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असेट प्रकाशक

79049577

देशी, सामान्य अनिवासी और अनिवासी (बाह्य)

आरबीआइ / 2006-07/15
संदर्भ : बैंपविवि. सं. डीआइआर. 6 /13.03.00/2006-07

1 जुलाई 2006
10 आषाढ़ 1928 (शक)

सभी वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

देशी, सामान्य अनिवासी और अनिवासी (बाह्य)
खातों के अंतर्गत रुपया जमाराशियों पर

ब्याज दराें से संबंधित मास्टर परिपत्र

जैसा कि आप जानते हैं, भारतीय रिज़र्व बैंक ने देशी, सामान्य अनिवासी और अनिवासी (बाह्य) खातों के अंतर्गत रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरों के संबंध में एक मास्टर परिपत्र 1 जुलाई 2005 के परिपत्र बैंपविवि. सं. डीआईआर. बीसी.5/13.03.00/ 2005-06 जारी किया है । इसमें समय-समय पर कुछ संशोधन भी किये गए हैं । इस विषय से संबंधित सभी विद्यमान अनुदेशों को एक ही स्थान पर उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से 30 जून 2006 तक जारी किये गये सभी अनुदेश समेकित कर एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है और रिज़र्व बैंक की वेबसाइट (/en/web/rbi) पर उपलब्ध करा दिया गया है ।

2. यह नोट किया जाये कि परिशिष्ट में उल्लिखित निदेशों /परिपत्रों में निहित अनुदेश इस मास्टर परिपत्र में समेकित किये गये हैं ।

भवदीय

(पी. विजय भास्कर)

मुख्य महाप्रबंधक


 

देशी, सामान्य अनिवासी और अनिवासी (बाह्य)
खातों के अंतर्गत रुपया जमाराशियों पर
ब्याज दराें से संबंधित मास्टर परिपत्र

विषय-सूची

पृष्ठ सं.


1.

2.

परिभाषाएं. .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .
. . . . . . . . . .. .. .
बचत जमाराशियों और मीयादी जमाराशियों पर देय ब्याज दरें . . .
. . . . . . . . .

3.

मीयादी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान- ब्याज की गणना की विधि

4.

सेना समूह बीमा निदेशालय, नौ सेना समूह बीमा निधि तथा वायु सेना समूह बीमा
सोसाइटी को अतिरिक्त ब्याज . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . .. . .

5.

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों /स्थानीय क्षेत्र बैंकों को अतिरिक्त ब्याज देने का विवेकाधिकार . . .

6.

बैंक के कर्मचारियों एवं केवल उनके संघों की जमाराशियों पर एक प्रतिशत से
अनधिक अतिरिक्त ब्याज देने का विवेकाधिकार . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . .

7.

बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंधक निदेशक और कार्यपालक निदेशकों की जमाराशियों पर एक प्रतिशत से अनधिक अतिरिक्त ब्याज की अदायगी से संबंधित विवेकाधिकार. . .. . . .

8.

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारा प्रायोजक बैंक के पास रखे गये चालू खाते पर ब्याज की
अदायगी का विवेकाधिकार . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . ..

9.

किसी किसान के संमिश्र नकदी ऋण खाते में न्यूनतम जमा शेष पर ब्याज अदायगी का विवेकाधिकार . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . .. . . . . . . . . . . ..

10.

वरिष्ठ नागरिकों के लिए जमा योजना . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . .

11.

मीयादी जमाराशि का अवधिपूर्व आहरण . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

12.

मीयादी जमाराशि, दैनिक जमाराशि के रूप में जमाराशि अथवा आवर्ती जमाराशि का मीयादी जमाराशि में पुनर्निवेश के लिए परिवर्तन . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

13.

अतिदेय जमाराशियों का नवीकरण . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . .

14.

मीयादी जमाराशि की जमानत पर दिये जाने वाले अग्रिम - ब्याज लगाने का तरीका . .

15.

मीयादी जमाराशियों की जमानत पर दिये जाने वाले अग्रिमों पर मार्जिन . . . . . . . . .

16.

मृत जमाकर्ताओं के जमा खातों पर देय ब्याज . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. .

17.

भारतीय रिज़र्व बैंक को जमाराशियों पर ब्याज में परिवर्तन तथा विभिन्न स्तर की ब्याजदरों के अनुसार जमाराशियों के ब्रेक-अप से अवगत कराना ...................

18.

संयुक्त खाताधारियों का नाम / के नाम जोड़ना या निकालना . . . . . . . . . . . .. . . .

19.

लेनदेनों को पूर्णांकित करना . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . ..

20.

मीयादी जमाराशि की रसीद जारी करना . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . ... . ..

21.

रविवार /छुट्टी के दिन /गैर कारोबारी कार्य दिवस को अवधिपूर्ण होने वाली मीयादी जमाराशि पर ब्याज का भुगतान . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . ...

22.

जमा संग्रहण योजनाएं . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . .

23.

बचत बैंक खातों में न्यूनतम जमाशेष . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. .

24.

"नो-फ्रिल्स" खाता

25.

छूट . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

26.

निषेध . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

अनुबंध I. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

अनुबंध II. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . ..

अनुबंध III. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

परिशिष्ट . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .


 

देशी, सामान्य अनिवासी और अनिवासी (बाह्य)
खातों के अंतर्गत रुपया जमाराशियों पर

ब्याज दरों से संबंधित मास्टर परिपत्र

वाणिज्य बैंकों को देशी, सामान्य अनिवासी और अनिवासी (बाह्य) खातों में अपने द्वारा स्वीकार अथवा नवीकृत की गई जमाराशियों पर, अनुबंध घ् और घ्घ् में निर्दिष्ट, जो भी लागू हो, दरों से भिन्न दरों पर, तथा नीचे के पैराग्राफों में निर्दिष्ट शर्तों से भिन्न शर्तों पर ब्याज अदा नहीं करना चाहिए ।

1. परिभाषाएं

इस परिपत्र के प्रयोजन के लिए,

(क) ‘‘मांग देयताओं’’ और ‘‘मीयादी देयताओं’’ का अर्थ किसी बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 42 की उप-धारा (2) के अंतर्गत प्रस्तुत की गई विवरणी में दर्शायी गयी देयताएं है ।

(ख) ‘‘मांग जमाराशि’’ का अर्थ बैंक द्वारा प्राप्त ऐसी जमाराशि है जो मांग पर आहरित की जा सकती हो ।

(ग) ‘‘बचत जमाराशि’’ का अर्थ उस प्रकार की मांग जमाराशि है जो जमा खाता हो, भले ही उसका नाम ‘‘बचत खाता’’, ‘‘बचत बैंक खाता’’, ‘‘बचत जमा खाता’’ या कोई ऐसा अन्य खाता हो जिसका नाम कुछ भी क्यों न हो, और जो किसी निर्दिष्ट अवधि के दौरान बैंक द्वारा अनुमत आहरणों की संख्या और साथ ही आहरणों की राशि के प्रतिबंधों के अधीन
हो ।

(घ) ‘‘मीयादी जमाराशि’’ का अर्थ ऐसी जमाराशि है, जो बैंक द्वारा किसी निश्चित अवधि के लिए प्राप्त की गयी हो और जो उक्त निश्चित अवधि समाप्त होने पर ही आहरित की जा सकती हो और इसमें आवर्ती / संचयी / वार्षिकी / पुनर्निवेश जमाराशियां, नकदी प्रमाणपत्र और इसी प्रकार की अन्य जमाराशियां शामिल होंगी ।

(ङ) ‘‘नोटिस जमाराशि’’ का अर्थ निर्दिष्ट अवधि के लिए जमा की गयी ऐसी मीयादी जमाराशि (टर्म डिपाजिट) है जिसे एक पूरे बैंकिंग दिन का नोटिस देकर निकाला जा सकता हो ।

(च) ‘‘चालू खाता’’ का अर्थ ऐसी मांग जमाराशि है जिसमें से, खाते में पड़ी राशि के आधार पर अथवा किसी विशिष्ट सहमत राशि तक के आहरण, चाहे जितनी बार किये जा सकते हों तथा उसमें ऐसे अन्य जमा खाते भी शामिल माने जायेंगे जो न तो बचत खाते हैं और न ही मीयादी खाते ।

(छ) ‘‘प्रतिकारी (काउंटरवेलिंग) ब्याज’’ का अर्थ किसी बैंक के पास उसके उधारकर्ता द्वारा चालू खाते के रूप में रखे गये किसी खाते पर अनुमत ब्याज का लाभ है ।

(ज) ‘‘बजट आबंटन’’ का अर्थ सरकार द्वारा ऐसे बजट के माध्यम से आबंटित की गयी निधि है, जिसमें सरकार के सभी व्यय दर्शाये गये हों । जिस किसी संस्था को सरकार से अनुदान, ऋण अथवा आर्थिक सहायता (सब्सिडी) प्राप्त होती है उसे बजट आबंटन पर निर्भर माना जायेगा भले ही वह सरकार का विभाग, अर्ध-सरकारी अथवा अर्ध-सरकारी जैसा निकाय हो। संस्थाओं को दिये जाने वाले सरकारी अनुदान भी बजट आबंटन के रूप में होते हैं । इन संस्थाओं की शेयर पूंजी में सरकार का अभिदान भी बजट आबंटन का ही अंग होता है । नगर निगमों, जिला परिषदों, तालुका पंचायतों और ग्राम पंचायतों जैसे स्थानीय निकायों को ‘‘क्षतिपूर्ति और समनुदेशन’’ के रूप में अनुदान दिये जाते हैं, जो बजट आबंटन का ही एक अंग होते हैं, हालांकि इन निकायों द्वारा वसूल किये गये कर केंद्रीय और राज्य सरकारों के बजट आबंटन की परिभाषा और परिधि के अंतर्गत नहीं आते ।

(झ) ‘‘सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक’’ का अर्थ भारतीय स्टेट बैंक अधिनियम, 1955 के अंतर्गत गठित भारतीय स्टेट बैंक अथवा भारतीय स्टेट बैंक (समनुषंगी बैंक) अधिनियम, 1959 की धारा 2 के खंड (ट) में परिभाषित कोई समनुषंगी (सहायक) बैंक अथवा बैंंकिग कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1970 की धारा 2 के खंड (ख) अथवा बैंकिंग कंपनी (उपक्रमों का अर्जन और अंतरण) अधिनियम, 1980 में परिभाषित कोई उसी प्रकार का नया बैंक है ।

टिप्पणी : सामान्य अनिवासी / अनिवासी (बाह्य) जमाराशियां केवल उन बैंकों द्वारा स्वीकार की जायेंगी जिन्हें रिज़र्व बैंक द्वारा ऐसी जमाराशियां स्वीकार करने के लिए प्राधिकृत किया गया हो

2. बचत जमाराशियों पर और 7 दिन (अनिवासी जमाराशियों के मामले में एक वर्ष)
से अन्यून मीयादी राशियों पर देय ब्याज दरें

(i) बैंकों को बचत-जमाराशियों और मीयादी-जमाराशियों पर ब्याज की अदायगी इस परिपत्र के अनुबंध घ् और घ्घ् में निर्दिष्ट दरों पर करना चाहिए । बैंक देशी मीयादी जमाराशियों पर अस्थिर दर पर ब्याज दे सकते हैं, जो आधार दर (ऐंकर रेट) से स्पष्ट रूप से संबद्ध हो । पारदर्शीता सुनिश्चित करने की दृष्टि से अस्थिर दर जमाराशि उत्पाद प्रस्तुत करते समय बैंकों को आंतरिक अथवा व्युत्पन्न दरों का उपयोग नहीं करना चाहिए।अपनी अस्थिर दर जमाराशियों के मूल्य निर्धारण के लिए बैंकों को केवल बाज़ार-आधारित रुपया न्यूनतम आधार दर, जो कि ग्राहक के लिए सीधे अवलोकनीय तथा पारदर्शी है,का उपयोग करना चाहिए। बैंक को भिन्न-भिन्न अवधि-पूर्णताओं के लिए ब्याज दरें निश्चित करने के लिए अपने बोर्ड / आस्ति-देयता प्रबंध समिति (यदि बोर्ड द्वारा उसे अधिकार दिया गया हो तो) का पूर्व अनुमोदन अवश्य प्राप्त करना होगा ।

(ii) ऐसे ब्याज की अदायगी तिमाही अथवा इससे अधिक के अंतरालों पर की जानी चाहिए ।

(iii) बचत जमाराशियों के मामले में, प्रत्येक कैलेंडर महीने की 10 तारीख से लेकर उसके अंतिम दिन तक खाते में जमा रहनेवाली न्यूनतम राशि पर ब्याज की गणना की जानी चाहिए और जब ब्याज 1 रुपये या अधिक हो जाए तभी उसे खाते में जमा किया जाना चाहिए ।

(iv) 17 नवंबर 2005 को भारत में कारोबार की समाप्ति के समय से, अनिवासी बाह्य बचत जमाराशियों पर ब्याज की दरें अमेरिकी डालर जमाराशियों पर 6 माह की परिपक्वता अवधि के लिए लिबॉर / स्वैप दर के बजाय देशी बचत जमाराशियों को लागू दर होने चाहिए।

(v) 17 नवंबर 2005 को भारत में कारोबार की समाप्ति के समय संविदागत एक से तीन वर्ष की नयी प्रत्यावर्तनीय अनिवासी बाह्य जमाराशियों पर ब्याज की दरें अमेरिकी डालर के लिए तदनुरूपी अवधिपूर्णता में 75 आधार अंक मिलाकर लिबॉर / स्वैप दरों से अधिक नहीं होनी चाहिए।तथापि 18 अप्रैल 2006 को भारत में कारोबार की समाप्ति के समय एक से तीन वर्ष की नयी प्रत्यावर्तनीय अनिवासी बाह्य मीयादी जमाराशियों पर ब्याज की दरें अमेरिकी डालर के लिए तदनुरूपी अवधिपूर्णता में 100 आधार अंक मिलाकर लिबॉर / स्वैप दरों से अधिक नहीं होनी चाहिए। पिछले महीने के अंतिम कार्यदिवस की स्थिति के अनुसार लिबॉर/स्वैप की दरें बाद वाले महीने के लिए दिए जाने वाले ब्याज की अधिकतम दरें निश्चित करने के लिए आधार का काम करेंगी। तीन वर्ष की जमाराशियों के लिए ऊपर निर्धारित की गई ब्याजदरें तीन वर्ष से अधिक की परिपक्वता अवधि वाली जमाराशियों पर भी लागू होंगी। ब्याज दर के उक्त परिवर्तन उन सभी अनिवासी -बाह्य जमाराशियों पर भी लागू ह्ोंगे जो उनकी वर्तमान परिपक्वता अवधि के बाद नवीकृत की जाती ह्ैं ।

3. मीयादी जमाराशियों पर ब्याज का भुगतान - ब्याज की गणना की विधि

भारतीय बैंक संघ (आई बी ए) प्रथा कोड सदस्य बैंकों द्वारा एकसमान रूप से पालन किए जाने के लिए आई बी ए द्वारा जारी किया गया है। इस कोड का उद्देश्य न्यूनतम मानक तय करके अच्छी बैंकिंग प्रथाओं को बढ़ावा देना है जिनका पालन सदस्य-बैंक अपने ग्राहकों के साथ लेनदेन में करते हैं । देशी मीयादी जमाराशियों पर ब्याज की गणना के प्रयोजन हेतु भारतीय बैंक संघ ने यह निर्धारित किया है कि जिन जमाराशियों की चुकौती तीन महीने से कम की अवधि में की जानी है या जिन मामलों में अंतिम तिमाही अधूरी रह जाती है उनमें एक वर्ष को 365 दिनों का मान कर वास्तविक दिनों की संख्या के आधार पर आनुपातिक रूप से ब्याज का भुगतान किया जाना चाहिए । हमें यह रिपोर्ट मिली है कि कुछ बैंक लीप वर्ष में 366 दिन और अन्य वर्षों में 365 दिनों को आधार मान कर ब्याज की गणना करते हैं । बैंक अपने से इसके तरीके निश्चित कर सकते हैं लेकिन उन्हें ब्याज की गणना के तरीके की उपयुक्त सूचना जमाराशियां स्वीकार करते समय अपने जमाकर्ताओं को देनी चाहिए तथा ऐसी सूचना अपनी शाखाओं में प्रदर्शित भी करनी चाहिए ।

4. सेना समूह बीमा निदेशालय, नौसेना समूह बीमा निधि तथा वायु सेना समूह बीमा सोसाइटी को अतिरिक्त ब्याज

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सेना समूह बीमा निदेशालय, नौसेना समूह बीमा निधि तथा वायु सेना समूह बीमा सोसाइटी की 2 वर्ष और उससे अधिक की मीयादी जमाराशियों पर, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जमाराशियों पर ब्याजदरों के संबंध में समय-समय पर जारी किए गए निदेशों के अनुसार देय सामान्य ब्याज दरों से अधिक 1.28 प्रतिशत वार्षिक का अतिरिक्त ब्याज देने की अनुमति दी गयी है, बशर्ते ऐसी जमाराशियां किसी भी रूप में बैंक द्वारा बीमा प्रीमियम की अदायगी से न जुड़ी हों ।

5. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंव ों / स्थानीय क्षेत्र बैंकों को अतिरिक्त ब्याज देने का विवेकाधिकार

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक / स्थानीय क्षेत्र बैंक अपने विवेकानुसार बचत जमाराशियों पर आधा प्रतिशत वार्षिक अधिक ब्याज दे सकते हैं । लेकिन इन बैंकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि वे बचत बैंक खातों पर, वाणिज्यिक बैंकों द्वारा दिए जाने वाले ब्याज की तुलना में, कोई अतिरिक्त ब्याज अदा न करें।

6. बैंक के कर्मचारियों एवं केवल उनके संघों की जमाराशियों पर एक प्रतिशत से अनधिक अतिरिक्त ब्याज देने का विवेकाधिकार

बैंक अपने विवेक के अनुसार इस परिपत्र के अनुबंध I और II में निर्दिष्ट ब्याज दर से ऊपर एक प्रतिशत वार्षिक से अनधिक अतिरिक्त ब्याज निम्नलिखित शर्तों के अधीन दे सकता है :

(6.1) निम्नलिखित के नाम से खोले गए बचत या मीयादी जमा खाते के मामले में :

(क) बैंक के स्टाफ-सदस्य अथवा सेवानिवृत्त स्टाफ-सदस्य के नाम में अकेले ही अथवा उसके परिवार के किसी सदस्य अथवा सदस्यों के साथ संयुक्त रूप से खोले गये खाते; अथवा

(ख) बैंक के मृत स्टाफ सदस्य अथवा सेवानिवृत्त मृत स्टाफ सदस्य की पत्नी / उसके पति के नाम में खोले गये खाते; और

(ग) किसी ऐसे संघ अथवा ऐसी निधि के नाम पर खोले गये खाते, जिनके सदस्य बैंक के कर्मचारी हों ।

बैंक को संबंधित जमाकर्ता से यह घोषणापत्र प्राप्त करना चाहिए कि ऐसे खाते में जमा की गयी अथवा समय-समय पर जमा की जानेवाली धनराशि ऊपर खंड (क) से (ग) तक में उल्लिखित जमाकर्ता की ही है।

(6.2) उप-पैराग्राफ (1) के प्रयोजन के लिए -

(i) ‘‘बैंक के स्टाफ-सदस्य’’ का अर्थ नियमित आधार पर नियोजित व्यक्ति है, चाहे वह पूर्णकालिक हो अथवा अंशकालिक, और इसमें ऐसा व्यक्ति शामिल है जो परिवीक्षा पर भर्ती किया गया हो अथवा निर्दिष्ट अवधि की संविदा पर अथवा प्रतिनियुक्ति पर नियोजित किया गया हो तथा समामेलन की योजना के अनुसरण में लिया गया कोई कर्मचारी, परन्तु इसमें आकस्मिक आधार पर नियोजित व्यक्ति शामिल नहीं है ;

क) दूसरे बैंक से प्रतिनियुक्ति पर लिये गये कर्मचारियों के मामले में, जिस बैंक द्वारा उन्हें प्रतिनियुक्त किया गया है वह बैंक प्रतिनियुक्ति की अवधि के दौरान उसके पास खोले गये बचत अथवा मीयादी जमा खाते के संदर्भ में अतिरिक्त ब्याज दे सकता है ।

ख) निश्चित अवधि के लिए प्रतिनियुक्ति पर अथवा निश्चित अवधि की संविदा पर लिये गये व्यक्तियों के मामले में उक्त लाभ प्रतिनियुक्ति की अवधि अथवा संविदा समाप्त होने पर, जैसी भी स्थिति हो, मिलना बंद हो जायेगा;

(ii) "बैंक के सेवानिवृत्त स्टाफ-सदस्य" का अर्थ ऐसा कर्मचारी है जो बैंक की सेवा / स्टाफ विनियमावली में दिये गये अनुसार अधिवर्षिता पर या अन्य प्रकार से सेवानिवृत्त हो रहा हो, परन्तु इसमें ऐसा कर्मचारी शामिल नहीं है जो अनिवार्य रूप से अथवा अनुशासनिक कार्रवाई के परिणामस्वरूप सेवानिवृत्त हुआ हो ;

(iii) ‘‘परिवार’’ शब्द में बैंक के स्टाफ-सदस्य / सेवानिवृत्त सदस्य की पत्नी / के पति तथा बच्चे, माता-पिता, भाई और बहन शामिल होंगे / होंगी जो ऐसे सदस्य / सेवानिवृत्त सदस्य पर निर्भर हों परंतु इनमें कानूनन संबंध-विच्छेद किये हुए पति / पत्नी शामिल नहीं हैं ।

(6.3) अतिरिक्त ब्याज की अदायगी निम्नलिखित शर्तों पर होगी, अर्थात्

(i) अतिरिक्त ब्याज केवल उस समय तक देय होगा जब तक व्यक्ति उसके लिए पात्र हो तथा उसके इस प्रकार पात्र न रहने की स्थिति में, मीयादी जमा खाते की परिपक्वता तक;

(ii) समामेलन की योजना के अनुसरण में लिये गये कर्मचारियों के मामले में अतिरिक्त ब्याज तभी देय होगा जब अतिरिक्त ब्याज सहित संविदागत दर पर ब्याज उस दर से अधिक न हो जो बैंक द्वारा ऐसे कर्मचारियों को मूलत: नियोजित किये जाने पर दिया जा सकता था।

(6.4) जिन बैंक कर्मचारी संघों में बैंक के कर्मचारी प्रत्यक्ष सदस्य न हों, वे अतिरिक्त ब्याज के लिए पात्र नहीं होंगे ।

(6.5) देशी जमाराशियों के मामले में, बैंको के लिए यह उचित होगा कि वे अपने सेवानिवृत्त स्टाफ सदस्यों को, जो कि वरिष्ठ नागरिक हैं,बैंक के स्टाफ सदस्य होने के नाते उनको देय एक प्रतिशत से अनधिक अतिरिक्त ब्याज के अतिरिक्त वरिष्ठ नागरिकों (60 वर्ष की आयु अथवा अधिक) को स्वीकार्य उच्चतर ब्याज दरों का लाभ दें।

(6.6) विद्यमान अथवा सेवानिवृत्त स्टाफ सदस्यों के अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों के मामले में स्टाफ सदस्य होने के नाते उन्हें अदा किए गये कोई अतिरिक्त ब्याज को मिलाकर ब्याज दर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित उच्चतम सीमा से अधिक नहीं होगी।

7. बैंक के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक और कार्यपालक निदेशकों की जमाराशियों पर एक प्रतिशत से अनधिक अतिरिक्त ब्याज की अदायगी से संबंधित विवेकाधिकार

बैंक अपने विवेक के अनुसार अध्यक्ष, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक, कार्यपालक निदेशक अथवा किसी ऐसे अन्य निदेशक से प्राप्त / नवीकृत जमाराशियों पर इस परिपत्र के अनुबंध घ् और घ्घ् में निर्धारित ब्याज दर से ऊपर एक प्रतिशत वार्षिक अतिरिक्त ब्याज दे सकते हैं, जो किसी निश्चित अवधि के लिए नियुक्त किये गये हों तथा जो अपनी ऐसी नियुक्ति की अवधि के दौरान उपर्युक्त पैरा 6 के अंतर्गत उसी प्रकार का लाभ पाने के हकदार न हों ।

8. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा प्रायोजक बैंक के पास रखे गये चालू खाते पर ब्याज की अदायगी का विवेकाधिकार

बैंक, अपने द्वारा प्रायोजित क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के चालू खाते पर आपस में सहमत दरों पर ब्याज अदा कर सकता है । लेकिन बैंकों को इस बात के लिए प्रोत्साहित किया जाता है कि ग्रामीण बैंकों को उनके चालू खातों पर ब्याज अदा न करें।

9. किसी किसान के संमिश्र नकदी ऋण खाते में न्यूनतम जमा शेष पर ब्याज की अदायगी का विवेकाधिकार

बैंक अपने विवेक के अनुसार, किसी किसान के संमिश्र नकदी ऋण खाते में प्रत्येक कैलेंडर महीने की 10 तारीख से लेकर महीने के अंतिम दिन तक की अवधि के दौरान न्यूनतम जमा शेष पर अपने प्रत्यक्ष ज्ञान और अन्य संबंधित बातों के आधार पर ब्याज अदा कर सकता है ।

10. वरिष्ठ नागरिकों के लिए जमा योजना

बैंकों को यह अनुमति दी गयी है कि वे अपने निदेशक मंडलों के अनुमोदन से, विशेष रूप से निवासी वरिष्ठ नागरिकों के लिए सावधि जमा योजनाएं बनायें जिनमें किसी भी राशि की सामान्य जमाराशियों के मुकाबले उच्चतर और निश्चित ब्याज दरें दी जाएं । इन योजनाओं में ऐसी सरल क्रियाविधि भी शामिल होनी चाहिए जिसमें ऐसे जमाकर्ताओं की मृत्यु हो जाने पर जमाकर्ताओं के नामितों को जमाराशियों का स्वत: अंतरण हो सके ।

11. मीयादी जमाराशि का अवधिपूर्व आहरण

(i) बैंक को जमाराशि रखते समय जितनी अवधि की सहमति हुई थी उतनी अवधि पूरी होने के पहले जमाकर्ता के अनुरोध पर मीयादी जमाराशि आहरित करने की अनुमति देनी चाहिए । अवधि पूर्ण होने से पहले मीयादी जमाराशि के आहरण के लिए अपनी स्वयं की दंडात्मक ब्याज दर निश्चित करने की बैंकों को स्वतंत्रता होगी । बैंक जमाकर्ताओं को जमा दर के साथ लागू दंडात्मक दर से भी अवगत कराना सुनिश्चित करेगा । तथापि, बैंक अपने विवेक पर व्यक्तियों और हिन्दू अविभक्त परिवारों से इतर संस्थाओं द्वारा रखी गयी बड़ी जमाराशियों के अवधि पूर्ण होने से पहले आहरण की अनुमति देने से इनकार कर सकते हैं । परंतु बैंकों को पहले से, अर्थात् ऐसी जमाराशियां स्वीकार करते समय, अवधिपूर्व आहरण की अनुमति न देने की अपनी नीति की सूचना जमाकर्ताओं को देनी चाहिए।

(ii) अनिवासी (बाह्य) मीयादी जमाराशि के निवासी विदेशी मुद्रा खाते में परिवर्तन के लिए समयपूर्व आहरण के मामले में, बैंक को समयपूर्व आहरण पर कोई दंड नहीं लगाना चाहिए । यदि ऐसी जमाराशि की न्यूनतम अवधि 1 वर्ष न हो पाई हो, तो बैंक अपने विवेकानुसार निवासी विदेशी मुद्रा खातों में रहने वाली बचत जमाराशियों पर देय दर से अनधिक की दर पर ब्याज अदा कर सकता है, बशर्तें अनिवासी (बाह्य) खाताधारी द्वारा भारत लौटने के तुरंत बाद इस प्रकार के परिवर्तन का अनुरोध किया जाये ।

(iii) अवधि पूर्ण होने से पहले अनिवासी बाह्य जमाराशि का अवधि पूर्ण होने से पहले विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशि में तथा विदेशी मुद्रा अनिवासी (बैंक) जमाराशि का अनिवासी बाह्य जमाराशि में परिवर्तन समयपूर्व आहरण से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों की शर्त पर होना चाहिए ।

(iv) अवधिपूर्णता से पूर्व अनिवासी विशेष रुपया (एन आर एस आर) / अनिवासी अप्रत्यावर्तनीय (एन आर एन आर) जमाराशि को सामान्य अनिवासी (एन आर ओ) जमाराशि में परिवर्तन अवधिपूर्व आहरण से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों के अधीन
होगा ।

(v) 1 अप्रैल 2002 से एन आर एन आर/एन आर एस आर योजनाएं समाप्त होने के परिप्रेक्ष्य में, एन आर एन आर की जमाराशि को उसकी अवधिपूर्णता पर एन आर ई खातों में जमा किया जा सकता है, परंतु इसे एफ सी एन आर (बी) खाते में जमा नहीं किया जा सकता । एन आर एस आर की राशि को उसकी अवधिपूर्णता पर एन आर ओ खातों में ही जमा किया जा सकता है । एन आर एन आर /एन आर एस आर जमाराशियों के अवधिपूर्व आहरण के मामले में, आहरित राशि को एन आर ओ खाते में ही जमा किया जाना चाहिए ।

12. मीयादी जमाराशि, दैनिक जमाराशि के रूप में जमाराशि अथवा आवर्ती जमाराशि का मीयादी जमाराशि में पुनर्निवेश के लिए परिवर्तन

जमाकर्ता के अनुरोध पर बैंक को मीयादी जमाराशि, दैनिक जमाराशि के रूप में जमाराशि अथवा आवर्ती जमाराशि के परिवर्तन की अनुमति देनी चाहिए, ताकि जमाकर्ता उपर्युक्त जमाराशियों में पड़ी राशि का दूसरी मीयादी जमाराशि में उसी बैंक में तत्काल पुनर्निवेश कर सके । बैंक को ऐसी मीयादी जमाराशि के मामले में उपर्युक्त पैराग्राफ 11 में उल्लिखित तरीके से, उक्त पैराग्राफ में उल्लिखित दंड के रूप में ब्याज कम किये बिना, ब्याज अदा करना चाहिए, बशर्ते पुनर्निवेश के बाद जमाराशि मूल संविदा की शेष अवधि से अधिक अवधि के लिए बैंक के पास ही रहे ।

13. अतिदेय जमाराशियों का नवीकरण

अतिदेय जमाराशियों के नवीकरण के सभी पहलुओं पर प्रत्येक बैंक स्वयं निर्णय लें परंतु शर्त यह होगी कि इस संबंध में उनके निदेशकमंडल पारदर्शी नीति निश्चित कर दें तथा ग्राहकों से जमाराशि स्वीकार करते समय ब्याजदरों सहित नवीकरण की सभी शर्तें उन्हें बता दी जाएँ। ऐसी नीति में किसी तरह का विवेकाधिकार नहीं होगा तथा किसी भी तरह का भेदभाव भी नहीं बरता जाना चाहिए।

14. मीयादी जमाराशि की जमानत पर दिये जाने वाले अग्रिम - ब्याज लगाने का तरीका

(क) जब किसी मीयादी जमाराशि की जमानत पर कोई अग्रिम मंजूर किया जाये और जमाराशि निम्नलिखित में से किसी के नाम पर हो तो बैंक, अनिवासी बाह्य मीयादी जमाराशियों की जमानत पर मंजूर किये गये अग्रिमों सहित (जिनकी चुकौती विदेशी मुद्रा में या रुपये में की गई हो) उक्त अग्रिमों पर अपनी मूल उधार दर के संदर्भ के बिना ब्याज दर लगाने के लिए स्वतंत्र होगा :

(i) उधारकर्ता, या तो अकेले अथवा संयुक्त रूप में,

(ii) किसी साझेदारी फर्म का कोई साझेदार और अग्रिम उक्त फर्म को दिया गया हो,

(iii) स्वामित्व वाली संस्था का स्वामी और अग्रिम उस संस्था को दिया गया हो;

(iv) कोई ऐसा आश्रित जिसका अभिभावक आश्रित के नाम पर उधार लेने के लिए सक्षम हो और ऐसी क्षमता में उक्त आश्रित के अभिभावक को अग्रिम दिया गया हो ।

उक्त मीयादी जमाराशि को, जिसकी जमानत पर अग्रिम मंजूर किया गया था, निर्धारित न्यूनतम पूर्णता अवधि के पूर्व ही आहरित कर लिया जाये तो ऐसे अग्रिम को मीयादी जमाराशि की जमानत पर मंजूर किया गया अग्रिम नहीं माना जाना चाहिए और उस पर भारतीय रिज़ॅर्व बैंक द्वारा अग्रिमों पर ब्याज दरों के संबंध में समय-समय पर जारी किये गये निदेशों के अनुसार ब्याज लगाया जाना चाहिए ।

(ख) जब किसी जमाराशि की जमानत पर कोई ऐसा अग्रिम मंजूर किया जाये जो उपर्युक्त उप खण्ड (क) में मद सं. (i) से (iv) तक की जमाराशियों के स्वरूप का न हो तो बैंक मूल उधार दर पर ध्यान दिये बिना ब्याज दर लगाने के लिए स्वतंत्र हैं, परंतु शर्त यह है कि अग्रिम 2 लाख रुपये तक ही हो । परंतु यदि अग्रिम 2 लाख रुपये से अधिक है तो बैंकों को भारतीय रिज़ॅर्व बैंक द्वारा अग्रिमों पर ब्याज दर के संबंध में समय-समय पर जारी किये गये निदेशों के अनुसार ब्याज लगाना चाहिए ।

कोई बैंक अपने विवेक से, बैंक के किसी स्टाफ-सदस्य / सेवानिवृत्त स्टाफ-सदस्य को या बैंक के मृत स्टाफ-सदस्य / सेवानिवृत्त स्टाफ-सदस्य की पत्नी /के पति को उपर्युक्त पैराग्राफ 6 में उल्लिखित उनकी मीयादी जमाराशियों की जमानत पर मंजूर किये गये 3 लाख रुपये तक के अग्रिमों के मामले में उपर्युक्त (क) पर विनिर्दिष्ट ब्याज दर नहीं भी लगा सकता है ।

(ग) अनिवासी बाह्य बचत जमाराशियों का खातेदार किसी भी समय बचत जमा आहरित कर सकता है और इसलिए बैंक को ऐसी जमाराशियों पर प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष किसी भी प्रकार का धारणाधिकार निर्दिष्ट नहीं करना चाहिए।(बैंक देशी बचत जमाराशियों के मामले में भारतीय बैंक संघ द्वारा जारी किये गये दिशानिर्देशों / इस संबंध में उनके बोर्ड द्वारा अनुमोदित विद्यमान प्रथाओं का अनुपालन करें।)

15. मीयादी जमाराशियों की जमानत पर दिये जाने वाले अग्रिमों पर मार्जिन

कोई बैंक मीयादी जमाराशि की जमानत पर दिये गये किसी भी वित्तीय निभाव पर मार्जिन के संबंध में अपने विवेक से निर्णय लेगा परंतु शर्त यह होगी कि उनके निदेशकमंडल इस मामले में पारदर्शी नीति बना लें।

16. मृत जमाकर्ताओं के जमा खातों पर देय ब्याज

(क) निम्नलिखित के नाम रहने वाली मीयादी जमाराशि के मामले में

(1) किसी मृत एकल जमाकर्ता, या

(2) दो या अधिक संयुक्त जमाकर्ता, जिनमें से एक जमाकर्ता की मृत्यु हो गयी हो,

उपर्युक्त मामलों में, जमाकर्ता की मृत्यु हो जाने की स्थिति में, अवधिपूर्ण जमाराशियों पर ब्याज की अदायगी संबंधी मानदंड निश्चित करना अलग-अलग बैंकों के विवेक पर छोड़ दिया गया है परंतु शर्त यह होगी कि उनके निदेशकमंडल इस मामले में पारदर्शी नीति बना लें।

(ख) किसी मृत व्यक्ति जमाकर्ता/एकल स्वामित्व वाले प्रतिष्ठान के नाम में खोले गए चालू खाते में पड़े शिषों के मामले में कवल 1 मई 1983 से या जमाकर्ता की मृत्यु की तारीख से, जो भी बाद में हो, दावेदारों को चुकौती की तारीख तक , भुगतान की तारीख को बचत जमाराशियों पर लागू ब्याज की दर पर ब्याज अदा किया जाना चाहिए।

नोट : अनिवासी बाह्य जमाराशि के मामले में, जब दावाकर्ता भारत के निवासी हों तो अवधिपूर्णता पर उक्त जमाराशि को देशी रुपया जमाराशि माना जाना चाहिए और आगे की अवधि के लिए समान अवधिपूर्णता की देशी जमाराशि पर लागू ब्याज दर पर ब्याज दिया जाना चाहिए ।

17. भारतीय रिज़र्व बैंक को जमाराशियों पर ब्याज में परिवर्तन तथा विभिन्न स्तरों की ब्याज दरों के अनुसार जमाराशियों के ब्रेक-अप से अवगत कराना

सितंबर 1997 में जारी किए गए वर्तमान अनुदेशों के अनुसार जमाराशियों के ढाँचे में तथा मूल उधार दर में जब भी परिवर्तन हो, बैंकों से अपेक्षित है कि वे निर्धारित प्रोफॉर्मा में (अनुदेश पुस्तिका की विवरणी सं. 7) भारतीय रिज़र्व बैंक, बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग को उसकी जानकारी दें। चूँकि बैंक हमारे मौद्रिक नीति विभाग को इस प्रकार की जानकारी देते हैं, इसलिए बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग को इस तरह की जानकारी भेजा जाना बंद कर दिया गया है।

18. संयुक्त खाताधारियों का नाम/ के नाम जोड़ना या हटाना

कोई भी बैंक सभी संयुक्त खाताधारियों के अनुरोध पर संयुक्त खाताधारी / खाताधारियों के नाम / नामों को जोड़ने या निकालने की अनुमति दे सकता है, बशर्ते परिस्थितियों के कारण ऐसा करना आवश्यक हो अथवा इसी प्रकार किसी एक जमाकर्ता को किसी अन्य व्यक्ति का नाम संयुक्त खाताधारी के रूप में जोड़ने की अनुमति दे सकता है । परंतु यदि मूल जमाराशि मीयादी जमाराशि हो तो उसकी राशि या उसकी अवधि में किसी भी तरीके से किसी भी हालत में कोई परिवर्तन नहीं होना चाहिए

किसी जमा रसीद के सभी संयुक्त खाताधारकों के अनुरोध पर कोई बैंक अपने विवेक से संयुक्त जमाराशि को केवल प्रत्येक संयुक्त खाताधारक के नाम पर हिस्सों में बांटने की अनुमति दे सकता है, बशर्ते जमा की अवधि और कुल राशि में कोई परिवर्तन न हो ।

नोट : अनिवासी बाह्य जमाराशियां केवल अनिवासी के साथ ही संयुक्त रूप से रखी जानी चाहिए । अनिवासी सामान्य खाते अनिवासियों द्वारा निवासी भारतीयों के साथ संयुक्त रूप से रखे जा सकते हैं।

19. लेनदेनों को पूर्णांकित करना

जमाराशियों पर ब्याज के भुगतान / अग्रिमों पर ब्याज लगाने सहित सभी लेनदेन निकटतम रुपये में पूर्णांकित किये जाने चाहिए अर्थात् 50 पैसे और उससे अधिक के अंश को अगले उच्चतर रुपये में पूर्णांकित किया जायेगा और 50 पैसे से कम के अंश को छोड़ दिया जायेगा । नकदी प्रमाणपत्रों के निर्गम मूल्यों को भी इसी प्रकार से पूर्णांकित किया जाना चाहिए । ग्राहकों द्वारा जारी किये गये ऐसे चेक, जिनमें रुपये का एक अंश भी हो, अस्वीकार नहीं किया जाना चाहिए अथवा उसे नकारा नहीं जाना चाहिए ।

20. मीयादी जमाराशि की रसीद जारी करना

बैंव1ें को मीयादी जमाराशि की रसीद जारी करनी चाहिए जिसमें पूरे ब्योरे यथा जारी करने की तारीख, जमाराशि की अवधि, चुकौती की तिथि, लागू ब्याज दर आदि का उल्लेख किया गया हो ।

21. रविवार / छुट्टी के दिन / गैर कारोबारी कार्य दिवस को अवधिपूर्ण होने वाली मीयादी जमाराशि पर ब्याज का भुगतान

रविवार या छुट्टी के दिन या गैर कारोबारी कार्य दिवस को या अनिवासी बाह्य जमाराशियों के मामले में शनिवार को भुगतान हेतु अवधि पूर्ण होने वाली मीयादी जमाराशियों के मामले में बैंक को उक्त जमाराशि की विनिर्दिष्ट अवधि समाप्त होने की तारीख और बाद के कार्य दिवस को जमाराशि के भुगतान की तारीख के बीच पड़ने वाले रविवार / छुट्टी के दिन / गैर कारोबारी कार्य दिवस और अनिवासी बाह्य जमाराशियों के मामले में शनिवार के लिए भी जमाराशि पर, मूल करार में निर्दिष्ट दर पर ब्याज अदा करना चाहिए ।

22. जमा संग्रहण योजनाएं

बैंकों को अपनी नयी देशी जमा संग्रहण योजनाएँ लागू करने के लिए भारतीय बैंक संघ की सहमति या भारतीय रिज़ॅर्व बैंक का पूर्व अनुमोदन प्राप्त करने की आवश्यकता नहीं है । परंतु अपने संबंधित निदेशक मंडलों के अनुमोदन से नयी देशी जमा संग्रहण योजनाएं प्रारंभ करने से पूर्व बैंक जमाराशियों पर ब्याज दरों, मीयादी जमाराशियों की अवधिपूर्णता की तारीख से पूर्व आहरण, मीयादी जमाराशियों की जमानत पर ऋणों /अग्रिमों की मंजूरी आदि के संबंध में भारतीय रिज़ॅर्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किये गये निदेशों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करें । इस संबंध में हुए उल्लंघन को गंभीरता से लिया जायेगा और ऐसा उल्लंघन होने पर बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के अनुसार अर्थदंड भी लगाया जा सकता है ।

23. बचत बैंक खातों में न्यूनतम जमाशेष

बैंकों को ग्राहकों द्वारा खाते खोले जाते समय उन्हें न्यूनतम जमाशेष बनाये रखने की अपेक्षा, और यदि न्यूनतम जमा बनाये नहीं रखा जाता तो लगाये जाने वाले प्रभार आदि के संबंध में अपने ग्राहकों को स्पष्टत: सूचित किया जाना चाहिए । बाद में लगाए जाने वाले किसी भी प्रभार की सूचना सभी जमाकर्ताओं को स्पष्ट रूप से पहले ही दी जानी चाहिए तथा इसके लिए एक महीने का नोटिस भी दिया जाना चाहिए । बैंकों को चाहिए कि वे वर्तमान खाताधारकों को, न्यूनतम निर्धारित जमाशेष के बारे में किए जाने वाले परिवर्तन, और न्यूनतम जमा न बनाये रखने पर लगाए जाने वाले प्रभार की सूचना कम से कम एक महीने पहले दें ।

24. "नो-फ्रिल्स" खाता

अत्यधिक वित्तीय समावेशन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दृष्टि से सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे "कुछ नहीं "अथवा अत्यल्प न्यूनतम शेष तथा प्रभारों वाला एक ऐसा आधारभूत बैंकिंग "नो-फ्रिल्स"खाता उपलब्ध कराएं जिससे ऐसे खाते जनसंख्या के अत्यधिक लोगों को प्राप्य हो सकें। ऐसे खातों में लेन-देनों का स्वरूप तथा संख्या प्रतिबंधित हो सकती है लेकिन उसके बारे में ग्राहक को पारदर्शी रुप में अग्रिम रूप से सूचना दी जाए। सभी बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे ऐसे "नो-फ्रिल्स" खाते की सुविधा का व्यापक प्रचार वरें। स्थानीय प्रचार माध्यमों में भी इसकी सुविधाओं तथा प्रभारों को पारदर्शी रूप से दर्शाते हुए प्रचार किया जाए।

25. छूट

उपर्युक्त पैराग्राफ में दी गयी कोई भी बात निम्नलिखित पर लागू नहीं होगी :

(i) बैंक द्वारा

(क) उधारदाता और उधारकर्ता दोनों के रूप में मांग / नोटिस / मीयादी मुद्रा बाज़ॉर में सहभागी होने के लिए अनुमति प्राप्त संस्थाओं अर्थात् सभी अनुसूचित बैंकों (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) सहकारी बैंकों तथा प्राथमिक व्यापारियों से (अनुबंध घ्घ्घ्) प्राप्त जमाराशि;

(ख) ऐसी जमाराशि, जिसके लिए बैंक ने सहभागिता प्रमाणपत्र जारी किया है,

(ग) विदेशी मुद्रा (अनिवासी) खाता (बैंक) योजना, निवासी विदेशी मुद्रा खाता और विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खातों के अंतर्गत प्राप्त जमाराशि;

(घ) आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 54 की उप धारा (2), धारा 54 ख की उप धारा (2), धारा 54 घ की उप धारा (2), धारा 54 च की उप धारा (4) और धारा 54 छ की उप धारा (2) के अनुसरण में भारत सरकार द्वारा बनायी गयी पूंजीगत लाभ खाता योजना, 1988 के अंतर्गत प्राप्त जमाराशि; और

(ङ) जमा प्रमाणपत्र योजना के अंतर्गत प्राप्त कोई जमाराशि ।

(ii) बाह्य केन्द्रों के लिखतों यथा चेकों, ड्राफ्टों, बिलों, टेलीग्राफिक / मेल अंतरणों आदि की

विलंबित वसूली पर ब्याज का भुगतान ।

26. निषेध

किसी भी बैंक को -

(क) चालू खाते पर उपर्युक्त पैराग्राफ 8 और 16(ख) में किये गये उपबंधों को छोड़कर किसी और प्रकार से ब्याज अदा नहीं करना चाहिए;

(ख) बैंक के उधारकर्ताओं द्वारा बैंक के पास रखे किसी चालू खाते पर प्रतिकारी ब्याज (काउंटर- वेलिंग इंटरेस्ट) अदा नहीं करना चाहिए;

(ग) विशिष्ट तौर पर निवासी भारतीय वरिष्ठ नागरिकों के लिए बनायी गयी सावधि जमा योजनाओं को छोड़कर जिन पर किसी भी मात्रा में सामान्य जमाराशियों की तुलना में उच्चतर और नियत ब्याज दरें दी जा सकती हैं तथा 15 लाख रुपये और अधिक की एकल मीयादी जमाराशियों को छोड़कर जिन पर जमाराशियों की मात्रा के आधार पर ब्याज व ी अलग-अलग दरों की अनुमति दी जा सकती है, अन्य जमाराशियों पर अदा किये जाने वाले ब्याज की दर के संबंध में एक ही तारीख को स्वीकार की गयी तथा एक ही अवधिपूर्णता वाली किन्हीं दो जमाराशियों के बीच भेदभाव नहीं करेगा, चाहे ऐसी जमाराशियां बैंक के एक ही कार्यालय में स्वीकार की गयी हों या अलग-अलग कार्यालयों में स्वीकार की गयी हों । अलग-अलग ब्याज दरें देने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों पर होगी :

(i) एक ही अवधिपूर्णता की जमाराशियों पर अलग-अलग ब्याजदरें देने की अनुमति 15 लाख रुपये और उससे अधिक की एकल मीयादी जमाराशियों पर लागू होगी । अत: बैंक 15 लाख रुपये और उससे अधिक की जमाराशियों के लिए एक ही ब्याज दर या अलग-अलग ब्याजदरें दे सकते हैं । एक ही अवधिपूर्णता की 15 लाख रुपये से कम की जमाराशियों के लिए एक दर ही लागू होगी ।

(ii) उन जमाराशियों सहित, जिन पर अलग-अलग ब्याजदरें देय हाेंगी, विभिन्न जमाराशियों पर देय ब्याजदरों की अनुसूची पहले से प्रकट करनी चाहिए । बैंक द्वारा दी गयी ब्याजदरें अनुसूची के अनुसार होनी चाहिए तथा उन्हें जमाकर्ता और बैंक के बीच बातचीत द्वारा तय नहीं किया जाना चाहिए ।

(घ) कोई भी बैंक जमाराशियों पर किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, संघ, संस्था अथवा किसी अन्य व्यक्ति को कमीशन या उपहार या प्रोत्साहन या किसी भी अन्य तरीके से अथवा किसी अन्य रूप में, निम्नलिखित को छोड़कर, दलाली अदा नहीं करेगा :

(i) विशेष योजना के अंतर्गत घर-घर जाकर जमाराशियों का संग्रह करने के लिए नियोजित एजेंटों को अदा किया गया कमीशन;

(ii) अधिक से अधिक 250 रुपये के साधारण उपहार; और

(iii) स्टाफ-सदस्यों को, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथाअनुमोदित, मंजूर

किया गया प्रोत्साहन।

(ङ) कोई बैंक किसी व्यक्ति, फर्म, कंपनी, एसोसिएशन, संस्था या किसी अन्य व्यक्ति को जमाराशियां जुटाने अथवा पारिश्रमिक या शुल्क या किसी भी रूप में या किसी भी ढंग से कमीशन के भुगतान पर जमाराशियों से संबद्ध उत्पादों की बिक्री के लिए नियुक्त नहीं करेगा /नहीं लगायेगा, सिवाय उक्त के खंड (घ) के उप खंड (व) में अनुमत सीमा के ।

(च)कोई बैंक जमाराशियां जुटाने के लिए पुरस्कार / लॉटरी /मुफ्त यात्राएं (भारत में और /अथवा विदेश की) आयोजित नहीं करेगा ।

(छ)कोई बैंक मौज़ूदा / संभावित ऋणकर्ताओं की ऋण आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु एजेंटों / तीसरी पार्टी के माध्यम से संसाधन जुटाने अथवा जमाराशियां जुटाने के प्रतिफल के आधार पर बिचौलियों को ऋण प्रदान करने की अनैतिक प्रथाएं नहीं अपनायेगा ।

(ज) कोई बैंक किसी अवधि विशेष के लिए बैंक द्वारा दिये जाने वाले वास्तविक साधारण ब्याजदर का उल्लेख किये बिना मीयादी जमाराशियों पर केवल मिश्र प्रतिफल को ही विशेष रूप से बताकर जनता से जमाराशियां मांगने के लिए विज्ञापन / साहित्य प्रकाशित नहीं करेगा । जमाराशि की अवधि के लिए वार्षिक साधारण ब्याजदर हर हालत में बतायी जानी चाहिए ।

(झ) कोई बैंक चालू खाते में रखी गई मार्जिन राशि पर ब्याज अदा नहीं करेगा ।

(ञ) कोई बैंक, सरकारी विभागों /अर्धसरकारी सदृश निकायों, स्थानीय निकायों आदि को प्रस्तुत करने के लिए, टेंडर देने वालों (ठेकेदारों) को चालू खाते की राशि की जमानत पर जारी ‘मांग पर जमाराशि’ रसीदों पर ब्याज अदा नहीं करेगा ।

(ट ) कोई बैंक चालू खाते की जमाराशि को छोड़कर अन्य रूप में ब्याजमुक्त जमाराशि स्वीकार नहीं करेगा या परोक्ष रूप से मुआवजा अदा नहीं करेगा ।

(ठ) कोई बैंक निजी वित्तपोषकों अथवा अनिगमित निकायों से या उनके कहने पर उनसे किसी ऐसी व्यवस्था के अंतर्गत जमाराशियां स्वीकार नहीं करेगा, जिनसे निजी वित्तपोषकों के ग्राहक / कों के पक्ष में जमा रसीद /रसीदें जारी होती हों अथवा जमाराशि की अवधि पूरी होने पर ऐसी जमाराशियां प्राप्त करने वाले ऐसे ग्राहकों के लिए मुख्तारनामें, नामन या अन्य के द्वारा प्राधिकार दिया जाये ।

(ड) कोई बैंक अन्य बैंकों की मीयादी जमा रसीदों अथवा अन्य मीयादी जमाराशियों की जमानत पर अग्रिम प्रदान नहीं करेगा ।

(ढ) कोई बैंक (i) सरकारी विभागों / अपने कार्यनिष्पादन के लिए बजट आबंटन पर निर्भर निकायों/ नगर निगमों अथवा नगर समितियों /पंचायत समितियों / राज्य आवास बोर्डों / जल और मल-निकासी / जल-निकासी बोर्डों / राज्य पाठ्यपुस्तक प्रकाशन निगमों / समितियों / महानगरीय विकास प्राधिकरण / राज्य / ज़िला स्तरीय आवास सहकारी समितियों आदि के नाम से अथवा किसी राजनीतिक दल अथवा किसी व्यापारिक / कारोबारी अथवा पेशेवर प्रतिष्ठान के नाम से बचत बैंक खाता नहीं खोलेगा, चाहे ऐसा प्रतिष्ठान स्वामित्व वाला हो अथवा कोई भागीदारी फर्म या कोई कंपनी या कोई संघ हो ।

स्पष्टीकरण :

इस खंड के प्रयोजन हेतु ‘राजनीतिक दल’ से अभिप्राय ऐसा संघ या भारत के एकल नागरिकों का निकाय है, जो भारत के निर्वाचन आयोग के यहां तत्समय प्रचलित निर्वाचन चिह्न (आरक्षण और आबंटन) आदेश, 1968 के अंतर्गत राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत है या पंजीकृत माना गया है ।

(ii) उपर्युक्त प्रतिबंध अनुबंध III में सूचीबद्ध संगठनों / एजेन्सियों के मामले में लागू नहीं
होगा ।


अनुबंध I

देशी / सामान्य अनिवासी खातों की
जमाराशियों पर ब्याज की दरें

 

डप्रतिशत वार्षिक

खाते की श्रेणी

(i) चालू शून्य

(ii) बचत* 3.5

(iii) मीयादी जमाराशियां : मुक्त

(न्यूनतम अवधि 7 दिन)

*17 नवंबर 2005 को भारत में कारोबार बंद होने के समय से देशी बचत खातों पर लागू ब्याज दर अनिवासी बाह्य बचत खाताें पर भी लागू होगी।


अनुबंध II

अनिवासी (बाह्य) खातों की जमाराशियों पर
लागू ब्याज की दरें

 

डप्रतिशत वार्षिक

(i)

चालू खाता

शून्य

(ii)

बचत खाता

17 नवंबर 2005 को भारत में कारोबार बंद होने के समय से अनिवासी बाह्य बचत जमाराशियों पर ब्याज दरें अमेरिकी डालर जमाराशियों पर 6 महीनों की परिपक्वता के लिए लिबॉर/स्वैप दर वे बजाय वही होनी चाहिए जो देशी बचत जमाराशियों पर लागू हैं।

(iii)

मीयादी जमाराशियां:

(क) 17 नवंबर 2005 को भारत में कारोबार बंद होने के समय से एक से तीन वर्ष तक की अवधि की अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों पर ब्याज दरें पिछले महीने के अंतिम कार्य दिन को तदनुरूप अवधिपूर्णता में 75 आधार अंक मिलाकर अमेरिकी डालर के लिए लिबॉर/स्वैप दरों से अधिक नहीं होनी चाहिए ।

   

(ख) 18 अप्रैल 2006 को भारत में कारोबार बंद होने के समय से एक से तीन वर्ष तक की अवधि की अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों पर ब्याजदरें पिछले महीने के अंतिम कार्य दिन को तदनुरूप अवधिपूर्णता में 100 आधार अंक मिलाकर अमेरिकी डालर के लिए लिबॉर/स्वैप दरों से अधिक नहीं होनी चाहिए

   

(ग) पूर्ववर्ती माह के अंतिम दिन की लिबॉर /स्वैप दरें परवर्ती माह से दी जाने वाली ब्याजदरों के लिए उच्चतम दरें निश्चित करने के लिए आधार होंगी ।

   

(घ)ब्याजदरों में उपर्युक्त परिवर्तन वर्तमान अवधिपूर्णता के बाद नवीकृत की गयी प्रत्यावर्तनीय अनिवासी (बाह्य) जमाराशियों के मामले में भी लागू होगा ।

   

(ङ) 29 अप्रैल 2003 से नयी अनिवासी बाह्य जमाराशियों की परिपक्वता अवधि सामान्यत: एक वर्ष से तीन वर्ष होगी।यह उनकी वर्तमान परिपक्वता अवधि के बाद नवीकृत अनिवासी बाह्य जमाराशियों पर भी लागू होगी। यदि कोई विशिष्ट बैंक अपनी आस्ति देयता प्रबंधन की दृष्टि से तीन वर्ष से अधिक परिपक्वता अवधि वाली जमाराशियां स्वीकार करना चाहता है तो वह ऐसा कर सकता है बशर्ते ऐसी दीर्घावधि जमाराशियों पर ब्याज दरें तीन वर्ष वाली अनिवासी बाह्य जमाराशियों पर लागू दर से अधिक न हों ।

   

(च)परिचालनगत सुविधा के प्रयोजन से ब्याज दरों को निकटतम दो दशमलव अंक तक पूर्णांकित किया जाए। उदाहरण के लिए 3.676प्रतिशत की गणना की गयी ब्याज दर 3.68 प्रतिशत हो जायेगी और 3.644 प्रतिशत 3.64 प्रतिशत हो जायेगी ।

   

(छ) फेडाई एक वेब पेज, जो कि रॉयटर्स स्क्रीन के सभी ग्राह्कों को प्राप्य होगा, का उपयोग करते हुए प्रत्येक महीने के अंतिम कार्य दिन के लिबॉर/स्वैप दरों को उद्धृत/प्रदर्शित करेगा। यह दरें परवर्ती माह से दी जाने वाली ब्याज दरों के लिए उच्चतम दरें निश्चित करने के लिए आधार दरों के रूप में ली जा सकती हैं।


अनुबंध III

उन संस्थाओं / निकायों की सूची जिन पर निदेश के
खण्ड 22(ढ) (i) में दिये गये प्रतिबंध लागू नहीं होंगे

(1) ऐसी प्राथमिक सहकारी ऋण समिति जिसका वित्तपोषण बैंक द्वारा किया जा रहा हो।

(2) खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड।

(3) कृषि उपज विपणन समितियां।

(4) समिति पंजीकरण अधिनियम, 1860 अथवा राज्य या किसी संघशासित क्षेत्र में लागू तदनुरूपी किसी विधि के अंतर्गत पंजीकृत समितियां।

(5) कंपनी अधिनियम, 1956 द्वारा नियंत्रित ऐसी कंपनियां जिन्हें उक्त अधिनियम की धारा 25 के अंतर्गत अथवा भारतीय कंपनी अधिनियम, 1913 के तदनुरूपी उपबंध के अंतर्गत केन्द्र सरकार द्वारा लाइसेंस दिया गया है और जिन्हें उनके नामों में ‘‘लिमिटेड’’ अथवा ‘‘प्राइवेट लिमिटेड’’ शब्द न जोड़ने की अनुमति दी गयी है ।

(6) उपर्युक्त खंड 22(ढ) (i) में उल्लिखित संस्थाओं को छोड़कर अन्य संस्थाएं और जिनकी पूरी आय आयकर अधिनियम, 1961 के अंतर्गत आयकर चुकाने से मुक्त है ।

(7) केन्द्र सरकार /राज्य सरकारों द्वारा प्रायोजित विभिन्न कार्यक्रमों / योजनाओं के कार्यान्वयन के लिए जारी अनुदानों / सब्सिडी के मामले में सरकारी विभाग / निकाय / एजेंसियां, बशर्ते वे बचत बैंक खाता खोलने के लिए संबंधित केन्द्र /राज्य सरकार के विभागों से प्राधिकरण प्रस्तुत करें ।

(8) ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और बच्चों का विकास (डी डब्ल्यू सी आर ए )।

(9) पंजीकृत या गैर-पंजीकृत ऐसे स्व-सहायता समूह (एस एच जी) जो अपने सदस्यों में बचत की आदत को बढ़ावा देने के काम में लगे हैं ।

(10) कृषकों के क्लब-विकास वालंटियर वाहिनी - वी वी वी ।


परिशिष्ट

उन निदेशों /परिपत्रों/अनुदेशों की सूची जिन्हें देशी / सामान्य अनिवासी /अनिवासी (बाह्य)
खातों में रुपया जमाराशियों पर ब्याज दरों से संबंधित मास्टर परिपत्र में
शामिल किया गया है

1.

बैंपविवि. सं. डीआइआर. 80/13.03.00/2005-06

18.04.2006

2.

बैंपविवि. सं. डीआइआर. 62/13.03.00/2005-06

08.02.2006

3.

बैंपविवि. सं. विधि. बीसी. 44/09.07.005/2005-06

11.11.2005

4.

बैंपविवि. सं. डीआइआर. 48/13.03.00/2005-06

17.11.2005


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