RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S1

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

108597496

मास्टर निदेश – निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व, निदेश, 2016

आरबीआई/डीबीआर/2015-16/24
मास्टर निदेश बैंविवि.पीएसबीडी.सं. 97/16.13.100/2015-16

12 मई, 2016

मास्टर निदेश – निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व, निदेश, 2016

बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 12 (ख) (2) के द्वितीय प्रावधान के अधीन प्रदत्त शक्तिर्यों का प्रयोग करते हुए, भारतीय रिज़र्व बैंक, इस बात से आश्वस्त होने पर कि ऐसा करना लोकहित में आवश्यक और लाभकारक है, एतद्वारा इसमें इसके बाद विनिर्दिष्ट निदेश जारी करता है।

अध्याय – I

प्रारंभिक

1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ

  1. इन निदेशों को भारतीय रिज़र्व बैंक (निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व) निदेश, 2016 कहा जाएगा।

  2. ये निदेश उस दिन से लागू होंगे, जिस दिन इन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक की वेबसाइट पर रखा जाएगा।

2. प्रयोज्यता

इन निदेशों के प्रावधान निजी क्षेत्र के सभी बैंकों पर लागू होंगे, जिन्हें भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारत में परिचालन करने का लाइसेंस प्रदान किया गया है।

3. परिभाषाएं

(i) इन निदेशों में, जब तक कि संदर्भ में अन्यथा अपेक्षित न हो, इसमें शब्दों का अर्थ वही होगा, जो उन्हें नीचे प्रदान किया गया है –

  1. “निजी क्षेत्र के बैंक” का आशय है, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के अधीन भारत में परिचालन के लिए लाइसेंस प्राप्त बैंक, जो शहरी सहकारी बैंक, विदेशी बैंक और विनिर्दिष्ट संविधियों के अधीन लाइसेंसीकृत बैंकों से इतर हैं।

  2. “व्यक्ति” का अर्थ नैसर्गिक व्यक्ति या विधिक व्यक्तियों की श्रेणियों, नामतः, गैर-वित्तीय संस्थाएं / इकाइयां, गैर-विनियमित या गैर-वैविध्यपूर्ण और गैर-सूचीबद्ध वित्तीय संस्थाएं, विनियमित, वैविध्यपूर्ण और सूचीबद्ध वित्तीय संस्थाएं, बहुराष्ट्रीय संस्था, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम, सरकार से है।

(ii) यदि अन्यथा परिभाषित न किया गया हो, तो अन्य सभी अभिव्यक्तियों के अर्थ वही होंगे, जो बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 या भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 या सेबी दिशानिर्देश या कंपनी अधिनिमय, 2013 और उसके अंतर्गत बनाई गई नियमावली, यथास्थिति, में दिए गए हों, अथवा जैसा वाणिज्यिक वार्तालाप में प्रयुक्त होता हो।

अध्याय II

निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरधारिता और मताधिकार सीमा

शेयरधारिता सीमा के लिए सिद्धांत

प्रवर्तक

4. बैंक में शेयरधारक प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह, अवरुद्धता अवधि के दौरान और इसके बाद, उन संबंधित दिशानिर्देशों के द्वारा अभिशासित होंगे जिनके अंतर्गत उन्हें लाइसेंस दिया गया है।

बशर्ते, यदि नीचे पैरा 6 में मैट्रिक्स में यथाविनिर्दिष्ट प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह वित्तीय संस्था होने के कारण उच्चतर शेयरधारिता के लिए पात्र है, अवरुद्धता अवधि की समाप्ति पर, शेयरधारिता को आगामी समय में सभी शेयरधारकों के लिए मैट्रिक्स में निर्धारित स्तर पर अथवा संबंधित लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों द्वारा अनुमत स्तर पर, जो भी उच्चतर हो, बनाए रखा जाए। अनुमत शेयरधारिता के स्तर को प्राप्त करने के लिए, बैंक के व्यवसाय के आरम्भ की तारिख से 12 वर्षों की अवधि प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह या गैर-परिचालात्मक वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) को दी जाएगी।

लम्बे समय में सभी शेयरधारक

5. सभी शेयरधारकों के लिए लम्बे समय में स्वामित्व की सीमाएं शेयरधारकों के दो व्यापक श्रेणियों के अंतर्गत वर्गीकरण पर आधारित होंगी, अर्थात् (i) नैसर्गिक व्यक्ति (भिन्न-भिन्न व्यक्ति) और (ii) विधिक व्यक्ति (इकाइयां/ संस्थाएं) । इसके अतिरिक्त, गैर-वित्तीय और वित्तीय संस्थाओं, और वित्तीय संस्थाओं में से वैविध्यपूर्ण और गैर-वैविध्यपूर्ण वित्तीय संस्थाओं की निम्नानुसार अलग-अलग सीमाएं होंगी:

(i) व्यक्तियों और गैर-वित्तीय संस्थाओं (प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह के अलावा) के मामले में, यह सीमा चुकता पूंजी की 10 प्रतिशत होगी। तथापि, विद्यमान बैंकों में प्रवर्तकों के व्यक्ति और गैर-वित्तीय संस्थाएं होने की दशा में अनुमत प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह शेयरधारिता सार्वभौमिक बैंकों को लाइसेंस देने के संबंध में 22 फरवरी, 2013 को जारी दिशानिर्देशों में अनुमत स्तर के अनुरूप अर्थात् 15 प्रतिशत होगी।

(ii) वित्तीय क्षेत्र से संस्थाओं के मामले में, विनियमित, विविधिकृत अथवा सूचीबद्ध के अलावा, यह सीमा चुकता पूंजी की 15 प्रतिशत होगी।

(iii) ‘वित्तीय क्षेत्र से विनियमित, सुवैविध्यपूर्ण अथवा सूचीबद्ध संस्थाओं’ के मामले में और बहुराष्ट्रीय संस्थाओं या सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम या सरकार के द्वारा शेयरधारिता के मामले में प्रवर्तकों/ प्रवर्तक समूह और गैर-प्रवर्तक दोनों के लिए चुकता पूंजी की 40 प्रतिशत तक एक समान सीमा की अनुमति होगी।

(iv) घरेलू अथवा विदेशी इकाई/ संस्था द्वारा पूंजी लगाये जाने के माध्यम से प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह द्वारा उच्चतर हिस्सेदारी/ रणनीतिगत निवेश की अनुमति मामला-दर-मामला आधार पर बैंक के हित में या बैंकिंग क्षेत्र में समेकन के हित में विद्यमान प्रवर्तकों द्वारा त्याग करने/ समस्याग्रस्त/ कमजोर बैंकों का पुनर्वास/पुनर्गठन/विद्यमान प्रवर्तकों की छंटनी, इत्यादि जैसी परिस्थितियों के अधीन होगी।

शेयरधारिता सीमा की मैट्रिक्स

6. निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरधारिता सीमा शेयरधारकों की विभिन्न श्रेणियों पर निम्नलिखित शेयरधारिता मैट्रिक्स के अनुसार लागू होगी।

शेयरधारक की श्रेणी प्रवर्तक समूह लम्बे समय में सभी शेयरधारक
शेयरधारक की उप-श्रेणी प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह की सभी श्रेणियां # नैसर्गिक व्यक्ति विधिक व्यक्ति
# गैर-वित्तीय संस्था / इकाइयां वित्तीय संस्था
*गैर-विनियमित या गैर-वैविध्यपूर्ण और गैर-सूचीबद्ध विनियमित, सुवैविध्यपूर्ण और सूचीबद्ध/ बहुराष्ट्रीय संस्था / सार्वजनिक क्षेत्र का उपक्रम/ सरकार $उपर्युक्त पैरा 5 (iv) में उल्लिखित परिस्थितियां
प्रस्तावित शेयरधारिता कैप @ संबंधित दिशानिर्देशों में यथाविनिर्दिष्ट 10% 10% 15% 40% मामला-दर मामला के आधार पर प्रदत्त अनुमति के आधार पर
@ सभी विद्यमान बैंकों के लिए अनुमत प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह की शेयरधारिता सार्वभौमिक बैंकों को लाइसेंस प्रदान करने संबंधी 22 फरवरी 2013 के दिशानिर्देशों में अनुमत के अनुरूप अर्थात् 15 प्रतिशत होगी।
# यदि लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों के अनुसार कोई प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह उच्चतर शेयरधारिता के लिए पात्र है तो वह लागू होगा और मैट्रिक्स में लंबे समय में सभी शेयरधारकों के लिए निर्धारित सीमाएं लागू नहीं होंगी।
* उन वित्तीय संस्थाओं के मामले में जिनका स्वामित्व 50 प्रतिशत या इससे अधिक व्यक्तियों1 के पास है या उनके द्वारा नियंत्रित हैं तो शेयरधारिता को नैसर्गिक व्यक्ति द्वारा माना जाएगा और शेयरधारिता की उच्चतम सीमा 10 प्रतिशत होगी।
$ बैंक में 10 प्रतिशत या इससे अधिक की अनुमति प्राप्त करने वाले शेयरधारक पांच वर्ष की न्यूनतम धारण अवधि के अधीन होंगे।

मताधिकार की अधिकतम सीमा

7. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अनुमत शेयरधारिता के बावजूद, मताधिकार बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 12 की उप-धारा (2) के प्रावधानों के अनुसार भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा अधिसूचित स्तर तक रहेंगे, जैसाकि भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर अधिसूचित किया गया है, और मताधिकार पर अधिकतम सीमा का वर्तमान स्तर 15 प्रतिशत है।

अध्याय III

निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरधारिता के लिए विस्तृत सिद्धांत

8. व्यापक सिद्धांत

(i) समूह पर लागू शेयरधारिता सीमाएं

सेबी (पूंजी का निर्गम और प्रकटीकरण अपेक्षाएं) विनियमावली, 2009 में प्रवर्तक समूह के लिए दी गई परिभाषा के अनुसार शेयरधारिता सीमाएं समूह की समग्र धारिता पर लागू होंगी।

(ii) पूर्वानुमोदन अपेक्षा का अनुपालन

बैंक की चुकता पुंजी के 5 प्रतिशत या इससे अधिक की शेयरधारिता/ मताधिकारों का कोई भी अधिग्रहण भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन प्राप्त करने के अधीन जारी रहेगा, जैसा कि ‘निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरों अथवा मताधिकारों के अधिग्रहण के लिए पूर्वानुमोदन’ पर 19 नवंबर, 2015 के मास्टर निदेश में दिया गया है।

(iii) “उचित और उपयुक्त” अपेक्षा का अनुपालन

उपर्युक्त पैरा 8 (ii) में इंगित किए गए अनुसार रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन प्राप्त करने के बाद भी, प्रमुख शेयरधारक2 (प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह सहित) सतत आधार पर “उचित और उपयुक्त” होना जारी रखेंगे, जैसा कि ‘निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरों अथवा मताधिकारों के अधिग्रहण के लिए पूर्वानुमोदन’ पर 19 नवंबर, 2015 के मास्टर निदेश में दिया गया है।

(iv) प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति का अनुपालन

क) निजी क्षेत्र के बैंक में शेयरधारिता का अधिग्रहण मौजूदा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) नीति के अधीन, संबंधित लाइसेंसिंग दिशानिर्देशों में विनिर्दिष्ट अपेक्षाओं, यदि कोई हों, के अधीन होगा। भारत सरकार की एफडीआई नीति (अप्रैल 2015 की) के अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंकों में सभी स्रोतों (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश, विदेशी संस्थागत निवेशक, अनिवासी भारतीय) से समग्र विदेशी निवेश बैंक की चुकता पूंजी के 74 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। हर समय, निजी क्षेत्र के बैंकों की चुकता शेयर पूंजी का न्यूनतम 26 प्रतिशत निवासी भारतीयों द्वारा धारण किया जाएगा। निजी क्षेत्र के बैंकों में विदेशी निवेश की सीमाएं और उप-सीमाएं और साथ ही, विदेशी निवेश की गणना भी भारत सरकार की एफडीआई नीति और समय-समय पर संशोधित फेमा विनियमावली में विनिर्दिष्ट किए गए अनुसार होंगी।

ख) ‘निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरों अथवा मताधिकारों के अधिग्रहण के लिए पूर्वानुमोदन’ पर 19 नवंबर, 2015 के मास्टर निदेश में निर्धारित किए गए अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंक में 5 प्रतिशत और उससे अधिक के शेयरों के अधिग्रहण/ मताधिकारों के लिए पूर्वानुमोदन की अपेक्षा विदेशी निवेश के लिए भी समान रूप से लागू होगी। अतः किसी व्यक्ति (उसके रिश्तेदार और सहयोगी उद्यम और साथ में काम करने वाले व्यक्तियों सहित) के द्वारा निजी बैंकों में कोई विदेशी निवेश, जिसमें शेयरधारिता 5 प्रतिशत या उससे अधिक हो जाती है, ऐसे में शेयरों या मताधिकारों के अधिग्रहण के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्वानुमोदन की आवश्यकता होगी।

ग) भारतीय रिज़र्व बैंक ‘निजी क्षेत्र के बैंकों में शेयरों अथवा मताधिकारों के अधिग्रहण के लिए पूर्वानुमोदन’ पर 19 नवंबर, 2015 के मास्टर निदेश में दिए गए मानदंड के अनुसार विदेशी निवेशकों की “उचित और उपयुक्त” स्थिति का मूल्यांकन करेगा, जिसमें निवेशकों के स्वामित्व, अधिग्रहित किए जाने वाले शेयरों/मताधिकारों में लाभकारक हित पर विस्तृत सूचना होगी।

(v) प्रति-धारिता (क्रॉस होल्डिंग) सीमाएं

बैंक (भारत में शाखा वाले विदेशी बैंकों सहित) किसी बैंक के ईक्विटी शेयरों में किसी नई हिस्सेदारी का अधिग्रहण नहीं करेंगे, यदि ऐसा अधिग्रहण करने से निवेशक बैंक की धारिता निवेशी बैंकों के ईक्विटी पूंजी का 10 प्रतिशत या उससे अधिक हो जाए। तथापि, असामान्य परिस्थितियों, जैसे समस्याग्रस्त/ कमजोर बैंकों की पुनर्रचना या बैंकिंग क्षेत्र में समेकन के हित में, आदि के मामले में, भारतीय रिज़र्व बैंक किसी बैंक द्वारा शेयरधारिता के उच्चतर स्तर की अनुमति दे सकता है, जैसा कि उपर्युक्त पैरा 5 (iv) में यथाविनिर्दिष्ट किया गया है।

(vi) उच्चतर शेयरधारिता सीमाएं

शेयरधारकों को उपर्युक्त अध्याय II में विनिर्दिष्ट सिद्धान्तों के अनुसार निम्नलिखित शर्तों पर उच्चतर शेयरधारिता की अनुमति दी जाएगी :

(क) ऐसे बैंकों में जहाँ कोई प्रमुख विनियामक/पर्यवेक्षी मुद्दे न हों, संबंधित बैंक के निदेशक मंडल का समर्थन होने पर किसी व्यक्ति को उच्चतर शेयरधारिता के अधिग्रहण की अनुमति दी जा सकती है। ऐसे बैंकों में जबरिया अधिग्रहण की अनुमति नहीं होगी।

(ख) ऐसे बैंकों में जहाँ विनियामक/पर्यवेक्षी मुद्दे हो और, जहाँ भारतीय रिज़र्व बैंक की राय में बैंक के जमाकर्ताओं के हित में/ सार्वजनिक हित में बैंक के स्वामित्व/ प्रबंधन में परिवर्तन आवश्यक हो, भारतीय रिज़र्व बैंक अपने विवेक से किसी व्यक्ति को उच्चतर शेयरधारिता के अधिग्रहण की अनुमति दे सकता है, भले ही संबंधित बैंक का बोर्ड इसका समर्थन न करता हो। ऐसा व्यक्ति मौजूदा शेयरधारक हो सकता है या नहीं भी हो सकता है।

(ग) ऐसा कोई व्यक्ति जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उपर्युक्त पैरा 6 की मैट्रिक्स में विनिर्दिष्ट सीमाओं से उच्चतर शेयरधारिता की अनुमति दी गई हो, उससे यह अपेक्षित होगा कि वह ऐसे उच्चतर अनुमत शेयरधारिता की तारीख से 12 वर्षों के भीतर शेयरधारिता को मैट्रिक्स में यथाविनिर्दिष्ट स्तर तक लाए, अगर भारतीय रिज़र्व बैंक लिखित में इसके विपरीत सूचित न करें।

(घ) ऐसा कोई व्यक्ति जिसे भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किसी बैंक में 10 प्रतिशत या उससे अधिक की शेयरधारिता ग्रहण करने की अनुमति दी गई हो, वह पांच वर्षों की न्यूनतम धारिता अवधि के अधीन होगा। ऐसा व्यक्ति उसके बाद अपनी धारिता का विनिवेश करने के लिए स्वतंत्र होगा, अगर रिज़र्व बैंक द्वारा विशिष्ट रूप से अन्यथा अपेक्षित न हो।

vii) प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह की छंटनी

यदि प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह के संबंध में कोई मुद्दा/ सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक के संज्ञान में आता है, जिससे वे ऐसे शेयरों को धारण करने या मताधिकारों के लिए “उचित और उपयुक्त” नहीं रह जाते अथवा यदि बैंक प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह की आत्मसंतुष्टि के कारण कुशलतापूर्वक कार्य नहीं कर रहा है, तो रिज़र्व बैंक बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 के अधीन अपनी शक्तियों का प्रयोग करके उचित समझी जाने वाली कार्रवाई शुरू कर सकता है। इसके अतिरिक्त, बैंक के हित में या सार्वजनिक हित में अन्य “उचित और उपयुक्त” पक्षों द्वारा अधिग्रहण के लिए, मामला-दर-मामला आधार पर, प्रस्तावों पर विचार करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक स्वतंत्र होगा। इससे भारतीय रिज़र्व बैंक के अनुमोदन के अधीन प्रवर्तकों/प्रवर्तक समूह के एक नए समूह द्वारा अधिग्रहण का मार्ग प्रशस्त होगा।

अध्याय IV

सामान्य शेयरधारिता सीमाओं के संबंध में छूट

छूट – लाइसेंस देने संबंधी दिशानिर्देशों का अनुपालन

9. नीचे विनिर्दिष्ट गई सीमा तक नियमों में छूट होगी

(क) निजी क्षेत्र के नए बैंक स्थापित करने के मामले में, प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह अथवा गैर-परिचालात्मक वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) द्वारा न्यूनतम शेयरधारिता की अपेक्षा है (वर्तमान में, बैंक की चूकता पूंजी का 40 प्रतिशत), जिसे पाँच वर्षों की अवधि के लिए अवरूद्ध किया जाएगा। अवरूद्धता अवधि के दौरान प्रवर्तकों की शेयरधारिता बैंक की चुकता पूंजी 40 प्रतिशत पर बनी रहेगी। इसमें बैंक द्वारा वोटिंग ईक्विटी पूंजी जुटाने के वे मामले शामिल होंगे, जिनके परिणामस्वरूप बैंक की वोटिंग ईक्विटी पूंजी बढ़ गई हो। अवरूद्धता अवधि की समाप्ति पर, 40 प्रतिशत से अधिक शेयरधारिता को संबंधित दिशानिर्देशों में यथाविनिर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर 40 प्रतिशत तक लाना होगा। प्रवर्तकों की श्रेणी पर निर्भर करते हुए शेयरधारिता लम्बे समय में सभी शेयरधारकों के लिए मैट्रिक्स में निर्धारित सीमाओं (जैसा कि उपर्युक्त पैरा 6 में दिया गया है) के अनुसार अथवा लाइसेंस देने के लिए संबंधित दिशानिर्देशों के द्वारा अनुमत स्तर तक, जो भी उच्चतर हो, बनाए रखी जाएगी। तथापि, उपर्युक्त पैरा 6 में दिए गए शेयरधारिता मैट्रिक्स के अनुसार अनुमत शेयरधारिता स्तर प्राप्त करने के लिए, बैंक के व्यवसाय के प्रारम्भ की तिथि से 12 साल की अवधि प्रवर्तक/प्रवर्तक समूह अथवा गैर-परिचालात्मक वित्तीय होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी) के लिए उन मामलों में उपलब्ध होगी जिनमें शेयरधारिता के निचले स्तर तक कमी उपर्युक्त पैरा 6 में मैट्रिक्स में विनिर्दिष्ट सीमाओं के अनुपालन के लिए अपेक्षित है।

(ख) नए बैंकों के मामले में, गैर-प्रवर्तकों को संबंधित दिशानिर्देशों में विनिर्दिष्ट सीमाओं तक शेयरधारिता की अनुमति होगी। तथापि, गैर-प्रवर्तकों को बैंकिंग व्यवसाय के आरम्भ की तारीख से पांच वर्ष की अवधि के बाद उपर्युक्त पैरा 6 में दिए गए शेयरधारिता मैट्रिक्स के अनुसार रणनीतिक निवेशक के रूप में उच्चतर शेयरधारिता की अनुमति दी जा सकती है। जिन व्यक्तियों को किसी बैंक में 10 प्रतिशत या उससे अधिक शेयरधारिता की अनुमति दी गई है वे पांच वर्ष की न्यूनतम धारिता अवधि के अधीन होंगे। ऐसे निवेशक उसके बाद अपनी धारिता का विनिवेश करने के लिए स्वतंत्र होंगे यदि रिज़र्व बैंक द्वारा विनिर्दिष्ट रूप से अन्यथा अपेक्षित न हो।

अध्याय V

अमेरिकी निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) रसीद (एडीआर) / वैश्विक निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) रसीद (जीडीआर) जारी करना

10. एडीआर/जीडीआर जारी करना

बैंक अमेरिकी निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) रसीद/ वैश्विक निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) रसीद के माध्यम से निधियां जुटा सकते हैं। ऐसे तंत्र के अंतर्गत, बैंक ऐसे डिपॉजिटरी को शेयर जारी करेंगे, जो बदले में अंतिम निवेशकों को एडीआर/जीडीआर जारी करते हैं। ऐसे मामलों में, बैंक डिपॉजिटरी से इस प्रकार करार करेगा कि डिपॉजिटरी उनके द्वारा धारित शेयरों के संबंध में मताधिकारों का प्रयोग नहीं करेंगे अथवा वे बैंक के निदेशक मंडल के निदेश के अनुसार मताधिकारों का प्रयोग करेंगे। इस संदर्भ में, बैंक रिज़र्व बैंक को डिपॉजिटरी के साथ हुए उनके प्रत्येक डिपॉजिटरी करार की प्रति प्रस्तुत करेंगे। इसके अतिरिक्त, बैंक प्रबंधन में डिपॉजिटरी के किसी हस्तक्षेप की संभावना को समाप्त करने के लिए, बैंक रिज़र्व बैंक को एक वचन-पत्र देंगे कि

(i) वे डिपॉजिटरी द्वारा वोटिंग को संज्ञान नहीं देंगे, भले ही डिपॉजिटरी बैंक के साथ उसके करार के उल्लंघन में वोट दे;

(ii) भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बिना डिपॉजिटरी करार की शर्तों में कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा।

अध्याय VI

परिवर्तन (संक्रमण) व्यवस्था

11. परिवर्तन (संक्रमण) व्यवस्था

विद्यमान निजी क्षेत्र के बैंकों के मामले में,

i) जहां रिज़र्व बैंक द्वारा व्यक्तियों/ संस्थाओं/ समूहों द्वारा शेयरधारिता में कमी के संबंध में विनिर्दिष्ट आदेश जारी किए गए हैं, वहां ऐसी शेयरधारिता पर उन आदेशों का लागू होना जारी रहेगा।

ii) जहां रिज़र्व बैंक द्वारा प्रवर्तकों/ संस्थाओं/ समूहों द्वारा 10 प्रतिशत अधिक शेयरधारिता के लिए विनिर्दिष्ट अनुमोदन दिए गए हैं, वहां वे विनिर्दिष्ट अवधि तक बैंकों में ऐसी शेयरधारिता रखना जारी रखेंगे।

iii) जहां कोई प्रवर्तक/ प्रवर्तक समूह 15 प्रतिशत अधिक शेयरधारिता रखते हैं और इसे 10 प्रतिशत तक लाने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा पहले ही समय सीमा निर्धारित की गई है, वहां शेयरधारिता को 15 प्रतिशत तक लाने के लिए ऐसी समय-सीमा लागू रहेगी।

अध्याय – VII

निरसन तथा अन्य प्रावधान

12. इन निदेशों को जारी करने के साथ ही रिज़र्व बैंक द्वारा जारी निम्नलिखित परिपत्रों में निहित अनुदेश / दिशानिर्देश निरस्त किए जाते हैं:

i) निजी क्षेत्र के बैंकों में स्वामित्व और अभिशासन पर 28 फरवरी, 2005 का परिपत्र बैंपविवि. सं. पीएसबीडी. बीसी.99/16.13.100/2004-05 का इन निदेशों द्वारा कवर की गई सीमा तक अतिक्रमण होगा।

ii) अमेरिकी निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) रसीद (एडीआर)/ वैश्विक निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) रसीद (जीडीआर) जारी करना – निक्षेपागार (डिपॉजिटरी) करार पर 5 फरवरी, 2007 का परिपत्र बैंपविवि.सं. पीएसबीडी.7269/16.13.100/2006-07 ।


1 कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 2(77) और उसके अंतर्गत बनाए गए नियमों में यथापरिभाषित रिश्तेदार या साथ कार्य करने वाले व्यक्तियों सहित

2 अभिव्यक्ति ‘प्रमुख शेयरधारक’ का आशय ऐसे शेयरधारकों से होगा जो बैंक की 5 प्रतिशत या उससे अधिक चुकता शेयर पूंजी धारण करते हों अथवा ऐसे व्यक्ति, जो बैंक के मताधिकारों के 5 प्रतिशत या उससे अधिक मताधिकार का प्रयोग करते हों।

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?