मास्टर परिपत्र - भारत से विविध प्रेषण - निवासियों के लिए सुविधाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - भारत से विविध प्रेषण - निवासियों के लिए सुविधाएं
आरबीआई/2012-13/06 02 जुलाई 2012 विदेशी मुद्रा में कारोबार करने के लिए प्राधिकृत सभी व्यक्ति महोदया/महोदय मास्टर परिपत्र - भारत से विविध प्रेषण - निवासियों के लिए सुविधाएं निवासियों के लिए भारत से विविध विप्रेषण सुविधाओं की अनुमति, समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई, 2000 के भारत सरकार की अधिसूचना सं. जी.एस.आर.381(ई) के साथ पठित विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 5 के अनुसार दी जा रही है। 2. इस मास्टर परिपत्र में "भारत से विविध विप्रेषण - निवासियों के लिए सुविधाएं" विषय पर वर्तमान अनुदेशों को एक स्थान में समेकित किया गया है। इस मास्टर परिपत्र में समेकित परिपत्रों/अधिसूचनाओं की सूची परिशिष्ट-1 में दी गई है। 3. इस मास्टर परिपत्र को एक वर्ष की अवधि के लिए ("सनसेट खंड" के साथ) जारी किया जा रहा है। इस परिपत्र को 1 जुलाई 2013 को वापस ले लिया जाएगा तथा उसके स्थान पर इस विषय पर अद्यतन मास्टर परिपत्र जारी किया जाएगा। भवदीय, (रुद्र नारायण कर)
प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा विदेशी मुद्रा जारी करना 1.1 विभिन्न चालू खाता लेनदेनों के लिए भारत में निवासी व्यक्तियों को विदेशी मुद्रा जारी करने के संबंध में प्राधिकृत व्यापारी बेंकों को, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 5 (परिशिष्ट 2 कीमद 1 में दर्शाए अनुसार) के अधीन भारत सरकार द्वारा बनाए गए नियमों द्वारा नियंत्रित किया जाना है, जो भारत सरकार की 3 मई, 2000 की अधिसूचना जी.एस.आर.381(ई) (नियमावली) के अनुसार भारत सरकार द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेन-देन) नियमावली, 2000 (अनुबंध-I) में दिए गए हैं। उपर्युक्त नियमों के अनुसार अनुसूची I में सूचीबद्ध लेन-देनों की कतिपय श्रेणियों के लिए विदेशी मुद्रा का आहरण स्पष्ट रूप से निषिद्ध है। नियम की अनुसूची II में शामिल लेन-देनों की विनिमय सुविधा प्राधिकृत व्यापारी द्वारा अनुमत की जाए बशर्ते आवेदक ने उसमें दिए गए अनुसार लेन-देनों के लिए भारत सरकार के संबंधित मंत्रालय/ विभाग से अनुमोदन प्राप्त किया है। अनुसूची III में शामिल लेन-देनों के संबंध में विनिर्दिष्ट मूल्य से अधिक विप्रेषण के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होगी। अनुसूची III में विनिर्दिष्ट सीमा मूल्यों तक विदेशी मुद्रा जारी करने के अधिकार प्राधिकृत व्यापारी बैंकों को प्रत्यायोजित किए गए हैं। नियमों की अनुसूची III में निर्धारित सीमा से अधिक विदेशी मुद्रा जारी करने के लिए सभी आवेदन रिज़र्व बैंक के उस क्षेत्रीय कार्यालय के विदेशी मुद्रा विभाग, जिसके क्षेत्राधिकार में आवेदक कार्य करता है/रहता है को, भेजे जाएं। 1.2 "आहरण" में अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड (आइसीससी), अंतरराष्ट्रीय डेबिट कार्ड (आइडीसी), एटीएम कार्ड, आदि का उपयोग शामिल है। "मुद्रा" में, अन्य बातों के साथ-साथ, अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड, अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड और एटीएम कार्ड शामिल है। तदनुसार, अधिनियम के अधीन बनाए गए सभी नियम और विनियम तथा जारी किए गए निर्देश अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्डों, अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्डों और एटीएम कार्डों के उपयोग पर लागू हैं। 1.3 पर्याप्त विदेशी मुद्रा सुविधा और सक्षम ग्राहक सेवा प्रदान करने के लिए रिज़र्व बैंक ने निर्णय लिया है कि गैर व्यापारिक चालू खाता लेन-देन करने के लिए कतिपय संस्थाओं को प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II के रूप में लाइसेंस दिया जाए। तदनुसार, प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी II निम्नलिखित गैर व्यापारिक चालू खाता लेन-देनों के लिए विदेशी मुद्रा जारी करने/विप्रेषण के लिए प्राधिकृत हैं: (ए) निजी दौरे 1.4 नेपाल और भूटान की यात्रा और उनके निवासियों के साथ लेन-देनों के लिए विदेशी मुद्रा जारी करना अनुमत नहीं है (नियमावली 3 का खंड (बी) देखें) (परिशिष्ट (2) की मद 2 में दर्शाए अनुसार)। 2.1 प्राधिकृत व्यक्ति, वित्तीय वर्ष के दौरान यात्री द्वारा ली गई विदेशी मुद्रा की राशि के संबंध में दी गई घोषणा के आधार पर यात्रा प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा जारी करें। 2.2 यात्री चेक जारी किए जाने के मामले में यात्री प्राधिकृत अधिकारी के समक्ष चेक पर हस्ताक्षर करें और यात्री चेक की प्राप्ति के लिए क्रेता की प्राप्ति सूचना रिकार्ड में रखी जाए। 2.3 यात्री को बेची जा रही समग्र विदेशी मुद्रा में से विदेशी करेंसी नोट और सिक्के के रूप में निम्नलिखित सीमा के अनुसार विदेशी मुद्रा बेची जाए: i) इराक, लीबिया, इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान, रशियन फेडरेशन और स्वतंत्र देशों के कॉमन वेल्थ के अन्य गणराज्यों से इतर देशों में जानेवाले यात्री अधिकतम 3,000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य। ii) इराक अथवा लीबिया जानेवाले यात्री अधिकतम 5000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य। iii) इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान, रशियन फेडरेशन और स्वतंत्र राज्यों के कॉमन वेल्थ के अन्य गणराज्य की यात्रा पर जानेवाले यात्रियों को पूर्ण विदेशी मुद्रा जारी की जाए। 2.4 विदेशी मुद्रा की बिक्री से संबंधित फार्म ए-2 प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अन्य संबंधित दस्तावेज़ों के साथ उनके आंतरिक लेखापरीक्षकों द्वारा सत्यापन के लिए एक साल तक रखा जाए। तथापि, अधिकतम 25,000 अमरीकी डालर तक के विविध गैर व्यापारिक चालू खाता लेन-देनों के विप्रेषण आवेदनों के लिए प्राधिकृत व्यापारी अनुबंध-2 में दर्शाए अनुसार सरलीकृत आवेदन-व-घोषणा पत्र (फार्म ए-2) प्राप्त करें। प्राधिकृत व्यापारी बैंक डमी (dummy) फॉर्म ए-2 तैयार करेंगे ताकि वे भुगतान संतुलन के लिए सांख्यिकी इनपुट हेतु विप्रेषण का प्रयोजन प्रस्तुत कर सकें । 2.5 जहां स्वयं की घोषणा पर विप्रेषण की अनुमति है, आवेदन में सही ब्योरे प्रस्तुत करने की जिम्मेदारी आवेदक की रहेगी जिसने ऐसे विप्रेषणों के प्रयोजनों के संबंध में ब्योरों को अभिप्रमाणित किया है। 3.1 निवासियों को विदेश में चिकित्सा के लिए बगैर किसी बाधा अथवा समय की बरबादी के विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराने के लिए अस्पताल/ डॉक्टर द्वारा दिए गए अनुमान प्रस्तुत करने का आग्रह किए बिना उसकी स्वयं की घोषणा के आधार पर कि वह भारत के बाहर चिकित्सा के लिए विदेशी मुद्रा खरीद रहा है, प्राधिकृत व्यापारी 100,000 अमरीकी डॉलर या उसके समतुल्य राशि तक विदेशी मुद्रा जारी कर सकते हैं। 3.2 उक्त सीमा से अधिक राशि के लिए भारत के या विदेशी डॉक्टर/अस्पताल से प्राप्त अनुमान प्राधिकृत व्यापारी के समक्ष प्रस्तुत करना आवश्यक है। 3.3 विदेश यात्रा में जाने के बाद बीमार पड़ गए व्यक्ति को भारत से बाहर चिकित्सा के लिए प्राधिकृत व्यापारी विदेशी मुद्रा जारी कर सकता है। नृत्य मंडली, कलाकार आदि, जो सांस्कृतिक प्रयोजन के लिए विदेश का दौरा करना चाहते हैं, वे अपनी विदेशी मुद्रा की आवश्यकता के लिए भारत सरकार, मानव संसाधन विकास (शिक्षा और संस्कृति विभाग) मंत्रालय में आवेदन प्रस्तुत करें। प्राधिकृत व्यापारी, संबंधित मंत्रालय की स्वीकृति के आधार पर और उसमें उल्लिखित शर्तों के अधीन एक सीमा तक विदेशी मुद्रा दे सकते हैं। किसी व्यक्ति को निजी दौरे के लिए नियमावली की अनुसूची III में विनिर्दिष्ट सीमा तक विदेशी मुद्रा जारी की जा सकती है, जो किसी भी प्रयोजन के लिए भारत से बाहर की यात्रा के लिए विदेशी मुद्रा ले रहा है। कारोबार करने अथवा सम्मेलन में सहभागिता अथवा विशेष प्रशिक्षण अथवा चिकित्सा अथवा जांच के लिए विदेश जानेवाले मरीज के निर्वाह व्यय अथवा चिकित्सा / जांच के लिए विदेश जानेवाले मरीज के साथ सहायक के रूप में जाने के लिए नियमावली की अनुसूची III में विनिर्दिष्ट सीमा तक विदेशी मुद्रा जारी की जाए। ए.7 विदेशी मुद्रा सौंपने (अभ्यर्पण) की अवधि 7.1 किसी विशेष प्रयोजन के लिए खरीदी गई विदेशी मुद्रा का उस प्रयोजन के लिए उपयोग नहीं किया जाता है तो उसका उपयोग किसी अन्य पात्र प्रयोजन के लिए, जिसके लिए संबंधित नियमों/ विनियम के अंतर्गत विदेशी मुद्रा का आहरण अनुमत है, किया जा सकता है। 7.2 किसी भी निवासी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा की प्राप्ति / वसूली / खरीद / अधिग्रहण / यात्रा से लौटने की तारीख से 180 दिनों के अंदर प्राप्त / वसूली गई / खर्च न की गई / उपयोग न की गई विदेशी मुद्रा को, जैसा भी मामला हो, किसी प्राधिकृत व्यक्ति को सौंपने की सामान्य अनुमति है। 7.3 180 दिनों की उदारीकृत समान समय-सीमा केवल निवासी व्यक्तियों के लिए लागू है और वह भी माल और सेवाओं के निर्यात से अन्य क्षेत्रों में । 7.4 अन्य सभी मामलों में, विदेशी मुद्रा सौंपने के सभी विनिमय / निदेश अपरिवर्तित रहेंगे (समय-समय पर यथासंशोधित 3 मई, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 9/2000-आर बी)। ए. 8 व्यय न की गई विदेशी मुद्रा 8.1 जैसा कि ऊपर कहा गया है कि यदि निवासी व्यक्ति खर्च न की गई विदेशी मुद्रा भारत में लाता है तो उसे यात्री की वापसी की तारीख से 180 दिन के भीतर किसी प्राधिकृत व्यक्ति को सौंपना होगा। व्यक्ति, इस प्रकार लाई गई विदेशी मुद्रा का उपयोग उक्त विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान अपनी बाद की विदेश यात्रा के लिए कर सकता है । 8.2 फिर भी, वापस आनेवाला यात्री को कुल 2000 अमरीकी डॉलर की राशि तक के विदेशी मुद्रा यात्री चेक और विदेशी करेंसी नोट तथा असीमित विदेशी सिक्के, 180 दिनों के बाद भी, अपने पास रखने की अनुमति है (स्पष्टीकरण: 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फेमा.11/2000-आरबी)। यात्री इस प्रकार अपने पास रखी गई विदेशी मुद्रा का उपयोग अपनी बाद की विदेशी यात्रा के लिए कर सकता है। 8.3 भारत में निवासी व्यक्ति, विदेश में दी गई सेवा के लिए प्राप्त भुगतान, मानदेय, उपहार, दी गई सेवाओं अथवा भारत में निवास न करनेवाले किसी व्यक्ति से किसी कानूनी देयता के भुगतान आदि किसी भी स्रोत से प्राप्त करेंसी नोट, बैंक नोट अथवा यात्री चेकों के रूप में प्राप्त विदेशी मुद्रा से भारत के प्राधिकृत व्यापारी के पास निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता खोल, रख या बनाए रख सकता है। 8.4 निवासी व्यक्ति माल और/अथवा सेवाओं के निर्यात, रॉयल्टी, मानदेय आदि, और/ अथवा नजदीकी रिश्तेदारों (कंपनी अधिनियम में दी गई परिभाषा के अनुसार) से प्राप्त उपहार आदि से अर्जित और निवासी व्यक्तियों द्वारा सामान्य बैंकिंग के माध्यम से भारत में प्रत्यावर्तित विदेशी मुद्रा से भी खाता खोल सकता है/खाते में जमा कर सकता है। 8.5 करेंसी नोट, बैंक नोट और यात्री चेकों के रूप में प्राप्त विदेशी मुद्रा में से निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाते में जमा करने के लिए पात्र राशियां निम्नानुसार हैं:- (i) विदेश यात्रा के लिए किसी प्राधिकृत व्यक्ति से अधिग्रहित और उसमें से खर्च न की गई रकम अथवा (ii) भारत से बाहर किसी भी स्थान की यात्रा के दौरान सेवा प्रदान करने के लिए प्राप्त भुगतान हो परंतु जो भारत में किए गए किसी कारोबार अथवा किसी कार्य के लिए भुगतान न हो और मानदेय अथवा उपहार के रूप में अथवा (iii) भारत में निवास न करनेवाले किसी व्यक्ति से उसकी भारत की यात्रा के दौरान उसके द्वारा मानदेय अथवा उपहार अथवा दी गई सेवा अथवा किसी कानूनी देयता के भुगतान स्वरूप प्राप्त। टिप्पणीः-यदि कोई व्यक्ति 180 दिनों की निर्धारित अवधि के बाद खर्च न की गई/उपयोग न की गई विदेशी मुद्रा सौंपने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति के पास आता है तो प्राधिकृत व्यक्ति केवल इस आधार पर विदेशी मुद्रा की खरीद से मना नहीं करेगा कि निर्धारित अवधि बीत गई है। ए.9 दौरा व्यवस्था आदि के लिए विप्रेषण 9.1 प्राधिकृत व्यापारी, यात्री के अनुरोध पर उसके द्वारा यात्रा के लिए प्रस्तावित देशों में अथवा भारत से यात्रियों के लिए यात्रा की अन्य व्यवस्थाओं हेतु होटल आवास, दौरा व्यवस्था आदि के लिए उचित सीमा तक विदेशी मुद्रा विप्रेषित कर सकते हैं, बशर्ते हर मामले में प्राधिकृत व्यापारी इस बात से संतुष्ट हों कि प्रचलित नियमों, विनियमों और निदेशों के अनुसार यात्री द्वारा किसी प्राधिकृत व्यक्ति से खरीदी गई विदेशी मुद्रा (विदेश में निजी यात्रा के लिए आहरित विदेशी मुद्रा सहित) में से विप्रेषण किया जा रहा है। 9.2 प्राधिकृत व्यापारी, भारत में कार्यरत ऐसे एजेंटों के अनुरोध पर, जिनका विदेश में होटल/ एजेंटों आदि के साथ गठबंधन है, भारत के यात्रियों के लिए होटल आवास अथवा दौरे की अन्य व्यवस्था के लिए उन्हें प्रेषण भेज सकता है बशर्ते प्राधिकृत व्यापारी इस बात से संतुष्ट हों कि विदेशी मुद्रा का प्रेषण, संबंधित यात्री द्वारा किसी प्राधिकृत व्यक्ति से प्रचलित नियमों, विनियमों और निदेशों के अनुसार खरीदी गई विदेशी मुद्रा (विदेश में निजी यात्रा के लिए आहरित विदेशी मुद्रा सहित) में से किया जा रहा है। 9.3 प्राधिकृत व्यापारी, भारत में उस एजेंट के नाम में विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं जिसका भारत से आनेवाले यात्रियों को होटल आवास देने अथवा दौरे की अन्य व्यवस्था करने के लिए विदेश के होटलों/एजेंटों आदि के साथ गठबंधन है बशर्ते: ए) खाते में रकम निम्नलिखित रूप में जमा की जाती है – i) यात्री से विदेशी मुद्रा में संग्रह की गई रकम; और ii) बुकिंग/दौरे की व्यवस्था आदि रद्द करने के कारण भारत के बाहर से लौटाई गई रकम; और बी) विदेशी मुद्रा में नामे रकम भारत से बाहर उक्त पैरा 9.2 के अनुसार होटल आवास, दौरा व्यवस्था आदि के लिए किए गए भुगतान हेतु है। 9.4 प्राधिकृत व्यापारी, यात्रा आयोजकों को रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमति के बिना भारत से बाहर रेल/सड़क/जल की लागत/परिवहन प्रभार, एजेंट को देय कमीशन का निवल/ कीमत-लागत का अंतर भेजने के लिए अनुमति दे। भारत में पास / टिकटों की बिक्री भारतीय रुपयों अथवा विदेश यात्रा के लिए दी गयी विदेशी मुद्रा में भुगतान पर की जा सकती है । भारतीय रुपयों में वसूली गई पास/ टिकटों की लागत को यात्री के निजी यात्रा के लिए विदेशी मुद्रा की पात्रता में समायोजित करने की आवश्यकता नहीं है । 9.5 किसी प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से अग्रिम भुगतान/प्रतिपूर्ति पर भारत और नेपाल, बांगला देश, श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों की यात्रा के लिए भारत की य्त्रा करने वाले विदेशी यात्रियों हेतु यात्रा एजेंटें द्वारा ऐसी समेकित यात्रा व्यवस्था के लिए भारत में प्राप्त विदेशी मुद्रा के अंश को भारत से इन पड़ोसी देशों में यात्रा एजेंटों और होटल मालिकों द्वारा दी गई सेवाओं के लिए उन देशों को भेजने की आवश्यकता है। प्राधिकृत व्यापारी इस बात का सत्यापन करने के पश्चात कि पड़ोसी देशों में भेजी जानेवाली राशि (यात्रा के लिए यदि पहले कोई राशि भेजी गयी हो तो उसे शामिल कर के) भारत को वास्तविक रूप से भेजी गयी राशि से अधिक नहीं है और हिताधिकारी के निवास का देश पाकिस्तान नहीं है, प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। प्राधिकृत व्यापारी, विदेश यात्रा (निजी यात्रा अथवा किसी अन्य प्रयोजन के लिए) हेतु विदेशी मुद्रा की बिक्री पर 50,000 रुपये (पचास हजार रुपये मात्र) तक नकद रूप में भुगतान स्वीकार कर सकते हैं। यदि विदेशी मुद्रा की बिक्री की रकम 50,000 रुपये के समतुल्य रकम से अधिक हो जाती है तो भुगतान केवल (i) आवेदक के बैंक खाते पर आहरित रेखांकित चेक, अथवा (ii) आवेदक के दौरे को प्रायोजित करने वाली फर्म/कंपनी के बैंक खाते पर आहरित रेखांकित चेक, अथवा (iii) बैंकर चेक / भुगतान आदेश / डिमांड ड्रॉफ़्ट, अथवा (iv) डेबिट/क्रेडिट/प्री-पेड कार्ड बशर्ते ए) अपने ग्राहक को जानिए/एएमएल दिशानिर्देशों का पालन किया गया हो बी) विदेशी मुद्रा की बिक्री/विदेशी मुद्रा का निर्गम /यात्री चेक, बैंक द्वारा निर्धारित सीमा (क्रेडिट कार्ड/प्री-पेड कार्ड) के भीतर हों और सी) विदेशी मुद्रा क्रेता /विदेशी मुद्रा यात्री चेक तथा क्रेडिट/ डेबिट /प्री-पेड कार्ड धारक एक वही व्यक्ति हो । टिप्पणी :-जहां पर किसी एकल यात्रा/भ्रमण के लिए किसी एकल आहरण अथवा एक से अधिक बार किए गए आहरणों को मिलाकर कुल आहरित विदेशी मुद्रा के समतुल्य रकम 50,000 रुपये से अधिक हो तो उसका भुगतान चेक अथवा ड्रॉफ़्ट, द्वारा किया जाए। ए.11 अग्रिम प्रेषण - सेवाओं का आयात प्राधिकृत व्यापारी (श्रेणी – I बैंक) सेवाओं के आयात के लिए अग्रिम प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। फिर भी जहां पर रकम 500,000 अमरीकी डालर अथवा उसकी समतुल्य रकम से ज्यादा हो, तो भारत से बाहर स्थित किसी अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बैंक से गारंटी अथवा यदि ऐसी गारंटी भारत से बाहर अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बैंक की प्रतिगारंटी पर जारी की जाती हो, तो भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी से गारंटी, समुद्रपारीय हिताधिकारी से प्राप्त की जानी चाहिए। प्राधिकृत व्यापारी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कि अग्रिम प्रेषण के हिताधिकारी ने भारत के प्रेषक के साथ किए गए संविदा अथवा करार के दायित्वों को पूरा किया है, अनुवर्ती कार्रवाई करे। यदि सरकारी क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार/राज्य सरकार का कोई विभाग/उपक्रम हो, तो 100,000 अमरीकी डालर (एक सौ हजार अमरीकी डालर मात्र) अथवा उसके समतुल्य से अधिक रकम के लिए बैंक की गारंटी के बिना सेवाओं के आयात हेतु अग्रिम विप्रेषण के लिए भारत सरकार, वित्त मंत्रालय से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। ए.12 गारंटी जारी करना - सेवाओं का आयात प्राधिकृत व्यापारी सेवा आयात करनेवाले अपने ग्राहकों की ओर से गारंटी जारी कर सकते हैं, बशर्ते: ए. गारंटी राशि 500,000 अमरीकी डालर से अधिक न हो। बी. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी –I बैंक लेनदेन की वास्तविकता से संतुष्ट हो। सी. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी–I बैंक सेवाओं के आयात के लिए दस्तावेजी सबूत के सामान्य अवधि में प्रस्तुति को सुनिश्चित करता हो। डी. गारंटी निवासी और अनिवासी के बीच संविदा से होनेवाली प्रत्यक्ष संविदागत देयता की सुरक्षा के लिए हो। यदि सरकारी क्षेत्र की कंपनी अथवा भारत सरकार/राज्य सरकार का कोई विभाग/उपक्रम हो, तो 100,000 अमरीकी डालर (एक सौ हजार अमरीकी डालर मात्र) अथवा उसके समतुल्य से अधिक एकम के लिए बैंक की गारंटी के बिना सेवाओं के आयात हेतु अग्रिम विप्रेषण के लिए भारत सरकार, वित्त मंत्रालय से अनुमोदन प्राप्त करना आवश्यक है। गारंटी मांगने की स्थिति में, प्राधिकृत व्यापारी को उन परिस्थितियों की रिपोर्ट प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग, विदेशी निवेश प्रभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, मुंबई-400 001 को भेजना है जिसके कारण गारंटी मांगने की आवश्यकता पड़ी। ए.13 निवासी व्यक्तियों के लिए उदारीकृत, 2,00,000 अमरीकी डॉलर की विप्रेषण योजना 13.1 इस योजना के अधीन प्राधिकृत व्यापारी, अनुमत चालू अथवा पूंजी खाता लेन-देन अथवा संयुक्त रूप से दोनों के लिए प्रति वित्तीय वर्ष (अप्रैल-मार्च) में किसी निवासी व्यक्ति द्वारा 2,00,000 अमरीकी डालर के विप्रेषण की मुक्त रूप से अनुमति दे सकते हैं। 13.2 यह सुविधा अवयस्कों सहित समस्त निवासी व्यक्तियों को उपलब्ध है।यदि विप्रेषक अवयस्क हो तो एलआरएस घोषणा फार्म अवयस्क के असली (Natural) संरक्षक द्वारा प्रति हस्ताक्षरित किया जाए । 13.3 परिवार के सदस्यों द्वारा योजना के नियम व शर्तों के अनुपालन पर परिवार के सदस्यों के संबंध में इस सुविधा के तहत विप्रेषणों का समेकन किया जा सकता है । 13.4 योजना के तहत केवल अनुमत चालू अथवा पूंजी लेखा लेनदेनों अथवा संयुक्त रूप से दोनों के लिए प्रेषण की अनुमति दी जाती है। अन्य सभी लेनदेन, जो फेमा के तहत अन्यथा अनुमत नहीं हैं और वे जो समुद्रपारीय मंडियों/समुद्रपारीय प्रतिपक्ष को मार्जिन अथवा मार्जिन काल्स के लिए प्रेषण स्वरूप में हैं, को योजना के तहत अनुमति नहीं है। 13.5 निवासी व्यक्तियों को यह स्वतंत्रता है कि वे रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बगैर भारत से बाहर अचल संपत्ति अथवा शेयर अथवा कोई अन्य परिसंपत्ति अधिग्रहण कर सकते हैं और रख सकते हैं। 13.6 योजना के तहत 2,00,000 अमरीकी डॉलर की सीमा में निवासी व्यक्ति द्वारा उपहार और दान के लिए प्रेषण को भी शामिल किया जाएगा। 13.7 योजना के तहत विपेषणों को कला और शिल्प की वस्तुएं खरीदने में उपयोग किया जा सकता है बशर्ते लागू अन्य कानूनों तथा भारत सरकार की मौजूदा विदेश व्यापार नीति के प्रावधानों का अनुपालन किया जाये । 13.8 इस योजना का उपयोग कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना(इएसओपी) के अधिग्रहण हेतु निधियों के विप्रेषण के लिए भी किया जा सकता है । यह योजना एडीआर /जीडीआर से जुड़ी कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना के अधिग्रहण और क्वालिफिकेशन शेयरों के अधिग्रहण के अतिरिक्त है । 13.9 निवासी व्यक्ति को [कंपनी अधिनियम,1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित घनिष्ठ संबंधी/रिश्तेदार] अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के अपने घनिष्ठ संबंधी/रिश्तेदार को रुपये में उपहार/ऋण देने की अनुमति दी गई है। ऐसे उपहार/ऋण की राशि प्रति वित्तीय वर्ष के लिए 2,00,000 अमरीकी डॉलर की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर होनी चाहिए, जो उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत किसी निवासी व्यक्ति के लिए अनुमत है। यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी निवासी दान-दाता/उधारदाता की होगी कि विप्रेषित उपहार/ऋण की राशि उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत हो तथा एक वित्तीय वर्ष के दौरान उपहार/ऋण की राशि सहित उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत सभी प्रकार की विप्रेषित राशि उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत विनिर्दिष्ट समग्र सीमा से अधिक न हो। यह सुनिश्चित किया जाए कि इसके लिए विप्रेषक द्वारा केवल उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत उपलब्ध सीमा का उपयोग किया जाए और उपहार/ऋण की राशि, जैसा भी मामला हो, वास्तव में घनिष्ठ संबंधी/रिश्तेदार अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति के एनआरओ खाते में जमा की जाएगी। 13.10 इस योजना के तहत निवासी व्यक्ति, म्युचुअल फंड के यूनिटों, वेंचर फंडों, अनरेटेड डेट सिक्योरिटीज, प्रॉमिसरी नोटों आदि में निवेश कर सकता है। इसके अतिरिक्त, निवासी व्यक्ति ऐसी प्रतिभूतियों में योजना के तहत विदेश में खोले गये बैंक खाते से अलग निवेश कर सकता है (देखें 13.13)। 13.11 कोई व्यक्ति, जिसने अनिवासी के रूप में विदेश में ऋण लिया हो वह निवासी के रूप में भारत में वापस लौट आने पर इसे उसे लौटा सकता है। 13.12 डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) के रूप में जावक विप्रेषणों के लिए या तो निवासी व्यक्ति के स्वयं के नाम में या फिर उस हिताधिकारी के नाम जिसके जरिये अपनी निजी विदेश यात्रा के समय अनुमत लेनदेन करना चाहता हो, प्रेषक द्वारा निर्धारित प्रारूप में स्वयं की घोषणा पर योजना का प्रयोग किया जा सकता है । 13.13 व्यक्ति रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बगैर योजना के अधीन विप्रेषण के लिए भारत से बाहर स्थित बैंक के पास विदेशी मुद्रा खाता खोल सकते हैं, रख सकते हैं। इस योजना के अंतर्गत पात्र विप्रेषणों से होनेवाले अथवा उससे संबंधित सभी लेन-देनों को रखने के लिए विदेशी मुद्रा खाते का उपयोग किया जा सकता है। 13.14 बैंक इस योजना के तहत विप्रेषण को सुविधाजनक बनाने के लिए निवासी व्यक्तियों को किसी प्रकार की ऋण सुविधाएं उपलब्ध न कराएं। 13.15 विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) विनियमावली, 2000 की विशेष रूप से अनुसूची-I अथवा अनुसूची-II के तहत निषिद्ध किसी प्रयोजन के लिए यह योजना उपलब्ध नहीं है। 13.16 भूटान, नेपाल, मॉरीशस और पाकिस्तान को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष विप्रेषण करने के लिए यह योजना उपलब्ध नहीं है । 13.17 वित्तीय कार्रवाई कार्यदल (एफएटीएफ) द्वारा असहयोगी देशों के रूप में पहचाने गए देशों और वित्तीय कार्रवाई कार्यदल की वेबसाइट www.fatf-gafi.org पर यथा-उपलब्ध अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा यथा अधिसूचित देशों को विप्रेषण करने के लिए यह योजना उपलब्ध नहीं है। 13.18 निवासी व्यक्ति योजना के तहत लेनदेन करने के लिए अनुबंध-3 में दिए गए आवेदन व घोषणा फार्म का उपयोग करें। योजना के तहत विप्रेषण के लिए स्थायी खाता संख्या (पीएएन) होनी अनिवार्य है। 13.19 निवेशक, जिसने उदारीकृत विप्रेषण योजना के अंतर्गत निधियों का विप्रेषण किया है, उन्हें रख सकता है, किए गए निवेश पर अर्जित आय का पुनर्निवेश कर सकता है। 13.20 प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों के लिए आवश्यक है कि वे अनुबंध-7 के रूप में संलग्न संशोधित फार्मेट में, मासिक आधार पर सूचना संबंधित माह के अगले माह की पांच तारीख अथवा उससे पहले प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक, विदेशी मुद्रा विभाग (एफआईडी-ईपीडी), भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय, 11वीं मंज़िल, केंद्रीय कार्यालय भवन, मुंबई-400001 को प्रस्तुत करें। विवरण की एक सॉफ्ट प्रति (एक्सेल फार्मेट में) ई-मेल द्वारा भी भेजी जाए। यह विवरण संशोधित फॉर्मेट में ऑनलाइन रिटर्न फाइलिंग सिस्टम (ओआरएफएस) के जरिये प्रेषित किया जाये जिसके लिए सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों को भारतीय रिज़र्व बैंक, द्वारा यूजर आईडी और पासवर्ड उपलब्ध करवाये जा चुके हैं। 14.1 सामान्यतः रिज़र्व बैंक प्रलेखों का निर्धारण नहीं करेगा जिसे विदेशी मुद्रा जारी करने के समय प्राधिकृत व्यापारी द्वारा सत्यापित किया जाना है। इस संबंध में, प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान फेमा, 1999 की धारा 10 की उप-धारा (5) (परिशिष्ट 2 कीमद 3 में दर्शाए अनुसार ) की ओर आकर्षित किया जाता है जो यह प्रावधान करता है कि किसी प्राधिकृत व्यक्ति से यह अपेक्षा होगी कि विदेशी मुद्रा में लेन-देन करने का इच्छुक व्यक्ति एक ऐसी घोषणा प्रस्तुत करे और ऐसी सूचना दे जो उसे अच्छी तरह से संतुष्ट कर सके कि लेन-देन फेमा के प्रावधनों अथवा उसके अंतर्गत जारी किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश अथवा आदेश के उल्लंघन अथवा उससे बचने के प्रयोजन से नहीं किया गया है। 14.2 प्राधिकृत व्यापारियों से यह भी अपेक्षा है कि वे रिज़र्व बैंक द्वारा सत्यापन के लिए ऐसी सूचना/ प्रलेखीकरण का रेकार्ड रखें जिसके आधार पर लेनदेन किया गया है। यदि आवेदक ऐसी आवश्यकताओं का अनुपालन करने से मना करता है अथवा उसका असंतोषजनक अनुपालन करता है, तो प्राधिकृत व्यक्ति ऐसे लेनदेन करने से लिखित रूप में मना कर सकता है तथा यदि उसके पास यह विश्वास करने का कारण है कि व्यक्ति का उल्लंघन/ अपवंचन का इरादा है तो उसकी सूचना रिज़र्व बैंक को दे। 14.3 प्राधिकृत व्यापारी को विशेष रूप से यह सूचित किया गया है कि वे किसी समर्थक दस्तावेज़ की मांग न करते हुए किन्तु लेन-देनों के कतिपय मूल ब्योरों को शामिल करते हुए स्वघोषणा और फार्म ए-2 के प्रस्तुतीकरण के आधार पर विदेश में रोज़गार, इमिग्रेशन, विदेश में रहनेवाले नज़दीकी संबंधियों के जीवन निर्वाह, विदेश में शिक्षा अथवा चिकित्सा के लिए 100,000 अमरीकी डॉलर तक विदेशी मुद्रा जारी करें। इसके अलावा, किसी देश (नेपाल और भूटान को छोड़कर) की एक से अधिक निजी यात्रा के लिए एक वित्तीय वर्ष में प्राधिकृत व्यापारी द्वारा स्व-घोषणा के आधार पर 10,000 अमरीकी डालर अथवा उसके समतुल्य राशि जारी करने की वर्तमान सुविधा जारी रहेगी। प्राधिकृत व्यापारी के लिए यह बाध्यता नहीं होगी कि वह विदेश यात्रा के लिए बेची गई विदेशी मुद्रा की रकम व्यक्ति के पासपोर्ट में पृष्ठांकित करें। परंतु यात्री के अनुरोध पर वे अपनी मोहर, तारीख हस्ताक्षर के साथ और यात्री को बेची गई विदेशी मुद्रा को दर्ज करे। ए.16 अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड 16.1 विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 के नियम 5 में दिए गए प्रतिबंध निवासियों द्वारा भारत से बाहर दौरे पर रहते समय खर्चों का भुगतान करने के लिए उनके द्वारा अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के उपयोग पर लागू नहीं होगी। 16.2 निवासी, इंटरनेट पर किसी भी प्रयोजन, जिसके लिए भारत में प्राधिकृत व्यापारी से विदेशी मुद्रा खरीदी जा सकती है यथा पुस्तकों के आयात, डाउनलोड करने योग्य सॉफ्टवेयर की खरीद अथवा विदेशी व्यापार नीति के अधीन अनुमति के योग्य किसी अन्य मदों के आयात लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड का उपयोग कर सकते हैं। 16.3 अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड का उपयोग लाटरी टिकट, प्रतिबंधित अथवा गैर कानूनी घोषित पत्रिकाओं जैसी निषिद्ध वस्तुओं की खरीद, घुड़दौड़ जुए में सहभागिता, कॉल बैंक सर्विस हेतु भुगतान आदि के लिए इंटरनेट पर अथवा अन्यथा नहीं किया जा सकता है चूंकि ऐसी मदों/ कार्यकलापों के लिए विदेशी मुद्रा आहरण की अनुमति नहीं है। 16.4 इंटरनेट के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के उपयोग के लिए अलग से कोई सकल मौद्रिक सीमा निर्धारित नहीं की गई है। 16.5 वर्तमान विदेशी मुद्रा विनियमावली के अंतर्गत यथाअनुमत भारत में अथवा विदेश स्थित बैंक में किसी प्राधिकृत व्यापारी के पास विदेशी मुद्रा खाता रखनेवाले निवासी व्यक्ति विदेशी बैंकों और अन्य ख्यातिप्राप्त एजेंसियों द्वारा जारी अंतरराष्टीय क्रेडिट कार्ड (आइसीसी) प्राप्त कर सकते हैं। भारत या विदेश में क्रेडिट कार्ड पर हुए खर्चे कार्ड धारक के ऐसे विदेशी मुद्रा खाता/ खाते में रखी गई निधियों अथवा प्रेषणों, यदि कोई हो, के माध्यम से भारत से केवल उसी बैंक के माध्यम से पूरे किए जा सकते हैं जहां कार्ड धारक का चालू अथवा बचत खाता है। इस प्रयोजन के लिए विप्रेषण कार्ड जारी करनेवाली एजेंसी को सीधे किया जाए और किसी तीसरी पार्टी को नहीं। 16.6 लागू ऋण सीमा कार्ड जारी करेनवाले बैंक द्वारा निर्धारित सीमा होगी। इस सुविधा के अंतर्गत प्रेषणों के लिए, यदि कोई हो, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किसी प्रकार की मौद्रिक सीमा निर्धारित नहीं की गई है। 16.7 नेपाल और भूटान में विदेशी मुद्रा में भुगतान के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड के उपयोग की अनुमति नहीं है। ए.17 अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड 17.1 विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिकृत बैंक अंतर्राष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड जारी कर रहे हैं जिसका उपयोग निवासी अपने विदेश दौरे में विदेश में नकदी आहरण अथवा व्यापारी प्रतिष्ठान में भुगतान के लिए कर सकता है। यह स्पष्ट किया जाता है कि अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड का उपयोग केवल अनुमत चालू खाता लेनदेन के लिए किया जा सकता है तथा समय-समय पर यथासंशोधित विनियमों की अनुसूची में उल्लिखित मदवार सीमाएं इन कार्डों के उपयोग के माध्यम से किए गए भुगतानों पर समान रूप से लागू हैं। 17.2 अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड का उपयोग लाटरी टिकट, प्रतिबंधित अथवा गैर कानूनी घोषित पत्रिकाओं जैसे निषिद्ध वस्तुओं की खरीद घुड़दौड़ जुए में सहभागिता, कॉलबैक सर्विसेज़ हेतु भुगतान आदि अर्थात् ऐसी मदें/ क्रियाकलाप, जिसके लिए विदेशी मुद्रा के आहरण की अनुमति नहीं है के लिए इंटरनेट पर नहीं किया जा सकता है। 17.3 एक कैलेंडर वर्ष में, अंतर्राष्ट्रीय डेबिट कार्ड धारक द्वारा 100,000 अमरीकी डालर से अधिक के समग्र विदेशी मुद्रा के उपयोग के मामले में, प्राधिकृत व्यापारी बैंक का अंतर्राष्ट्रीय बैंकिंग प्रभाग/विदेशी मुद्रा विभाग को प्रत्येक वर्ष 31 दिसंबर की स्थिति के अनुसार निर्धारित प्रोफार्मा में एक विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक होता था। प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा कैलेण्डर वर्ष 2010 के आगे से यह विवरण प्रस्तुत करना आवश्यक नहीं है। ए.18 स्टोर वैल्यू कार्डस्/ चार्ज कार्डस्/ स्मार्ट कार्डस् आदि निजी/ व्यापारिक दौरे पर विदेश की यात्रा करनेवाले निवासियों को कतिपय प्राधिकृत व्यापारी बैंक स्टोर वैल्यू कार्डस्/चार्ज कार्डस्/ स्मार्ट कार्डस् भी जारी करते हैं जिसका उपयोग समुद्रपारीय व्यापार प्रतिष्ठानों में भुगतान साथ ही एटीएम टर्मिनल से नकदी आहरण के लिए किया जाता है। ऐसे कार्डस् जारी करने के लिए रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति की आवश्यकता नहीं है। फिर भी, ऐसे कार्डस् का उपयोग अनुमत चालू खाता लेन-देनों तक सीमित है तथा समय-समय पर यथासंशोधित नियमों के तहत निर्धारित सीमा के अधीन है। ए.19 कार्ड जारीकर्ताओं द्वारा अनुसरित प्रणाली के अनुसार ट्रैवेल कार्ड के क्रेता निवासी भारतीयों को कार्डगत विदेशी मुद्रा शेष की उपयोग न की गयी राशि, उससे किए गए अंतिम लेनदेन की तारीख से 10 दिनों के बाद वापस प्राप्त करने की अनुमति दी जाती है और तदनुसार यह शर्त ``युज़र गाइड'' में बतायी गयी है। चूँकि ये कार्ड नकदी/यात्री चेक के बदले लेनदेन के लिए उपयोग किए जा सकते हैं, अत: उपयोगकर्ता को उपलब्ध सुविधा भी तदनुरूप होनी चाहिए। तदनुसार, निवासी भारतीयों को जारी इन कार्डों में से शेष रही राशि के नकदीकरण के लिए प्राप्त अनुरोधों को ऐसे सभी प्राधिकृत व्यक्तियों द्वारा, निम्नलिखित को छोड़कर, तुरंत अदा करनी होगी : ए) अधिकृत किंतु अदावाकृत रही/अर्जक द्वारा संबंधित निपटान चक्र के पूरा होने तक निपटान के लिए भुगतान की तारीख तक बकाया रही राशि ; बी) संबंधित निपटान चक्र के पूरा न होने तक पाइपलाइनगत लेनदेनों को पूरा करने के लिए लघु राशि जो 100 अमरीकी डॉलर से अधिक नहीं होगी; और सी) भारत में रुपये में देय लेनदेन शुल्क / सेवा कर । ऐसी राशि जो अधिकृत है किंतु अर्जक द्वारा अदावाकृत/जिसका निपटान नहीं किया गया है, उसके संबंध में ऐसे कार्डों का जारीकर्ता उतनी राशि तब तक के लिए रोक कर रख सकता है जब तक अर्जक द्वारा विनिर्दिष्ट निपटान समयावधि में ऐसे लेनदेन प्रक्रियागत/निपटान के अधीन है। ए.20 कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (ईएसओपी) के अंतर्गत विदेशी प्रतिभूतियों का अधिग्रहण किसी विदेशी कंपनी के भारतीय कार्यालय अथवा शाखा जिसमें विदेशी धारिता 51% से कम नहीं है, के किसी कर्मचारी अथवा निदेशक को उपर्युक्त योजना के अधीन बगैर किसी मौद्रिक सीमा के विदेशी प्रतिभूति के अधिग्रहण की अनुमति है। वे शेयरों की बिक्री के लिए भी स्वतंत्र हैं बशर्ते उसकी प्राप्तियों को भारत को प्रत्यावर्तित किया जाता है। भारत सरकार, वित्त मंत्रालय के प्रत्यक्ष कर के केन्द्रीय बोर्ड द्वारा 9 अक्तूबर, 2002 के उनके परिपत्रसं.10/2002 में निर्धारित फार्मेटों (अनुबंध 4) में प्रेषक द्वारा दिए गए वचन पत्र और सनदी लेखाकार से प्राप्त प्रमाणपत्र की प्रस्तुति पर प्राधिकृत व्यापारी अनिवासी को विप्रेषण की अनुमति देगा ( 26 नवंबर, 2002 का ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.56 देखें)। ए.22 निवासी व्यक्ति को अपने घनिष्ठ रिश्तेदार (कंपनी अधिनियम, 1956 की धारा 6 में यथा परिभाषित रिश्तेदार) अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति को रेखित(क्रास) चेक/इलेक्ट्रानिक अंतरण के मार्फत उधार देने की अनुमति निम्नलिखित शर्तों के तहत दी जाए:- (i) ऋण ब्याज मुक्त है तथा ऋण की न्यूनतम परिपक्वता/अदायगी अवधि एक वर्ष है; (ii) किसी निवासी व्यक्ति के लिए यह ऋण राशि उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत एक वित्तीय वर्ष में विप्रेषण के लिए उपलब्ध 2,00,000 अमरीकी डालर की समग्र सीमा में होनी चाहिए। यह उधार देने वाले की जिम्मेदारी होगी कि वह यह सुनिश्चत करे कि ऋण की राशि वित्तीय वर्ष के दौरान उदारीकृत विप्रेषण योजना के तहत 2,00,000 अमरीकी डालर की सीमा के अंदर हो; (iii) यह ऋण राशि उधार लेने वाले व्यक्ति के भारत में निजी प्रयोजनों या स्वयं के कारोबार (बिजनेस) के लिए उपयोग की जाएगी; (iv) यह ऋण राशि किसी अन्य व्यक्ति द्वारा अकेले या किसी अन्य व्यक्ति के साथ मिलकर उन प्रयोजन के लिए प्रयोग नहीं की जाएगी जिनमें भारत से बाहर के व्यक्ति द्वारा निवेश पर रोक हैं, अर्थात; (ए) चिट फंड के कारोबार, या स्पष्टीकरण: उपर्युक्त मद सं. (सी) के प्रयोजन के लिए, रियल इस्टेट कारोबार में टाउनशिप का विकास, आवासीय/कमर्शियल परिसर, सड़क तथा पुलों का निर्माण शामिल नहीं होगा। (v) ऋण राशि अनिवासी भारतीय/भारतीय मूल के व्यक्ति के एनआरओ खाते में जमा की जाए। ऐसी ऋण राशि को एनआरओ खाते में जमा होने योग्य राशि माना जाए; (vi) ऋण राशि भारत से बाहर विप्रेषित नहीं की जाएगी; (vii) ऋण उधारकर्ता द्वारा सामान्य बैंकिंग चैनल के मार्फत आवक विप्रेषणों से अथवा उधारकर्ता के एनआरओ/एनआरई/एफसीएनआर खाते को नामे करके अथवा ऐसे ऋण की मंजूरी जिन शेयरों या प्रतिभूतियों या अचल संपत्ति की जमानत पर दी गयी हो, की बिक्री से हुई आमदनी से अदा किये जाएंगे । |