मास्टर परिपत्र - प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए विशेष कार्यक्रम (एसएलआरएस) - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर परिपत्र - प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए विशेष कार्यक्रम (एसएलआरएस)
भारिबैं 2006-07 /28
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी. 3/09.03.01/2006-07
जुलाई 1, 2006
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
सरकारी क्षेत्र के सभी बैंक
महोदय,
मास्टर परिपत्र - प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास के लिए विशेष कार्यक्रम (एसएलआरएस)
भारतीय रिज़र्व बैंक ने समय-समय पर बैंकों को अनुदेश / निर्देश जारी किए हैं कि वे स्वच्छकारों की मुक्ति और उनके पुनर्वास के लिए योजना आरंभ करें । बैंकों को वर्तमान अनुदेश एक ही स्थान पर उपलब्ध हो सकें इसलिए वर्तमान दिशानिर्देशों / अनुदेशों / निर्देशों को सम्मिलित करते हुए एक मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है तथा संलग्न है । हम सूचित करते हैं कि इस मास्टर परिपत्र को अद्यतन किया गया है तथा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अभी तक जारी सभी पूर्व अनुदेश सम्मिलित हैं , जो अनुलग्नक घ्ङ में निर्दिष्ट हैं ।
कृपया पावती दें ।
भवदीय
( जी. श्रीनिवासन )
मुख्य महाप्रबंधक
विषय - सूची
1. योजना
2. योजना की प्रमुख विशेषताएं
3. बैंकों की भूमिका
4. कार्यान्वयन एजेंसियाँ
5. निगरानी और मूल्यांकन
अनुलग्नक I व्यापारियों की सूची
अनुलग्नक II केन्द्रीय प्रबंध समिति का गठन
अनुलग्नक III एसएलआरएस के अन्तर्गत तिमाही प्रगति रिपोर्ट
अनुलगनक IV परिपत्रों की सूची - समेकित
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस)
भारत सरकार द्वारा स्वच्छकारों और उनके आश्रितों के पुनर्वास हेतु 22 मई 1992 से एक राष्ट्रीय योजना आरंभ की गई है । योजना का ब्योरा तथा योजना के कार्यान्वयन में बैंकों द्वारा पालन किए जाने वाले विस्तृत दिशानिर्देश भारतीय रिज़र्व बैंक के 20 मार्च 1993 के परिपत्र ग्राआऋवि.एसपी.बीसी.84/सी 665 (एसआरएस) द्वारा सरकारी क्षेत्र के सभी बैंकों को परिचालित किए जा रहे हैं ।
1. योजना
1.1 योजना का उद्देश्य 5 वर्ष की अवधि में स्वच्छकारों और उनके आश्रितों को मैला ढोने के वर्तमान पैतृक घृणित व्यवसाय से मुक्त कराके अन्य कोई सम्मानजनक व्यवसाय उपलब्ध कराना है ।
1.2 शहरी विकास मंत्रालय इस कार्यक्रम का कार्यान्वयन सूखे शौचालयों को फलश वाले शौचालयों में परिवर्तित करके करेगा ताकि स्वच्छकारों को उनके घृणित व्यवसाय से छुटकारा दिलाया जा सके, कल्याण मंत्रालय को उनके लिए वैकल्पिक व्यवसाय में उनका पुनर्वास करके योजना के कार्यान्वयन का कार्य सौंपा गया है ।
1.3 स्वच्छकार वह व्यक्ति है जो मैला ढोने के घृणित और अमानवीय कार्य में पूर्णत: अथवा आंशिक रुप से कार्यरत है । स्वच्छकार का आश्रित वह है जो उनके परिवार का सदस्य है तथा उन पर आश्रित है चाहे वह आंशिक रुप से अथवा पूर्णत: उस व्यवसाय से जुड़ा है अथवा नहीं ।
1.4 इस योजना में मुख्यतया अनुसूचित जाति के सभी स्वच्छकार तथा अन्य समुदायों के स्वच्छकार आते हैं, जो सूखे शौचालय की सफाई का कार्य करते हैं । योजना के अन्तर्गत वे व्यक्ति सहायता के पात्र नहीं है जो सूखे शौचालयों की सफाई से इतर अन्य कार्य करते हैं ।
1.5 इस समूह की बहुत सी महिलाएँ, जो इस व्यवसाय में कार्यरत हैं, परिवार के पुरुषों को अन्य सम्मानजनक व्यवसाय मिलने के बाद भी यह कार्य करती रहती हैं । अत: महिलाओं के पुनर्वास को पहली प्राथमिकता देनी चाहिए ।
1.6 योजना के निम्नलिखित घटक हैं :-
i. स्वच्छकारों और उनके आश्रितों की पहचान के लिए समयबध्द कार्यक्रम तथा सर्वेक्षण के माध्यम से वैकल्पिक व्यवसाय के लिए उनका रुझान ।
ii. स्वच्छकारों और उनके आश्रितों के लिए पहचान किए गए व्यवसाय में सरकारी प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण ।
iii. विभिन्न व्यवसायों में, सब्सिडी उपलब्ध कराके, स्वच्छकारों का पुनर्वास ।
2. मुख्य विशेषताएँ
2.1 स्वच्छकारों की विमुक्ति और पुनर्वास नामक राष्ट्रीय योजना सरकारी क्षेत्र के सभी बैंकों के लिए लागू है ।
2.2 योजना में शहरी क्षेत्र, अर्ध-शहरी क्षेत्र, ग्रामीण क्षेत्र तथा अन्य कोई नगर या क्षेत्र, सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम द्वारा निर्मित छावनी बोर्ड, कॉलोनी आदि सहित जहाँ मैला ढोया जाता है , के स्वच्छकार शामिल होंगे ।
2.3 योजना के अंतर्गत सहायता हेतु इकाई का अर्थ परिवार नहीं है बल्कि प्रत्येक स्वच्छकार तथा स्वच्छकारों का प्रत्येक आश्रित है ।
2.4 कार्यान्वयन एजेंसियों को योजना के अंतर्गत सहायता हेतु 18 वर्ष से अधिक आयु वाले उम्मीदवारों को प्रायोजित करना चाहिए क्योंकि नाबालिगों को ऋण प्रदान करने का अर्थ उन्हें स्कूल जाने के लिए निरुत्साहित करना है ।
2.5 विभिन्न प्रकार के व्यापारों में प्रशिक्षण प्रयोजन हेतु आयु सीमा 18-50 वर्ष है ।
2.6 स्वच्छकारों को प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने हेतु कोई न्यूनतम अर्हता निर्धारित नहीं की गई है ।
2.7 निजी रुप से कार्य कर रहे स्वच्छकारों तथा उनके आश्रितों के साथ-साथ स्थानीय निकायों द्वारा काम पर लगाए गए स्वच्छकारों के आश्रितों को भारत सरकार, राज्य सरकार, संघ शासित प्रशासन द्वारा स्थापित, प्रशिक्षण संस्थानों द्वारा उनके रुझान और स्थानीय अपेक्षाओं तथा पर्यावरण को ध्यान में रखते हुए पुनर्वास प्रशिक्षण उपलब्ध करवाया जाएगा ।
2.8 राज्य सरकारों और केन्द्रीय सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा चलाए जानेवाले प्रशिक्षण केन्द्रों में प्रदान की जानेवाली पुनर्वास प्रशिक्षण की अवधि एक माह से छ: माह तक होगी ।
2.9 प्रशिक्षण का संपूर्ण खर्च केन्द्रीय सरकार द्वारा उठाया जाएगा ।
2.10 स्वच्छकारों और उनके आश्रितों को उनके रुझान को ध्यान में रखते हुए उन्हें प्रदान किए जाने वाले पहचाने गए व्यापार संबंधी गतिविधियों की सूची अनुबंध घ् में दर्शाई गई है ।
2.11 योजना के अंतर्गत स्वच्छकारों को बैंकों द्वारा प्रदान ऋण, प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के अंतर्गत वर्गीकरण के लिए पात्र होंगे तथा 6500/- रु. तक के ऋण विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत होंगे ।
2.12 निधियन
2.12.1 यह योजना प्रत्येक हिताधिकारी को 50,000/- रु. तक की लागत वाली परियोजनाओं का निधियन तथा परियोजना लागत का 15% तक मार्जिन मनी 4% ब्याज दर पर उपलब्ध करवाती है ।
2.12.2 50,000/- रु. की लागत वाली परियोजनाओं के लिए अलग-अलग ब्योरा, 10,000/- रु. सब्सिडी, 7,500/- रु. मार्जिन मनी राज्य अनुसूचित जाति विकास निगम से तथा 32,500/- रु. का ऋण बैंकों से, होगा ।
2.12.3 योजना के अंतर्गत, परियोजना लागत का 50% सब्सिडी होगी जिनकी न्यूनतम सीमा 10,000/- रु. होगी ।
2.12.4 इसी प्रकार वित्तीय सहायता के लिए अधिकतम परियोजना लागत 50,000/- रु. 50% की सब्सिडी सहित जिसकी अधिकतम सीमा 10,000/- रु. और मार्जिन मनी 15% होगी ।
2.12.5 6,500/- रु. तक के ऋण को विभेदक ब्याज दर योजना के अंतर्गत 4% की रियायती ब्याज दर पर ऋण के रुप में माना जाएगा बिना इस तथ्य पर ध्यान देते हुए कि परियोजना लागत 6500/- रु. से अधिक हो सकती है । जहाँ स्वीकृत/संवितरित ऋण 6,500/- रु. से अधिक हो, वहाँ ऐसे ऋण पर ब्याज दर, भारतीय रिज़र्व बैंक के ब्याज पर निदेशों के अनुसार निर्धारित की जाएगी ।
2.12.6 बैंक को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जहाँ तक संभव हो सब्सिडी और मार्जिन मनी सहित संपूर्ण ऋण, आस्तियाँ प्राप्त करते समय एक किस्त में संवितरित किया जाए ताकि उधारकर्ता सही स्वरुप की आस्तियाँ खरीद सकें । तथापि, यदि ऋण चरणों में संवितरित किया जाता है तो बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जैसे ही स्वीकृत ऋण राशि का 25% संवितरित किया जाए, संपूर्ण सब्सिडी राशि तथा मार्जिन मनी सहायता प्रदान की जाती है ।
2.12.7 पात्रता
2.12.8 यदि किसी आवेदक को किसी सब्सिडी सहलग्न योजना के अंतर्गत पहले ही सहायता दी जा चुकी है तो भी सहायता हेतु उनके आवेदन पर विचार किया जाएगा यदि आवेदक अन्यथा पात्र हो । तथापि, वर्तमान चूककर्ता आवेदक सहायता के लिए पात्र नहीं होगा । परिवार के एक चूककर्ता सदस्य को परिवार के अन्य सदस्य के सहायता के लिए आवेदन पर विचार करते समय बाधक नहीं माना जाएगा ।
2.12.9 अनुसूचित जाति विकास निगम को आर्थिक रुप से सक्षम बड़ी परियोजनाएँ तैयार करने तथा स्वच्छकारों के बीच स्वयं सहायता की भावना उत्पन्न करने के लिए "समूह परियोजनाओं " की अनुमति दी जाती है । अनुसूचित जाति विकास निगम को समूह परियोजनाएँ बनानी चाहिए तथा स्वीकार्य सब्सिडी और मार्जिन मनी ऋण को जोड़ना चाहिए ।
2.12.10 प्रतिभूति
ऋण/सब्सिडी से सृजित आस्तियों का दृष्टिबंधक जो बैंकों के पक्ष में होगा, उसे ही ऋण के लिए प्रतिभूति माना जाएगा । अनुसूचित जाति विकास निगम को उनकी मार्जिन मनी ऋण सहायता कवर करने के लिए इन आस्तियों पर दूसरे/समरुप प्रभार की अनुमति है ।
2.12.11 चुकौती
ऋण की चुकौती 3 से 7 वर्ष के भीतर मासिक/तिमाही किस्तों में होगी जिसमें छ:माह से अनधिक रियायत अवधि शामिल होगी । वसूली में से पहले बैंकों को देय राशि की वसूली की जाएगी । वसूली तेज करने के लिए बैंकों को नियमित वसूली अभियान आयोजित करने चाहिए तथा सहायता राशि से खरीदी गई आस्तियों के उचित रख-रखाव की जाँच करने हेतु उधारकर्ताओं के पास दौरे भी करने चाहिए ।
2.12.12 ऋण पास-बुक
उधारकर्ता को वित्त पोषण करनेवाले बैंक द्वारा एक ऋण पास बुक जारी की जाएगी जिसमें उनका नाम, पता, ऋण की तारीख और राशि, प्रयोजन, ब्याज दर, चुकौती की अवधि, चुकौती की किस्तों की संख्या एवं राशि, देय ब्याज का भुगतान एवं राशि यदि कोई चूक न हो, आदि दर्शाया जाएगा । उधारकर्ता को प्रदान की गई सब्सिडी की राशि तथा संवितरण की तारीख भी दर्शाई जाएगी ।
3. बैंकों की भूमिका
3.1 योजना के प्रति दृष्टिकोण लक्ष्य उन्मुख के बजाय रोजगार/आय उन्मुख होना चाहिए । योजना का सफल कार्यान्वयन बैंकों द्वारा सभी स्तरों पर प्रभावी सहभागिता और निगरानी पर निर्भर है । अत: बैंकों को इस पहलू पर विशेष ध्यान देना चाहिए तथा यह सुनिश्चित करना चाहिए कि योजना के कार्यान्वयन में राज्य स्थानीय अनुसूचित जाति विकास एवं वित्त निगम के निकट संपर्क में रहते हुए शाखाएँ पर्याप्त संख्या में प्रभावी रुप से भाग लें ।
बैंकों को वार्षिक कार्य योजना के अन्तर्गत जिलों के योजना के अन्तर्गत कुल लक्ष्य को यथानुपाती रुप से वितरित करते हुए हिताधिकारियों को वित्तपोषण के लिए शाखाओं के परिचालन क्षेत्र में पात्र हिताधिकारियों की उपलब्धता के अनुसार जिला कार्य योजना में कवर की गई सभी बैंक शाखाओं के बीच लक्ष्य आबंटित करने चाहिए । योजना के कार्यान्वयन के लिए बैंक उनकी शाखाओं/नियंत्रक कार्यालयों को उचित अनुदेश जारी कर सकते हैं ।
3.2 बैंकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि उनकी शाखाएँ आवेदक हिताधिकारियों को पूरा सहयोग प्रदान कर रही हैं तथा ऐसे दस्तावेजों, गारंटियों आदि की मांग नहीं कर रही हैं जिनका उल्लेख योजना में नहीं किया गया है ।
3.3 बैंकों को हिताधिकारी से मीयादी जमा के रुप में राशि जमा करने हेतु जोर नहीं डालना चाहिए ।
3.4 बैंकों को हिताधिकारियों और बैंकों के बीच रहनेवाले मध्यस्थों को हटाने के लिए सरल एवं पारदर्शी क्रियाविधि अपनानी चाहिए तथा आवेदनों का शीघ्र निपटान समय पर करना चाहिए ।
3.5 25000/- रु. तक की ऋण सीमावाले सभी ऋण आवेदनों को पखवाड़े में तथा 25,000/-रु. से अधिक वाले आवेदनों को 8 से 9 सप्ताह में निपटा देना चाहिए ।
3.6 आवेदनों की प्राप्ति एवं निपटान का, अपेक्षित किए अनुसार, सही रिकार्ड रखा जाना चाहिए ।
3.7 शाखा प्रबंधक आवेदन अस्वीकृत कर सकते हैं (अजा/अजजा के अतिरिक्त), बशर्ते कि अस्वीकृत मामले उसके बाद प्रभागीय/क्षेत्रीय प्रबंधकों द्वारा सत्यापित किये जाते हैं । आवेदन बिना किसी ठोस कारण के अस्वीकृत नहीं किये जाएं । आवेदनों की अस्वीकृति का कारण अस्वीकृत आवेदनों पर निश्चित रुप से अभिलिखित करना चाहिए ।
3.8 निर्धारित समय-सीमा से अधिक समय तक लंबित सभी ऋण आवेदन प्राथमिकता के आधार पर निपटाये जाने चाहिए ।
3.9 राज्य स्तरीय बैंकर समिति की बैठकों आदि में अग्रणी बैंक योजना के अंतर्गत विभिन्न मंचों पर बैंकों के कार्यनिष्पादन की समीक्षा आवधिक रुप से की जाए ।
3.10 हिताधिकारियों को उधार के लिए प्रोत्साहन देने के लिए बैंक के कर्मचारियों को उनका रुख बदलने के लिए शिक्षा देना तथा नया रवैया अपनाने के लिए प्रयास किये जाने चाहिए ।
3.11 बैंकों को लक्ष्य प्राप्त करने के लिए पूर्व-स्वीकृति संवीक्षा में सुधार लाना चाहिए और संवितरण पश्चात् अनुवर्ती कार्रवाई सख्ती से की जानी चाहिए ।
3.12 आवेदनों की छंटाई करने के लिए कलेक्टर के अधीन जिला स्तरीय समिति का गठन किया जाए, जिसमें जिला प्रबंधक समाज कल्याण अधिकारी तथा अग्रणी बैंकों के प्रतिनिधि हों । समिति की बैठक आवधिक रुप से, कम से कम दो माह में एक बार होनी चाहिए ।
3.13 अग्रणी बैंक और अनुसूचित जाति विकास निगम की संयुक्त समिति का गठन किया जाए जो योजना के कार्यान्वयन का निरीक्षण करें, प्रक्रियागत बाधाओं को दूर करें और इस बात को टाल सकें कि आवेदनों की अस्वीकृति तकनीकी रुप से अपरिहार्य कारणों से इतर न हो ।
4. कार्यान्वयन एजेंसियां
राष्ट्रीय स्तर
4.1 समाज कल्याण मंत्रालय राष्ट्रीय स्तर पर कार्यान्वयनकर्ता एवं मुख्य एजेंसी है । सचिव समाज कल्याण मंत्रालय की अध्यक्षता में एक मध्यवर्ती निगरानी समिति है, जिसमें शहरी विकास ग्रामीण विकास, श्रम, शिक्षा, बैंकिंग, लघु उद्योग, आयोजना आयोग के मंत्रालय/विभागों और राज्य सरकारों के प्रतिनिधि होते हैं । समिति योजना के कार्यान्वयन का मूल्यांकन और संगठित कार्रवाई करने के लिए तीन महीने में एक बार मिलती है । समिति के गठन संबंधी जानकारी अनुबंध घ्घ् में दी गयी है ।
राज्य स्तर
4.2 राज्य के अनुसूचित जाति समाज कल्याण का प्रभारी सचिव योजना के कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार होता है । वह केंद्र सरकार और राज्य सरकार के विभागों के साथ योजना के कार्यान्वयन में समन्वय रखता है । योजना के कार्यान्वयन के लिए राज्य स्तरीय अनुसूचित जाति विकास और वित्त निगम मुख्य एजेंसी है ।
जिला स्तर
4.3 योजना के समग्र कार्यान्वयन के लिए जिला कलेक्टर / जिला मैजिस्ट्रेट / उप आयुक्त जिम्मेदार होता है ।
राज्य अनुसूचित जाति वित्त और विकास निगमों के जिला प्रबंधक/सहायक प्रबंधक योजना के दैनिक कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार हैं ।
स्थानीय निकाय स्तर
4.4 प्रत्येक नगर के लिए जहां स्वच्छकारों की संख्या 100 या 100 से अधिक हो, वहां राज्य सरकार/जिला कार्यालय/जिला कलेक्टर एक छोटी समिति गठित करता है । जिला अधिकारी उचित प्रतिनिधि मोहल्ला समिति गठित कर सकता है, जिसमें योग्य व्यक्ति/अधिकारी अध्यक्ष और आयोजक के रुप में हों । स्थानीय निकाय स्तर समिति और मोहल्ला समिति स्वच्छकारों की पहचान करने और कार्यक्रम के कार्यान्वयन में चर्चा हेतु मंच उपलब्ध कराने या उपचारात्मक कार्रवाई आरंभ करने में सहायक होगी ।
5. निगरानी और मूल्यांकन
राष्ट्रीय, राज्य, जिला और नगर स्तरों कार्यरत कार्यान्वयनकर्ता एजेंसियां योजना के कार्यान्वयन की निगरानी और मूल्यांकन करती हैं और सुधारात्मक कार्रवाई करती हैं ताकि कार्यक्रम निर्धारित लक्ष्य के अनुसार कार्यान्वित होता रहे ।
5.1 कार्यान्वयनकर्ता शाखा अनुबंध घ्घ्घ् के अनुसार अग्रणी बैंक अधिकारी (अग्रणी बैंक की शाखाओं के मामले में) या जिला समन्वयक (अन्य बैंकों की शाखाओं के मामले में) और उनके संबंधित नियंत्रक कार्यालयों को भी मासिक विवरण प्रस्तुत करेंगी । संबंधित अग्रणी बैंक अधिकारी / जिला समन्वयक जिले के अपने बैंक की सभी शाखाओं के बारे में उसी फार्मेट में आंकड़े समेकित करेगा ताकि योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिला अधिकारी को भी भेजने चाहिए ताकि जिला परामर्शदात्री समिति की बैठकों में समीक्षा हेतु बैंक-वार आँकड़े रखे जा सकें ।
5.2 बैंकों के नियंत्रक कार्यालयों को अपने क्षेत्राधिकार में आनेवाली सभी शाखाओं से संबंधित आंकड़े समेकित करने चाहिए और वे आंकड़े राज्य स्तर के क्षेत्रीय / आंचलिक कार्यालयों को प्रस्तुत करने चाहिए । बैंकों के क्षेत्रीय / आंचलिक कार्यालयों को राज्य स्तर पर पूरे राज्य के लिए उनकी शाखाओं द्वारा योजना के कार्यान्वयन में की गयी प्रगति की समीक्षा करनी चाहिए । प्रत्येक बैंक के क्षेत्रीय / आंचलिक कार्यालयों द्वारा राज्य / संघ शासित क्षेत्र स्तर के आंकड़े राज्य स्तरीय बैंकर समिति के आयोजकों को राज्य स्तरीय बैंकर समिति की बैठकों में समीक्षा हेतु उपलब्ध कराने चाहिए । इस विवरण की एक प्रति भारतीय रिज़र्व बैंक के ग्राआऋवि के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को भी प्रस्तुत करनी चाहिए ।
5.3 बैंकों के क्षेत्रीय / आंचलिक कार्यालयों को राज्य / संघ शासित क्षेत्रवार आंकड़े बैंकों के मुख्य कार्यालयों को समीक्षा हेतु उपलब्ध कराने चाहिए । बैंकों के प्रधान कार्यालयों को ऐसे विवरणों के आधार पर योजना के अंतर्गत बैंकों के कार्यनिष्पादन की समीक्षा करनी चाहिए । बैंकों के प्रधान कार्यालय ग्राआऋवि, भारतीय रिज़र्व बैंक, केंद्रीय कार्यालय को संबंधित आँकड़े माह के समाप्त होने के एक माह के भीतर राज्य / संघ शासित क्षेत्र वार भेजेंगे ।
5.4 बैंकों के नियंत्रक / क्षेत्रीय / आंचलिक / प्रधान कार्यालयों और साथ ही साथ राज्य स्तरीय बैंकर समिति के आयोजकों द्वारा आँकड़े भेजने के लिए अनुबन्ध घ्घ्घ् में दिए फार्मेट का प्रयोग किया जाएगा ।
अनुबंध I
व्यावसायिक गतिविधियों की सूची
1.6 (ववव) के अनुसार
कृषि और संबध्द क्षेत्र |
फोटो स्टूडियो |
बैल और बैलगाड़ी |
रेफ्रीजरेटर/कूलर आदि की मरम्मत |
डीज़ल पंपसेटों और पाइपलाइनों की आपूर्ति |
दो पहियों /तीन पहियों वाले वाहनों की सर्विसिंग |
आम की बागबानी |
ऑटो रिक्षा |
सुअर पालन |
साइकल मरम्मत दुकानें |
रेशम उत्पादन |
पंपसेटों की मरम्मत |
काजू प्रसंस्करण |
बढ़ईगिरी |
चटाइयां आदि का निर्माण |
प्लंबिंग और सेनिटरी |
लघु उद्योग क्षेत्र |
रीटेल डीलरशिप |
ऑटोमोबाइल वर्कशॉप |
लोहारगिरी |
प्रिंटिंग प्रेस/बुक बाइंडिंग |
शीट मेटल वर्क |
फर्नीचर बनाना |
टेलरिंग |
लकड़ी की गाड़ी बनाना |
पान और सिगरेट की दुकान |
वस्त्र उत्पाद |
ज्यूस विक्रेता |
टेबल मोल्डेड ब्रिक्स |
फल और सब्जी बेचना |
रेशा उत्पाद |
आइस्क्रीम विक्रेता |
पॉवर लूम |
न्यूजपेपर व मैगेजिन की दुकान |
हँडलूम वीविंग |
प्रेस आयर्न, टोस्टर, गीज़र आदि घरेलू उपकरणों की मरम्मत |
सिल्क रीलिंग |
पैकिंग |
पत्थर का सामान बनाना |
डीज़ल इंजिनों, विद्युत मोटरों,आदि की मरम्मत |
टोबॅको बार्न |
घड़ी की मरम्मत |
खिलौने और गुड़िॅया बनाना |
दीवारें, दरवाजें और खिड़कियों की पेंटिंग |
स्क्रीन प्रिंटिंग |
मिस्त्री का काम |
सेवा क्षेत्र |
टाइल लगाना |
फोटो स्टूडियो |
ग्लास पेन लगाना |
रेडियो/टीवी आदि की मरम्मत |
खाद्यपदार्थ व सब्जी का परिरक्षण |
कढ़ाई और सिलाई काम |
छोटे ट्रान्सफॉर्मर और कॉइल वाइंडिंग |
टायर वल्कनाइजिंग इकाई |
वेल्डिंग |
लाउडस्पीकर, अॅम्प्लीफायर माइक आदि |
लेन्स ग्राइंडिंग और पॉलिशिंग |
बॅटरी चार्जिंग |
सिरॅमिक/पॉटरी |
ट्रान्सफॉरमरों का निर्माण/मरम्मत |
डेकोरेशन और ग्लास वेयर |
केबल निर्माण |
केन वर्क व बांबू वर्क |
सेवा क्षेत्र |
साड़ी पेंटिंग |
इलेक्ट्रिक दुकान |
यूटेन्सिल फैब्रिकेशन |
प्रोवीजन दुकान |
परिवहन संबंधी कार्यकलाप |
टाइल्स एवं भवन-निर्माण सामग्री की दुकान |
बुनाई |
चाय की दुकान |
गार्मेंट बनाना |
मत्स्य कारोबार |
स्टील फर्नीचर |
मशीन की दुकान (पिसाई आदि) |
वाशिंग पाउडर बनाना |
लकड़ी बनाना |
कैबिनेट बनाना |
फर्नीचर बनाना |
प्लास्टिक मोल्ड मेकर |
फल / सब्जी की दुकान |
अनुबंध II
केन्द्रीय निगरानी समिति का गठन
पैराग्राफ 4.1 के अनुसार
केन्द्रीय निगरानी समिति का गठन निम्नानुसार होगा -
सचिव - कल्याण अध्यक्ष
सचिव, शहरी विकास सदस्य
सचिव, लघु उद्योग सदस्य
सचिव, ग्रामीण विकास सदस्य
सचिव, शिक्षण विभाग सदस्य
सचिव, बैंकिंग विभाग सदस्य
परामर्शदाता, आयोजना आयोग (विषय से संबंधित) सदस्य
सीएमडी, एनएसएफडीसी सदस्य
मंत्रालय के वित्तीय सहायक सदस्य
नामांकित किए जाने वाले राज्य सरकार के सदस्य
चार सचिव जो अनुसूचित जाति के कल्याण (एससीडी)
का कार्य बारी-बारी देखते हैं सदस्य सचिव
अनुबंध III
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र उधार - विशेष कार्यक्रम
स्वच्छकार मुक्ति और पुनर्वास योजना के अंतर्गत
मासिक प्रगति रिपोर्ट
(केवल सरकारी क्षेत्र के बैंकों के लिए )
निम्नलिखित द्वारा आँकड़े भेजने का प्रोफार्मा -
i) कार्यान्वयन बैंक शाखाओं द्वारा उनके नियन्त्रक कार्यालयों/संबंधित जिले के अग्रणी बैंक अधिकारी/जिला समन्वयक द्वारा
ii) नियंत्रक कार्यालयों द्वारा राज्य स्तर पर उनके क्षेत्रीय/आँचलिक कार्यालयों द्वारा
iii) क्षेत्रीय / आँचलिक कार्यालयों द्वारा उनके प्रधान कार्यालयों/राज्य स्तरीय बैंकर समिति के संयोजक/ग्राआऋवि (भारिबैं) के क्षेत्रीय कार्यालय और
iv) बैंकों के प्रधान कार्यालयों द्वारा ग्राआऋवि, भारिबैं, केन्द्रीय कार्यालय, मुम्बई ।
बैंक का नाम -----------------------------द्वारा --------------------------
को समाप्त माह के लिए संचयी स्थिति दर्शाने वाली रिपोर्ट
राज्य/ संघशासित क्षेत्र का नाम |
लक्ष्य |
प्राप्त आवेदनों की संख्या |
कुल स्वीकृत ऋण |
कुल संवितरण ऋण |
कुल स्वीकृत ऋण में से अजा/ अजजा को स्वीकृत ऋण |
कुल संवितरित ऋण में से अजा/अजजा को संवितरित ऋण |
|||||||
सं. |
राशि |
सं. |
राशि |
कुल स्वीकृत ऋण का % (कॉलम 4 की तुलना में 6) |
सं. |
राशि |
कुल स्वीकृत ऋण का % (कॉलम 4 की तुलना में 6) |
सं. |
राशि |
कुल संवितरित ऋण का % (कॉलम 4 की तुलना में 12) |
|||
1 |
2 |
3 |
4 |
5 |
6 |
7 |
8 |
9 |
10 |
11 |
12 |
13 |
14 |
टिप्पणी
इस प्रोफार्मा में बैंकों के नियंत्रक कार्यालयों द्वारा जिला-वार आँकड़े राज्य/संघ शासित क्षेत्र स्तर पर उनके क्षेत्रीय / आँचलिक कार्यालयों को भेजे जाएंगे; राज्यवार स्थिति क्षेत्रीय/ आँचलिक कार्यालयों द्वारा उनके प्रधान कार्यालयों को भेजी जाएगी जबकि प्रत्येक राज्य/संघ शासित क्षेत्र की जिला - वार स्थिति उनके द्वारा राज्य स्तरीय बैंकर समिति के संयोजकों तथा ग्राआऋवि, भारिबैं के क्षेत्रीय कार्यालयों को भेजी जाएगी ।
विवरण को शीघ्रता से संकलित/समेकित किया जाना चाहिए और नीचे दर्शाई गई समय-सीमा में संबंधित प्राप्तकर्ताओं के पास भेजी जानी चाहिए :
से को अधिकतम अनुमत सीमा
क) शाखा नियंत्रक कार्यालय/एलबीसी/जिला समन्वयक माह समाप्त होने के 7 दिन
ख) नियंत्रक कार्यालय और जिला समन्वयक क्षेत्रीय / आँचलिक कार्यालय/एलबीओ माह
के समाप्त होने के 15 दिन
ग) क्षेत्रीय/आँचलिक कार्यालय/एसएलबीसी समन्वयक/प्रधान कार्यालय/ग्राआऋवि, क्षेत्रीय
कार्यालय माह समाप्त होने के 20 दिन
घ) बैंकों के प्रधान कार्यालय ग्राआऋवि. भारिबैं, केन्द्रीय कार्यालय को संबधित आँकड़े माह
समाप्त होने के एक माह के भीतर
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस)
परिपत्रों की सूची - समेकित
क्रम सं. |
परिपत्र सं. |
दिनांक |
विषय |
1. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी/बीसी/84/सी.665(एसआरएस/92-93 |
20.03.93 |
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) |
2. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.136/09.02.01/93-94 |
11.05.94 |
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) |
3. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.161/09.03.01/93-94 |
09.06.94 |
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) |
4. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.160/09.03.01/93-94 |
29.05.95 |
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) |
5. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.20/09.03.01/ 96-97 |
05.08.96 |
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) |
6. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.157/09.03.01/96-97 |
30.06.97 |
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) |
7. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.16/09.03.01/ 97-98 |
01.08.97 |
स्वच्छकारों की मुक्ति और पुनर्वास योजना (एसएलआरएस) |
8. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.109/09.03.01/97-98 |
20.04.98 |
एसएलआरएस पर त्वरित अध्ययन |
9. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.12/09.03.01/ 2003-04 |
25.07.03 |
सफाई कर्मचारियों के लिए राष्ट्रीय आयोग की सिफारिशें |
10. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.22/02.01.01/ 2003-04 |
12.09.03 |
सरकारी क्षेत्र के बैंकों की वास्तविक सहभागिता |
11. |
ग्राआऋवि.सं.एसपी.बीसी.72/09.01.01/2003-04 |
25.03.04 |
सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत प्रगति रिपोर्ट प्रस्तुत करना- स्वग्रास्वयो, स्वजशरोयो तथा एसएलआरएस के अंतर्गत विवरणी की आवधिकता में परिवर्तन |