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79044736

मास्टर परिपत्र-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण दिया जाना

 

मास्टर परिपत्र-गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण दिया जाना

भारतीय रिज़र्व बैंक/2004-05/14

बैंपविवि /औनिऋक. सं. 7 /08.12.01 / 2004-05

01 जुलाई 2004

सभी वाणिज्यिक बैंकों के
अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक

महोदय,

मास्टर परिपत्र - गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण दिया जाना

उपर्युक्त विषय पर वफ्पया 11 मार्च 2004 का हमारा मास्टर परिपत्र औनिऋवि.सं. 9/08.12. 01/ 2002-03 देखें। हमारे विभाग द्वारा अब तक जारी किए गए सभी अनुदेशों को संलग्न मास्टर परिपत्र में समेकित करके अद्यतन बना दिया गया है।

भवदीय,

(वाई. डी. राव)

मुख्य महाप्रबंधक

संलग्नक : यथोपरि


विषय वस्तु

1.

सामान्य

2.

पंजीवफ्त गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंकवित्त

3.

ऐसी कंपनियों को बैंकवित्त जिनके लिए पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं ह

4.

रेसिडुअरी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंकवित्त

5.

कार्यशील पूँजी का निर्धारण

6.

किन गतिविधियों के लिए बैंक ऋण नहीं दिया जा सकता

7.

तात्कालिक ऋण / अंतरिम वित्त पर निषेध

 

परिशिष्ट

 

प्रमुख शब्दानुक्रमणी


गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण दिए जाने से संबंधित मास्टर परिपत्र

1. सामान्य

1.1 भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अध्याय घ्घ्घ् बी के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की वित्तीय गतिविधियों को विनियमित करता है।

1.2 जनवरी 1997 में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 में संशोधन कर दिए जाने के बाद, उक्त अधिनियम की धारा 45 घ् ए के अंतर्गत सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के लिए रिज़र्व बैंक में अपना पंजीकरण कराना अनिवार्य कर दिया गया है।

2. पंजीवफ्त गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को बैंकवित्त

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के,रिज़र्व बैंक में अनिवार्य पंजीकरण के परिप्रेक्ष्य में तथा ऋण-वितरण के मामले में बैंकों को अधिक परिचालनगत स्वतंत्रता दिए जाने की नीति के अनुरूप, निवल स्वाधिवफ्त निधि की तुलना में बैंकऋण की अधिकतम सीमा संबंधी शर्त ऐसी सभी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के संबंध में हटा ली गई है जो रिज़र्व बैंक में नियमत: पंजीवफ्त हैं तथा इक्विपमेंट लीजिंग, हायर परचेज़, लोन एण्ड इनवेस्टमेंट संबंधी कार्य प्रमुखत: कर रही हैं।

3. ऐसी कंपनियों को बैंकवित्त जिनके लिए पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं है

जिन कंपनियों के लिए रिज़र्व बैंक में पंजीकरण कराना आवश्यक नहीं है, (जैसे - व) बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 3 के अंतर्गत पंजीवफ्त बीमा कंपनियाँ; वव) कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 620 ए के अंतर्गत अधिसूचित निधि कंपनियाँ; ववव) चिटफंड का कारोबार करनेवाली ऐसी चिटफंड कंपनियाँ जिनका प्रमुख कार्य, रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-घ् (बीबी) के खण्ड (ख्वव) के स्पष्टीकरण के अनुसार, चिटफंड कारोबार है ; वख्) सेबी अधिनियम की धारा 12 के अंतर्गत पंजीवफ्त स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियाँ / मर्चेंट बैंकिंग कंपनियाँ; और ख्) राष्ट्रीय आवास बैंक द्वारा नियंत्रित की जा रही ऐसी आवास वित्त कंपनियाँ जिन्हें रिज़र्व बैंक में पंजीकरण संबंधी अपेक्षा से छूट प्रात है, उनके मामले में ऋण के प्रयोजन, संबंधित आस्तियों की प्रवफ्ति और गुणवत्ता, उधारकर्त्ताओं की चुकौती की क्षमता तथा जोखिम संबंधी अपनी समझ जैसे सामान्य कारकों के आधार पर बैंक ऋण देने के मामले में अपना निर्णय ले सकते हैं ।

4. रेसिडुअरी गैर-बैंकिंग कंपनियों को बैंकवित्त

4.1 रेसिडुअरी गैर-बैंकिंग कंपनियों के लिए भी यह अपेक्षित है कि वे रिज़र्व बैंक में अनिवार्यत: अपना पंजीकरण कराएँ । रिज़र्व बैंक में पंजीवफ्त ऐसी कंपनियों के मामले में बैंकवित्त उन कंपनियों की निवल स्वाधिवफ्त निधि तक सीमित होगा ।

4.2 निवल स्वाधिवफ्त निधि

4.2.1 बैंकों को चाहिए कि वे निवल स्वाधिवफ्त निधि के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-घ् ए के स्पष्टीकरण में दी गयी परिभाषा मानें, अर्थातॅ्

    1. निवल स्वाधिवफ्त निधि का आशय है

(क) कंपनी के नवीनतम तुलन-पत्र में बतायी गयी प्रदत्त इक्विटी पूँजी और निर्बंध आरक्षित निधियों का योग, परन्तु इसमें से निम्नलिखित को घटा दिया गया हो :-

(व) हानि का संचित शेष;
(वव) आस्थगित राजस्व व्यय ; और
(ववव) अन्य अमूर्त आस्तियाँ; तथा
(ख) साथ ही, निम्नलिखित को भी घटा दिया गया हो :-

(1) ऐसी कंपनी का निम्नलिखित के शेयरों में निवेश

(व) उसकी सहायक कंपनियाँ;
(वव) उसी समूह की कंपनियाँ;
(ववव) सभी अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ; और

(2) डिबेंचरों, बांडों और निम्नलिखित को दिए गए बकाया ऋणों तथा अग्रिमों (हायर परचेज़ व लीज़ फाइनांस सहित) का बहीमूल्य तथा निम्नलिखित के पास जमाराशियाँ -

      1. ऐसी कंपनी की सहायक कंपनियाँ; और
      2. उसी समूह की कंपनियाँ, परन्तु ऐसा ऊपर (क) पर निर्दिष्ट के 10 प्रतिशत से अधिक की राशि के मामले में ही किया जाएगा।

2. "सहायक कंपनियाँ" और "उसी समूह की कंपनियाँ" का वही अर्थ होगा जो कंपनी अधिनियम; 1956 में दिया गया है (1956 का 1)।

5. कार्यशील पूँजी का निर्धारण

5..1 रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों तथा निवेश संबंधी मानदंडों के अन्तर्गत, बैंक ऊपर निर्दिष्ट गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को दिए जाने वाले वित्त का निर्धारण कर सकते हैं तथा उन्हें उनकी आवश्यकता के अनुसार वित्त उपलब्ध करा सकते हैं परन्तु इस संबंध में शर्त यह होगी कि वे पैरा 6 में निर्दिष्ट गतिविधियों के लिए वित्त उपलब्ध न कराएँ । बैंक अपने निदेशक-मंडलों के अनुमोदन से, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को दिए जाने वाले ऋण के संबंध में पारदर्र्शी नीति बनाएँ और दिशानिर्देश निश्चित करें ।

5.2 बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को दिया जाने वाला ऋण (बिल डिस्काउंटिंग / रीडिस्काउंटिंग सहित), कार्यशील पूँजी संबंधी उनकी वास्तविक आवश्यकताओं के उपर्युक्त मूल्यांकन के बाद ऐसी कंपनियों को मंजूर की गई कार्यशील पूँजी संबंधी समग्र ऋण सीमा का अंग है ।

5.3 उपर्युक्त के परिप्रेक्ष्य में, इक्विपमेंट लीज़िंग और हायर परचेज़ फाइनांस कंपनियों को अधिकतम देय बैंकवित्त की अवधारणा के आधार पर कार्यशील पूँजी संबंधी ऋण की आवश्यकता के निर्धारण के संबंध में रिज़र्व बैंक द्वारा पहले जारी किए गए अनुदेश / दिशानिर्देश अनिवार्य नही रह जाएँगे ।

6. किन गतिविधियों के लिए बैंक ऋण नहीं दिया जा सकता

6.1. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की निम्नलिखित गतिविधियाँ बैंकऋण के लिए पात्र नहीं हैं :

    1. गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा डिस्काउंटेड / रीडिस्काउंटेड
बिल, परन्तु निम्नलिखित की बिक्री के चलते गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा डिस्काउंट किए बिलों की रीडिस्काउंटिंग इसके अंतर्गत शामिल नहीं होगी-

(क) वाणिज्यिक वाहन (हल्के वाणिज्यिक वाहनों सहित), और

(ख) दो पहिये और तीन पहिये वाले वाहन, परन्तु इस मामले में निम्नलिखित शर्तें लागू होंगी :

* निर्माता ने विक्रेता के नाम से ही बिल तैयार किया हो;

* बिल से वास्तविक बिक्री संबंधी लेने देन की जानकारी मिलती हो, जैसे चेसिस / इंजन नंबर द्वारा उसकी जानकारी मिल सके; और

* बिल को रीडिस्काउंट करने से पहले बैंकों को चाहिए कि वे बिलों को डिस्काउंट करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों की विश्वसनीयता तथा उनके पिछले रिकाड़ के संबंध में स्वत: संतुष्ट हो लें ।

(वव) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा वर्तमान और दीर्घ अवधि स्वरूप के शेयरों, डिबेंचरों इत्यादि में किए गए निवेश। तथापि स्टॉक ब्रोकिंग कंपनियों को, उनके स्टॉक-इन-ट्रेड के शेयरों और डिबेंचरों के आधार पर उनकी आवश्यकता के अनुसार ऋण उपलब्ध कराया जाना चाहिए ।

(ववव) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा किसी कंपनी में/को गैर जमानती ऋण/अन्तर-कंपनी जमा।

(वख्) गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों द्वारा उनकी सहायक कंपनियों,समूह कंपनियो/संस्थाओं को दिए गए सभी प्रकार के ऋण और अग्रिम ।

(ख्) प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गमों में अभिदान हेतु व्यक्तियों को ऋण देने के लिए गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को वित्तपोषण।

(ख्व) वर्तमान आस्तियों के अभिग्रहण (आयातित पुरानी मशीनरी को छोड़कर) के लिए मीयादी ऋण देने की बैंकों को मनाही है। लीज़िंग कंपनियों/प्रतिष्ठानों को केवल नए उपकरणों की खरीद के लिए ही बैंकवित्त प्रदान किया जाना चाहिए। बैंको को चाहिए कि वे लीज़िंग कंपनियो को वर्तमान आस्तियों के आधार पर, ऐसी आस्तियों की खरीद के लिए मीयादी ऋणों के रूप में, अथवा ऐसी आस्तियों की खरीद और उनके मोचन के लिए वित्त प्रदान न करें।

6.2 पट्टे पर तथा उप-पट्टे पर आस्तियाँ लेना और देना

(व) बैंकों को चाहिए कि वे इक्विपमेंट लीजिँग कंपनियों के साथ, तथा इक्विपमेंट लीज़िंग का काम करने वाली अन्य गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ विभागीय आधार पर पट्टा संबंधी करार न करें ।

(वव) बैंक उधारकर्त्ताओं के स्वामित्व वाले उपकरणों/मशीनरी के पट्टे के चलते प्राप्त होने वाले किराये के लिए केवल समर्थक वित्त प्रदान कर सकते हैं । इसलिए किसी गैर-बैंकिंग गैर वित्तीय कंपनी (पट्टेदारी का नाममात्र का काम करनेवाली) द्वारा या किसी गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी द्वारा किसी आस्ति के उपपट्टे के चलते प्राप्य किराये को, ऐसी कंपनी को दिए जाने वाले बैंकवित्त की गणना के प्रयोजन हेतु अलग कर दिया जाना चाहिए ।

7. तात्कालिक ऋण /अंतरिम वित्त पर निषेध

7.1. बैंकों को चाहिए कि वे सभी श्रेणियों की गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (यथा इक्विपमेंट लीजिंग व हायर परचेज़ फाइनांस कंपनियों, ऋण व निवेश कंपनियों और रेसिडुअरी गैर-बैंकिंग कंपनियों) को किसी भी तरह का तात्कालिक ऋण, या कैपिटल /डिबेंचर निर्गमों के आधार पर अंतरिम वित्त और / या पूँजी, जमाराशियों इत्यादि के रूप में बाजार से दीर्घावधिक निधि की उगाही के लम्बित रहने के आधार पर तात्कालिक स्वरूप का कोई ऋण मंजूर न करें ।

7.2 बैंकों को चाहिए कि वे इन अनुदेशों का कड़ाई से पालन करें तथा यह सुनिश्चित करें कि इन अनुदेशों का जाने-अनजाने घुमाफिराकर कुछ अन्य अर्थ लगाकर निर्बंध परक्राम्य लिखतों, अस्थायी ब्याजदर वाले बांडों इत्यादि तथा अल्पावधिक बांडों इत्यादि के भिन्न नाम से कोई ऐसा ऋण मंजूर न किया जाय जिसकी चुकौती बाहरी / अन्य स्रोतों से जुटाई जाने वाली निधि से, न कि आस्तियों के उपयोग से होने वाले अधिशेष से, की जाने वाली हो ।

 

--------

परिशिष्ट

मास्टर परिपत्रगैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियोंको ऋण दिया जाना मास्टर
परिपत्र में समेकित परिपत्रों की सूची

सं

ख्या

परिपत्र सं.

दिनांक

विषय

पैरा संख्या

1.

औनिऋवि.सं. 29/08.12.01/98-99

25.05.99

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण दिया जाना

2,3,4.1, 5.1, 5.4.1

2.

औनिऋवि.सं. 15/08.12.01/97-98

04.11.97

बैंकों द्वारा ऋण दिए जाने के संबंध में दिशानिर्देश- कार्यशील पूँजी का निर्धारण

5.3

3.

औनिऋवि.सं. 17/03.27.026/96-97

06.12.96

वर्तमान आस्तियों के क्रय/पट्टे हेतु बैंकवित्त

5.4.1 (ङव)

4.

डीबीओडी सं.एफएससी.बीसी101/ 24.01.001/

95-96

20.09.95

इक्विपमेंट लीज़िंग,हायर परचेज़ और फैक्टरिंग इत्यादि गतिविधियाँ

5.4.2

5.

औनिऋवि.सं. 42/08.12.01/94-95

21.04.95

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण दिया जाना

6.1., 6..2

6.

डीबीओडी सं.एफएससी.बीसी 71/सी.469-91-92

22.01.92

कुछ क्षेत्रों को ऋण दिए जाने पर प्रतिबंध

5.2

7.

औनिऋवि.सं. 14/08.12.01/94-95

28.09.94

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को ऋण दिया जाना

6.1

 

गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से संबंधित अनुदेशों/दिशानिर्देशों/

निर्देशों वाले अन्य परिपत्र

संख्या

परिपत्र संख्या

दिनांक

विषय

पैरा सं.

1.

डीबीओडी सं.डीआईआर.बीसी 107/ 13. 07.05 /98- 99

11.11.98

बैंकों द्वारा बिलों की रीडिस्काउंटिंग

5.4.1 (व)(ए)

2.

डीबीओडी सं.डीआईआर.बीसी 173/ 13. 07.05 / 99-2000

12.05.2000

बैंको द्वारा बिलों की रीडिस्काउंटिंग

5.4.1 (व)(बी)

3.

डीबीओडी सं.डीआईआर.बीसी 90/ 13. 07.05 /98

28.08.98

शेयरों और डिबेंचरों पर बैंकवित्त

5.4.1(वव)

4.

डीबीओडी सं.बीपी.बीसी 51/21.04.137 /2000-2001

10.11.2000

इक्विटी के लिए बैंकवित्त और शेयरों में निवेश

5.4.1(ङ)

प्रमुख शब्दानुक्रमणी

शब्द

पफ्ष्ठ संख्या

पंजीवफ्त गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ

1

रेसिडुअरी गैर-बैंकिंग कंपनियाँ

2

निवल स्वाधिवफ्त निधि

2

कार्यशील पूँजी

3

पट्टे पर तथा उप पट्टे पर आस्तियाँ लेना और देना

5

तात्कालिक ऋण / अंतरिम वित्त

5

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