मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 (28 अप्रैल 2023 को संशोधित) - आरबीआई - Reserve Bank of India
मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 (28 अप्रैल 2023 को संशोधित)
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भारिबैं/बैंविवि/2015-16/18 25 फरवरी 2016 मास्टर निदेश - अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) निदेश, 2016 1प्रस्तावना बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों को धन शोधन (मनी लॉन्ड्रिंग (एमएल))/आतंकवादी वित्तपोषण (टीएफ) के लिए एक चैनल के रूप में प्रयोग किए जाने से रोकने के लिए और वित्तीय प्रणाली की अखंडता एवं स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, विभिन्न नियमों तथा विनियमों को निर्धारित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ), जो 1989 में अपने सदस्य अधिकार क्षेत्र के मंत्रियों द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी निकाय है, इस निकाय द्वारा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिए धन शोधन, आतंकवादी वित्तपोषण और अन्य संबंधित खतरों से निपटने के लिए मानक निर्धारित किए जाते हैं और कानूनी, विनियामक एवं परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा दिया जाता है। भारत, एफ़एटीएफ़ का सदस्य होने के नाते, अंतरराष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता की रक्षा के उपायों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। भारत में, धन-शोधन निवारण अधिनियम, 2002 और धन-शोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम, 2005, के माध्यम से धन-शोधन-रोधी (एएमएल) और आतंकवाद के वित्तपोषण का मुकाबला करने (सीएफटी) पर कानूनी ढांचा तैयार किया जाता है। भारत सरकार द्वारा समय-समय पर यथासंशोधित पीएमएल अधिनियम, 2002 और पीएमएल नियम, 2005 के प्रावधानों के अनुसार, विनियमित संस्थाओं (आरई) को खाता-आधारित संबंध स्थापित करके या अन्यथा लेनदेन करते समय कुछ ग्राहक पहचान प्रक्रियाओं का पालन करने और उनके लेनदेन की निगरानी करने की आवश्यकता होती है। 2. तदनुसार, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35ए, बैंककारी विनियमन अधिनियम (एएसीएस), 1949, पूर्वोक्त अधिनियम की धारा 56, के साथ पठित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45जेए, 45के और 45एल, भुगतान और निपटान प्रणाली अधिनियम 2007 (2007 का अधिनियम 51) की धारा 18 के साथ पठित धारा 10 (2), विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम, 1999 की धारा 11(1), धन शोधन निवारण (अभिलेख रखरखाव) नियम, 2005 का नियम 9(14) और इस संबंध में रिज़र्व बैंक को अधिकार प्रदान करने वाले अन्य सभी कानूनों द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा इस बात से संतुष्ट होने पर कि ऐसा करना जनहित में आवश्यक और समीचीन है, एतदद्वारा इसके बाद निर्दिष्ट निदेश जारी किए जाते हैं। 1. संक्षिप्त नाम और प्रारंभ (क) इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)) निदेश, 2016 कहा जाएगा। (ख) ये निदेश उसी दिन से लागू होंगे, जिस दिन इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखा जाएगा। 2. प्रयोज्यता (क) इन निदेशों के प्रावधान, जब तक कि अन्यथा विनिर्दिष्ट न किया गया हो, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विनियमित सभी संस्थाओं, खास तौर से नीचे मद सं. 3(ख)(xiii) में पारिभाषित संस्थाओं पर लागू होंगे। (ख) ये निदेश विनियमित संस्थाओं (आरई) की सभी विदेश स्थित शाखाओं और बहुलांश धारित अनुषंगियों पर भी उस सीमा तक लागू होंगे, जहां तक वे मेजबान देश के स्थानीय क़ानूनों से विसंगत न हों, बशर्ते कि:
बशर्ते कि यह नियम अध्याय VI की धारा 23 में बताए गए ‘छोटे खातों’ पर लागू नहीं होगा। 3. परिभाषाएं जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, इन निदेशों में दिए गए शब्दों के अर्थ वही होंगे, जो नीचे दिए गए हैं : (क) धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 और धन शोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम, 2005 में सम्मिलित शब्दों के दिए गए अर्थ: i. 2“आधार संख्या", का आशय है आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 (2016 का 18) की धारा (2) के खंड (क) में दिया गया अर्थ। ii. क्रमशः “अधिनियम” और “नियम” का आशय है धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 और धन शोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम, 2005 और उनमें किए गए संशोधन। iii. 3”अधिप्रमाणन”, आधार प्रमाणीकरण के संदर्भ में, आधार की धारा 2 की उपधारा (सी) के तहत परिभाषित प्रक्रिया का अर्थ है आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 iv. हिताधिकारी स्वामी (बीओ) क. जहां ग्राहक कोई कंपनी है, वहां हिताधिकारी स्वामी वह प्राकृतिक व्यक्ति है, जो अकेले या किसी के साथ मिलकर, या एक अथवा एकाधिक विधिक संस्था के जरिए कार्य करता है एवं जिसके पास नियंत्रक स्वामित्व हैं या जो किसी और माध्यम से नियंत्रण रखता है। स्पष्टीकरण - इस उपखंड के प्रयोजन के लिए
ख. जहां ग्राहक कोई भागीदारी फ़र्म है, वहां हिताधिकारी स्वामी वह/वे नैसर्गिक व्यक्ति है/हैं, जो अकेले या किसी के साथ मिलकर, या एक अथवा एकाधिक विधिक संस्था के जरिए, भागीदारी फार्म की पूंजी या लाभ में से 15 प्रतिशत से ज्यादा का स्वामित्व या हकदारी रखते हों। ग. जहां ग्राहक कोई अनिगमित संस्था या व्यक्तियों का निकाय है, वहां हिताधिकारी स्वामी वह/वे नैसर्गिक व्यक्ति है/हैं, जो अकेले या किसी के साथ मिलकर, या एक अथवा एकाधिक विधिक संस्था के जरिए, पूंजी या लाभ में से 15 प्रतिशत से ज्यादा का स्वामित्व या हकदारी रखते हों। स्पष्टीकरण: ‘व्यक्तियों के निकाय’ में सोसाइटी शामिल हैं। जब उपर्युक्त मद (क), (ख) या (ग) के अंतर्गत किसी प्राकृतिक व्यक्ति की पहचान न की जा सकती हो, तब हिताधिकारी स्वामी वह प्राकृतिक व्यक्ति होगा जो वरिष्ठ प्रबंधन अधिकारी के पद को धारण किए हो। घ. 5जहां ग्राहक कोई न्यास है, वहां हिताधिकारी स्वामी/स्वामियों की पहचान में ट्रस्ट निर्माता, ट्रस्टी, न्यास में 10% या उससे अधिक के लाभार्थी और कोई अन्य नैसर्गिक व्यक्ति जो किसी नियंत्रण शृंखला या स्वामित्व द्वारा न्यास पर अंतिम प्रभावी नियंत्रण रखता है, की पहचान को शामिल किया जाएगा। v. 6“प्रमाणित प्रति” - विनियमित इकाई द्वारा प्रमाणित प्रति प्राप्त करने का अर्थ होगा कि ग्राहक द्वारा प्रस्तुत आधार नंबर होने का प्रमाण, जहां ऑफलाइन सत्यापन नहीं किया जा सकता है या आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़ की प्रतिलिपि की तुलना मूल के साथ की गई हो और इसे प्रतिलिपि पर विनियमित संस्था के प्राधिकृत अधिकारी द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार दर्ज किया गया हो। बशर्ते कि विदेशी मुद्रा प्रबंधन (जमा) विनियम, 2016 {फेमा5 (आर)} में गैर-निवासी भारतीयों (एनआरआई) और भारतीय मूल के व्यक्तियों (पीआईओ) के मामले में, वैकल्पिक रूप से, मूल सत्यापित प्रति, निम्नलिखित में से किसी एक द्वारा प्रमाणित किया गया हो, प्राप्त किया जा सकता है:
vi. “सेंट्रल केवाईसी रिकॉर्ड्स रजिस्ट्री" (सीकेवाईसीआर) का आशय उक्त नियम के नियम 2(1) के अंतर्गत यथा पारिभाषित संस्था से है, जो किसी ग्राहक से केवाईसी रिकॉर्ड्स को डिजिटल रूप में प्राप्त, भंडारित तथा सुरक्षित रखती है और उपलब्ध कराती है। vii. “पदनामित निदेशक’’ का आशय विनियमित संस्था द्वारा पीएमएल अधिनियम के अध्याय IV और नियम के अधीन अपेक्षित समस्त प्रतिबद्धताओं का समग्र अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए नामित व्यक्ति से है और इनमें निम्नलिखित सम्मिलित है:
स्पष्टीकरण - इस खंड के प्रयोजन के लिए 'प्रबंध निदेशक' और 'पूर्णकालिक निदेशक' शब्दों के वही अर्थ होंगे जो कंपनी अधिनियम, 2013 में दिया गया है। viii. 7"डिजिटल केवाईसी" का अभिप्राय है ग्राहक की लाइव फोटो कैप्चर करना और आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज या आधार संख्या होने का प्रमाण, जहां ऑफ़लाइन सत्यापन नहीं किया जा सकता है, साथ ही उस स्थान का अक्षांश और देशांतर भी होना चाहिए जहां उक्त लाइव फोटो अधिनियम में दिए गए प्रावधानों के अनुसार रिपोर्टिंग संस्था (आरई) के किसी प्राधिकृत अधिकारी द्वारा ली जा रही हो। ix. 8"डिजिटल हस्ताक्षर" का अर्थ वही होगा जो सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) की धारा (2) की उपधारा (1) के खंड (पी) में इसे दिया गया है। x. 9“समतुल्य ई-अभिलेख"का अभिप्राय है किसी अभिलेख का इलेक्ट्रॉनिक समतुल्य, जिसे ऐसे अभिलेख जारी करने वाले प्राधिकारी द्वारा वैध डिजिटल हस्ताक्षर सहित जारी किया गया हो और जिसमें सूचना प्रौद्योगिकी (डिजिटललॉकर सुविधाएं देने वाले मध्यस्थों द्वारा सूचना का संरक्षण और प्रतिधारण) नियम, 2016 के नियम 9 के अनुसार ग्राहक के डिजिटल लॉकर खाते में जारी अभिलेख शामिल हैं। xi. 10“समूह” – शब्द "समूह" का वही अर्थ होगा जो आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) की धारा 286 की उप-धारा (9) के खंड (ई) में दिया गया है। xii. 11“अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) आइडेंटिफायर" का अभिप्राय है किसी ग्राहक को केंद्रीय केवाईसी अभिलेख रजिस्ट्री द्वारा दी गई अद्वितीय संख्या या कोड। xiii. 12“'गैर लाभ अर्जक संगठन' (एनपीओ)” का अर्थ है कोई इकाई या संगठन, आयकर अधिनियम, 1961 (1961 का 43) की धारा 2 के खंड (15) में निर्दिष्ट धार्मिक या धर्मार्थ उद्देश्यों के लिए गठित, जो सोसायटी पंजीकरण अधिनियम, 1860 या किसी समान राज्य के तहत ट्रस्ट या सोसायटी के रूप में पंजीकृत है कानून या कंपनी अधिनियम, 2013 (2013 का 18) की धारा 8 के तहत पंजीकृत कंपनी। xiv. 'आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़' (ओवीडी) का अभिप्राय पासपोर्ट, ड्राइविंग लाइसेंस, 13आधार संख्या होने का प्रमाण, भारत के चुनाव आयोग द्वारा जारी मतदाता पहचान पत्र, राज्य सरकार के किसी अधिकारी द्वारा विधिवत हस्ताक्षरित नरेगा के तहत जारी जॉब कार्ड और एनपीआर द्वारा जारी पत्र जिसमें नाम और पता दिया गया हो। बशर्ते कि, क. जहां ग्राहक ओवीडी के रूप में आधार संख्या होने का अपना प्रमाण प्रस्तुत करता है, वह इसे ऐसे रूप में प्रस्तुत कर सकता है जैसे कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा जारी किया जाता है। ख. 14जहां ग्राहक द्वारा प्रस्तुत ओवीडी में अद्यतन पता नहीं है, निम्नलिखित दस्तावेज या उसके समतुल्य ई-दस्तावेज को पते के प्रमाण के सीमित उद्देश्य के लिए ओवीडी माना जाएगा:- i. किसी भी सेवा प्रदाता का यूटिलिटी बिल (बिजली, टेलीफोन, पोस्ट-पेड मोबाइल फोन, पाइप्ड गैस, पानी का बिल) जो दो महीने से अधिक पुराना नहीं है; ii. संपत्ति या नगरपालिका कर रसीद; iii. पेंशन या परिवार पेंशन भुगतान आदेश (पीपीओ) जो सरकारी विभागों या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा सेवानिवृत्त कर्मचारियों को जारी किए जाते हैं, यदि उसमें पता दिया गया है; iv. राज्य सरकार या केंद्र सरकार के विभागों, सांविधिक या विनियामक निकायों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, अनुसूचितवाणिज्यिक बैंकों, वित्तीय संस्थानों और सूचीबद्ध कंपनियों द्वारा जारी किए गए नियोक्ता से आवास के आवंटन का पत्र और ऐसे नियोक्ताओं को आधिकारिक आवास आवंटित करने के साथ अनुमति और अनुज्ञप्ति समझौते; ग. ग्राहक ऊपर ‘ख” मे दिए गए दस्तावेजों को जमा करने के तीन महीने की अवधि के भीतर वर्तमान पते के साथ ओवीडी प्रस्तुत करेगा घ. जहां विदेशी नागरिक द्वारा प्रस्तुत ओवीडी में पते का विवरण नहीं होता है, ऐसे मामले में विदेशी न्याय क्षेत्र के सरकारी विभागों द्वारा जारी दस्तावेज और भारत में विदेशी दूतावास या मिशन द्वारा जारी पत्र को पते के प्रमाण के रूप में स्वीकार किया जाएगा। स्पष्टीकरण: इस खंड के प्रयोजन के लिए, एक दस्तावेज जारी होने केबाद नाम में कोई बदलाव होने पर भी उसे ओवीडी माना जाएगा, बशर्ते इसे राज्य सरकारद्वारा जारी किए गए विवाह प्रमाण पत्र या राजपत्र अधिसूचना द्वारा समर्थित किया गया हो और उसमें नाम में परिवर्तन इंगित हो। xv. 15“ऑफलाइन सत्यापन”, का अभिप्राय वही होगा जो इसे आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 (2016 का 18) की धारा (2) के खंड (पीए) में दिया गया है। xvi. "व्यक्ति" का आशय वही है जो अधिनियम में अभिहित है और इनमें निम्नलिखित शामिल हैं:
xvii. 16“पॉलिटिकली एक्सपोज़्ड पर्सन” (पीईपी) ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें किसी दूसरे देश द्वारा प्रमुख सार्वजनिक कार्य सौंपे गए हैं, जिनमें राज्यों/सरकारों के प्रमुख, वरिष्ठ राजनेता, वरिष्ठ सरकारी या न्यायिक या सैन्य अधिकारी, राज्य के स्वामित्व वाले निगमों के वरिष्ठ अधिकारी और महत्वपूर्ण राजनीतिक दल के अधिकारी शामिल हैं, xviii. “प्रधान अधिकारी से आशय है विनियमित संस्था द्वारा नामित वह अधिकारी जो उक्त नियमो के नियम 8 के अंतर्गत सूचना देने के लिए जिम्मेदार है। xix. “संदिग्ध लेनदेन" का आशय उस लेनदेन से है जिसे नीचे पारिभाषित किया गया है जिसमें ''लेनदेन (संव्यवहार) का प्रयास भी शामिल हैं, भले ही वह किसी सद्भावपूर्वक कार्य कर रहे व्यक्ति के साथ नकद किया गया हो अथवा नहीं;
स्पष्टीकरण: आतंकवाद से संबंधित गतिविधियों के वित्तपोषण से जुड़े लेनदेन जिनमें वे लेनदेन शामिल हैं जिनकी निधियों का संबंध आतंकवाद या आतंकी गतिविधियों से होने का संदेह हो या किसी आतंकी अथवा आतंकी संगठन या आतंकवाद को वित्तपोषित करने या वित्तपोषण का प्रयास कर रहे व्यक्तियों द्वारा प्रयुक्त होने का संदेह हो। xx. "लघु खाते" का मतलब एक ऐसा बचत खाता जो पीएमएल नियम, 2005 के उप-नियम (5) के अनुसार खोला गया है। एक लघु खाते के संचालन का विवरण और ऐसे खाते के लिए प्रयोग किए जाने वाले नियंत्रण के बारे में धारा 23 में विनिर्दिष्ट हैं। xxi. “लेनदेन” का आशय है कोई खरीद, बिक्री, ऋण, गिरवी रखना, उपहार देना, अंतरण करना या सुपुर्दगी करना अथवा इससे संबन्धित व्यवस्थाएँ करना और इसमें निम्नलिखित शामिल हैं:
(ख) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो, शब्दों का अर्थ वही होगा, जो नीचे दिया गया है: i. “सामान्य रिपोर्टिंग मानक’’ (सीआरएस) से तात्पर्य है कर मामलों में आपसी प्रशासनिक सहयोग कन्वेंशन में हस्ताक्षरित बहुपक्षीय करार के अनुच्छेद 6 के आधार पर स्वतः सूचना के विनिमय के कार्यान्वयन के लिए निर्धारित रिपोर्टिंग मानक। ii. 17संपर्की बैंकिंग: संपर्की बैंकिंग एक बैंक ("संपर्की बैंक") द्वारा दूसरे बैंक ("प्रतिवादी बैंक") को बैंकिंग सेवाओं का प्रावधान है। प्रतिवादी बैंकों को सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान की जा सकती है, जिसमें नकदी प्रबंधन (उदाहरण के लिए, विभिन्न मुद्राओं में ब्याज वाले खाते), अंतर्राष्ट्रीय वायर ट्रांसफर, चेक समाशोधन, खातों के माध्यम से देय और विदेशी मुद्रा सेवाएं शामिल हैं। iii. “ग्राहक’' से तात्पर्य किसी ऐसे व्यक्ति से है जो किसी विनियमित संस्था के साथ किसी वित्तीय लेनदेन या गतिविधि में शामिल है तथा इसमें ऐसा व्यक्ति भी शामिल है जिसकी ओर से ऐसे लेनदेन अथवा गतिविधि में कोई व्यक्ति भाग ले रहा है। iv. “वॉक इन ग्राहक” अर्थात नवागंतुक ग्राहक से तात्पर्य ऐसे व्यक्ति से है, जिसका विनियमित संस्था से खाता आधारित संबंध नहीं है लेकिन वह विनियमित संस्था से लेनदेन करता है। v. 18“ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी' (सीडीडी) का अभिप्राय ग्राहक और हिताधिकारी स्वामी की पहचान और पुष्टि करने से है। vi. “ग्राहक पहचान" का अभिप्राय 'ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी' (सीडीडी) प्रक्रिया को पूरा करना। vii. “एफ़एटीसीए' का अभिप्राय संयुक्त राज्य अमेरिका (यूएसए) के विदेशी खाता कर अनुपालन अधिनियम से है जो अन्य बातों के साथ साथ यह अपेक्षा करता है कि विदेशी वित्तीय संस्थाएं अमेरिकी करदाताओं द्वारा रखे गए वित्तीय खातों अथवा ऐसी विदेशी संस्थाओं जिनमें अमेरिकी करदाताओं के भारी स्वामित्व हित हों, को रिपोर्ट करें। viii. “आईजीए' का अभिप्राय भारत सरकार और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच के अंतर सरकारी करार से है जो अंतरराष्ट्रीय कर अनुपालन और अमेरिका के 'एफ़एटीसीए' 'को लागू करने में सुधार लाने से है। ix. “'केवाईसी टेंपलेट्स' का अभिप्राय उन टेंपलेट्स से है जो व्यक्तियों और विधिक संस्थाओं के लिए सीकेवाईसीआर को केवाईसी डेटा समेकन और प्रस्तुतीकरण से संबंधित हैं। x. “अप्रत्यक्ष (गैर फ़ेस-टू face) ग्राहक" का अभिप्राय ऐसे ग्राहक से है जो विनियमित संस्था की शाखा/कार्यालयों पर आए बिना और विनियमित संस्थाओं केअधिकारियों से मिले बिना खाते खोलता है। xi. “'सतत समुचित सावधानी" का अभिप्राय ग्राहक के खातों में होने वाले लेनदेनों की नियमित निगरानी करने से है ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे ग्राहक की प्रोफाइल और निधियों के स्रोतों के अनुरूप हैं। xii. 19खातों के माध्यम से देय: खातों के माध्यम से देय शब्द उन संपर्की खातों को संदर्भित करता है जिनका उपयोग सीधे तृतीय पक्षों द्वारा उनकी ओर से व्यापार करने के लिए किया जाता है। xiii. “'आवधिक अद्यतनीकरण" का अभिप्राय ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी (सीडीडी) प्रक्रिया के अंतर्गत जुटाए गए दस्तावेज़, आंकड़े अथवा सूचना को अद्यतन रखने और रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट अवधि अंतरालों पर मौजूदा अभिलेखो की समीक्षा करने से है । xiv. “विनियमित संस्था” (आरई) का अभिप्राय
xv. 20शेल बैंक” का अर्थ एक ऐसे बैंक से है जिसकी उस देश में कोई भौतिक उपस्थिति नहीं है जिसमें इसे स्थापित किया गया है और लाइसेंस दिया गया है, और जो एक विनियमित वित्तीय समूह से असंबद्ध है जो प्रभावी समेकित पर्यवेक्षण के अधीन है। भौतिक उपस्थिति का अर्थ है एक देश के भीतर स्थित सार्थक मन और प्रबंधन। केवल एक स्थानीय एजेंट या निम्न स्तर के कर्मचारी का अस्तित्व भौतिक उपस्थिति का गठन नहीं करता है। xvi. 21“वीडियो आधारित ग्राहक पहचान प्रक्रिया (वी-सीआईपी)": सीडीडी उद्देश्य के लिए आवश्यक पहचान की जानकारी प्राप्त करने के लिए ग्राहक के साथ सहज, सुरक्षित, लाइव, सूचित-सहमति आधारित ऑडियो-विजुअल बातचीत करके आरई के एक अधिकृत अधिकारी द्वारा चेहरे की पहचान और ग्राहक संबंधी समुचित सावधानी, और स्वतंत्र सत्यापन और प्रक्रिया के ऑडिट ट्रेल को बनाए रखने के माध्यम से ग्राहक द्वारा दी गई जानकारी की सत्यता का पता लगाने के लिए एक वैकल्पिक तरीका है । निर्धारित मानकों और प्रक्रियाओं का पालन करने वाली ऐसी प्रक्रियाओं को इस मास्टर निदेश के प्रयोजन के लिए आमने-सामने सीआईपी के समान माना जाएगा। xvii. “वायर ट्रांसफर” का अभिप्राय किसी बैंक के किसी लाभार्थी केलिए धन उपलब्ध कराने के दृष्टिकोण से इलेक्ट्रानिक माध्यम से किसी बैंक के जरिए जारीकर्ता व्यक्ति (प्राकृतिक एवं विधिक) की ओर से सीधे अथवा ट्रांसफर शृंखला के जरिए लेन देन पूरा करना है। xviii. “घरेलू और सीमा पार वायर ट्रांसफर”: जब आरंभक बैंक और लाभार्थी बैंक दोनों उसी देश में स्थित एक ही व्यक्ति हों अथवा भिन्नव्यक्ति, ऐसे लेनदेन को 'घरेलू वायर ट्रांसफर ' कहा जाता है और यदि आरंभक बैंक और लाभार्थी बैंक भिन्न देश में स्थित हों तो ऐसे लेनदेन को 'सीमा पार वायर ट्रांसफर ' कहा जाता है। (ग) सभी अन्य अभिव्यक्तियाँ जो यहाँ परिभाषित नहीं हैं उनके वही अर्थ होंगे जो उन्हें बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934, धनशोधन निवारण अधिनियम 2002 और धनशोधन निवारण (अभिलेखों का रखरखाव) नियम 2005, 22आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों,प्रसुविधाओं औरसेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 और उसके तहत बनाए गए विनियम,कोई सांविधिक संशोधन अथवा इनके पुनः अधिनियमन अथवा वाणिज्यिक शब्दों में, जैसा भी मामला हों, में दिए गए हैं। 4. (क) विनियमित संस्था की अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) संबंधी एक नीति होगी जो विनियमित संस्था के निदेशक बोर्ड या बोर्ड की कोई और समिति, जिसे एतदर्थ शक्तियां प्रत्यायोजित की गई हों, द्वारा विधिवत अनुमोदित हो। 23(ख) आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 (2003 का 15) के अध्याय IV के प्रावधानों के तहत दायित्वों के निर्वहन के उद्देश्य से एक समूह-व्यापी नीति बनाई गई है। 24(ग) आरई द्वारा नीतिगत ढांचे को पीएमएल अधिनियम/नियमों के सहित इस संबंध में विनियामक निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए और मनी लॉन्ड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण, प्रसार वित्तपोषण और अन्य संबंधित जोखिमों से उत्पन्न होने वाले खतरों के विरुद्ध एक बचाव प्रदान किया जाना चाहिए। उपर्युक्त कानूनी/नियामक आवश्यकताओं का अनुपालन सुनिश्चित करते समय, आरई को जोखिम को बेहतर ढंग से प्रबंधित करने के लिए एफएटीएफ मानकों और एफएटीएफ मार्गदर्शन नोटों को ध्यान में रखते हुए सर्वोत्तम अंतरराष्ट्रीय प्रथाओं को अपनाने पर भी विचार किया जाना चाहिए। 5. केवाईसी नीति में निम्नलिखित चार मुख्य तत्व शामिल होंगे :
255A. विनियमित संस्थाओं द्वारा धनशोधन और आतंकवादी वित्तपोषण जोखिम आकलन: क. विनियमित संस्थाओं द्वारा समय-समय पर 'धनशोधन (एमएल) और आतंकवाद को वित्तपोषण (टीएफ) जोखिम आकलन के अभ्यास किए जाएगें, ताकि वे ग्राहकों, देशों या भौगोलिक क्षेत्रों, उत्पादों, सेवाओं, लेनदेन या वितरण चैनलों आदि में इसके धन शोधन और आतंकवाद को वित्तपोषण जोखिम की पहचान, आकलन और इसे कम करने के लिए प्रभावी उपाय कर सकें। मूल्यांकन प्रक्रिया को समग्र जोखिम के स्तर और कमी के लिए लागू किए जाने वाले उचित स्तर और उपाय के प्रकार का निर्धारण करने से पहले सभी प्रासंगिक जोखिम कारकों पर विचार करना चाहिए। एमएल/टीएफ जोखिम का आकलन करते समय, विनियमित संस्थाओं को समग्र क्षेत्र-विशेष की असुरक्षाओं, यदि कोई हो, का संज्ञान लेना आवश्यक है जिसे विनियामक/पर्यवेक्षक समय-समय पर विनियमित संस्था के साथ साझा कर सकते है। ख. विनियमित संस्थाओं द्वारा जोखिम आकलन को समुचित रूप से प्रलेखित किए जाएंगे और विनियमित संस्था की प्रकृति, आकार, भौगोलिक उपस्थिति, गतिविधियों/संरचना की जटिलता आदि के अनुरूप होगा। इसके अतिरिक्त, जोखिम मूल्यांकन अभ्यास की अवधि का निर्धारण विनियमित संस्था के बोर्ड द्वारा जोखिम मूल्यांकन अभ्यास के परिणाम के साथ संरेखन में की जाएगी। हालांकि इसकी कम से कम वार्षिक समीक्षा की जानी चाहिए। ग. इस अभ्यास का परिणाम बोर्ड या बोर्ड की किसी समितिके समक्ष प्रस्तुत जाएगा जिसे इस संबंध में शक्ति प्रत्यायोजित की गई है और सक्षम प्राधिकारियों और स्व-विनियमन निकायों को उपलब्ध किया जाना चाहिए। घ. विनियमित संस्थाएं चिन्हित जोखिम को कम करने और प्रबंधन के लिए जोखिम आधारित दृष्टिकोण (आरबीए) लागू करेंगी और इस संबंध में बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीतियां, नियंत्रण और प्रक्रियाएं होनी चाहिए। साथ में, विनियमित संस्थाएं नियंत्रण के कार्यान्वयन को मॉनिटर करेंगे और यदि आवश्यक है तो उन्हें बढ़ाएंगे। 6. पदनामित निदेशक: क. ‘पदनामित निदेशक’ से तात्पर्य आरई द्वारा पदनामित व्यक्ति से है जो पीएमएल अधिनियम के अध्याय IV तथा नियम के अधीन दायित्वों के अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी है और जिन्हें बोर्ड द्वारा ‘पदनामित निदेशक’ के रूप में नामित किया जाता है। ख. ‘पदनामित निदेशक’ का नाम, पदनाम और पता एफआईयू-आईएनडी को सूचित किया जाएगा। ग. 26इसके अलावा, पदनामित निदेशक का नाम, पदनाम, पता और संपर्क विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक को भी सूचित किया जाएगा। घ. किसी भी स्थिति में प्रधान अधिकारी को ‘पदनामित निदेश’ के रूप में नामित नहीं किया जाएगा। 7. प्रधान अधिकारी: क. प्रधान अधिकारी कानून/ विनियमों की अपेक्षानुसार अनुपालन सुनिश्चित करने, लेनदेन की निगरानी और सूचना साझा तथा उसकी रिपोर्टिंग करने के लिए जिम्मेदार होगा। ख. ‘प्रधान अधिकारी’ का नाम, पदनाम और पता एफआईयू-आईएनडी को सूचित किया जाएगा। ग. 27इसके अलावा, नामित प्रधान अधिकारी का नाम, पदनाम, पता और संपर्क विवरण भारतीय रिज़र्व बैंक को भी सूचित किया जाएगा। 8. केवाईसी नीति का अनुपालन क. विनियमित संस्थाएं निम्नलिखित के द्वारा केवाईसी के अनुपालन को सुनिश्चित करेंगी:
ख. आरई यह सुनिश्चित करेगा कि केवाईसी मानदंडों के अनुपालन को निर्धारित करने के निर्णय लेने के कार्य को आउटसोर्स नहीं किए जाएंगे। 9. विनियमित संस्थाएं ग्राहक स्वीकरण नीति बनाएँ। 10. ग्राहक स्वीकरण नीति में समाविष्ट सामान्य आयामों पर कोई प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना, विनियमित संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि: क. छद्मनाम से या फर्जी/ बेनामी नामों से कोई खाता न खोला जाए; ख. जिन मामलों में विनियमित संस्था ग्राहकों के संबंध में समुचित सावधानी संबंधी उपाय या तो ग्राहक के असहयोग या ग्राहक द्वारा उपलब्ध करायेगए दस्तावेजों/ सूचना की अविश्वसनीयता के कारण लागू न कर पाए, उन मामलों में खाता न खोला जाए। ग. समुचित सावधानी उपायों का पालन किए बिना कोई लेनदेन या खाताआधारित संबंध स्थापित नहीं किया जाएगा। घ. खाता खोलने और आवधिकअद्यतनीकरण के दौरान केवाईसी के लिए मांगी गई अनिवार्य सूचना विनिर्दिष्ट की जाएगी। ङ. 28अतिरिक्त जानकारी, जहां आरई की आंतरिक केवाईसी नीति में ऐसी सूचना आवश्यकता निर्दिष्ट नहीं की गई है, ग्राहक की स्पष्ट सहमति से प्राप्त की जाती है। च. आरई द्वारा यूसीआईसी स्तर पर सीडीडी प्रक्रिया लागू करें। इसलिए, आरई के वर्तमानत: केवाईसी अनुपालित एक ग्राहक यदि उसी आरई के अधीन खाता खोलना चाहते हैं तो नए सीडीडी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं होगी। छ. संयुक्त खाता खोलते समय सभी खाता धारियों के लिए सीडीडी प्रक्रियाओं का पालन किया जाएगा। ज. जिन परिस्थितियों में किसी ग्राहक को किसी अन्य व्यक्ति/संस्था की ओर से कार्य करने की अनुमति है, उन्हें स्पष्ट रूप से बताया जाएगा। झ. 29ग्राहक की पहचान किसी ऐसे व्यक्ति या संस्था से मेल नहीं खाती है, जिसका नाम इस एमडी के अध्याय IX में इंगित प्रतिबंध सूची में शामिल है, यह सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त प्रणाली स्थापित की जाए। ञ. 30जहां स्थायी खाता संख्या (पैन) लिया जाता है, वहाँ उसे जारी करने वाले प्राधिकारी की सत्यापन प्रणाली से सत्यापित किया जाएगा। ट. 31 जहां ग्राहक से समतुल्य ई-दस्तावेज़ लिया जाता है, आरई डिजिटल हस्ताक्षर को सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों के (2000 का 21) के अनुसार सत्यापित करेंगे। ठ. 32 जहां वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विवरण उपलब्ध हैं, वहां जीएसटी संख्या जारी करने वाले प्राधिकरण की खोज/सत्यापन सुविधा से सत्यापित की जाएगी। 11. ग्राहक स्वीकरण नीति के परिणाम स्वरूप सामान्य जनता, खास तौर से, सामाजिक और वित्तीय रूप से पिछड़े व्यक्तियों को बैंकिंग/ वित्तीय सुविधाएं उपलब्ध/ प्राप्त होने में अडचन न आएं। 3311ए. जहां आरई को मनी लॉन्ड्रिंग या आतंकवादी वित्तपोषण का संदेह उत्पन्न होता है, और यह यथोचित रूप से माना जाता है कि सीडीडी प्रक्रिया करने से ग्राहक को सूचना मिलेगी, और वह सीडीडी प्रक्रिया का पालन नहीं करेगा, और इसके बजाय एफआईयू-आईएनडी के साथ एक एसटीआर फाइल करेगा। 12. जोखिम प्रबंधन के लिए विनियमित संस्थाएं जोखिम आधारित रुख अपनाएंगी, जिसमें निम्नलिखित शामिल हैं: क. ग्राहकों को विनियमित संस्थाओं के आकलन और जोखिम अनुमान केआधार पर कम, मध्यम और उच्च जोखिम वाले ग्राहकों की श्रेणी में वर्गीकृत किया जाएगा। ख. 34ग्राहकों के जोखिम-वर्गीकरण के लिए आरई द्वारा व्यापक सिद्धांत निर्धारित किए जा सकते हैं। ग. 35जोखिम वर्गीकरण मापदंडों जैसे ग्राहक की पहचान, सामाजिक/वित्तीय स्थिति, व्यावसायिक गतिविधि की प्रकृति, और ग्राहक के व्यवसाय और उनके स्थान के बारे में जानकारी, ग्राहकों के साथ-साथ लेनदेन को कवर करने वाला भौगोलिक जोखिम, प्रस्तुत किए जाने वाले उत्पादों/सेवाओं के प्रकार, उत्पादों/सेवाओं की डिलीवरी के लिए उपयोग किया जाने वाला डिलीवरी चैनल, किए गए लेन-देन के प्रकार - नकद, चेक/मौद्रिक लिखत, वायर ट्रांसफर विदेशी मुद्रा लेनदेन, आदि के आधार पर किया जाएगा। ग्राहक की पहचान पर विचार करते समय, ऑनलाइन या जारी करने वाले अधिकारियों द्वारा प्रदान की जाने वाली अन्य सेवाओं के माध्यम से पहचान दस्तावेजों की पुष्टि करने की क्षमता को भी ध्यान में रखा जा सकता है। घ. 36ग्राहक के जोखिम वर्गीकरण और ऐसे वर्गीकरण के विशिष्ट कारणों को गोपनीय रखा जाएगा और ग्राहक को सूचना देने से बचने के लिए ग्राहक को प्रकट नहीं किया जाएगा। बशर्ते कि कथित जोखिम से संबंधित ग्राहकों की विभिन्न श्रेणियों से एकत्र की गई विभिन्न अन्य जानकारी गैर-दखल देने वाली हो और इसे केवाईसी नीति में निर्दिष्ट किया गया हो। 37स्पष्टीकरण: एफएटीएफ सार्वजनिक वक्तव्य, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) और अन्य एजेंसियों, आदि द्वारा जारी केवाईसी/एएमएल पर रिपोर्ट और मार्गदर्शन नोट्स का भी जोखिम मूल्यांकन में उपयोग किया जा सकता है। ग्राहक पहचान क्रियाविधि (सीआईपी) 13. विनियमित संस्थाओं को निम्नलिखित स्थितियों में ग्राहकों की पहचान करनी होगी: क. ग्राहक के साथ कोई खाता आधारित संबंध शुरू करते समय। ख. 38किसी ऐसे व्यक्ति के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा अंतरण करते समय, जो बैंक का खाताधारक न हो। ग. जब बैंक को स्वयं द्वारा प्राप्त किए गए ग्राहक पहचान डेटा की प्रामाणिकता या पर्याप्तता को लेकर कोई संदेह हो। घ. किसी तृतीय पार्टी के उत्पाद एजेंट के रूप में बेचते समय, स्वयं अपने उत्पाद बेचते समय, क्रेडिट कार्ड के बकाये का भुगतान करते समय और प्रीपेड/यात्रा कार्ड का विक्रय और रीलोडिंग तथा 50,000/- रूपए से अधिक का कोई भी अन्य उत्पाद बेचते समय। ङ. किसी गैर-खाता-आधारित ग्राहक के लिए लेन-देन करना, जो कि एक वॉक-इन ग्राहक है, जिसमें शामिल राशि पचास हजार रुपये के बराबर या उससे अधिक है, चाहे एकल लेनदेन के रूप में या कई लेनदेन जो जुड़े हुए प्रतीत होते हैं। च. जब किसी विनियमित संस्था के पास यह विश्वास करने का कारण मौजूद हो कि कोई ग्राहक (खाताधारी या नवागंतुक) किसी लेनदेन को इरादतन 50,000/- रूपए से कम के लेनदेनों को शृंखला में बदल रहा है। छ. आरई यह सुनिश्चित करेगा कि खाता खोलते समय परिचय नहीं मांगा जाए। 14. खाता-आधारित संबंध आरंभ करने से पहले ग्राहकों की पहचान को निर्धारित करने और उसको सत्यापित करने के लिए विनियमित संस्थाएं तृतीय पक्ष द्वारा ग्राहकों के संबंध में किए गए समुचित सावधानी उपायों का सहारा लेने का विकल्प निम्नलिखित शर्तों के अधीन अपना सकती हैं: क. 39तृतीय पक्ष द्वारा ग्राहक के संबंध में समुचित सावधानी के तहत संकलित आवश्यक जानकारी या रेकॉर्ड तृतीय पक्ष से या केंद्रीय केवाईसी रेकॉर्ड रजिस्ट्री से दो दिनों के अंतर्गत प्राप्त की जाए; ख. विनियमित संस्था स्वयं को संतुष्ट करने के लिए आवश्यक उपाय करे कि ग्राहक संबंधी पहचान डेटा और समुचित सावधानी से संबंधित/ सुसंगत दस्तावेजों की प्रतियां तृतीय पक्ष से अनुरोध करने पर अविलंब प्राप्त हो जाएंगी; ग. तृतीय पक्ष विनियमित, पर्यवेक्षित हो और उसे मानीटर किया जाता है और धनशोधन निवारण अधिनियम की अपेक्षाओं और दायित्वों को पूरा करने के अधीनग्राहक संबंधी समुचित सावधानी और रिकार्ड-कीपिंग अपेक्षाओं के लिए उसने समुचित उपाए किए हैं; घ. तृतीय पक्ष उच्च जोखिम के रूप में वर्गीकृत देश या क्षेत्राधिकार में स्थित नहीं है ङ. अंततः विनियमित संस्था ग्राहक से संबंधित समुचित सावधानी के लिए और यथाप्रयोज्य उच्चतर समुचित सावधानी उपाय करने के लिए उत्तरदायी होगी। ग्राहक के संबंध में समुचित सावधानी प्रक्रिया (सीडीडी) भाग I – व्यक्तियों के मामले में सीडीडी प्रक्रिया 15. 40हटाया गया 16. 41सीडीडी के लिए, आरई एक व्यक्ति से खाता-आधारित संबंध स्थापित करते समय या किसी ऐसे व्यक्ति के साथ संव्यवहार करते हुए जो एक लाभार्थी स्वामी, अधिकृत हस्ताक्षर कर्ता या किसी कानूनी इकाई से संबंधित पॉवर अटॉर्नी धारक है, से निम्नलिखित दस्तावेज़ प्राप्त करेगा : (क) आधार संख्या, जहां (i) वह आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 (2016 का 18) की धारा 7 के तहत अधिसूचित किसी भी योजना के तहत कोई लाभ या सब्सिडी प्राप्त करने का इच्छुक है; या (ii) वह अपना आधार संख्या स्वेच्छा से किसी बैंकिंग कंपनी या पीएमएल अधिनियम की धारा 11 ए की उप-धारा (1) के पहले परंतुक के तहत अधिसूचित किसी भी रिपोर्टिंग इकाई को प्रस्तुत करने का निर्णय लेता है; या (कक) आधार संख्या होने का प्रमाण जहां ऑफ़लाइन सत्यापन किया जा सकता है; या (कख) आधार संख्या होने का प्रमाण जहां ऑफ़लाइन सत्यापन नहीं किया जा सकता है; या कोई आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज (ओवीडी) या उसकी पहचान और पते के विवरण वाला समतुल्य ई-अभिलेख; तथा 42(कग) सीकेवाईसीआर से रिकॉर्ड डाउनलोड करने के लिए स्पष्ट सहमति के साथ केवाईसी पहचानकर्ता; और (ख) स्थायी खाता संख्या या उसके समतुल्य ई-अभिलेख या फॉर्म संख्या 60 जैसा कि आयकर नियम, 1962 में परिभाषित है; तथा (ग) आरई द्वारा अपेक्षित अन्य अभिलेख जिसमें ग्राहक के व्यवसाय या वित्तीय स्थिति की प्रकृति से संबंधित अभिलेख शामिल हैं या उनके समतुल्य ई-अभिलेख। बशर्ते कि, जहां ग्राहक ने निम्नलिखित जमा किया है: i) उपर्युक्त खंड (क) के तहत किसी बैंकिंग कंपनी या पीएमएल अधिनियम की धारा 11 ए की उप-धारा (1) के पहले परंतुक के तहत अधिसूचित किसी भी रिपोर्टिंग इकाई तहत आधार संख्या जमा किया है, वहां ऐसे बैंक या आरई भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण द्वारा दी गई ई-केवाईसी प्रमाणीकरण सुविधा का उपयोग कर ग्राहक की आधार संख्या का प्रमाणीकरण करेंगे। ऐसे मामले में, अगर ग्राहक केंद्रीय पहचान डेटारिपॉजिटरी में उपलब्ध पहचान सूचना में दिए गए पते से अलग वर्तमान पता देना चाहता है, तो विनियमित संस्था को इस आशय की स्व-घोषणा दे सकता है। ii) उपर्युक्त खंड (कक) के तहत आधार होने का प्रमाण जमा किया है और जहां ऑफ़लाइन सत्यापन किया जा सकता है, आरई ऑफ़लाइन सत्यापन करेंगे। iii) किसी भी ओवीडी का समतुल्य ई-अभिलेख जमा किया है, आरई सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (2000 का 21) के प्रावधानों और इसके तहत जारी किसी नियम के अनुसार डिजिटल हस्ताक्षर को सत्यापित करेंगे और अनुबंध I में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार लाइव फोटो लेंगे। iv) कोई ओवीडी अथवा उपर्युक्त खंड (कख) के तहत आधार संख्या होने का प्रमाण जहां ऑफ़लाइन सत्यापन नहीं किया जा सकता है, आरई मास्टर निदेश के अनुबंध I के अनुसार विनिर्दिष्ट डिजिटल केवाईसी द्वारा सत्यापन करेंगे। 43(v) उपर्युक्त खंड (कग) के तहत केवाईसी पहचानकर्ता, आरई धारा 56 के अनुसार सीकेवाईसीआर से केवाईसी रिकॉर्ड ऑनलाइन प्राप्त करेगा। बशर्ते कि, सरकार द्वारा आरई के किसी वर्ग के लिए अधिसूचित तिथि से भीतर की अवधि के लिए, ऐसे वर्ग में शामिल आरई, डिजिटल केवाईसी करने की बजाय आधार संख्या होने के प्रमाण की सत्यापित प्रति लें या ओवीडी और एक हाल का फोटोग्राफ लें, जहां समतुल्य ई-अभिलेख जमा नहीं किया गया है। बशर्ते यह भी कि यदि ई-केवाईसी का प्रमाणीकरण, किसी व्यक्ति को जो आधार (वित्तीय और अन्य सब्सिडी, लाभ और सेवा का लक्षित वितरण) अधिनियम, 2016 की धारा 7 के तहत अधिसूचित किसी भी योजना के तहत कोई लाभ या सब्सिडी प्राप्त करने का इच्छुक है और चोट, बीमारी या वृद्धावस्था या अन्य इसी तरह के कारण से अशक्त है,नहीं किया जा सकता वहां, आरई आधार नंबर प्राप्त करने के अलावा, अधिमानतः ग्राहक से किसी अन्य ओवीडी की प्रमाणित प्रति प्राप्त करके ऑफ़लाइन या वैकल्पिक सत्यापन करेंगे। इस तरह से किए गए सीडीडी को हमेशा आरई के एक अधिकारी द्वारा किया जाएगा और इस तरह के अपवाद कार्य भी समवर्ती लेखा परीक्षा का एक हिस्सा होगा जैसा कि खंड 8 में अधिदेशित है। आरई केंद्रीकृत अपवाद डाटाबेस में अपवाद कार्य के मामलों को विधिवत दर्ज करना सुनिश्चित करेगा। डेटाबेस में अपवाद, ग्राहक विवरण, नामित अधिकारी के नाम के अपवाद और अतिरिक्त विवरण, यदि कोई अधिकृत करने के आधार के विवरण होंगे।डेटाबेस आरई द्वारा आवधिक आंतरिक लेखापरीक्षा/ निरीक्षण के अधीन होगा और पर्यवेक्षी समीक्षा के लिए उपलब्ध होगा। स्पष्टीकरण 1: जहां ग्राहक अपना आधार नंबर होने का प्रमाण आधार नंबर के साथ जमा करता है, वहाँ आरई यह सुनिश्चित करेगा कि ऐसे ग्राहक उचित माध्यम से अपने आधार नंबर को रेडक्ट करें या ब्लैक आउट करें जहां उपर्युक्त परंतुक 1 के तहत आधार संख्या के प्रमाणीकरण की आवश्यकता नहीं है। स्पष्टीकरण 2: बायोमेट्रिक आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण बैंक अधिकारी/ व्यवसाय प्रतिनिधि/ व्यवसाय सुविधा प्रदाता द्वारा किया जा सकता है। स्पष्टीकरण 3: आधार का उपयोग, आधार होने का प्रमाणन आदि, आधार (वित्तीय और अन्य सहायिकियों, प्रसुविधाओं और सेवाओं का लक्ष्यित परिदान) अधिनियम, 2016 और उसके तहत बनाए गए विनियमों के अनुसार होगा। 17. आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी का प्रयोग करते हुए अप्रत्यक्ष मोड में खोले गए खाते निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं:
18. 47आरई निम्न के लिए वी-सीआईपी कर सकते हैं: i) व्यक्तिगत ग्राहकों के मामले में नए ग्राहक, स्वामित्व फर्म के मामले में स्वामी, विधिक इकाई (एलई) ग्राहकों के मामले में प्राधिकृत हस्ताक्षरकर्ता और हिताधिकारी स्वामी (बीओ) के ऑन-बोर्डिंग के लिए सीडीडी। 48बशर्ते कि, स्वामित्व फर्म की सीडीडी के मामले में, स्वामी के संदर्भ में सीडीडी करने के अलावा, धारा 28 और धारा 29 में उल्लिखित स्वामित्व फर्म के संबंध में गतिविधि प्रमाणों के समकक्ष ई-दस्तावेज भी आरई प्राप्त करेगा। ii) धारा 17 के अनुसार आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी प्रमाणीकरण का उपयोग करके नॉन-फेस टू फेस मोड में खोले गए मौजूदा खातों का रूपांतरण। iii) पात्र ग्राहकों के लिए केवाईसी का अद्यतनीकरण/ आवधिक अद्यतनीकरण। वी-सीआईपी शुरू करने का विकल्प चुनने वाले आरई निम्नलिखित न्यूनतम मानकों का पालन करेंगे: (क) वी-सीआईपी बुनियादी ढांचा (इंफ्रास्ट्रक्चर)
(ख) वी-सीआईपी प्रक्रिया i) प्रत्येक आरई वी-सीआईपी के लिए एक स्पष्ट कार्य प्रवाह और मानक संचालन प्रक्रिया तैयार करेगा और इसका पालन सुनिश्चित करेगा। वी-सीआईपी प्रक्रिया केवल आरई के अधिकारियों द्वारा संचालित की जाएगी जिन्हें इस उद्देश्य के लिए प्रशिक्षित किया गया है। अधिकारी लाइवलिनेस की जांच करने में सक्षम होना चाहिए और ग्राहक के किसी अन्य धोखाधड़ी, जालसाजी या संदिग्ध आचरण का पता लगाना चाहिए और उस पर कार्रवाई करनी चाहिए। ii) 51वीडियो का रुकना, कॉल फिर से कनेक्ट होना आदि सहित किसी भी प्रकार के व्यवधान के परिणामस्वरूप कई वीडियो फ़ाइलें नहीं बननी चाहिए। यदि विराम या व्यवधान के कारण कई फाइलें नहीं बन रही हैं, तो आरई द्वारा नया सत्र शुरू करने की कोई आवश्यकता नहीं है। हालांकि, कॉल ड्रॉप/डिस्कनेक्शन के मामले में, नए सत्र की शुरुआत की जाएगी। iii) वीडियो इंटरैक्शन के दौरान अनुक्रम और/ या प्रश्नों के प्रकार जिसमें इंटरैक्शन का लाइव होना दर्शाता है, विविध होंगे जिससे कि यह स्थापित हो कि इंटरैक्शन वास्तविक-समय हैं और पूर्व-रिकॉर्ड नहीं हैं। iv) यदि ग्राहक की ओर से कोई भी प्रबोधन (प्राम्प्टिंग) देखा गया तो, खाता खोलने की प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा। v) वी-सीआईपी ग्राहक के एक मौजूदा अथवा नए ग्राहक होने का तथ्य, या यदि यह पहले से रद्द किए गए किसी मामले से संबंधित है अथवा किसी नकारात्मक सूची में नाम को दर्शाया गया हो तो कार्य प्रवाह के उचित चरण में उसे फैक्टर किया जाना चाहिए। vi) वी-सीआईपी का निष्पादन करने वाले आरई के अधिकृत अधिकारी पहचान के लिए मौजूद ग्राहक की तस्वीर खींचने के साथ-साथ निम्नलिखित में से किसी एक का उपयोग करके पहचान की जानकारी प्राप्त करने के लिए ऑडियो-वीडियो रिकॉर्ड करेंगे।
आरई धारा 16 के संदर्भ में आधार संख्या को संपादित या ब्लैकआउट( ढकना) सुनिश्चित करेगा। 52एक्सएमएल फ़ाइल या सुरक्षित आधार क्युआर कोड का उपयोग करके आधार के ऑफ़लाइन सत्यापन के मामले में, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि एक्सएमएल फ़ाइल या क्युआर कोड जनरेशन की तारीख वी-सीआईपी करने से 3 दिन से अधिक पुरानी नहीं है। 53साथ ही, आधार एक्सएमएल फ़ाइल/ आधार क्यूआर कोड के उपयोग के लिए तीन दिनों की निर्धारित अवधि के अनुरूप, आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि वी-सीआईपी की वीडियो प्रक्रिया सीकेवाईसीआर/ आधार प्रमाणीकरण /समतुल्य-ई दस्तावेज के माध्यम से पहचान जानकारी डाउनलोड करने / प्राप्त करने के तीन दिनों के भीतर की जाती है, ऐसा उस स्थिति में होगा जहां दुर्लभ मामलों में, पूरी प्रक्रिया एक बार में या निर्बाध रूप से पूरी नहीं की जा सकती। हालांकि, आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि इसके कारण कोई वृद्धिशील जोखिम न उत्पन्न हो। vii) यदि ग्राहक का पता ओवीडी में दर्शाए गए से अलग है, मौजूदा आवश्यकता के अनुसार वर्तमान पते के उपयुक्त दस्तावेज कैप्चर किए जाएंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ग्राहक द्वारा प्रस्तुत की गई आर्थिक और वित्तीय प्रोफ़ाइल / सूचना की पुष्टि ग्राहक द्वारा वी-सीआईपी से उपयुक्त तरीके से की जाए। viii) आरई प्रक्रिया के दौरान ग्राहक द्वारा प्रदर्शित किए जाने वाले पैन कार्ड की स्पष्ट छवि को कैप्चर करेंगे, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां ग्राहक द्वारा ई-पैन प्रदान किया जाता है। डिजीलॉकर सहित जारीकर्ता प्राधिकारी के डेटाबेस से पैन विवरण सत्यापित किया जाएगा। ix) ई-पैन सहित समतुल्य ई-दस्तावेज की प्रिंटेड कॉपी, वी-सीआईपी के लिए मान्य नहीं है। x) आरई के अधिकृत अधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि आधार / ओवीडी और पैन / ई-पैन में ग्राहक की तस्वीर वी-सीआईपी करने वाले ग्राहक के साथ मेल खाती हो और आधार / ओवीडी और पैन / ई-पैन में पहचान के विवरण ग्राहक द्वारा प्रदान किए गए विवरण से मेल खाती हो। xi) सहयोगी वीसीआईपी की अनुमति वहीं होगी जब केवल ग्राहक के स्तर (छोर) पर प्रक्रिया को सुविधाजनक बनाने में बैंकिंग प्रतिनिधि (बीसी) की मदद लेता है। बैंक ग्राहक की सहायता करने वाले बीसी के विवरण को व्यवस्थित बनाए रखेंगे, जहां भी बीसी की सेवाओं का उपयोग किया जाता है। ग्राहक से सम्बंधित समुचित सावधानी के लिए अंतिम जिम्मेदारी बैंक की होगी। xii) वी-सीआईपी के माध्यम से खोले गए सभी खातों को समवर्ती लेखा परीक्षा के अधीन होने के बाद ही परिचालन योग्य बनाया जाएगा, ताकि प्रक्रिया की अखंडता और परिणाम की स्वीकार्यता सुनिश्चित की जा सके। xiii) सभी मामले जो पैरा के अंतर्गत विनिर्दिष्ट नहीं हैं, लेकिन अन्य संविधियों जैसे कि सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम के तहत आवश्यक हैं, आरई द्वारा उचित रूप से अनुपालन किया जाएगा। (ग) वी-सीआईपी दस्तावेज़ और डाटा प्रबंधन
19. 54हटाया गया 20. 55हटाया गया 21. 56हटाया गया 22. हटाया गया 23. 57धारा 16 में निहित होने के बावजूद और उसके विकल्प के रूप में, यदि कोई व्यक्ति खाता खोलना चाहता है, तो बैंक ‘लघु खाता’ खोल सकता है,जो निम्नलिखित सीमाओं को पूरा करता है:
58बशर्ते, सरकारी अनुदान, कल्याणकारी लाभ और खरीद के लिए भुगतान के माध्यम से जमा करते समय शेष राशि की इस सीमा पर विचार नहीं किया जाएगा। इसके अलावा, लघु खाते निम्नलिखित शर्तों के अधीन हैं: क. बैंक ग्राहक से स्व-प्रमाणित फोटोग्राफ की एक प्रति प्राप्त करें। ख. बैंक का पदनामित अधिकारी अपने हस्ताक्षर के तहत यह प्रमाणित करेगा कि उसकी उपस्थिति में खाता खोलने वाले व्यक्ति ने अपने हस्ताक्षर अथवा अंगूठे का निशान लगाया है। 59बशर्ते कि जहां कोई व्यक्ति जेल में बंदी है, वहां जेल के भार साधक अधिकारी की उपस्थिति में हस्ताक्षर और अंगूठे का निशान लगाया जाएगा और उक्त अधिकारी अपने हस्ताक्षर से उसे प्रमाणित करेगा और खाता, जेल के भार साधकअधिकारी द्वारा जारी पते के सबूत के प्रमाणपत्र के वार्षिक प्रस्तुतिकरण पर प्रवर्तनशील हो जाएगा। ग. ऐसे खाते केवल कोर बैंकिंग सोल्यूशन (सीबीएस) से जुड़ी शाखाओं अथवा ऐसी शाखाओं में खोले जा सकते हैं जहां मैनुवली निगरानी रखना संभव हो तथा यह सुनिश्चित किया जा सके कि ऐसे खाते में विदेशी विप्रेषण जमा नहीं किया जाता है। घ. बैंक यह सुनिश्चित करें कि लेनदेन संबंधी विनिर्दिष्ट सकल राशि और शेष राशि के लिए निर्धारित मासिक और वार्षिक सीमा का उल्लंघन लेनदेन होने पर न घटित हो। ङ. प्रारंभ में बारह महीनों की अवधि के लिए खाता परिचालन में रहेगा, जिसे आगे बारह महीनों की अवधि के लिए बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते कि खाताधारक उक्त खाता खोलने के पहले बारह महीनों के दौरान किसी भी ओवीडी के लिए आवेदन करने के साक्ष्य प्रस्तुत किया हो। च. संपूर्ण छूट प्रावधानों की समीक्षा चौबीस महीने बाद की जाएगी। छ. 60उक्त खंड (ड़) और (च) में किसी बात के होते हुए भी, लघु खाता 1 अप्रैल 2020 से 30 जून 2020 के बीच और ऐसी अन्य अवधियां, जो केंद्रीय सरकार द्वारा अधिसूचित की जाए, प्रचलित रहेगा। ज. 61खाते की निगरानी की जाएगी और जब धन- शोधन या आतंकवाद गतिविधियों के वित्त पोषण या अन्य उच्च जोखिम परिदृश्यों का संदेह होता है, तो ग्राहक की पहचान धारा 16 अथवा धारा 18 के अनुसार स्थापित की जाएगी। झ. 62विदेशी धन-प्रेषण को खाते में जमा करने की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी जब तक कि ग्राहक की पहचान धारा 16 अथवा धारा 18 के अनुसार नहीं कर ली जाती। 24. 63गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा खाता खोलने के लिए सरलीकृत क्रियाविधि: यदि कोई व्यक्ति धारा 16 में निर्दिष्ट दस्तावेज़ प्रस्तुत करने में सक्षम न हो, तो गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अपने विवेकानुसार निम्नलिखित शर्तों पर खाता खोल सकती हैं: क. एनबीएफसी ग्राहक से एक स्व-प्रमाणित तस्वीर प्राप्त करेगा। ख. एनबीएफसी के नामित अधिकारी अपने हस्ताक्षर के द्वारा प्रमाणित करेंगे कि खाता खोलने वाले व्यक्ति ने अपनी उपस्थिति में अपने हस्ताक्षर किया है या अंगूठे की छाप दी है। ग. 64खाता शुरुआत में बारह महीनों की अवधि के लिए परिचालित रहेगा, जिसके अंतर्गत धारा 16 अथवा धारा 18 के तहत उल्लिखित सीडीडी करना होगा। घ. सभी खातों में कुल मिलाकर शेष राशि किसी भी समय पचास हजार रुपए से अधिक नहीं होगी। ङ. सभी खातों में कुल जमा एक वर्ष में एक लाख रुपए से अधिक नहीं होगी। च. ग्राहक को जागरुक किया जाए कि यदि निर्देश (घ) और (ड़) का उनके द्वारा उल्लंघन किया जाएगा तो संपूर्ण केवाईसी क्रियाविधि पूरी होने तक उन्हें आगे के लेनदेन के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी। छ. ग्राहक को यह सूचित किया जाए कि जब शेष राशि चालीस हजार रुपये तक पहुंच जाएगी अथवा जमा एक वर्ष में अस्सी हजार रूपये तक पहुंच जाएगी तब केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने के लिए उचित दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे अन्यथा सभी खातों की कुल मिलाकर संपूर्ण शेष राशि उक्त निर्देश (घ) और (ड़) में निर्धारित सीमा को पार करते ही लेनदेन रोक दिए जाएंगे। 25. 65हटाया गया 26. 66किसी भी विनियमित संस्था की एक शाखा/ कार्यालय द्वारा एक बार किया गया केवाईसी सत्यापन उसी विनियमित संस्था की किसी अन्य शाखा/ कार्यालय में खाता अंतरित करने के लिए वैध होगा, बशर्ते कि संबंधित खाते के लिए संपूर्ण केवासी सत्यापन पहले ही किया गया हो और वह आवधिक अपडेशन के लिए नियत न हो । भाग II - एकल स्वामित्व वाली फर्मों के लिएसीडीडी उपाय 27. 67एकल स्वामित्व वाली फर्मों के नाम पर खाता खोलने केलिए व्यक्ति (मालिक) के संदर्भ में पहचान की सूचना प्राप्त कर ली जाए। 28. 68उपर्युक्त के अलावा, स्वामित्व वाली फर्म के नाम कारोबार/गतिविधि के प्रमाण के रूप में निम्नलिखित दस्तावेजों में से कोई भी दो दस्तावेज या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त कर लिए जाएं:
29. ऐसे मामलों में जहां विनियमित संस्था इस बात से संतुष्ट हो कि ऐसे दो दस्तावेज प्रस्तुत करना संभव न हो, कारोबार/ गतिविधि के प्रमाण के रूप में उन दस्तावेजों में से विनियमित संस्था अपने विवेकानुसार केवल एक स्वीकार कर सकती है। बशर्ते कि, विनियमित संस्था संपर्की का सत्यापन करे और ऐसी अन्य जानकारी तथा स्प्ष्टीकरण जो ऐसी फर्म के अस्तित्व को प्रमाणित करने के लिए आवश्यक हो, इकठ्ठी करे और स्वयं की इस बात के लिए पुष्टि करे और अपनी संतुष्टि कर ले कि स्वामित्व वाली संस्था के पते से कारोबार की गतिविधियों को सत्यापित किया गया है। भाग III – विधिक संस्थाओं के लिए सीडीडी उपाय 30. 71किसी कंपनी का खाता खोलने के लिए निम्नलिखितदस्तावेजों में से प्रत्येक की प्रमाणित प्रति या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त किए जाएंगे: क. निगमीकरण/ गठन का प्रमाणपत्र। ख. संस्था के अंतर्नियम और बहिर्नियम। ग. 72कंपनी का स्थायी खाता संख्या घ. निदेशक मंडल का इस आशय का संकल्प और अपने प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों को संस्था की ओर से लेनदेन करने के लिए दिया गया मुख्तारनामा हो। ङ. 73संस्था की ओर से लेनदेन करने के लिए मुख्तारनामा प्राप्त हिताधिकारी स्वामी, प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों के संबंध में धारा 16 में उल्लिखित अनुसार दस्तावेज़। च. 74वरिष्ठ प्रबंधन के पद धारण करने वाले संबंधित व्यक्तियों के नाम; और छ. 75पंजीकृत कार्यालय और उसके कारोबार का प्रमुख स्थान, यदि वह अलग है। 31. 76भागीदारी फर्म के लिए खाता खोलने हेतु निम्नलिखित दस्तावेजों में से प्रत्येक की प्रमाणित प्रति या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त कर लिए जाए : क. पंजीकरण प्रमाणपत्र। ख. भागीदारी विलेख। ग. 77पार्टनरशिप फर्म का स्थायी खाता संख्या घ. 78उसकी ओर से लेनदेन करने के लिए मुख्तारनामा धारण करने वाले हिताधिकारी स्वामी, प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों, जैसा भी मामला हो, के संबंध में अनुच्छेद 16 में उल्लिखित अनुसार दस्तावेज़ ङ. 79सभी भागीदारों के नाम और च. 80पंजीकृत कार्यालय और उसके कारोबार का प्रमुख स्थान, यदि वह अलग है। 32. 81किसी न्यास का खाता खोलने के लिए निम्नलिखित में से प्रत्येक की प्रमाणित प्रति या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़प्राप्त कर लिए जाए। क. पंजीकरण प्रमाणपत्र। ख. न्यास विलेख। ग. 82न्यास का स्थायी खाता संख्या या प्रपत्र संख्या घ. 83हिताधिकारी स्वामी, प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों, जैसा भी मामला हो, जो ग्राहक की ओर से लेनदेन करने हेतु मुख्तारनामा धारण करता हो, के संबंध में अनुच्छेद 16 में उल्लिखित अनुसार पहचान दस्तावेज़ ङ. 84न्यास के लाभार्थियों, न्यासियों, व्यवस्थापनकर्ता (सेटलर) और निर्माताओं (authors) के नाम च. 85न्यास के पंजीकृत कार्यालय का पता; और छ. 86धारा 16 में निर्दिष्ट, न्यासी के रूप में भूमिका का निर्वहन करने वालों के लिए और न्यास की ओर से लेन-देन करने के लिए अधिकृत न्यासियों और दस्तावेजों की सूची। 33A. 87अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय का खाता खोलने के लिए निम्नलिखित दस्तावेजों में से प्रत्येक की प्रमाणित प्रति या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्राप्त किए जाए: क. ऐसे अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय के प्रबंधन का संकल्प; ख. 88अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय का स्थायी खाता संख्या या प्रपत्र संख्या 60 ग. उसकी ओर से लेनदेन करने के लिए प्रदत्त मुख्तारनामा; घ. 89हिताधिकारी स्वामी, प्रबंधकों, अधिकारियों अथवा कर्मचारियों, जैसा भी मामला हो, जो ग्राहक की ओर से लेनदेन करने हेतु मुख्तारनामा धारण करता हो के संबंध में धारा 16 में उल्लिखित दस्तावेज़; और ङ. ऐसी सूचना जो ऐसे अनिगमित संघ या व्यक्तियों के निकाय के विधिक अस्तित्व को सिद्ध करने के लिए समग्र रूप से विनियमित संस्था (आरई) द्वारा अपेक्षित हो। स्पष्टीकरण: अपंजीकृतन्यास/ भागीदारी फर्मों को ‘’अनिगमितसंघ’’ के दायरे में शामिल किया जाएगा। स्पष्टीकरण: शब्द 'व्यक्तियों का निकाय' में सोसाइटी शामिल हैं। 33B. 90किसी ऐसे ग्राहक का खाता खोलने के लिए जो एक न्यायिक व्यक्ति है (विशेष रूप से पहले भाग में शामिल नहीं है) जैसे समाज, विश्वविद्यालय और स्थानीय निकाय जैसे ग्राम पंचायत, आदि, या जो ऐसे न्यायिक व्यक्ति या व्यक्ति या ट्रस्ट की ओर से कार्य करने का दावा करता है, निम्नलिखित दस्तावेजों की प्रमाणित प्रतियां या उसके समकक्ष ई-दस्तावेज प्राप्त और सत्यापित किए जाएंगे: क. संस्था की ओर से कार्य करने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति का नाम दर्शाने वाले दस्तावेज; ख. उसकी ओर से लेन-देन करने के मुख्तारनामा धारक व्यक्ति के संबंध में पहचान और पते के प्रमाण के लिए धारा 16 के अधीन निर्धारित दस्तावेज़ ग. ऐसे दस्तावेज जो ऐसी किसी संस्था/ न्यायिक व्यक्ति का विधिकअस्तित्व स्थापित करने के लिए विनियमित संस्था द्वारा अपेक्षित हो सकते हैं। भाग – IV हिताधिकारी स्वामी की पहचान 34. विधिक संस्था, जो कि प्राकृतिक व्यक्ति नहीं है, का खाताखोलने के लिए हिताधिकारीस्वामी की पहचान करनी चाहिए और उक्त नियम 9 के उप नियम(3) के अनुसार उसकी पहचान का सत्यापन करने के लिए, नीचे दिये गए दिशा-निर्देशों केअनुसार, सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं: क. 91जहां ग्राहक या नियंत्रक हिताधिकारी का स्वामी (i) भारत में स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध एक इकाई है, या (ii) यह केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित क्षेत्राधिकार में रहने वाली एक इकाई है और ऐसे अधिकार क्षेत्र में स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध है, या (iii) यह ऐसी सूचीबद्ध संस्थाओं की अनुषंगी कंपनी है; ऐसी संस्थाओं के किसी भी शेयरधारक या लाभार्थी स्वामी की पहचान और पहचान को सत्यापित करना आवश्यक नहीं है। ख. न्यास/ नामिती या प्रत्ययी खातों के मामलों में यह निर्धारित किया जाए कि क्या ग्राहक किसी अन्य की ओर से न्यासी/ नामिती अथवा किसी अन्य मध्यवर्ती के रूप में कार्य कर रहा है। ऐसे मामलों में, मध्यवर्तियों अथवा जिनकी ओर से वे काम कर रहे हैं, ऐसे व्यक्तियों की पहचान का संतोषजनक साक्ष्य तथा न्यास के स्वरूप तथा अन्य व्यवस्थाओं के ब्यौरे भी प्राप्त करने चाहिए। 35. विनियमित संस्था (आरई) को ग्राहकों के संबंध में सतत समुचित सावधानी बरतनी चाहिए ताकि वे यह सुनिश्चित कर सकें कि उनके (ग्राहकों के) लेनदेन, ग्राहकों के कारोबार और जोखिम प्रोफाइल; तथा निधियों के स्रोतों के संबंध मेंउसकी जानकारी के अनुरूप हैं। 36. सघन निगरानी के लिए आवश्यक तथ्यों की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना निम्न प्रकार के लेनदेनों की अवश्य निगरानी की जानी चाहिए: क. आरटीजीएस सहित बड़े और जटिल लेनदेन जो असामान्य रूप के हैं, संबंधित ग्राहक की सामान्य और अपेक्षित गतिविधि के अनुरूप नहीं हैं और जिनका कोई सुस्पष्ट आर्थिक अथवा वैध (औचित्यपूर्ण) प्रयोजन न हो। ख. किसी विशिष्ट श्रेणी के खातों के लिए निर्धारित (सचेतक) न्यूनतम सीमाओं को लांघने वाले लेनदेन। ग. रखी गयी शेष राशि की मात्रा के अननुरूप बहुत बड़े लेनदेन। घ. विद्यमान और नए खुले खातों में जमा हुए थर्ड पार्टी चेक, ड्राफ्ट आदि से बाद मे बड़ी राशियों की निकासी। 92धारणीय सावधानी बरतने के लिए, आरई प्रभावी निगरानी का समर्थन करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग (एआई और एमएल) प्रौद्योगिकियों सहित उपयुक्त नवाचारों को अपनाने पर विचार किया जाए। 37. निगरानी किस सीमा तक होगी यह ग्राहक के जोखिम वर्गीकरण परनिर्भर होगा। स्पष्टीकरण: उच्च जोखिम वाले खातों की सघन निगरानी की जानी चाहिए। क. खातों के जोखिम वर्गीकरण की आवधिक समीक्षा जो छह महीने में कम से कम एक बार की जाए और इस संबंध में संवर्धित समुचित सावधानी के और अधिक उपाय लागू करने के लिए एक प्रणाली स्थापित करने की भी आवश्यकता होगी। ख. मार्केटिंग कंपनियों, विशेषकर बहु-स्तरीय मार्केटिंग कंपनियों (एमएलएम), के खातों पर सघन निगरानी करनी चाहिए। स्पष्टीकरण: ऐसे मामलों में जहां कंपनी द्वारा बड़ी संख्या में चेक बुकों की मांग की गई हो, एक ही बैंक खाते में देश भर में बहुत सारी छोटी-छोटी जमाराशियां जमा की गयी हों (सामान्यतः नकद रूप में) और जहां बड़ी संख्या में एक समान राशियों/तिथियों के चेक जारी किए जाते हों तो ऐसे मामले को रिज़र्व बैंक और अन्य उचित प्राधिकारियों जैसे कि एफ़आईयू-आईएनडी को तत्काल रिपोर्ट किया जाना चाहिए। 38. 93केवाईसी का अद्यतन/आवधिक अद्यतन केवाईसी के आवधिक अद्यतन के लिए विनियमित संस्था (आरई) जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाएगा। हालाँकि, खाता खोलने की तिथि/अंतिम केवाईसी अद्यतन से उच्च जोखिम वाले ग्राहकों के लिए हर दो साल में कम से कम एक बार, मध्यम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए हर आठ साल में एक बार और कम जोखिम वाले ग्राहकों के लिए दस साल में एक बार आवधिक अद्यतन किया जाएगा। इस संबंध में नीति को आरई की आंतरिक केवाईसी नीति के भाग के रूप में प्रलेखित किया जाएगा, जिसे आरई के निदेशक मंडल या बोर्ड की किसी भी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया है, जिसे शक्ति को प्रत्यायोजित किया गया है। क. वैयक्तिक ग्राहक : i. केवाईसी जानकारी में कोई बदलाव नहीं: केवाईसी जानकारी में कोई बदलाव नहीं होने की स्थिति में, ग्राहक से इस संबंध में एक स्व-घोषणा, आरई के साथ ग्राहक के पंजीकृत ईमेल-आईडी, आरई के साथ पंजीकृत मोबाइल नम्बर, एटीएम, डिजिटल चैनल (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, आरई का मोबाइल एप्लीकेशन), पत्र आदि के माध्यम से प्राप्त की जाएगी। ii. पते में परिवर्तन: केवल ग्राहक के पते के विवरण में परिवर्तन के मामले में, नए पते का एक स्व-घोषणा आरई के साथ पंजीकृत ग्राहक के ईमेल आईडी, आरई के साथ ग्राहक के पंजीकृत मोबाइल नंबर, एटीएम, डिजिटल चैनल (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग / इंटरनेट बैंकिंग, आरई का मोबाइल एप्लिकेशन), पत्र आदि के माध्यम से प्राप्त किया जाएगा और घोषित पते को दो महीने के भीतर सकारात्मक पुष्टि के माध्यम से सत्यापित किया जाएगा, जिसमें पता सत्यापन पत्र, संपर्क बिंदु सत्यापन, डिलिवरेबल्स आदि शामिल होंगे। साथ ही, आरई, अपने विकल्प पर, ओवीडी की एक प्रति या ओवीडी या उसके समतुल्य ई-दस्तावेज़ों की प्रतिलिपि प्राप्त कर सकते हैं, जैसा कि आवधिक अद्यतन के समय पर ग्राहक द्वारा घोषित पते के प्रमाण के उद्देश्य से धारा 3 (क) (xiv) में परिभाषित किया गया है। तथापि, ऐसी आवश्यकता को आरई द्वारा अपनी आंतरिक केवाईसी नीति में स्पष्ट रूप से विनिर्दिष्ट किया जाना चाहिए, जिसे आरई के निदेशक मंडल या बोर्ड की किसी भी समिति द्वारा अनुमोदित किया गया हो, जिसको शक्ति प्रत्यायोजित किया गया है। iii. ग्राहकों के खाते, जो खाता खोलते समय अवयस्क थे, उनके वयस्क होने पर : जिन ग्राहकों के खाते तब खोले गए थे जब वे अवयस्क थे, उनके वयस्क होने पर उनकी नई तस्वीरें प्राप्त की जाएं और उस समय यह सुनिश्चित किया जाए कि वर्तमान सीडीडी मानकों के अनुसार सीडीडी दस्तावेज आरई के पास उपलब्ध हैं। जहाँ कहीं भी आवश्यकता हो, आरई ऐसे ग्राहकों जिनके, लिए खाता तब खोला गया था जब वे अवयस्क थे, उनके वयस्क होने पर, नए केवाईसी करवा सकते हैं। iv. 94आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी नॉन-फेस टू फेस मोड में आवधिक अद्यतन के लिए उपयोग किया जा सकता है। स्पष्टीकरण के लिए, धारा 17 में निर्धारित शर्तें गैर-फेस टू फेस मोड में आधार ओटीपी आधारित ई-केवाईसी के माध्यम से केवाईसी के अद्यतन/आवधिक अद्यतन के मामले में लागू नहीं होती हैं। वर्तमान पते की घोषणा, यदि वर्तमान पता आधार में दिए गए पते से भिन्न है, तो इस मामले में सकारात्मक पुष्टि की आवश्यकता नहीं होगी। आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी धोखाधड़ी को रोकने के लिए आधार प्रमाणीकरण के लिए मोबाइल नंबर वही है जो ग्राहक के प्रोफाइल में उनके पास उपलब्ध है। ख. व्यक्ति के अलावा अन्य ग्राहक:
ग. 95अतिरिक्त उपाय: उपरोक्त के अलावा, आरई यह सुनिश्चित करेंगे –
घ. 96आरई द्वारा ग्राहकों को यह सूचित किया जाएगा कि पीएमएल नियमों का पालन करने के लिए, व्यवसाय संबंध / खाता-आधारित संबंध स्थापित करने के समय ग्राहक द्वारा प्रस्तुत दस्तावेजों में किसी भी अद्यतन के मामले में और उसके बाद, आवश्यकतानुसार; ग्राहक आरई के समक्ष ऐसे दस्तावेजों का अद्यतन करके प्रस्तुत किया जाए। उक्त को आरई के रिकॉर्ड में अद्यतन करने के उद्देश्य से दस्तावेजों को अद्यतन करने के 30 दिनों के भीतर किया जाए। 39. 97मौजूदा ग्राहकों के मामले में आरई केंद्र सरकार द्वारा अधिसूचित तिथि तक पैन या उसके समतुल्य ई-दस्तावेज़ या फार्म नंबर 60 प्राप्त करेंगें, जिसमें असफल रहने पर आरई अस्थायी रूप से खाते में परिचालन बंद कर देंगे जब तक कि ग्राहक द्वारा स्थायी खाता संख्या या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ या फॉर्म 60 प्रस्तुत नहीं किया जाता है। बशर्ते कि किसी खाते के लिए अस्थायी रूप से परिचालन बंद करने से पहले, आरई ग्राहक को एक सुगम सूचना और सुनवाई का उचित अवसर देगा। इसके अलावा, आरईअपनी आंतरिक नीति में, उन ग्राहकों के लिए खातों के निरंतर संचालन के लिए उचित छूट (ओं) को शामिल करेगा जो वृद्धावस्था के कारण, चोट, बीमारी या अन्यथा इसी जैसे अन्य कारण से दुर्बलता के कारण स्थायी खाता संख्या या उनके समतुल्य ई- दस्तावेज़ प्रपत्र संख्या 60 प्रदान करने में असमर्थ हैं, हालांकि, ऐसे खाते बढ़ाए गए निगरानी के अधीन होंगे। और बशर्ते कि यदि आरई के साथ एक मौजूदा खाता-आधारित संबंध रखने वाला ग्राहक आरई को लिखित रूप में देता है कि वह अपना स्थायी खाता संख्या या फॉर्म नंबर 60 जमा नहीं करना चाहता है, तो आरई खाते को बंद कर देगा और इस संबंध में ग्राहक के लिए लागू दस्तावेजों की पहचान करके ग्राहक की पहचान स्थापित करने के बाद खाते से संबन्धित सभी दायित्वों का उपयुक्त निपटान किया जाएगा। स्पष्टीकरण – इस खंड के प्रयोजन के लिए, किसी खाते के संबंध में “परिचालन के अस्थायी रूप से रोकने” का अर्थ होगा कि उस खाते के संबंध में आरई द्वारा उस समय तक सभी लेनदेन या गतिविधियों का अस्थायी निलंबन, जब तक कि ग्राहक इस धारा के प्रावधानों का अनुपालन नहीं करता है। खाते में संचालन को रोकने के उद्देश्य से ऋण खातों जैसे परिसंपत्ति खातों के मामले में, केवल क्रेडिट की अनुमति होगी। भाग VI – संवर्धित और सरलीकृत समुचित सावधानी प्रक्रिया (क) संवर्धित समुचित सावधानी 40. 98अप्रत्यक्ष ग्राहक ऑनबोर्डिंग के लिए संवर्द्धित उचित सावधानी (ईडीडी) (धारा 17 के संदर्भ में ऑनबोर्डिंग ग्राहक के अलावा): अप्रत्यक्ष ऑनबोर्डिंग आरई को ग्राहक से भौतिक रूप से या वी-सीआईपी के माध्यम से मिले बिना ग्राहक के साथ संबंध स्थापित करने की सुविधा प्रदान करता है। इस खंड के प्रयोजन के लिए इस तरह के अप्रत्यक्ष मोड में सीकेवाईसीआर के रूप में, डिजिटल चैनलों का उपयोग शामिल है जैसे डिजिलॉकर, समतुल्य ई-दस्तावेज़, आदि, और गैर-डिजिटल मोड जैसे एनआरआई और पीआईओ के लिए अनुमत अतिरिक्त प्रमाणन प्राधिकरणों द्वारा प्रमाणित ओवीडी की प्रति प्राप्त करना। अप्रत्यक्ष ग्राहक ऑनबोर्डिंग के लिए आरई द्वारा निम्नलिखित ईडीडी उपाय किए जाएंगे (धारा 17 के संदर्भ में ग्राहक ऑनबोर्डिंग के अलावा): क). यदि आरई ने वी-सीआईपी की प्रक्रिया (लागू) की है, तो उसे रिमोट ऑनबोर्डिंग के लिए ग्राहक को पहले विकल्प के रूप में प्रदान किया जाएगा। यह दोहराया जाता है कि वी-सीआईपी के लिए निर्धारित मानकों और प्रक्रियाओं का अनुपालन करने वाली प्रक्रियाओं को इस मास्टर निदेश के प्रयोजन के लिए प्रत्यक्ष सीआईपी के समान माना जाएगा। ख). धोखाधड़ी को रोकने के लिए, वैकल्पिक मोबाइल नंबरों को सीडीडी के बाद लेन-देन ओटीपी, लेन-देन अपडेट आदि के लिए ऐसे खातों से नहीं जोड़ा जाएगा। खाता खोलने के लिए उपयोग किए गए मोबाइल नंबर से ही लेन-देन की अनुमति दी जाएगी। आरई के पास पंजीकृत मोबाइल नंबर बदलने के अनुरोधों से निपटने के लिए सम्यक तत्पर हेतु एक मजबूत प्रक्रिया को चित्रित करने वाली बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति होगी। ग) वर्तमान पता प्रमाण प्राप्त करने के अलावा, आरई द्वारा खाते में परिचालन की अनुमति देने से पहले सकारात्मक पुष्टि के माध्यम से वर्तमान पते का सत्यापन किया जाएगा। पते के सत्यापन पत्र, संपर्क बिंदु सत्यापन, डिलिवरेबल्स आदि जैसे माध्यमों से सकारात्मक पुष्टि की जाए। घ) आरई द्वारा ग्राहक से पैन प्राप्त किया जाएगा और पैन जारीकर्ता प्राधिकारी की सत्यापन सुविधा से सत्यापित किया जाएगा। ड़) ऐसे खातों में पहला लेन-देन ग्राहक के मौजूदा केवाईसी-(अनुपालित) बैंक खाते से क्रेडिट होगा। च) ऐसे ग्राहकों को उच्च जोखिम वाले ग्राहकों के रूप में वर्गीकृत किया जाएगा और प्रत्यक्ष नहीं खोले गए खातों पर तब तक निगरानी बढ़ाई जाएगी जब तक कि ग्राहक की पहचान प्रत्यक्ष तरीके से अथवा वी-सीआईपी के माध्यम से सत्यापित नहीं हो जाती। 41. राजनैतिक रूप से जोखिम वाले व्यक्तियों के खाते (पीईपी) (क) विनियमित संस्था (आरई) को राजनैतिक रूप से एक्सपोज्ड व्यक्तियों के साथ कारोबारी संबंध रखने का विकल्प होगा, बशर्ते कि: क. राजनैतिक रूप से जोखिम वाले व्यक्तियों के संबंध में उनकेपरिवार के सदस्यों और नजदीकी संबंधियों के खातों, निधिक स्रोतों की जानकारी सहितपर्याप्त सूचना एकत्रित करनी चाहिए; ख. राजनैतिक रूप से जोखिम वाले व्यक्तियों को ग्राहक के रूप में स्वीकार करने से पूर्व उस व्यक्ति की पहचान का सत्यापन किया जाना चाहिए; ग. पीईपी का खाता खोलने का निर्णय विनियमित संस्था (आरई) की ग्राहक स्वीकरण नीति के अनुसार वरिष्ठ स्तर पर किया जाना चाहिए; घ. ऐसे सभी खातों की सतत आधार पर बढ़ी हुई निगरानी की जानी चाहिए; ङ. किसी विद्यमान खाते का लाभार्थी स्वामी अथवा विद्यमान ग्राहक जो बाद में पीईपी हो जाता है तो उक्त ग्राहक के साथ व्यावसायिक संबंध जारी रखने के लिए वरिष्ठ प्रबंध तंत्र का अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए; च. पीईपी पर सीडीडी उपायों के साथ सतत आधार पर बढे हुए निगरानीउपाय लागू होंगे। (ख). ये निर्देश उन खातों पर भी लागू होंगे जिनमें पीईपी लाभार्थी स्वामी है 42. व्यावसायिक मध्यवर्तियों द्वारा खोले गए ग्राहकों के खाते व्यावसायिक मध्यवर्तियों के जरिए ग्राहकों के खाते खुलवाते समय विनियमित संस्था द्वारा निम्नलिखित बातें सुनिश्चित की जानी चाहिए, कि:
(ख) सरलीकृत समुचित सावधानी 43. 99स्वयंसहायता समूहों (एसएचजी) के लिए सरलीकृत मानदंड क. एसएचजी का बचत बैंक खाता खोलते समय एसएचजी के सभी सदस्यों का सीडीडी करना आवश्यक नहीं है। ख. सभी पदधारियों का सीडीडी करना पर्याप्त होगा। ग. 100एसएचजी के क्रेडिट लिंकिंग के समय एसएचजी के सभी सदस्यों का ग्राहक समुचित सावधानी (सीडीडी) किया जा सकता है। 44. विदेशी विद्यार्थियों के खाते खोलते समय बैंकों को निम्नलिखित प्रक्रिया अपनानी चाहिए: (a) बैंक विदेशी विद्यार्थी का अनिवासी सधारण (एनआरओ) बैंक खाता उसके पासपोर्ट (वीजा और आप्रवासन पृष्ठांकन सहित) के आधार पर खोल सकते हैं जिसमें उसके गृह राष्ट्र में उसकी पहचान तथा पते का प्रमाण दर्ज हो तथा उसके साथ एक फोटो और भारत में शैक्षणिक संस्थान द्वारा प्रवेश दिए जाने संबंधी पत्र होना चाहिए।
(b) खाते को सामान्य एनआरओ खाते के रूप में माना जाएगा और उसका परिचालन अनिवासी साधारण रुपया (एनआरओ) खाता संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुदेशों तथा विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 के प्रावधानों के अनुसार होगा। (c) पाकिस्तान की राष्ट्रीयता वाले विध्यार्थी का खाता खोलने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमति लेनी होगी। 45. विदेशी संविभाग निवेशकों (एफपीआई) के लिए सरलीकृत केवाईसी मानदंड संविभाग निवेश योजना (पीआईएस) के अंतर्गत निवेश करने के प्रयोजन हेतु एफपीआई के वे खाते जो सेबी केदिशा-निर्देशों के अनुसार पात्र/पंजीकृत हैं, के खाते अनुबंध–IV में दिए गए ब्यौरे के अनुसार केवाईसी दस्तावेज़ों को स्वीकार करके और आयकर नियमों (एफएटीसीए/सीआरएस) के तहत खोले जा सकते हैं। बशर्ते कि बैंक एफपीआई से या एफपीआई की ओर से कार्य कर रहे वैश्विक अभिरक्षक से इस आशय की घोषणा प्राप्तकरें कि जब कभी आवश्यकता होगी तो अनुबंध–IV में दिए गए ब्यौरे केअनुसार छूट प्राप्त दस्तावेज वे प्रस्तुत करेंगे।. 46. पीएमएल अधिनियम और नियम के अनुसार विनियमित संस्था (आरई) को ग्राहक खाता संबंधी सूचना के रखरखाव, परिरक्षण और रिपोर्टिंग के लिए निम्नलिखित कदम उठाने होंगे: क. ग्राहक और विनियमित संस्था (आरई) के बीच घरेलू औरअंतरराष्ट्रीय दोनों लेनदेनों के लिए सभी आवश्यक रिकार्ड संबंधित लेनदेन की तारीख से कम से कम पांच वर्षों तक अनुरक्षित किए जाएंगे। ख. ग्राहक का खाता खोलने के समय तथा कारोबारी संबंध बने रहने के दौरान उसकी पहचान और पते के संबंध में प्राप्त अभिलेखकारोबारी संबंध के समाप्त हो जाने के बाद कम से कम पांच वर्ष तक उचित रूप में सुरक्षित रखे जाएं। ग. 101अनुरोध पर सक्षम अधिकारियों को पहचान रिकॉर्ड और लेनदेन डेटा तेजी से उपलब्ध कराए जाए; घ. धनशोधन निवारण (रिकॉर्ड का रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 3 के अनुसार लेनदेनों का रिकॉर्ड उचित प्रकार से रखने हेतु एक प्रणाली की शुरुआत करनी चाहिए। ङ. धन शोधन निवारण (पीएमएल) नियम 3 में निर्धारित लेनदेनों के संबंध में सभी आवश्यक सूचनाएं रखें ताकि निम्नलिखित सहित किसी एकल लेनदेन की पुनर्रचना की जा सके:
च. खाता संबंधी सूचना रखने और उसके परिरक्षण के लिए एक ऐसी प्रणाली विकसित करें ताकि आवश्यकता पड़ने पर या सक्षम प्राधिकारियों द्वाराआंकड़ों के लिए अनुरोध किए जाने पर आसानी से और तुरंत उन्हें प्राप्त किया जा सकें। छ. अपने ग्राहकों की पहचान और पते संबंधी अभिलेख और नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों से संबंधित अभिलेखों को हार्ड या सॉफ्टफॉर्मेट में रखा जाए। 102स्पष्टीकरण – इस खंड के प्रयोजन के लिए, “पहचान से संबंधित रिकॉर्ड”, “पहचान रिकॉर्ड”, आदि में पहचान डेटा, खाता फाइलों, व्यापार पत्राचार और किए गए किसी भी विश्लेषण के परिणामों के अद्यतन रिकॉर्ड शामिल होंगे। 46ए. आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ऐसे ग्राहकों के मामले में जो गैर-लाभकारी संगठन हैं, ऐसे ग्राहकों का विवरण नीति आयोग के दर्पण पोर्टल पर पंजीकृत है।यदि यह पंजीकृत नहीं है, तो आरई दर्पण पोर्टल पर विवरण दर्ज किया जाएगा। ग्राहक और आरई के बीच व्यापार संबंध समाप्त होने अथवा खाता बंद हो जाने के बाद, जो भी बाद में हो, आरई द्वारा पांच वर्ष की अवधि के लिए ऐसे पंजीकरण रिकॉर्ड बरकरार रखे जाएंगे। वित्तीय आसूचना इकाई – (एफ़आईयूआईएनडी) को रिपोर्टिंग की अपेक्षाएँ 47. विनियमित संस्थाओं (आरई) द्वारा पीएमएल (अभिलेखों का रखरखाव) नियमावली, 2005 के नियम 7 के अनुसार नियम 3 में संदर्भित सूचना निदेशक, वित्तीय आसूचनाएकक –भारत (एफ़आईयूआईएनडी) को प्रस्तुत की जाएगी। स्पष्टीकरण: नियम 7 के उप-नियम 3 और 4 के संशोधन के संबंध में 22 सितंबर 2015 को अधिसूचित तीसरी संशोधन नियमावली के अनुसार निदेशक, वित्तीय आसूचना एकक – भारत को नियम 3 के उप नियम(1) के विभिन्न अनुच्छेदों में संदर्भित लेनदेनों का पता लगाने के लिए विनियमित संस्थाओं को दिशानिर्देश जारी करने, सूचना के प्रकार के संबंध में उन्हें निदेश देने और सूचना की प्रस्तुति एवं प्रक्रिया निर्धारित करने के संबंध में दिशानिर्देश जारी करने का अधिकार होगा। 48. वित्तीय आसूचना एकक द्वारा रिपोर्टिंग फॉर्मेट तथा विस्तृत फॉर्मेट गाइड निर्धारित/ जारी की गई है।एफआईयू – आईएनडी ने रिपोर्ट करने वाली संस्थाओं को निर्धारित रिपोर्टें तैयार करने हेतु सहायता प्रदान करने के लिए रिपोर्ट जेनेरेशन यूटिलिटी तथा रिपोर्ट वैलिडेशन यूटिलिटी विकसित की है जिसे ध्यान में रखा जाए। नकद लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर)/संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) को इलेक्ट्रोनिक रूप से फाइल करने के लिए वित्तीयआसूचना एकक ने अपनी वेबसाइट पर एडिटेबल इलैक्ट्रॉनिक यूटिलिटिज डाली है जिसका उपयोग ऐसी वित्तीय संस्थाओं द्वारा उपयोग किया जा सकता है जो अपने लेनदेन के सामान्य आँकड़ों से सीटीआर/एसटीआर बनाने के लिऐ उपयुक्त प्रौद्योगिकी टूल स्थापित नहीं कर पाए हैं। जिन विनियमित संस्थाओं की सभी शाखाएं अभी तक पूर्णत:कंप्यूटरीकृत नहीं हुई हैं, ऐसी संस्थाओं के मुख्य अधिकारियों के पास ऐसी शाखाओंसे लेनदेन के ब्यौरों को लेकर उन्हें एफआईयू-आइएनडी द्वारा अपनी वेबसाइट http://fiuindia.gov.in/ पर उपलब्ध कराई गयी सीटीआर/एसटीआर की एडिटेबल इलैक्ट्रॉनिक यूटिलिटिज की सहायता से इलैक्ट्रॉनिक फाइल के रूप मेंआंकड़े फीड करने की उपयुक्त व्यवस्था होनी चाहिए। 49. निदेशक, एफआईयू-आईएनडी को सूचना देते समय, लेनदेन की रिपोर्टिंग में हुई प्रत्येक दिन की देरी अथवा नियम में विनिर्दिष्ट समय-सीमा के बाद गलत रूप से दर्शाये गए किसी लेनदेन को सुधारने में होने वाली प्रत्येक दिन की देरी को अलग से एक उल्लंघन माना जाएगा। विनियमित संस्थाएं उन खातों के परिचालनों परकोई प्रतिबंध न लगाएं जिनके संबंध में संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) भेजी गईहै। विनियमित संस्थाओं द्वारा एसटीआर प्रस्तुत करने के तथ्य को पूर्णत: गोपनीय रखाजाएगा। यह सुनिश्चितकिया जाए कि ग्राहक को किसी भी स्तर पर गुप्त रूप से सचेत (टिपिंगऑफ़) नहीं किया जाए। 50. संदिग्ध लेनदेनों की प्रभावी पहचान एवं रिपोर्टिंग के एक भागके रूप में, जोखिम वर्गीकरण तथा ग्राहकों की अद्यतन प्रोफाइल के साथ लेनदेनों केअसंगत होने की स्थिति में अलर्ट जारी करने वाला एक सशक्त सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय करारों के तहत अपेक्षाएँ/ बाध्यताएँ अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से संपर्क 51. 103विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (रोकथाम) (यूएपीए) अधिनियम, 1967 के तहत बाध्यताएं: क. विनियमित संस्थाएं (आरई) यह सुनिश्चित करें कि विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1967 की धारा 51क और उसमें किए गए संशोधन के अनुसार उनके पास आंतकी गतिविधियों से जुड़े होने की आशंका वाले ऐसे व्यक्तियों/संस्थाओं का कोई खाता नहीं होना चाहिए जिसके नाम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) द्वारा समय-समय पर अनुमोदित तथा परिचालित ऐसे व्यक्तियों तथा इकाइयो की सूची में शामिल हो। ऐसी दो सूची निम्नानुसार हैं:
आरई द्वारा समय-समय पर संशोधित आतंकवाद की रोकथाम और दमन (सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का कार्यान्वयन) आदेश, 2007 की अनुसूचियों में उपलब्ध सूचियों का संदर्भ लेना भी सुनिश्चित किया जाएगा। उपर्युक्त सूचियाँ, अर्थात, यूएनएससी प्रतिबंध सूची और सूचियाँ जो आतंकवाद की रोकथाम और दमन (सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों का कार्यान्वयन) आदेश, 2007 की अनुसूचियों में उपलब्ध हैं, को दैनिक आधार पर सत्यापित किया जाएगा और सूचियों में किसी भी संशोधन को जोड़ने, हटाने के संदर्भ में किया जाएगा अथवा अन्य परिवर्तनों को आरई द्वारा सावधानीपूर्वक अनुपालन के लिए ध्यान में रखा जाएगा, जैसा कि समय-समय पर संशोधित किया गया है। ख. सूची में शामिल व्यक्तियों/संस्थाओं से मिलते-जुलते किसी भी खातों के ब्योरे 1042 फरवरी 2021 (इस मास्टर दिशानिर्देश के अनुबंध II) की यूएपीए अधिसूचना की अपेक्षानुसार गृह मंत्रालय के अतिरिक्त वित्तीय आसूचना एकक – भारत को रिपोर्ट किये जाने चाहिए। ग. यूएपीए, 1967 की धारा 51ए के तहत आस्तियों पर रोक लगाना (फ्रीज करना): यूएपीए आदेश 105दिनांक 2 फरवरी, 2021 (इस मास्टर निदेश का अनुबंध II) में निर्धारित प्रक्रिया का कड़ाई से पालन किया जाएगा और सरकार द्वारा जारी आदेश का सावधानीपूर्वक अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। यूएपीए के लिए नोडल अधिकारियों की सूची गृह मंत्रालय की वेबसाइट पर उपलब्ध है। 52. 106सामूहिक विनाश के हथियार (डब्ल्यूएमडी) और उनकी डिलीवरी प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, 2005 (डब्ल्यूएमडी अधिनियम, 2005) के तहत दायित्व: क. आरई डब्ल्यूएमडी अधिनियम, 2005 की धारा 12ए के संदर्भ में वित्त मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा दिनांक 30 जनवरी 2023 के आदेश द्वारा (इस मास्टर निदेश का अनुबंध III) में निर्धारित "सामूहिक विनाश के हथियार (डब्ल्यूएमडी) और उनकी डिलीवरी प्रणाली (गैरकानूनी गतिविधियों का निषेध) अधिनियम, 2005” की धारा 12ए के कार्यान्वयन की प्रक्रिया" का सावधानीपूर्वक अनुपालन सुनिश्चित करेंगे। ख. उपर्युक्त आदेश के पैराग्राफ 3 के अनुसार, आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि निर्दिष्ट सूची में दिए गए विवरण के साथ व्यक्ति / संस्था के विवरण के मिलान के मामले में लेनदेन नहीं किया जाएगा। ग. इसके अलावा, आरई द्वारा दिए गए मापदंडों के आधार पर ग्राहक के साथ संबंध स्थापित करते समय और समय-समय पर यह सत्यापित करने के लिए कि निर्दिष्ट सूची में व्यक्तियों और संस्थाओं के पास बैंक खाते आदि के रूप में कोई धन, वित्तीय आस्तियां आदि है या नहीं इस बात की जांच की जाएगी। घ. उपर्युक्त मामलों में मिलान के मामले में, आरई द्वारा तुरंत केंद्रीय नोडल अधिकारी (सीएनओ) को निधियों, वित्तीय आस्तियों या आर्थिक संसाधनों के पूरे विवरण के साथ लेन-देन के विवरण की सूचना दी जाएगी, जिसे डब्लूएमडी अधिनियम, 2005 की धारा 12ए के तहत शक्तियों का प्रयोग करने के लिए नामित किया गया है। पत्राचार की एक प्रति राज्य नोडल अधिकारी, जहां खाता/लेन-देन किया गया है और भारतीय रिज़र्व बैंक को भेजी जाएगी । आरई एफआईयू-आईएनडी के साथ एक एसटीआर फाइल करेंगे, जिसमें ऊपर कवर किए गए खातों में, किए गए या प्रयास किए गए सभी लेनदेन शामिल होंगे। यह ध्यान दिया जाए कि आदेश के पैराग्राफ 1 के अनुसार, निदेशक, एफआईयू-इंडिया को सीएनओ के रूप में नामित किया गया है। ङ. आरई एफआईयू-इंडिया के पोर्टल पर उपलब्ध समय-समय पर यथासंशोधित निर्दिष्ट सूची का संदर्भ ले सकते हैं। च. यदि संदेह से परे विश्वास करने के कारण हैं कि ग्राहक द्वारा धारित धन या आस्ति WMD अधिनियम, 2005 की धारा 12A की उप-धारा (2) के खंड (a) या (b) के दायरे में आती है, तो आरई सीएनओ को ईमेल, फैक्स और डाक द्वारा बिना किसी देरी के सूचित करते हुए ऐसे व्यक्ति/संस्था को वित्तीय लेनदेन करने से रोकें। छ. यदि आरई को सीएनओ से धारा 12ए के तहत आस्तियों को फ्रीज करने का आदेश प्राप्त होता है, तो आरई अविलंब आदेश के अनुपालन के लिए आवश्यक कार्रवाई करेंगे। ज. आदेश के पैरा 7 के अनुसार निधियों आदि के अनफ्रीजिंग की प्रक्रिया का पालन किया जाएगा। तदनुसार, किसी व्यक्ति/संस्था से अनफ्रीजिंग के संबंध में प्राप्त आवेदन की प्रति को आरई द्वारा सीएनओ को ईमेल, फैक्स और डाक द्वारा दो कार्य दिवसों के भीतर जमा की गई आस्ति के पूर्ण विवरण के साथ भेजा जाएगा, जैसा कि आवेदक द्वारा दिया गया है। 53. जोड़ने, हटाने अथवा अन्य परिवर्तनों के संदर्भ में सूची में किसी भी संशोधन को ध्यान में रखने के लिए और 'डेमोक्रेटिक पीपल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया ऑर्डर, 2017' पर सुरक्षा परिषद के संकल्प का कार्यान्वयन' का अनुपालन भी सुनिश्चित करने के लिए आरई द्वारा प्रति दिन, https://www.mea.gov.in/Implementation-of-UNSC-Sanctions-DPRK.htm, पर उपलब्ध 'निर्दिष्ट व्यक्तियों और इकाइयो की UNSCR 1718 प्रतिबंध सूची' का सत्यापन किया जाएगा, जैसा कि केंद्र सरकार द्वारा समय-समय पर संशोधित किया जाता है। 53ए. 107उपर्युक्त के अलावा, आरई द्वारा - (ए) अन्य यूएनएससीआर और (बी) पहली अनुसूची में सूची और यूएपीए, 1967 की चौथी अनुसूची और यूएपीए और डब्ल्यूएमडी अधिनियम की धारा 12ए की धारा 51ए के कार्यान्वयन पर सरकारी आदेशों के अनुपालन के लिए इसमें हुए किसी भी संशोधन को ध्यान में रखा जाना आवश्यक होगा। 54. क्षेत्राधिकार जो एफएटीएफ की अनुशंसाओं को लागू नहीं करते या अपर्याप्त रूप से लागू करते हैं क. समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा परिचालित एफएटीएफ विवरण, और सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी, उन देशों की पहचान करने के लिए, जो एफएटीएफ सिफारिशों को लागू नहीं करते हैं या अपर्याप्त रूप से लागू करते हैं, पर विचार किया जाएगा। एफएटीएफ विवरण में शामिल क्षेत्राधिकारों के एएमएल/सीएफटी व्यवस्था में कमियों से उत्पन्न होने वाले जोखिमों को ध्यान में रखा जाएगा। ख. एफएटीएफ की सिफारिशों और एफएटीएफ के बयानों में शामिल क्षेत्राधिकारों को लागू नहीं करने वाले या अपर्याप्त रूप से लागू करने वाले देशों में या वहां के व्यक्तियों (कानूनी व्यक्तियों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित) के साथ व्यापार संबंधों और लेनदेन पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। ग. एफएटीएफ वक्तव्यों में शामिल अधिकार क्षेत्र के व्यक्तियों (कानूनी व्यक्तियों और अन्य वित्तीय संस्थानों सहित) और एफएटीएफ सिफारिशों को लागू नहीं करने वाले या अपर्याप्त रूप से लागू करने वाले देशों के साथ लेन-देन की पृष्ठभूमि और उद्देश्य की जांच की जाएगी, और लिखित निष्कर्ष सभी दस्तावेजों के साथ बनाए रखा जाएगा और अनुरोध पर रिज़र्व बैंक/अन्य संबंधित अधिकारियों को उपलब्ध कराया जाएगा। 54A. 108प्रतिबंधों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नाम स्क्रीनिंग के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए नवीनतम तकनीकी नवाचारों और उपकरणों का लाभ उठाने के लिए आरई को प्रोत्साहित किया जाता है। 55. 109गोपनीयता संबंधी दायित्व और सूचनाओं का आदान–प्रदान क. आरई और ग्राहक के बीच संविदात्मक संबंध से उत्पन्न होने वाली ग्राहक जानकारी के संबंध में आरई गोपनीयता बनाए रखेंगे। ख. खाता खोलने के उद्देश्य से ग्राहकों से एकत्र की गई जानकारी को गोपनीय माना जाएगा और ग्राहक की अनुमति के बिना क्रॉससेलिंग के उद्देश्य से या किसी अन्य उद्देश्य के लिए इसका विवरण नहीं दिया जाएगा। ग. सरकार तथा अन्य एजेंसियों से डेटा/ सूचना के लिए प्राप्त अनुरोध पर विचार करते समय, आरई को स्वयं इस बात से आश्वस्त होना होगा कि मंगायी गई सूचना की प्रकृति ऐसी नहीं है, जिससे लेन-देनों में गोपनीयता से संबंधित क़ानूनों के प्रावधानों का उल्लंघन होता हो। घ. इस नियम के अपवाद निम्नानुसार होंगे:
56. 110समुचित सावधानी (सीडीडी) प्रक्रिया और केंद्रीय केवाईसी रजिस्ट्री (सीकेवाईसीआर) के साथ केवाईसी सूचनाओं को साझा करना। क. भारत सरकार ने दिनांक 26 नवंबर 2015 की राजपत्र अधिसूचना सं.एस.ओ.3183 (ई) के द्वारा भारतीय प्रतिभूतीकरण परिसंपत्ति पुनर्निर्माण और प्रतिभूति स्वत्व की केंद्रीय रजिस्ट्री (सरसाई) को सीकेवाईसीआर के रूप में कार्य करने और इसके परिचालन करने के लिए प्राधिकृत किया है। ख. पीएमएल नियमावली के नियम 9(1ए) के प्रावधानों के अनुसार ग्राहक के साथ खाता आधारित संबंध आरंभ करने के 10 दिन के भीतर आरई ग्राहक के केवाईसी रिकॉर्ड कैप्चर करेंगे और सीकेवाईसीआर पर अपलोड करेंगे। ग. केवाईसी डेटा अपलोड करने के लिए परिचालनगत दिशानिर्देश सरसाई द्वारा जारी किए जा चुके हैं। घ. आरई नियमावली में बताए गए तरीके से सीकेवाईसीआर के साथ साझा करने के लिए केवाईसी सूचना कैप्चर करेंगे, जो ‘व्यक्तिगत’ और ‘विधिक संस्था’ (एलई), जो भी मामला हो, के लिए तैयार किए गए केवाईसी टेम्प्लेट के अनुसार होगा। टेम्प्लेट समय- समय पर आवश्यकता के अनुसार सरसाई द्वारा संशोधित और जारी किए जा सकते हैं। ङ. सीकेवाईसीआर का 'लाइव रन' चरणबद्ध रूप में 15 जुलाई 2016 से नए 'व्यक्तिगत खातों' के साथ आरंभ किया गया। तदनुसार अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी) 1 जनवरी 2017 को या उसके बाद खोले गए सभी नए वैयक्तिक खातों से संबंधित केवाईसी डाटा अनिवार्य रूप से सीकेवाईसीआर पर अपलोड करेंगे। आरंभ में अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को जनवरी 2017 के दौरान खोले गए खातों के डेटा अपलोड करने के लिए 1 फरवरी 2017 तक का समय दिया गया था। अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के अलावा अन्य आरई उपर्युक्त नियमावली के प्रावधानों के अनुसार 1 अप्रैल 2017 को या उसके बाद खोले गए सभी नए व्यक्तिगत खातों से संबंधित केवाईसी डाटा सीकेवाईसीआर पर अपलोड करेंगे। च. आरई उपर्युक्त नियमावली के अनुसार, 1 अप्रैल 2021 को या उसके बाद खोले गए विधिक संस्थाओं (एलई) के खातों से संबंधित केवाईसी डेटा सीकेवाईसीआर पर अपलोड करेंगे। ये केवाईसी रिकॉर्ड सरसाई द्वारा जारी एलई टेम्प्लेट में अपलोड किए जाएंगे। छ. एक बार सीकेवाईसीआर से केवाईसी पहचान उत्पन्न हो जाने के बाद, आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि इसे व्यक्ति/ विधिक संस्था, जो भी मामला हो, को सूचित किया जाए। ज. यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी मौजूदा केवाईसी रिकॉर्ड सीकेवाईसीआर पर वृद्धिशील रूप से अपलोड किए जा रहे हैं, आरई उपर्युक्त क्रमशः (ई) और (एफ़) में बताई गई तारीख से पहले खोले गए व्यक्तिगत खातों और एलई खातों के मामले में, इस मास्टर निदेश की धारा 38 में निर्दिष्ट किए गए अनुसार, आवधिक अद्यतनीकरण प्रक्रिया के दौरान केवाईसी रिकॉर्ड सीकेवाईसीआर पर अपलोड/ अद्यतन करेंगे, या फिर कतिपय मामलों में इससे पहले भी, जब भी ग्राहक से केवाईसी सूचना ली जाती/ प्राप्त की जाती है। झ. आरई यह सुनिश्चित करेंगे कि आवधिक अद्यतनीकरण के दौरान, ग्राहक वर्तमान ग्राहक समुचित सावधानी (सीडीडी) मानकों पर माइग्रेट किए गए हैं। ञ. जहां ग्राहक खाता आधारित संबंध स्थापित करने के उद्देश्य से सीकेवाईसीआर से रिकॉर्ड डाउनलोड करने के लिए स्पष्ट सहमति के साथ, आरई को कोई केवाईसी पहचान प्रस्तुत करता है, तो ऐसे आरई केवाईसी पहचान का उपयोग करके सीकेवाईसीआर से केवाईसी रिकॉर्ड ऑनलाइन प्राप्त करेंगे और ग्राहक को वही केवाईसी रिकॉर्ड या जानकारी या कोई अन्य अतिरिक्त पहचान दस्तावेज या विवरण प्रस्तुत करने की आवश्यकता नहीं होगी, जब तक कि-
57. विदेशी खातों संबंधी कर अनुपालन अधिनियम (एफ़एटीसीए) और समान रिपोर्टिंग मानक (सीआरएस) के अंतर्गत रिपोर्टिंग संबंधी अपेक्षाएँ एफ़एटीसीए और सीआरएस के अंतर्गत विनियमित संस्थाओं को यह निर्धारित करना है कि क्या वे आयकर नियम 114एफ, 114जी और 114एच में परिभाषित रिपोर्टिंग वित्तीय संस्थाएं हैं और यदि वे हैं तो उन्हें रिपोर्टिंग अपेक्षाओं का अनुपालन करने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए: क. रिपोर्ट करने वाली वित्तीय संस्थाओं के रूप में आयकर विभाग के संबंधित ई-फाइलिंगपोर्टल https://incometaxindiaefiling.gov.in/ post login --> My acount --> Register as Reporting Financial Institutionपर जाकर रजिस्टर करें। ख. पदनामित निदेशक के डिजिटल हस्ताक्षर से फॉर्म61बी अथवा ‘शून्य’ रिपोर्ट ऑनलाइन प्रस्तुत करें जिसके लिए केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा तैयार किए गए खाका को ध्यान में रखा जाए। स्पष्टीकरण: विनियमत संस्थाओं को नियम 114एच के अनुसार रिपोर्ट करने योग्य खातों की पहचान करने के उद्देश्य से समुचित प्रक्रिया अपनाने के लिए भारतीय विदेशी मुद्रा व्यापार संघ (फेडाई) द्वारा अपनी वेबसाइट http://www.fedai.org.in/RevaluationRates.aspx पर प्रकाशित हाजिर संदर्भ दर को देखना चाहिए। ग. आईटी नियम 114एच के अनुसार समुचित सावधानी प्रणाली अपनाने तथा उसकी रिपोर्टिंग एवं रखरखाव के लिए सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) फ्रेमवर्क विकसित करना चाहिए। घ. आईटी फ्रेमवर्क के ऑडिट तथा आयकर नियमावली के नियम 114एफ, 114जी, तथा 114एच के अनुपालन के लिए एक प्रणाली विकसित करनी चाहिए। ङ. अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए पदनामित निदेशक अथवा किसी अन्य समतुल्य कार्यकारी के अधीन एक ”उच्च स्तरीय निगरानी समिति’’ गठित की जानी चाहिए। च. केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) द्वारा उक्त विषय पर समय-समय पर जारी और वेबसाइट http://www.incometaxindia.gov.in/Pages/default.aspx पर उपलब्धअद्यतन अनुदेशों/ नियमों/ मार्गदर्शन नोटों/ प्रेस प्रकाशनियों का अनुपालनसुनिश्चित करें। विनियमित संस्थाएं निम्नलिखित का ध्यान रखें:
58. भुगतान लिखत प्रस्तुत करने की अवधि चेकों/ ड्राफ्टों/ भुगतान आदेशों/ बैंकर चेकों का भुगतान उनकी जारी की तारीख से तीन महीने के बाद प्रस्तुत किए जाने पर नहीं करना चाहिए। 59. बैंक खातों का परिचालन तथा धनशोधन का माध्यम (मनीम्यूल) बने व्यक्ति खाता खोलने और लेनदेनों की निगरानी संबंधी अनुदेशों का पालन कड़ाई से किया जाना चाहिए ताकि ‘’धनशोधन के माध्यमों’’ (मनीम्यूल) के कार्यकलापों को कम किया जा सके। अपराधियों द्वारा धोखाधड़ी वाली योजनाओं (उदाहरणार्थ फिशिंग तथा पहचान की चोरी) से होने वाली आय का शोधन करने के लिए `धनशोधन के माध्यम’ के रूपमें कार्य करने वाले कुछ व्यक्तियों का इस्तेमाल किया जा सकता है जो धनशोधन का माध्यम बना दिये गए ऐसे तीसरे पक्षकारों को भर्ती कर जमा खातों तक अवैध रूप से पहुँच बना लेते हैं। यदि यह स्पष्ट हो जाता है कि खाता खोलना तथा खाता का परिचालन `धनशोधन के माध्यम’ द्वारा किया जाता रहा है तो यह समझा जाएगा कि बैंक ने इससे संबंधित दिशानिर्देशों का पालन नहीं किया है। 60. आदाता खाता चेक का संग्रहण आदाता के अलावा किसी अन्य व्यक्ति के लिए आदाता खाता चेक का संग्रहण नहीं किया जाना चाहिए। बैंक अपने विवेकानुसार 50,000/- रुपए से कम राशि के ऐसे आदाता खाता चेक का संग्रहण अपने ग्राहकों के खातों में जमा करने के लिए कर सकते हैं जो सहकारी समितियां हों, बशर्ते ऐसे चेकों के आदाता उन सहकारी ऋण समितियों के ग्राहक हों। 61.(क) 112आरई को चाहिए कि वे व्यक्तिगत ग्राहकों के साथ नए संबंध स्थापित करते समय उन्हें विशिष्ट ग्राहक पहचान कोड (यूसीआईसी) आबंटित करें। वर्तमान ग्राहकों को भी यह कोड आबंटित किया जाना चाहिए। (ख) 113आरई, अपने विकल्प पर, सभी वॉक-इन/कभी-कभार आने वाले ग्राहकों को यूसीआईसी जारी नहीं करेंगे, बशर्ते यह सुनिश्चित किया जाए कि ऐसे वॉक-इन ग्राहकों की पहचान करने के लिए पर्याप्त तंत्र है, जो उनके साथ बार-बार लेनदेन करते हैं और यह सुनिश्चित करते हैं कि उन्हें यूसीआईसी आवंटित किया गया है। 62. 114नई प्रौद्योगिकियों का परिचय आरई द्वारा उन एमएल/टीएफ जोखिमों की पहचान और आकलन किया जाएगा जो नए उत्पादों के विकास और नए व्यवसाय प्रथाओं के संबंध में उत्पन्न हो सकते हैं, जिसमें नए वितरण तंत्र शामिल हैं, और नए और पहले से मौजूद दोनों उत्पादों के लिए नई या विकासशील प्रौद्योगिकियों का उपयोग शामिल है। इसके अलावा, आरई द्वारा यह सुनिश्चित किया जाएगा कि: (क) ऐसे उत्पादों, प्रथाओं, सेवाओं, प्रौद्योगिकियों के लॉन्च या उपयोग से पहले एमएल/टीएफ जोखिम आकलन किया जाए; और (ख) उपयुक्त ईडीडी उपायों और लेन-देन की निगरानी आदि के माध्यम से जोखिम को प्रबंधित करने और कम करने के लिए जोखिम-आधारित दृष्टिकोण अपनाया जाए। 63. 115संपर्की बैंकिंग बैंकों के पास सीमा पार संपर्की बैंकिंग और अन्य समान संबंधों को मंजूरी देने के लिए मानदंड निर्धारित करने के लिए अपने बोर्ड या अध्यक्ष/सीईओ/एमडी की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा अनुमोदित एक नीति होनी चाहिए। सामान्य सीडीडी उपाय करने के अलावा, ऐसे संबंध निम्नलिखित शर्तों के अधीन होंगे: क. प्रतिवादी के व्यवसाय की प्रकृति के संबंध में पर्याप्त जानकारी जिसमें प्रबंधन, प्रमुख व्यावसायिक गतिविधियां, एएमएल/सीएफटी नियंत्रण का स्तर, खाता खोलने का उद्देश्य, किसी तृतीय पक्ष जो संपर्की बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करेगा की पहचान, प्रतिवादी बैंक के गृह देश में विनियामक/पर्यवेक्षी ढांचा, और संस्था की प्रतिष्ठा और पर्यवेक्षण की गुणवत्ता के संबंध में सार्वजनिक रूप से उपलब्ध जानकारी, जिसमें यह शामिल है कि क्या यह एमएल/टीएफ जांच या नियामक कार्रवाई के अधीन है, एकत्र की जाएगी। ख. नए संपर्की बैंकिंग संबंध स्थापित करने के लिए वरिष्ठ प्रबंधन से पूर्व अनुमोदन प्राप्त किया जाएगा। हालांकि, बोर्ड या इस प्रयोजन के लिए अधिकृत समिति का कार्योत्तर अनुमोदन भी लिया जाएगा। ग. प्रत्येक बैंक, जिसके साथ संपर्की बैंकिंग संबंध स्थापित किया गया है, के उत्तरदायित्वों को स्पष्ट रूप से प्रलेखित और समझा जाएगा। घ. खातों-के-माध्यम- से- देय मामले में, संपर्की बैंक इस बात से संतुष्ट होगा कि प्रतिवादी बैंक ने उन ग्राहकों का सीडीडी संचालन किया है जिनकी खातों तक सीधी पहुंच है और उनके मामले में 'समुचित सावधानी' बरती जा रही है। ङ. संपर्की बैंक को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि अनुरोध किए जाने पर प्रतिवादी बैंक ग्राहक की पहचान संबंधी सूचना तुरंत उपलब्ध करा सकता है। च. अप्रत्यक्ष बैंक (शैल बैंक) के साथ संपर्ककर्ता संबंध स्थापित नहीं किया जाना चाहिए। छ. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि संपर्की बैंक शैल बैंकों को अपने खातों का उपयोग करने की अनुमति नहीं देते हैं। ज. बैंकों को ऐसे संपर्की बैंकों के साथ सावधानी बरतनी चाहिए जो ऐसे क्षेत्राधिकारों में स्थापित हैं जहां रणनीतिगत कमियां हैं या जहां वित्तीय कार्रवाई दल (एफएटीएफ) की सिफारिशों को लागू करने पर पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है। झ. बैंकों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि प्रतिवादी बैंकों के पास केवाईसी/एएमएल नीति और प्रक्रियाएं हैं और संपर्की खातों से होने वाले लेनदेनों पर वे संवर्धित ‘समुचित सावधानी’ बरतते हैं। 64. वायर ट्रांसफर वायर ट्रांसफर के समय विनियमित संस्थाएं निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें: क. खाता न होने की स्थिति में सभी प्रकार के सीमा पार वायर अंतरणों, जिनमें क्रेडिट या डेबिट कार्ड से किए गए लेनदेन शामिल हैं, के संबंध में लेनदेन के आरंभक की सही और अर्थपूर्ण जानकारी, जैसे कि – नाम, पता और खाता संख्या या विशिष्ट संदर्भ संख्या जो संबंधित देश में प्रचलित हो, होनी चाहिए। अपवाद: जिन अंतर बैंक अंतरणों और निपटानों में आरंभक और लाभार्थी दोनों ही बैंक अथवा वित्तीय संस्थाएं हों, वहां उक्त शर्त से छूट होगी। ख. पचास हजार रुपए और उससे उच्चतर राशि के घरेलू वायर ट्रांसफर के संबंध में आरंभक की जानकारी, जैसे कि नाम, पता और खाता संख्या होनी चाहिए। ग. यदि ग्राहक रिपोर्टिंग और मॉनीटरिंग से बचने के लिए जानबूझ कर पचास हजार रुपए से नीचे की राशि के वायर ट्रांसफर का उपयोग कर रहा हो तो ऐसे ग्राहक की पहचान की जानी चाहिए। यदि ग्राहक सहयोग न कर रहा हो तो ग्राहक की पहचान पता करने की कोशिश की जानी चाहिए और वित्तीय आसूचना एकक-भारत को संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट भेज देनी चाहिए। घ. क्वालीफाइंग वायर ट्रांसफर से संबंधित पूर्ण प्रवर्तक जानकारी आदेश देने वाले बैंक द्वारा कम से कम पांच वर्ष की अवधि के लिए संरक्षित की जाएगी। ङ. वायर ट्रांसफर की एक श्रृंखला के मध्यस्थ तत्व के रूप में प्रसंस्करण करने वाला एक बैंक यह सुनिश्चित करेगा कि वायर ट्रांसफर के साथ आने वाली सभी ओरिजिनेटर जानकारी ट्रांसफर के साथ बनी रहे। च. प्राप्तकर्ता मध्यस्थ बैंक सीमा पार वायर ट्रांसफर के साथ पूरी ओरिजिनेटर जानकारी ट्रांसफर करेगा और तकनीकी सीमाओं के कारण संबंधित घरेलू वायर ट्रांसफर के साथ नहीं भेजा जा सकता है तो उसे कम से कम पांच साल तक सुरक्षित रखें। छ. ऐसे अनुरोध प्राप्त होने पर उचित कानून प्रवर्तन और/या अभियोजन अधिकारियों को वायर ट्रांसफर के प्रवर्तक के बारे में सभी जानकारी तुरंत उपलब्ध कराई जाएगी। ज. लाभार्थी बैंक में संपूर्ण प्रवर्तक सूचना के अभाव में वायर ट्रांसफर की पहचान करने के लिए प्रभावी जोखिम-आधारित प्रक्रियाएं मौजूद होंगी। झ. लाभार्थी बैंक द्वारा किसी संदिग्ध लेनदेन के रूप में FIU-IND को संपूर्ण प्रवर्तक जानकारी के अभाव वाले लेनदेन की रिपोर्ट की जाएगी। ञ. लाभार्थी बैंक को चाहिए कि वह आदेशकर्ता बैंक से निधि भेजनेवाले की विस्तृत जानकारी प्राप्त करे। यदि आदेशकर्ता बैंक निधि भेजनेवाले कीजानकारी नहीं देता तो लाभार्थी बैंक को चाहिए कि वह आदेशकर्ता बैंक के साथ कारोबारी संबंधों को सीमित करने या उसे समाप्त करने पर विचार करे। 65. डिमांड ड्राफ्ट, आदि जारी करना एवं उनका भुगतान डिमांड ड्राफ्ट, मेल/टेलिग्राफिक अंतरण/ एनईएफटी/ आईएमपीएस याअन्य किसी माध्यम और यात्री चेक के जरिए किए जाने वाले पचास हजार रुपए और उससे अधिक की राशि के प्रेषण नकद भुगतान के रूप में स्वीकार न करते हुए ग्राहक के खातेमें नामे डालकर या चेक लेकर किए जाएं। इसके अतिरिक्त, जारीकर्ता बैंक द्वारा डिमांड ड्राफ्ट, पेऑर्डर, बैंकर चेक आदि के मुखपृष्ठ पर ग्राहक का नाम शामिल किया जाएगा। ये अनुदेश 15 सितंबर 2018 को या उसके बाद जारी लिखतों के लिए प्रभावी होंगे। 66. 116स्थायी खाता संख्या (पीएएन) का उल्लेख करना बैंकों के लिए लागू समय-समय पर संशोधित किए गए आयकर नियम 114बी के प्रावधानों के अनुसार ग्राहकों के साथ लेनदेन करते समय उनका स्थायी खाता संख्या (पैन) या उसके समतुल्य ई- दस्तावेज़ लिया जाना चाहिए और उसका सत्यापन भी किया जाना चाहिए। जिनके पास पैन या उसके समतुल्य ई- दस्तावेज़ नहीं है उनसे फार्म 60 लेना चाहिए। 67. थर्ड पार्टी उत्पादों की बिक्री जो विनियमित संस्था एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं उन्हें चाहिए कि वे समय-समय पर जारी विनियमों के अनुसार थर्ड पार्टी उत्पादों की बिक्री करते समय इन निदेशों के प्रयोजन हेतु निम्नलिखित अपेक्षाओं का अनुपालन करें: क. इन निदेशों की धारा 13(ड़) में की गई अपेक्षानुसार नवागंतुक (वाक-इन) ग्राहक के पचास हजार रुपए से अधिक के लेनदेन के लिए उसकी पहचान और पता सत्यापित किया जाना चाहिए। ख. अध्याय VII धारा 46 के निर्धारण के अनुसार थर्ड पार्टी उत्पादों की बिक्री संबंधी लेनदेनों के ब्योरे और संबंधित रिकॉर्ड रखे जाने चाहिए। ग. थर्ड पार्टी उत्पादों के संबंध में नवागंतुक ग्राहकों सहित सभी ग्राहकों के साथ हुए लेनदेन के संबंध में सीटीआर/एसटीआर फाइल के लिए चेतावनियां कैप्चर करने, जनरेट करने और उनका विश्लेषण करने की योग्यता युक्त एएमएल सॉफ्टवेयर उपलब्ध होना चाहिए। घ. पचास हजार रुपए और उससे ऊपर के लेनदेन केवल निम्नलिखित माध्यमों से किए जाएं:
ङ. उक्त (घ) में दिए गए अनुदेश विनियमितसंस्था के अपनेउत्पादों की बिक्री, क्रेडिट कार्ड की बकाया राशि का भुगतान करने/ प्री-पेड/ट्रेवल कार्ड की बिक्री और उसे री-लोड करने और अन्यउत्पादों की ब्रिक्री के लिएभी लागू होंगे जहां लेनदेन की राशि पचास हजार रुपए और उससे अधिक है। 68. सहकारी बैंकों द्वारा उपयोग में लायी जाने वाली सममूल्य (एट पार) चेक सुविधा (क) वाणिज्यिक बैंक सहकारी बैंकों को ‘सममूल्य’ चेक सुविधा देते हैं। इस सुविधा की मॉनीटरिंग की जानी चाहिए और इस व्यवस्था से होने वाले जोखिम जिसमें ऋण जोखिम और प्रतिष्ठा संबंधी जोखिम शामिल है, का मूल्यांकन करने के लिए इस व्यवस्था की समीक्षा की जानी चाहिए। (ख) केवाईसी और एएमएल के संबंध में जारी वर्तमान अनुदेशों केअनुपालन की दृष्टि से इस प्रकार की व्यवस्था के अंतर्गत ग्राहक सहकारी बैंक/समितियों द्वारा रखे गए अभिलेखों को सत्यापित करने का अधिकार बैंक को अपने पास रखना चाहिए। (ग) सहकारी बैंकों को चाहिए कि वे: i. यह सुनिश्चित करें कि ‘सममूल्य’ सुविधा का उपयोग केवल निम्नलिखित प्रयोजन के लिए हो: क. स्वयं के उपयोग के लिए, ख. केवाईसी अनुपालित अपने खाताधारकों के लिए, बशर्ते पचास हजार रुपए और उच्चतर राशि के सभी लेनेदेन अनिवार्य रूप से ग्राहकों के खातों में नामे द्वारा ही किए जाते हों, ग. अकस्मात आने वाले ग्राहकों के लिए प्रति व्यक्ति पचास हजार रुपए से कम की नकद राशि के लिए। ii. निम्नलिखित अपेक्षाओं का अनुपालन करे: क. जारी किए गए ‘सममूल्य’ चेकों का अभिलेख रखा जाए जिसमें आवेदक का नाम और खाता क्रमांक, लाभार्थी के ब्योरे, जारी किए गए ‘सममूल्य’ चेक की तारीख और अन्य जानकारी हो, ख. जो वाणिज्य बैंक यह सुविधा उपलब्ध करा रहा है उसके साथ पर्याप्त शेष/ आहरण व्यवस्था बनाए रखी जाए ताकि ऐसे लिखतों का भुगतान हो सके। iii. यह सुनिश्चित करें कि ‘सममूल्य’ चेक ‘आदाता खाता’ शब्दों के साथ रेखांकित हो, चाहे उसकी राशि कितनी भी हो। 69. प्री-पेड भुगतान लिखतों (पीपीआई) को जारी करना: पीपीआई जारीकर्ता को चाहिए कि वह भारतीय रिज़र्व बैंक के भुगतान और निपटान प्रणाली विभाग द्वारा मास्टर निदेश के माध्यम से जारी अनुदेशों का कड़ाई से पालन करे। 70. 117कर्मचारियों की भर्ती और कर्मचारी प्रशिक्षण (a) अपने कार्मिकों की भर्ती/भर्ती प्रक्रिया के एक अभिन्न अंग के रूप में अपने कर्मचारी/स्टाफ नीति को जानें सहित पर्याप्त स्क्रीनिंग तंत्र स्थापित किया जाएगा। (b) आरई यह सुनिश्चित करने का प्रयास करेंगे कि केवाईसी/एएमएल/सीएफटी मामलों से निपटने/नियुक्त किए जाने वाले कर्मचारियों के पास: उच्च अखंडता और नैतिक मानक, मौजूदा केवाईसी/एएमएल/सीएफटी मानकों की अच्छी समझ, प्रभावी संचार कौशल और राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदलते केवाईसी/एएमएल/सीएफटी परिदृश्य के साथ स्थापित रखने की क्षमता है। आरई एक ऐसा वातावरण विकसित करने का भी प्रयास करेंगे जो कर्मचारियों के बीच खुले संचार और उच्च अखंडता को बढ़ावा दे। (c) वर्तमान कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण की सतत व्यवस्था होनी चाहिए ताकि स्टाफ सदस्यएएमएल/सीएफटी नीति के बारे समुचित रूप से प्रशिक्षित हो सकें। फ्रंटलाइन स्टाफ, अनुपालन स्टाफ और नए ग्राहकों को सेवा देने वाले स्टाफ सदस्यों को उनके कार्य की अपेक्षानुसार प्रशिक्षण दिया जाए। फ्रंट डेस्क स्टाफ को ग्राहक शिक्षा की कमी के कारण उत्पन्न स्थितियों से निपटने के लिए विशेष प्रशिक्षण दिया जाए। लेखा-परीक्षा कार्य के लिए उचित स्टाफ दिया जाए जो प्रशिक्षित हो और विनियमित संस्था की एएमएल/सीएफटी नीति, विनियम और संबंधित मामलों से अच्छी तरह परिचित हो। 71. 118हटाया गया 72. इन निदेशों के जारी होने के बाद परिशिष्ट में उल्लिखित भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी अनुदेश/दिशानिर्देश निरस्त समझे जाएंगे। 73. उक्त परिपत्रों द्वारा दिए गए सभी अनुमोदनों/अभिस्वीकृतियों के संबंध में यह माना जाएगा कि वे इन निदेशों के अंतर्गत दिये गए हैं। 74. सभी निरस्त परिपत्रों के संबंध में यह माना जाएगा कि वे इस निदेश के जारी होने तक लागू थे। डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया क. आरई डिजिटल केवाईसी प्रक्रिया के लिए एक उपयोजन विकसित करेंगे जिसे उनके ग्राहकों की केवाईसी करने के लिए ग्राहक पहुँच स्थलों पर उपलब्ध करवाया जाएगा, और केवल आरई के इस अधिप्रमाणित उपयोजन के माध्यम से ही केवाईसी प्रक्रिया क्रियान्वित की जाएगी। ख. उपयोजन तक पहुँच आरई के द्वारा नियंत्रित की जाएगी और यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि अनधिकृत व्यक्तियों द्वारा इसका उपयोग न हो। आरई के द्वारा इसके प्राधिकृत अधिकारियों को दिए गए लॉगिन आईडी और पासवर्ड या लाइव ओटीपी या समय- ओटीपी नियंत्रित तंत्र के माध्यम से ही केवल उपयोजन का अभिगम होगा। ग. ग्राहक, केवाईसी के प्रयोजन के लिए आरई के प्राधिकृत अधिकारियों के स्थानों पर जाएंगे या ये प्राधिकृत अधिकारी ऐसा करेंगे। ग्राहक के पास मूल आधिकारिक रूप से वैध दस्तावेज़ (ओवीडी) रहेगा। घ. आरई यह आवश्यक रूप से सुनिश्चित करेगा कि प्राधिकृत अधिकारी द्वारा ग्राहक की लाइव फोटो ली गई है और वह फोटो ग्राहक आवेदन फॉर्म (सीएएफ़) में सन्निहित हो। इसके अतिरिक्त आरई का उपयोजन सिस्टम ग्राहक के खींचे गए लाइव फोटो पर सीएएफ़ संख्या, जीपीएस निर्देशांकों, प्राधिकृत अधिकारी का नाम, विशिष्ट कर्मचारी कोड (आरई द्वारा दिया गया) और तारीख (डीडी:एमएम:वाईवाईवाईवाई) और समय स्टैम्प (घंटा:मिनट:सेकंड) से युक्त पठनीय रूप में वाटरमार्क अंकित करेगा। ङ. आरई के उपयोजन में यह विशेषता होगी कि ग्राहक का केवल लाइव फोटो ही खींचा जाए और ग्राहक का मुद्रित या विडियोग्राफी किया हुआ फोटो नहीं खींचा जाए। लाइव फोटो खींचते समय ग्राहक के पीछे की पृष्ठभूमि सफ़ेद रंग की होनी चाहिए और ग्राहक की लाइव फोटो खींचते समय आकृति में कोई और व्यक्ति नहीं होना चाहिए। च. इसी प्रकार मूल ओवीडी या आधार संख्या होने का प्रमाण, जहां ऑफलाइन सत्यापन नहीं हो सकता है (क्षैतिज रूप से रखकर), की लाइव फोटो ऊपर से ऊर्ध्व रूप से खींची जाएगी और उपर्युक्त अनुसार पठनीय रूप में वाटर- मार्किंग किया जाएगा। मूल दस्तावेजों की लाइव फोटो लेते समय मोबाइल में कोई तिरछापन नहीं आना चाहिए। छ. ग्राहक और उसके मूल दस्तावेजों की लाइव फोटो उचित प्रकाश में खींची जाएगी जिससे वे स्पष्ट रूप से पहचानने और पढ़ने योग्य हों। ज. तत्पश्चात, सीएएफ़ में सभी प्रविष्टियाँ ग्राहक द्वारा प्रस्तुत किए गए दस्तावेजों और सूचनाओं के अनुसार भारी जाएंगी। उन दस्तावेजों में जहां क्विक रेस्पौंस (क्यूआर) कोड उपलब्ध है, वहाँ मैनुअल रूप से विवरण भरने के स्थान पर क्यूआर कोड स्कैन कर ऐसे विवरण ऑटो- पॉपुलेट किए जा सकते हैं। उदाहरण के लिए यूआईडीएआई से डाउनलोड किए गए भौतिक आधार/ ई-आधार की स्थिति में, जहां क्यूआर कोड उपलब्ध है, वहाँ नाम, लिंग, जन्म की तारीख, और पता जैसे विवरण आधार/ ई आधार पर उपलब्ध क्यूआरकोड स्कैन कर ऑटो- पॉपुलेट किए जा सकते हैं। झ. एक बार जब उपर्युक्त प्रक्रिया पूरी हो जाती है तब 'कृपया ओटीपी साझा करने से पहले फॉर्म में भरे हुए विवरण सत्यापित करें' पाठ से युक्त वनटाइम पासवर्ड (ओटीपी) संदेश ग्राहक के स्वयं के मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा। ओटीपी के सफलतापूर्वक वैधीकरण पर यह सीएएफ़ पर ग्राहक के हस्ताक्षर के रूप में माना जाएगा। तथापि यदि ग्राहक के पास उसका अपना मोबाइल नंबर नहीं है तब उसके परिवार/रिशतेदारों या परिचित व्यक्तियों का मोबाइल नंबर इस प्रयोजन के लिए प्रयोग किया जा सकता है और इसे सीएएफ़ में स्पष्ट रूप से वर्णित किया जाए। किसी भी दशा में, आरई के पास प्राधिकृत अधिकारी का रजिस्टर्ड नंबर ग्राहक के हस्ताक्षर के लिए प्रयोग नहीं किया जाएगा। आरई यह आवश्यक रूप से जांच करेगा कि ग्राहक के हस्ताक्षर में प्रयुक्त मोबाइल नंबर प्राधिकृत अधिकारी का मोबाइल नंबर नहीं होगा। ञ. प्राधिकृत अधिकारी, ग्राहक और मूल दस्तावेज़ का लाइव फोटो खींचने के बारे में एक घोषणा देगा। इस प्रयोजन के लिए प्राधिकृत अधिकारी वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी), जो की आरई के पास रजिस्टर्ड उसके मोबाइल नंबर पर भेजा जाएगा, से सत्यापित होगा। ओटीपी के सफलतापूर्वक वैधीकरण पर, इसे घोषणा पर प्राधिकृत अधिकारीके हस्ताक्षर के रूप में माना जाएगा। प्राधिकृत अधिकारी का लाइव फोटो भी इस प्राधिकृत अधिकारी घोषणा में खींचा जाएगा। ट. इन सब गतिविधियों के बाद उपयोजन, प्रक्रिया के पूर्ण होने और आरई के एक्टिवेशन अधिकारी को एक्टिवेशन अनुरोध के प्रस्तुत होने के बारे में सूचना देगा और प्रक्रिया की ट्रैंज़ैक्शन आईडी/ रेफरेंस आईडी संख्या भी सृजित करेगा। प्राधिकृत अधिकारी ग्राहक को भावी संदर्भ के लिए ट्रैंज़ैक्शन आईडी/ रेफरेंस आईडी संख्या के संबंध में ब्यौरे सूचित करेगा। ठ. आरई का प्राधिकृत अधिकारी यह जांच और सत्यापित करेगा कि :- (i) दस्तावेज़ के चित्र में उपलब्ध सूचना सीएएफ़ में प्राधिकृत अधिकारी द्वारा प्रविष्ट की गई सूचना के समरूप है (ii) ग्राहक की लाइव फोटो दस्तावेज़ में उपलब्ध फोटो के समरूप है; और (iii) अनिवार्य स्थानों सहित सीएएफ़ में सभी आवश्यक ब्यौरे उचित रूप में भरे गए हैं। ड. सफलतापूर्वक सत्यापन पर आरई के प्राधिकृत प्रतिनिधि द्वारा सीएएफ़ को डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित किया जाएगा जो सीएएफ़ का एक प्रिंट लेगा, समुचित स्थानों पर ग्राहक के हस्ताक्षर/ अंगूठे का निशान लेगा, तब स्कैन करके उसे सिस्टम में अपलोड करेगा। मूल हार्ड प्रति ग्राहक को वापस की जा सकेगी। बैंक इस प्रक्रिया के लिए कारोबार प्रतिनिधि (बीसी) की सेवाओं का उपयोग कर सकते हैं। 1 Amended vide amendment dated April 28, 2023 2 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 3 Amended vide amendment dated May 29, 2019. 4 Amended vide amendment dated April 28, 2023 5 Amended vide amendment dated April 28, 2023 6 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 7 Inserted vide amendment dated January 9, 2020. 8 Inserted vide amendment dated January 9, 2020. 9 Inserted vide amendment dated January 9, 2020. 10 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 11 Inserted vide amendment dated January 9, 2020. 12 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 13 Inserted vide amendment dated May 29, 2019. 14 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 15 Amended vide amendment dated May 29, 2019. 16 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 17 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 18 Amended vide Gazette Notification G.S.R. 538(E) regarding PML Second amendment Rules dated June 1, 2017. Before amendment, it read as: “Customer Due Diligence (CDD)” means identifying and verifying the customer and the beneficial owner using ‘Officially Valid Documents’ as a ‘proof of identity’ and a ‘proof of address”. 19 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 20 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 21 Amended vide amendment dated May 10, 2021 22 Inserted vide amendment dated May 29, 2019 23 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 24 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 25 Inserted vide amendment dated April 20, 2020 26 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 27 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 28 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 29 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 30 Inserted vide amendment dated January 9, 2020. 31 Inserted vide amendment dated January 9, 2020. 32 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 33 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 34 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 35 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 36 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 37 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 38 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 39 Amended vide Gazette Notification G.S.R. 544(E) regarding PML Second amendment Rules 2015 dated July 7, 2015. Before amendment, it read as: “Necessary information of such customers’ due diligence carried out by the third party is immediately obtained by REs”. 40 Deleted vide amendment dated May 29, 2019. 41 Amended vide amendment dated January 9, 2020 42 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 43 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 44 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 45 Amended vide amendment dated May 10, 2021 46 Amended vide amendment dated May 29, 2019. 47 Amended vide amendment dated May 10, 2021 48 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 49 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 50 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 51 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 52 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 53 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 54 Deleted vide amendment dated April 20, 2018. Deleted portion to read as: In case the person who proposes to open an account does not have an OVD as ‘proof of address’, such person shall provide OVD of the relative as provided at sub-section 77 of Section 2 of the Companies Act, 2013, read with Rule 4 of Companies (Specification of definitions details) Rules, 2014, with whom the person is staying, as the ‘proof of address’ Explanation: A declaration from the relative that the said person is a relative and is staying with him/her shall be obtained 55 Deleted vide amendment dated April 20, 2018. Deleted portion to read as: “In cases where a customer categorised as ‘low risk’, expresses inability to complete the documentation requirements on account of any reason that the REs consider to be genuine, and where it is essential not to interrupt the normal conduct of business, REs shall, at their option, complete the verification of identity of the customer within a period of six months from the date of establishment of the relationship.” 56 Deleted vide amendment dated April 20, 2018. Deleted portion to read as: In respect of customers who are categorised as ‘low risk’ and are not able to produce any of the OVDs mentioned at Section 3(a)(vi) of Chapter I and where ‘simplified procedure’ is applied, REs shall, accept any one document from each of the two additional sets of documents listed under the two provisos of sub-Rule 2(1)(d). Explanation: During the periodic review, if the ‘low risk’ category customer for whom simplified procedure is applied, is re-categorised as ‘moderate or ‘’high’ risk category, then REs shall obtain one of the six OVDs listed at Section 3(a)(vi) of these Directions for proof of identity and proof of address immediately. In the event such a customer fails to submit such an OVD, REs shall initiate action as envisaged in Section 39 of these Directions. 57 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 58 Inserted vide Gazette Notification G.S.R. 1038(E) regarding PML Third amendment Rules dated August 21, 2017. 59 Inserted vide Gazette Notification G.S.R. 381(E) dated May 28, 2019. 60 Inserted vide amendment dated March 31, 2020. 61 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 62 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 63 Amended vide amendment dated May 29, 2019. 64 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 65 Deleted vide amendment dated April 20, 2018 and shifted to Section 10. Deleted/shifted portion to read as: “If an existing KYC compliant customer of a RE desires to open another account with the same RE, there shall be no need for a fresh CDD exercise.” 66 Amended vide Gazette Notification G.S.R. 538(E) regarding PML Second amendment Rules dated June 1, 2017. Deleted portion of Section 26 is as follows: “and a self-declaration from the account holder about his/her current address is obtained in such cases. 67 Amended vide amendment dated May 29, 2019. 68 Amended vide amendment dated May 29, 2019. 69 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 70 Amended vide amendment dated April 28, 2023. 71 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 72 Inserted vide amendment dated May 29, 2019. 73 Amended vide amendment dated January 9, 2020 74 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 75 Inserted vide amendment dated April 28, 2023. 76 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 77 Inserted vide amendment dated May 29, 2019. 78 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 79 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 80 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 81 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 82 Inserted vide amendment dated May 29, 2019. 83 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 84 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 85 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 86 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 87 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 88 Inserted vide amendment dated May 29, 2019 89 Amended vide amendment dated January 9, 2020. 90 Amended vide amendment dated April 28, 2023 91 Amended vide amendment dated April 28, 2023 92 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 93 Amended vide amendment dated April 28, 2023 94 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 95 Amended vide amendment dated April 28, 2023 96 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 97 Amended vide amendment dated January 9, 2020 98 Amended vide amendment dated April 28, 2023 99 Amended vide amendment dated May 29, 2019 100 Amended vide amendment dated April 1, 2021 101 Amended vide amendment dated April 28, 2023 102 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 103 Amended vide amendment dated April 28, 2023. Further, earlier Sections 51, 52 and 53 have been consolidated in Section 51 vide this amendment. 104 Amended vide amendment dated March 23, 2021 105 Amended vide amendment dated March 23, 2021 106 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 107 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 108 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 109 Amended vide amendment dated April 28, 2023 110 Amended vide amendment dated December 18, 2020 111 Inserted vide amendment dated April 28, 2023 112 Amended vide amendment dated April 28, 2023 113 Amended vide amendment dated April 28, 2023 114 Amended vide amendment dated April 28, 2023 115 Amended vide amendment dated April 28, 2023 116 Amended vide amendment dated January 9, 2020 |