक की पुनर्वित्त नीति की शर्तों पर तय होगी । उन्हें मंजूर किए जाने वाले मीयादी ऋण की मात्रा को निवल स्वाधिवफ्त निधि से लिंक नहीं किया जाएगा क्योंकि राष्ट्रीय आवास बैंक ने आवास-वित्त कंपनियों के अधिकतम उधार पर पहले से ही उक्त अधिकतम सीमा की शर्त लगा रखी है । राष्ट्रीय आवास बैंक ने
पुनर्वित्त प्रदान किए जाने के प्रयोजन से जिन आवास वित्त कंपनियों को
अनुमोदित कर रखा है, उनकी सूची बैंक सीधे राष्ट्रीय आवास बैंक से प्राप्त कर सकते हैं या (www.nhb.org.in) से डाउनलोड कर सकते हैं।
3.2.2 आवास बोर्डों और अन्य एजेंसियों को ऋण दिया जाना
बैंक राज्यस्तरीय आवास बोर्डों और अन्य सरकारी एजेंसियों को मीयादी ऋण दे सकते हैं । लेकिन आवास-वित्त प्रणाली की स्वस्थ परंपरा विकसित करने के लिए, ऐसा करते समय बैंकों को चाहिए कि वे लाभग्राहियों से की गई वसूली के मामले में इन
एजेंसियों के केवल पिछले कार्यनिष्पादन पर ही नजर न रखें, बल्कि यह शर्त भी लगा दें कि बोड़ लाभग्राहियों से तत्परतापूर्वक और नियमित रूप से ऋणों की किस्तों की वसूली करेंगे ।
3.2.3 भूमि के अधिग्रहण के लिए वित्त प्रदान करना
देश में मकानों का स्टॉक बढ़ाने के लिए भूमि और आवासीय स्थलों की उपलब्धता में वफ्द्धि करने की आवश्यकता को दृष्टिगत रखते हुए बैंक भूमि अधिग्रहण तथा भूमि को मकानों के लिए विकसित करने हेतु सरकारी एजेंसियों को वित्त प्रदान कर सकते हैं बशर्ते यह संपूर्ण परियोजना का अंग है जिसमें मूलभूत सुविधाओं (जैसे जलप्रणाली, ड्रेनेज, सड़क, बिजली की व्यवस्था इत्यादि, का विकास शामिल है) ऐसा ऋण मीयादी ऋण के रूप में दिया जा सकता है । परियोजना यथाशीघ्र पूरी की जानी चाहिए तथा हर हालत में इसमें तीन साल से अधिक का समय नहीं लगना चाहिए ताकि इष्टतम परिणामों के लिए बैंक की निधि की तेजी से रिसाइकिलिंग सुनिश्चित की जा सके । यदि परियोजना के अंतर्गत भवनों का निर्माण भी शामिल है तो उसके लिए वैयक्तिक लाभग्राहियों को उन्हीं शर्तों पर वित्त प्रदान किया जाना चाहिए जिन शर्तों पर प्रत्यक्ष वित्त प्रदान किया गया है ।
3.2.4 आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों को ऋण दिए जाने से संबंधित शर्तें
डव आवास क्षेत्र को संसाधनों की उपलब्धता में वफ्द्धि करने के लिए, आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों द्वारा मंजूर किए गए / मंजूर किए जाने वाले प्रत्यक्ष ऋणों के बदले बैंक इन एजेंसियों को मीयादी ऋण मंजूर कर सकते हैं , इन एजेंसियों द्वारा प्रति उधारकर्त्ता को दिए गए ऋण का आकार चाहे कुछ भी हो । ऐसे मीयादी ऋणों की गणना बैंकों के आवास वित्त विनियोजन की लक्ष्यप्राप्ति के प्रयोजन हेतु की जाएगी ।
डवव आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों द्वारा अनिवासी भारतीयों को मंजूर किए गए / मंजूर किए जाने वाले प्रत्यक्ष ऋणों के बदले भी बैंक इन एजेंसियों को मीयादी ऋण मंजूर कर सकते हैं । लेकिन चूँकि भारतीय रिज़र्व बैंक ने सभी आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों को अनिवासी भारतीयों को आवास-वित्त उपलब्ध कराने के प्रयोजनार्थ प्राधिवफ्त नहीं किया है , इसलिए बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे जिन आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों को वित्त उपलब्ध करा रहे हैं, वे अनिवासी भारतीयों को आवास-ऋण मंजूर करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा प्राधिवफ्त हैं । लेकिन आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों द्वारा अनिवासी भारतीयों को ऋण दिए जाने हेतु बैंकों द्वारा इन एजेंसियों को मंजूर किए गए वित्त की गणना, बैंकों के लिए लागू आवास-वित्त के वार्षिक विनियोजन की योजना के प्रयोजनार्थ आवास-वित्त के रूप में नहीं की जाएगी ।
डववव बैंक इस बात के लिए स्वतंत्र हैं कि वे मूल उधार दर का ध्यान दिए बिना आवासीय मध्यवर्ती एजेंसियों से ब्याज दर ले सकें ।
3.3 निजी बिल्डरों को मीयादी ऋण
आवास के क्षेत्र में निर्माण संबंधी सेवाएँ प्रदान करने वालों के रूप में प्रोफेशनल बिल्डरों द्वारा अदा की गयी भूमिका को दृष्टिगत रखते हुए, वह भी विशेषत: उन मामलों में जहाँ राज्य आवास बोर्डों एवं अन्य सरकारी एजेंसियों द्वारा भूमि अधिगफ्हीत और विकसित की जाती है, वाणिज्यिक बैंक निजी बिल्डरों को प्रत्येक खास परियोजना के लिए वाणिज्यिक शर्तों पर ऋण उपलब्ध करा सकते हैं । बैंकों द्वारा निजी बिल्डरों को दिए जाने वाले ऋणों की अवधि के मामले में कोई भी निर्णय बैंक अपने वाणिज्यिक विवेक के आधार पर स्वयं लें लेकिन ऐसा करते समय वे सामान्य सावधानियाँ बरतें और ऋण देने से पहले उपयुक्त प्रतिभूति / जमानत भी प्राप्त कर लें । ऐसे ऋण उन प्रतिष्ठित बिल्डरों को दिए जाने चाहिए जो निर्माण-व्यवसाय से जुड़ी अर्हता रखने वाले व्यक्तियों को नियोजित करते हैं । बारीकी से नजर रखते हुए यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि ऐसे ऋण के किसी भी भाग का उपयोग जमीन की सट्टेबाजी के लिए नहीं किया जा रहा है । यह सुनिश्चित करने के लिए भी सावधानी बरती जानी चाहिए कि अन्तिम लाभग्राहियों से लिए जाने वाले मूल्य में सट्टेबाजी का कोई भी तत्व मौजूद न हो , अर्थात् लिया जाने वाला मूल्य भूमि के दस्तावेजी मूल्य, निर्माण की वास्तविक लागत और उपयुक्त लाभ-मार्जिन पर आधारित होना चाहिए ।
4. प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत आवास-ऋण
4.1 निम्नलिखित आवास-वित्त सीमाओं को प्राथमिकताप्राप्त ऋण माना जाएगा :
4.1.1 प्रत्यक्ष वित्त
डव बैंको के निदेशक मंडलों के अनुमोदन से व्यक्तियों द्वारा भवन निर्माण हेतु ग्रामीण / अर्द्धशहरी क्षेत्रों में तथा शहरी / महानगरीय क्षेत्रों में रु.10 लाख तक का ऋण ।
डवव व्यक्तियों को ग्रामीण तथा अर्द्धशहरी क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त भवनोंकी मरम्मत हेतु रु.1 लाख तथा शहरी क्षेत्रों में रु.2 लाख तक का ऋण ।
4.1.2 अप्रत्यक्ष वित्त
डव भवनों के निर्माण या स्लम क्लियरेंस और गन्दी बस्तियों के निवासियों के पुनर्वास के लिए किसी सरकारी संस्था को दी गई सहायता, परन्तु इस मामले में प्रति मकान ऋण की सीमा रु. 5 लाख से अधिक नहीं होगी ।
डवव भवनों के निर्माण या स्लम क्लियरेंस और गन्दी बस्तियों के निवासियों के पुनर्वास के लिए पुनर्वित्त के प्रयोजनार्थ राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा अनुमोदित किसी गैर-सरकारी संस्था को दी गई सहायता, परन्तु इस मामले में प्रति मकान ऋण की अधिकतम सीमा रु.5 लाख होगी ।
4.1.3 बांडों में निवेश
राष्ट्रीय आवास बैंक / हुडको द्वारा जारी किए गए बांडों में बैंकों द्वारा किए गए सभी निवेश, प्रति मकान ऋण का आकार चाहे कुछ भी हो , प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंदर किए गए निवेश माने जाएँगे ।
5. रिज़र्व बैंक द्वारा पुनर्वित्त प्रदान किया जाना
बैंकों द्वारा दिया गया वित्त रिज़र्व बैंक द्वारा पुनर्वित्त सुविधा के लिए पात्र नहीं होगा ।
6. बैंक ऋण के लिए पात्रता नहीं रखने वाली निर्माण गतिविधियाँ
6.1 बैकों को नगर पालिका और पंचायत कार्यालयों सहित पूर्णतया सरकारी/अर्द्ध-सरकारी कार्यालयों के प्रयोजन से निर्मित होने वाले भवनों के लिए वित्त का अनुमोदन नहीं करना चाहिए, यद्यपि बैंको को उन निर्माण कार्याें के लिए लोन देना चाहिए जिनका नाबाड़ जैसी संस्थाओं द्वारा पुनर्र्वित्त किया जाना हो ।
6.2 जो कंपनी निकाय नहीं हैं (अर्थात सरकारी क्षेत्र की संस्थाएं जो कंपनी एक्ट के अंतर्गत पंजीवफ्त नहीं या संबंधित कानून के अंतर्गत स्थापित निगम नहीं हैं ) ऐसे सरकारी क्षेत्र व ी संस्थाओं के भवनों के निर्माण कार्य व ी परियोजनाओं को बैंकों द्वारा वित्त प्रदान नहीं किया जाना चाहिए ।ऊपर वर्णित कंपनियों की परियोजनाओं के मामले में भी बैंकों को इस बात से संतुष्ट हो जाना चाहिए कि वह परियोजना वाणिज्यिक आधार पर चलाई जाएगी, और लगाया गया बैंक वित्त परियोजना के किसी बजट संसाधन की पूर्ति या उसके बदले में नहीं लगाया जाए । यद्यपि बजटीय संसाधनों के लिए लोन अनुपूरक हो सकता है यदि ऐसी किसी अनुपूरकता को परियोजना के डिजॉइन में पहले से संकल्पित किया गया हो । इस प्रकार वाणिज्यिक आधार पर चलने वाली किसी आवासीय परियोजना के मामले में तथा समाज के कमजोर वर्गों के हितों के लिए सरकार उस परियोजना को प्रोत्साहित करने में रुचि रखती हो अथवा सरकार सब्सिडी देकर या/और परियोजना बनाने वाले संस्थानों को पूँजी लागत के एक भाग का अंशदान करना चाहती हो, ऐसे मामले में बैंकों को चाहिए कि वे सरकार से प्राप्त होने वाली पूँजीगत अंशदान /सब्सिडी राशि तथा सरकार द्वारा प्रस्तावित संसाधनों को परियोजना की कुल लागत में से घटा कर बैंक वित्त सीमित कर देना चाहिए ।
6.3 बैंकों ने पूर्व में , सरकार द्वारा निर्मित राज्य पुलिस गफ्ह निर्माण निगम जैसे निकायों को कर्मचारियों के लिए आवासीय क्वार्टरों के निर्माण करने के लिए सावधि लोन मंजूर किए गए थे, जिनकी चुकौती बजटीय निर्धारण से की जानी परिकल्पित थी । चूँकि ये परियोजनाएँ वाणिज्यिक आधार पर चलने वाली नहीं मानी जा सकती, बैंकों के लिए ऐसी परियोजनाओं के लिए लोन मंजूर करना उचित नहीं होगा ।
7.1 बैंकों को चाहिए कि वे आवास-वित्त से संबंधित छमाही आँकड़े अनुबंध 1 के फॉर्मेट के अनुसार एकत्र करें और अपने बैंक के आंतरिक निरीक्षकों / रिज़र्व बैंक के निरीक्षकों को उपलब्ध कराए जाने हेतु तैयार रखें ।
7.2 आवास वित्त के संवितरण में बैंकों के स्थूलस्तरीय कार्यनिष्पादन पर नजर रखने के प्रयोजन हेतु, बैंकों को चाहिए कि वे आवास-वित्त के रूप में संवितरित की गई राशि का तिमाही विवरण, संबंधित तिमाही समाप्त होने के बाद 20 दिनों के भीतर अनुबंध 2 में दिए गए फॉर्मेट में बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग, केन्द्रीय कार्यालय, भारतीय रिज़र्व बैंक, वल्ड़ ट्रेड सेंटर, कफ परेड, मुम्बई - 400 005 को भेजें ।
7.3 दूसरे बैंकों से टेक-ओवर किए गए आवास-ऋण तिमाही विवरण में संवितरण के रूप में शामिल नहीं किए जाने चाहिए ।
8. आवास-वित्त के लिए विशेष शाखाएँ खोलना
8.1 आवासीय सुविधाओं के विकास को दी गई प्राथमिकता को दृष्टिगत रखते हुए तथा इस क्षेत्र में बेहतर व्यावसायिकता संबंधी क्षमता / दक्षता प्राप्त करने के लिए कुछ केन्द्रों पर अलग से केवल आवास-वित्त संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेष शाखाएँ स्थापित करने की आवश्यकता है । इरादा यह है कि एक आवास-वित्त शाखा हर जिले में स्थापित की जाय । लेकिन आवास के क्षेत्र में वाणिज्यिक बैंकों की बेहतर सहभागिता के लिए, नीतियों और एतद् विषयक धारणाओं को दृष्टिगत रखते हुए ऐसा धीरे-धीरे किया जा सकता है ।
8.2 चूँकि आवास-वित्त बैंकों के लिए नयी अवधारणा है, इसलिए आरंभ में ऐसी विशेष शाखाएँ केवल अर्द्धशहरी / शहरी केन्द्रों पर ही खोली जानी चाहिए तथा किसी बैंक को ऐसी कितनी शाखाएँ खोलने की अनुमति दी जाए - यह इस बातपर निर्भर करेगा कि उस बैंक का आकार और विस्तार कैसा है । स्पष्ट आवश्यकता तथा सुनिश्चित लाभप्रदता की स्थिति होने पर ग्रामीण क्षेत्रों में भी ऐसी शाखाएँ खोले जाने के अनुरोध पर विचार किया जा सकता है । अत: बैंकों को चाहिए कि वे इससे संबंधित प्रस्ताव तैयार करते समय निम्नलिखित बातों का ध्यान अवश्य रखें :
8.2.1 किसी बैंक की आवास-वित्त शाखा किसी ऐसे जिले में होनी चाहिए जिसमें उसका दायित्व अग्रणी बैंक का है या जहाँपर बैंकों का अग्रणी बैंक संबंधी नाममात्रका दायित्व है, वहाँ ऐसे जिलों में ऐसी शाखा खोलें जहाँ उनकी उपस्थिति ज्यादा है ।
8.2.2बैंकों को चाहिए कि वे ऐसे महानगरीय केन्द्रों पर विशेष आवास-वित्त शाखाएँ न खोलें जहाँ कुछ विशेष आवास-वित्त कंपनियाँ डजैसे एचडीएफसी या वाणिज्यिक बैंकों की आवास-वित्तीय सहायक कंपनियाँ पहले से ही अपनी सेवाएँ उपलब्ध करा रही है ।8.2.3आवास-वित्त शाखाएँ उन क्षेत्रों में स्थापित की जानी चाहिए जहाँ उसी बैंक की शाखाओं की अधिकता है जिसे उस क्षेत्र / स्थान की आवास-वित्त संबंधी कारोबार करने के लिए नामित किया गया है ताकि विशेष शाखा में उपलब्ध विशेषज्ञता का उपयोग अन्य नामित शाखाओं में सेवाएँ उपलब्ध कराने के लिए भी किया जा सके ।
8.2.4 इस मामले में अपना प्रस्ताव तैयार करते समय बैंकों को , यथासंभव, अपेक्षावफ्त छोटे शहरी और अर्द्ध-शहरी केन्द्रों को प्राथमिकता देनी चाहिए जहाँ ऐसी शाखाएँ खोले जाने के लिए पर्याप्त संभाव्यताएँ उपलब्ध हैं ।
8.2.5प्रस्तावों में सभी राज्यों को शामिल किया जाना चाहिए ताकि आवास-वित्त शाखाएँ अधिकाधिक भूभाग में उपलब्ध हो सकें ।
8.2.6 आवेदक बैंक को संबंधित केन्द्र की घाटे में चल रही शाखा को प्रस्तावित आवास-वित्त शाखा में बदलने की संभावना का भी पता लगाना चाहिए । इसके अलावा, बैंकों को प्रत्येक जिले में अपने सामान्य बैंकिंग कार्यों के अलावा
8.2.7 आवास-वित्त के काम के लिए एक शाखा को नामित करना चाहिए । विशेष शाखाओं में आवास-वित्त संबंधी सुविधाओं की उपलब्धता का विधिवत् व्यापक प्रचार भी किया जाना चाहिए ।
8.2.8मितव्ययिता की दृष्टि से, प्रस्तावित आवास-वित्त शाखाएँ , यथासंभव, संबंधित बैंक के उस केन्द्र पर स्थित किसी वर्तमान परिसर में ही चलायी जानी चाहिए ।
8.2.9 बैंक संबंधित केन्द्र पर चल रही वर्तमान निर्माण संबंधी गतिविधियों, कारोबार संबंधी संभावित प्रगति, ऐसी परियोजनाओं व निर्माण कार्यों के वित्तपोषण में उनकी सहभागिता
( सहायता-समूह के रूप में या स्वयं अकेले) की रिपोर्ट भी तैयार करें।
विशेष आवास-वित्त शाखाओं में पदस्थापित किए जाने वाले स्टाफ को प्रशिक्षित करने का दायित्व राष्ट्रीय आवास बैंक लेगा ताकि स्टाफ को अपना कार्य संपादित करने से संबंधित दक्षता हासिल हो सके ।
8.3 बैंक, अनुबंध 3 में दिए गए प्रोफॉर्मा में सूचना भेजने के साथ-साथ, भारतीय रिज़र्व बैंक के बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग को उन केन्द्रों की सूची भी भेजें जहाँ वे वरीयता के क्रम से विशेष शाखाएँ खोलना चाहते हैं ।
9. राष्ट्रीय आवास-बैंक के लिए गफ्हऋण खाता योजना
9.1अन्य स्रोतों से लिए गए ऋणों के मोचन का निषेध
9.1.1गफ्हऋण खाता योजना के अंतर्गत, गफ्हऋण खाता योजना का कोई सदस्य इस योजना में कम से कम 5 साल तक अभिदान देने के बाद ऋण प्राप्त करने के लिए पात्र होता है । इस योजना का सदस्य बनते समय सदस्य को इस आशय वी घोषणा करनी पड़ती है कि उसका अपना कोई मकान /फ्लैट नहीं है । लेकिन कोई सदस्य सामान्य ब्याजदर पर किसी बैंक से या मित्रों और रिश्तेदारों से ऋण लेकर किसी सरकारी एजेंसी / सहकारी समिति / प्राइवेट बिल्डर से या किसी आवास बोड़ / विकास प्राधिकरण की हायर-परचेज़ योजना के जरिये मकान या फ्लैट खरीद सकता है । उसके बाद जब वह सदस्य गफ्ह ऋण खाता योजना के अंतर्गत ऋण के लिए पात्र हो जाएगा तब वह अन्य स्रोतों से पहले लिए गए ऋणों को चुकता करने के लिए ऋण प्राप्ति हेतु बैंक से संपर्क कर सकता है ।9.1.2 विशेष मामले के रूप में, गफ्ह ऋण खाता योजना के अंतर्गत बैंक ऋणों का अन्य स्रोतों से पहले लिए गए ऋणों को चुकता करने के लिए इस्तेमाल करने पर कोई आपत्ति नहीं होगी ।
9.2 गफ्ह ऋण खाता योजना के अंतर्गत जमाओं / ऋणों का वर्गीकरण
गफ्ह ऋण खाता योजना के अंतर्गत, सहभागी बैंक से यह अपेक्षा की जाती है कि वह राष्ट्रीय आवास बैंक की ओर से जमाराशियाँ स्वीकार करे और राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा समय-समय पर अनुमोदित किसी भी योजना के अंतर्गत पुनर्वित्त के रूप में इन जमाराशियों का उपयोग करे । सहभागी बैंक इस तरीके से इस्तेमाल न की गई शेष राशि (अर्थात् पुनर्वित्त की तुलना में जमाराशियों का अधिक भाग ) या तो राष्ट्रीय बैंक को भेज देगा या अपने पास रख सकेगा परन्तु सहभागी बैंक को इस मामले में सांविधिक चलनिधि संबंधी अपेक्षाओं का निम्नानुसार अनुपालन करना होगा : -
- गफ्ह ऋण खाता योजना के अंतर्गत जमाराशियाँ आवर्ती आधार पर होती हैं , तथा उन्हें ’मीयादी’ देयताएँ माना जाना चाहिए और इनपर प्रारक्षित निधि संबंधी अपेक्षाओं के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 ड1 तथा बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 24 की अपेक्षाओं का पालन किया जाना चाहिए एवं इन जमाराशियों को फार्म ’ए’ की मद सं. घ्घ् डए डवव के अंतर्गत शामिल किया जाना चाहिऍ
- राष्ट्रीय आवास बैंक अधिनियम, 1987 की दूसरी अनुसूची के खण्ड 3 द्वारा यथासंशोधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, की धारा 42 की उपधारा ड1 के स्पष्टीकरण के खण्ड डसी के उपखण्ड डवव के अनुसार ’देयताओं’ के अंतर्गत, राष्ट्रीय आवास बैंक से लिया गया कोई ऋण शामिल नही माना जाएगा । इसलिए फॉर्म ’ए’ की मद संख्या घ्घ् डएडवव के अंतर्गत राशियों का विवरण देते समय, राष्ट्रीय आवास बैंक से प्राप्त पुनर्वित्त के रूप में इस्तेमाल की गई जमाराशियों को गफ्ह ऋण खाता योजना के अंतर्गत प्राप्त कुल जमाराशियों में से घटा दिया जाना चाहिए ।
आवास क्षेत्र के लिए ऋण की उपलब्धता में और सुधार लाने की दृष्टि से यह निश्चय किया गया है कि बैंकों द्वारा दिए जाने वाले आवास-वित्त संबंधी जोखिम भार विषयक विवेकपूर्ण मानदंडों को उदार बनाया जाए तथा राष्ट्रीय आवास बैंक के पर्यवेक्षण में काम कर रही और इस बैंक द्वारा मान्यताप्राप्त आवास वित्त कंपनियों की बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों में निवेश करने के लिए बैंकों को प्रोत्साहित किया जाए। तदनुसार आवासीय संपत्तियों के बंधक के आधार पर व्यक्तियों को आवास ऋण देनेवाले बैंकों को इस बात की अनुमति दी जाएगी कि वे वर्तमान 100% के बजाय 50% का जोखिम भार नियत करें। वाणिज्यिक स्थावर संपदा की प्रतिभूति के आधार पर दिए जाने वाले ऋणों के लिए, वर्तमान की तरह ही आगे भी 100% का जोखिम भार नियत किया जाता रहेगा। आवास वित्त
कंपनियों की आवासीय संपत्ति की बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों में किए गए निवेशों पर पूँजी-पर्याप्तता के प्रयोजन हेतु 50 प्रतिशत का जोखिम भार दिया जाएगा।
11. बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों में बैंकों के निवेश के लिए शर्तें
बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियो में बैंकों द्वारा किए जाने वाले निवेश के संबंध में निम्नलिखित शर्तें लागू होंगी :
क) प्रतिभूतिवफ्त आवास ऋणों तथा उसके अंतर्गत होनेवाली प्राप्तियों में आवास वित्त कंपनी का अधिकार, स्वत्वाधिकार और हित स्पेशल पर्पज़ वेहिकल/न्यास के पक्ष में अटल रूप से समनुदेशित किया जाना चाहिए।
ख) स्पेशल पर्पज़ वेहिकल/न्यास को चाहिए कि वह निवेशकों की ओर से और निवेशकों के हित के लिए प्रतिभूतिवफ्त आवास ऋणों से संबंधित बंधक रखी गयी प्रतिभूतियाँ केवल अपने पास ही रखे।
ग) स्पेशल पर्पज़ वेहिकल /न्यास को यह अधिकार होना चाहिए कि वह प्रतिभूतिवफ्त ऋणों के अंतर्गत होने वाली प्राप्तियों को, बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूति के निर्गम की शर्तों के अनुसार निवेशकों के बीच वितरित कर सके। इसके लिए मूल आवास वित्त कंपनी को सर्विसिंग और भुगतानकर्ता एजेंट के रूप में नियुक्त किया जाना चाहिए। तथापि प्रतिभूतिकरण संबंधी लेनदेन में चलनिधि सुविधाओं के ऋणों में वफ्द्धि के मामले में विक्रेता, प्रबंधक, या ऋणदाता के रूप में काम करने वाली मूल आवास वित्त कंपनी पर निम्नलिखित शर्तें भी लागू होंगी :-
i)ऐसी कंपनी स्पेशल पर्पज़ वेहिकल में कोई शेयरपूँजी नहीं रखेगी या आस्तियों के क्रय और प्रतिभूतिकरण के लिए वेहिकल के रूप में प्रयुक्त होने वाले न्यास में हिताधिकारी नहीं बन सकेगी। इस प्रयोजन के लिए हर तरह की सामान्य और अधिमान शेयर पूँजी, शेयर पूँजी के अंतर्गत शामिल मानी जाएगी ।
ii) ऐसी कंपनी स्पेशल पर्पज़ वेहिकल का नाम इस प्रकार नहीं रखेगी जिससे यह अर्थ निकलता हो कि वह बैंक से किसी तरह का संबंध रखती है।
iii)जहाँ निदेशक-मंडल का गठन कम से कम तीन सदस्यों के साथ न किया गया हो और जहाँ स्वतंत्र निदेशकों का बहुमत हो, वहाँ वह कंपनी स्पेशल पर्पज़ वेहिकल के निदेशक-मंडल में अपना कोई निदेशक, अधिकारी या कर्मचारी नहीं रखेगी।
इसके अलावा, बैंक का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिकारियों के पास कोई निषेधाधिकार नहीं होगा।
iv) ऐसी कंपनी स्पेशल पर्पज़ वेहिकल पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से नियंत्रण नहीं रखेगी ; या
v)ऐसी कंपनी प्रतिभूतिकरण संबंधी लेनदेन के चलते होनेवाले या निवेशकों को होने वाले घाटे को पूरा करने के लिए कोई वित्तीय सहायता नहीं देगी या लेनदेन संबंधी आवर्ती खर्चे स्वयं वहन नहीं करेगी।
घ) प्रतिभूतिवफ्त किए जाने वाले ऋण ऐसे ऋण होने चाहिए जो व्यक्तियों को ऐसे घर खरीदने के लिए दिए गए हों जिन्हें एकमात्र प्रभार के रूप में किसी आवास वित्त कंपनी के पास बंधक रखा गया हो।
ङ) प्रतिभूतिवफ्त किए जाने वाले ऋणों को किसी क्रेडिट रेटिंग एजेंसी ने स्पेशल पर्पज़ वेहिकल को समनुदेशन किए जाते समय निवेश श्रेणी की क्रेडिट रेटिंग दी हो।
च) निवेशकों को यह अधिकार होना चाहिए कि वे चूक की स्थिति में निर्गमकर्ता अर्थात् स्पेशल पर्पज़ वेहिकल को वसूली के लिए कदम उठाने तथा बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों के निर्गम की शर्तों के अनुसार निवल राशि के वितरण हेतु कह सकें।
छ) बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों के निर्गम का काम करनेवाली स्पेशल पर्पज़ वेहिकल को वैयक्तिक आवास ऋणों की बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों के निर्गम और प्रशासन के काम के अलावा कोई दूसरा काम नहीं करना चाहिए।
ज) बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों के निर्गम का काम करने के लिए नियुक्त की गई स्पेशल पर्पज़ वेहिकल या न्यासियों को भारतीय न्यास अधिनियम, 1882 के प्रावधानों की परिघि के अंतर्गत रखा जाना चाहिए।
11.2. बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियों का निर्गम यदि उपर्युक्त पैराग्राफ में निर्दिष्ट शर्तों के अनुसार होगा और उसके अंतर्गत, आवास ऋण संबंधी आस्तयों के जोखिम और लाभ का स्पेशल पर्पज़ वेहिकल /न्यास को अटल अंतरण भी शामिल होगा तो बंधक द्वारा समर्थित ऐसी प्रतिभूतियों में किसी बैंक द्वारा किया गया निवेश प्रतिभूतिवफ्त आवास ऋण देने वाली आवास वित्त कंपनी को उपलब्ध कराया गया वित्त नहीं माना जाएगा। तथापि उस निवेश को स्पेशल पर्पज़ वेहिकल /न्यास की संबंधित आस्ति से संबद्ध वित्त माना जाएगा।
घ्घ्. एजेंसियों/संस्थाओं के माध्यम से ऋण दिया जाना (अप्रत्यक्ष ऋण दिया जाना)
सं. |
मद |
अर्द्ध वर्ष में संवितरित |
अर्द्ध वर्ष के अंत में बकाया |
||
खातों की सं. |
राशि |
खातों की सं. |
राशि |
||
20. |
योग (21+22+23+24+25+26) |
||||
21. |
हडको |
||||
22. |
राज्य आवास बोड़ |
||||
23. |
राज्यस्तरीय अन्य एजेंसियाँ |
||||
24. |
आवास वित्त संस्थाएँ (एच.डी.एफ.सी. से भिन्न) |
||||
25. |
एच.डी.एफ.सी. |
||||
26. |
अन्य |
||||
|
इसमें से अनु.जाति/जनजाति के लिए |
||||
30. |
योग (31+32+33+34+35+36) |
||||
31. |
हडको |
||||
32. |
राज्य आवास बोड़ |
||||
33. |
राज्यस्तरीय अन्य एजेंसियाँ |
||||
34. |
आवास वित्त संस्थाएँ (एच.डी.एफ.सी. से भिन्न) |
||||
35. |
एच.डी.एफ.सी. |
||||
36. |
अन्य |
||||
40. |
उप-योग (10+20) |
||||
41. |
उप-योग (11+13+30) |
घ्घ्घ्. बांडों / डिबेंचरों में निवेश
सं. |
मद |
अर्द्ध वर्ष में संवितरित |
अर्द्ध वर्ष के अंत में बकाया |
||
खातों की सं. |
राशि |
खातों की सं. |
राशि |
||
50. |
जोड़ (60+70+80+90) |
च् |
च् |
च् |
|
गारंटीवफ्त बांड/डिबेंचर |
च् |
च् |
च् |
च् |
|
60. |
राष्ट्रीय आवास बैंक |
च् |
च् |
||
70. |
हडको |
च् |
च् |
||
|
अन्य बांड (अर्थात जिनमें कोई गांरंटी नहीं दी गयी है । ) |
च् |
च् |
च् |
च् |
80. |
राष्ट्रीय आवास बैंक |
च् |
च् |
||
90 |
हडको |
च् |
च् |
||
|
कुल योग (40+50) |
विवरण संकलित करने के संबंध में अनुदेश
- यह विवरण फूलस्कैप पेपर (32 सें.मी. च् 21 सें.मी.) पर ही अनुप्रस्थ (हॉरिजॅेन्टली) तैयार किया जाना चाहिए ताकि कम्प्यूटर द्वारा इस की प्रोसेंसिंग की जा सके। इसके अलावा स्तंभ संख्याओं व मद संख्याओं में परिवर्तन नहीं किया जाना चाहिए ।
- ब्लॉक घ् और ब्लॉक घ्घ् में अखिल भारतीय और प्रत्येक राज्य/संघराज्य क्षेत्र के अलग-अलग आँकड़े दिए जाने चाहिए तथा ब्लॉक घ्घ्घ् में केवल अखिल भारतीय आँकड़े दिए जाने चाहिए ।
- ब्लॉक घ् में दिखायी गयी राशि में आवास ऋण की वह राशि भी शामिल की जानी चाहिए जिसके लिए राष्ट्रीय आवास बैंक से पुनर्वित्त लिया गया है ।
- बैंक द्वारा अपने कर्मचारियों व ो दिया गया आवास ऋण ञ्आवास वित्तट श्रेणी के अतर्गत शामिल नहीं किया जाना चाहिए तथा उसे इस विवरण में नहीं शामिल किया जाना चाहिए ।
- सहकारी आवास समितियों को दिया गया ऋण ब्लॉक घ् में मद 11 और 13 के अंतर्गत तभी शामिल किया जाना चाहिए जब कुल सदस्यों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों की संख्या 50% से अधिक हो ।
- ग्रामीण -- 10,000 तक की जनसंख्या वाले केन्द्र
- मद 23 और 33 पर ञ्राज्यस्तरीय अन्य एजेंसियाँट के अंतर्गत, उदाहरणार्थ, ग्रामीण/शहरी आवास निगम, स्लम क्लियरेंस बोड़, इत्यादि शामिल होंगे।
- मद 26 और 36 पर ञ्अन्यट के अंतर्गत नगर सुधार न्यास, नगर विकास प्राधिकरण, स्थानीय निकाय, निर्माण कंपनियाँ/बिल्डर, भवन हेतु भुमि विकसित करने वाले शामिल होंगे ।
अर्ध्दशहरी - 10,000 से अधिक तथा 1,00,000 तक की जनसंख्या वाले केन्द्र ।
दिनांक को समाप्त तिमाही के दौरान अनुसूचित वाणिज्य बैंको द्वारा
"आवास-वित्त" श्रेणी के अंतर्गत मंजूर की गयी वित्तीय सहायता
(पैराग्राफ 7.2 देखें)
बैंक का नाम _____________________________________
(लाख रुपये )
(संवितरित आवास वित्त की राशि) |
कुल योग (1+2+6) |
||||||
प्रत्यक्ष आवास वित्त की राशि |
अप्रत्यक्ष आवास वित्त की राशि |
निम्न लिखित के गारंटीवफ्त /गैर-गारंटीवफ्त बांडों में निवेश |
|||||
एन एच बी |
हडको |
एम बी एस* |
योग |
||||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
|
पिछली तिमाही तक संवितरित कुल आवास-वित्त |
|||||||
वर्तमान तिमाही के दौरान आवास-वित्त का संवितरण |
|||||||
योग |
- किसी ऐसी स्पेशल पर्पस वेहिकल या संस्था द्वारा जारी किए गए दर-निर्धारित प्रतिभूतिवफ्त ऋण संबंधी लिखतों को दर्शाता है, जो कि अनुमोदित आवास वित्त कंपनियों ( राष्ट्रीय आवास बैंक के पर्यवेक्षणाधीन) द्वारा दिए गये आवास ऋण को दर्शाती है ।)
विशेष आवास-वित्त शाखाएँ खोलने के लिए बैंको द्वारा प्रस्तुत
किए जानेवाले विवरण
(पैराग्राफ 8.3 देखें)
बैंक का नाम _____________________________________
( लाख रुपये)
1. |
किस केन्द्र पर(नाम) विशेष शाखा खोले जाने का प्रस्ताव है, जिला व राज्य का नाम भी दें |
2. |
अग्रणी बैंक का नाम |
3. |
इस समय उस केन्द्र पर/जिले में आवेदक बैंक की कितनी शाखाएँ हैं |
4. |
वह क्षेत्र वाणिज्यिक या आवासीय है ? |
5. |
उस केन्द्र की प्रमुख आर्थिक गतिविधियाँ और निकट भविष्य में उनके विकास की संभावनाएँ |
6. |
अलग शाखा खोले जाने पर कितना अतिरिक्त व्यय होगा |
7. |
क्या प्रस्तावित शाखा अपने सारे खर्च स्वयं पूरे कर सकती है तथा अर्थक्षम होगी? |
8. |
वर्तमान शाखाओं का वर्तमान कारोबार |
|||
किस तारीख की स्थिति |
||||
31.03.______ पिछला वर्ष |
31.03 .______ वर्तमान वर्ष |
आवेदन की तारीख से पहले का |
||
(व) जमाराशियॉं - इनमें से आवास |
||||
(क) खातों की सं. |
||||
(ख) बकाया राशि |
||||
(वव) ऋण- इसमें से आवासीय प्रयोजन हेतु |
||||
(क) खातों की सं. |
||||
(ख) बकाया राशि (कुल मंजूर की गयी |
||||
9. |
उस केन्द्र पर/जिले में अन्य विशेष |
|||
10. |
जिले के अंतर्गत आवासीय |
|||
(व) राज्य सरकार/उपक्रम/स्थानीय निकाय |
||||
(क) कार्यान्वित की जा रही योजनाएँ, |
||||
(ख) आठवीं पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत |
||||
(वव) अन्य एजेंसियाँ/संगठन |
||||
(क) कार्यान्वित की जा रही योजनाएँ, |
||||
(ख) अनुमानित, टेनामेंटों की संख्या सहित |
||||
11. |
कोई अन्य सूचना जिसे बैंक अपने |
मास्टर परिपत्र
आवास-वित्त
मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची
सं. |
परिपत्र सं. |
तारीख |
विषय |
पैरा सं. |
औनिऋवि सं.(आ वि) 5/ 03:27:25/ 1999-2000 |
29.10.99 |
आवास वित्त- ऋण के आकार में संशोधन |
3.2.4(घ्) |
|
औनिऋवि सं.(आ वि) 12/ 03:27:25/ 98-99 |
15.01.99 |
पुराना मकान खरीदने के लिए प्रत्यक्ष ऋण से संबंधित शर्तें |
2.2 |
|
औनिऋवि सं.(आ वि) 40/ 03:27:25/ 97-98 |
16.04.98 |
प्रत्यक्ष आवास ऋण से संबंधित शर्तें- मानदंडों की समीक्षा |
2.2 |
|
औनिऋवि सं.आवि 37/ 03:27:25/ 97-98 |
27.02.98 |
अर्द्धवार्षिक आवास वित्त विवरण का प्रस्तुतीकरण बन्द किया जाना |
7.1 |
|
औनिऋवि सं. आ वि 22/ 03:27:25/ 97-98 |
06.12.97 |
आवास वित्त- ऋण के आकार में संशोधन |
4.1,4.1.4.1.2,4.1.3 |
|
औनिऋवि सं.5/03:27:25/ 97-98 |
30.08.97 |
राष्ट्रीय आवास बैंक से पुनर्वित्त प्राप्त करने के लिए अधिवफ्त आवास-वित्त कंपनियों को बैंकवित्त की मात्रा |
3.2,3.2.1 ूद 3.3 |
|
औनिऋवि सं.सीएमडी 8/ 03:27:25/ 1995-1996 |
27.09.95 |
सरकार द्वारा बजटीय सहायता उपलब्ध करायी जा रही परियोजनाओं के लिए मीयादी ऋण की मंजूरी का निषेध |
6.3 |
|
औनिऋवि सं.1/03:27:25/94-95 |
11.07.94 |
प्रत्यक्ष आवास-वित्त |
2.4 (व) ूद (वख्) |
|
बैंपविवि सं. बीएल बीसी 132/सी 168(एम)-91 |
11.06.91 |
विशेष आवास-वित्त शाखाएँ खोलना |
8.2,8.3 |
|
बैंपविवि सं. बीएल बीसी 88/ 60-90 |
05.04.90 |
राष्ट्रीय आवास बैंक की आवास ऋण खाता योजना- अन्य स्रोतों से प्राप्त ऋणों के मोचन का निषेध |
9.1, 9.2 |
|
औनिऋवि सं. सीएमडी वख् .24/ आ व(पी) -89-90 |
30.03.90 |
आवास-वित्त |
3.1 |
|
बैंपविवि सं. बीपी 1074/ बीपी.60-90 |
23.03.90 |
आवास-वित्त- विशेष शाखाओं को नामित करना |
8.1 |
|
बैंपविवि सं. बीपी 1022/ बीपी.60-90 |
15.03.90 |
आवास-वित्त- विशेष शाखाओं को नामित करना |
8.1 |
|
औनिऋवि सं. सीएडी वख्.223/ (आ वि-पी)- 88-89 |
02.11.88 |
आवास-वित्त- आवास-वित्त संस्थाओं के संबंध में गठित अध्ययन दल की सिफारिशों के आधार पर संशोधन |
2.3,3.2. 1(घ्),3.2.2 ,3.2.3 |
बैंपविवि सं. सीएएस बीसी 70/ सी.446 (एच एफ(पी) -88-89 |
05.06.81 |
आवास-वित्त- संशोधित दिशानिर्देश (सामान्य) |
-- |
|
बैंपविवि सं. सीएएस बीसी 71/सी.446(आ वि-पी)- 79 |
31.05.79 |
आवास-वित्त- आवास योजना के लिए वित्त प्रदान करने में बैंकिंग प्रणाली की भूमिका की छानबीन करने के लिए गठित कार्यदल की सिफारिशें |
6 |
|
बैंपविवि सं. ...106/ 21.01.002 / 2001-02 |
14.5.02 |
आवास वित्त और बंधक पर आधारित प्रतिभूतियों पर जोखिम भार |
10, 11 |
|
बैंपविवि सं. (आईईसीएस) 4/ 03.27.25/2004-05 |
3.7.2004 |
खरीदे गए भूखंड पर बनाने के लिए उधारकर्ताओं को अनुमत अवधि तय करने के मामले में बैंकों को स्वतंत्रता देना |
2.3(वख्) |
|
आनिऋवि. सं. 14/ 01.01.43/2003-04 |
30.6.2004 |
औ नि ऋ विभाग के कामकाज का अन्य विभागों के साथ विलय |
7.2 |
आवास-वित्त विषयक अनुदेशों / दिशानिर्देशों /
निर्देशों से संबंधित परिपत्रों की सूची
सं. |
परिपत्र सं. |
दिनांक |
विषय |
पैरा सं. |
आरपीसीडी सं.पीएलएनएफएस.बीसी. 37/06.11.01/97-98 |
21.10.97 |
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को ऋण- आवास हेत ुऋण |
41 |
|
बैंपविवि सं. रिट.बीसी. 75/सी.96-90 |
13.02.90 |
भा.रि.बैंक अनुसूचित बैंक विनियमावली 1951- राष्ट्रीय आवास बैंक की आवास ऋण खाता योजना के अंतर्गत स्वीकार की गयी जमाराशियों का वर्गीकरण |
9.2 |
|
आरपीसीडी सं. पीएलएनएफएस. बीसी.-30/06.11.01/2002-03 |
29.10. 2002 |
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम-ग्रामीण और अन्य क्षेत्रों में क्षतिग्रस्त मकानों की मरम्मत |
4.1 |
|
आरपीसीडी सं. पीएलएनएफएस. बीसी.-92/06.01/2002-03 |
29.04. 2003 |
प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को अग्रिम-आवास के लिए लोन |
4.1 |
प्रमुख शब्द |
पफ्ष्ठ संख्या
|
प्रत्यक्ष वित्त |
4
|
गफ्ह ऋण खाता योजना |
7 |
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत आवास ऋण |
4 |
अप्रत्यक्ष वित्त |
4 |
राष्ट्रीय आवास बैंक और हडको के बांडों में निवेश |
4 |
आवासीय मध्यवर्ती एजेन्सियों को ऋण दिया जाना |
3 |
बंधक द्वारा समर्थित प्रतिभूतियाँ |
8 |
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिम |
4 |
पुनर्वित्त प्रदान करना |
4 |
रिपोर्टिंग |
5 |
आवास वित्त पर जोखिम |
8 |
पूरक वित्त |
1 |
निजी बिल्डरों को मियादी ऋण |
4 |