वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा - राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों पर पूंजी पर्याप्तता मानदंड लागू करना - आरबीआई - Reserve Bank of India
वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा - राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों पर पूंजी पर्याप्तता मानदंड लागू करना
आरबीआई / 2007 - 2008 / 203
ग्राआऋवि.केंका.आरएफ.बीसी. 40 / 07.38.03/2007-08
4 दिसंबर 2007
अध्यक्ष / प्रबंध निदेशक
सभी राज्य / मध्यवर्ती सहकारी बैंक
प्रिय महोदय
वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा - राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों पर पूंजी पर्याप्तता मानदंड लागू करना
कृपया वर्ष 2007-08 के वार्षिक नीति वक्तव्य की मध्यावधि समीक्षा का पैरा 149 (उद्धरण की प्रति संलग्न) देखें । इस समय, राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक जोखिम भारित परिसंपत्ति की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर) की परिधि से बाहर हैं । संपूर्ण प्रणाली की वित्तीय स्थिरता के संदर्भ में, राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के पूंजीगत ढांचे का मूल्यांकन करने के उद्देश्य से यह प्रस्तावित है कि वे अपने तुलन पत्रों में 31 मार्च 2008 की स्थिति का अपना सीआरएआर स्तर प्रस्तुत करें ।
2. तदनुसार, सभी राज्य और मध्यवर्ती सहकारी बैंक 31 मार्च 2008 की स्थिति का अपना सीआरएआर प्रस्तुत करें और उसके बाद हर वर्ष अपने तुलनपत्रों में "लेखे पर नोट" के रूप में अपना सीआरएआर प्रस्तुत करें । सीआरएआर मानदंडों के वांछित स्तर को प्राप्त करने की रुपरेखा यथासमय सूचित की जाएगी ।
3. प्रस्तावित सीआरएआर की रूपरेखा के अंतर्गत, तुलनपत्र की आस्तियों और गैरनिधिक / तुलनपत्र से इतर मदों को भार दिए जाएंगे और बैंकों को कुल जोखिम भारित आस्तियों और तुलनपत्र से इतर अन्य एक्पोज़रों की तुलना में अपनी पूंजीगत निधियों के अनुपात की गणना करनी होगी । रुपरेखा और अन्य क्रियाविधिगत दिशानिर्देश " अनुदेशों का ज्ञापन" में बताए गए हैं जिनका इस गणना के प्रयोजन के लिए ध्यान पूर्वक अध्ययन किया जाए ।
4. इसके अलावा, बैंक अनुबंध 2 में दिए गए फार्मेट में हमारे क्षेत्रीय कार्यालय / नाबार्ड के क्षेत्रीय कार्यालय को एक वार्षिक विवरणी प्रस्तुत करें जिसमें पूंजीगत निधियों और जोखिमपूर्ण आस्तियों का अनुपात दर्शाया जाए । इस विवरणी पर वे दो अधिकारी हस्ताक्षर करें जिन्हें रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत की जाने वाली सांविधिक विवरणियों पर हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत किया गया है । वार्षिक लेखे को अंतिम रूप देने के बाद फार्मेट ( अनुबंध 2) के अनुसार एक विवरण जिसमें 31 मार्च 2008 की स्थिति बताई गई हो, ग्रामीण आयोजना और ऋण विभाग / नाबार्ड धके उस क्षेत्रीय कार्यालय को भेजें जिसके क्षेत्राधिकार में बैंक स्थित है ।
5. कृपया इस पत्र की विषय-वस्तु अपने बैंक के निदेशक मंडल के ध्यान में लाएं ।
6. कृपया प्राप्ति-सूचना हमारे संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें ।
भवदीय
( सी.एस.मूर्ति )
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
149. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों पर गठित आंतरिक अध्ययन दल ( श्री ए.वी.सरदेसाई की अध्यक्षता में ) ने सिफारिश की थी कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया जाए कि वे जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी के अनुपात का न्यूनतम स्तर बनाए रखें जिसे बासेल - I के मानदण्डों के अनुसार क्रमिक रूप से जोखिम भारित अस्तियों के स्तर तक बढ़ाया जाएगा । वर्तमान में बासेल - I के मानदंड क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और राज्य/मध्यवर्ती सहकारी बैंकों पर लागू नहीं हैं । क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और राज्य / मध्यवर्ती सहकारी बैंकों के पूंजीगत ढांचे को और अधिक मजबूत बनाने और साथ ही साथ संपूर्ण प्रणाली की वित्तीय स्थिरता के संदर्भ में प्रस्ताव है कि ;
* क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक और राज्य/मध्यवर्ती सहकारी बैंक 31 मार्च 2008 के अपने तुलन-पत्र और जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी का अनुपात दर्शाएं ।
* इन बैंकों द्वारा जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी-अनुपात का वांछित स्तर प्राप्त करने हेतु एक योजना की रुपरेखा तैयार की जाए ।
अनुदेश ज्ञापन
पूंजी पर्याप्तता मानक
- सामान्य
- पूंजीगत निधि आदि की परिभाषा
- 2.1 टायर I पूंजी / स्थायी पूंजी
- 2.2 टायर II पूंजी
- 2.2.1 प्रकट न की गई आरक्षित निधियां
- 2.2.2 पुनर्मूल्यन वाली आरक्षित निधियां
- 2.2.3 सामान्य प्रावधान और हानि वाली आस्तियां
- 2.2.4 निवेश में घट-बढ़ के लिए आरक्षित निधियां
- जोखिम समायोजित आस्तियां और तुलनपत्र से बाहर की मदें
जोखिम भारित परिसंपत्ति की तुलना में पूंजी अनुपात ढांचे को शुरु करने का मूल उद्देश्य ग्रामीण सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति की सुदृढ़ता और स्थिरता को मजबूत बनाना है ।
पूंजीगत निधि को दो व्यापक समूहों / टायरों - टायर I और टायर II में बांटा जा सकता है । जबकि टायर I पूंजी जो अन्यथा स्थायी पूंजी के रुप में जानी जाती है , किसी बैंक को अप्रत्याशित हानियों से निबटने के लिए सबसे स्थायी और सुलभता से उपलब्ध सहायता मुहैया कराती है, टायर II पूंजी में वे घटक होते हैं जो कम सुलभता से उपलब्ध होते हैं ।
टायर I पूंजी में निम्नलिखित मदें शामिल होंगी :
(क) मतदान का अधिकार रखनेवाले बैंक के नियमित सदस्यों से संग्रहित चुकता शेयर पूंजी
(ख) निर्बंध आरक्षित निधियां
(ग) आस्तियों की बिक्री से उत्पन्न अधिशेष दर्शाने वाली आरक्षित पूंजी
(घ) लाभ-हानि लेखे में कोई अधिशेष (निवल) अर्थात् देय लाभांश, शिक्षण निधि, अन्य निधियां जिनका उपयोग परिभाषित है तथा आस्ति हानि, यदि कोई हो, आदि के प्रति विनियोग के बाद शेष राशि ।
टिप्पणी : अमूर्त आस्तियाँ , चालूवर्ष में हानियाँ तथा पिछली अवधियों से आगे लाई गई हानियाँ, अनर्जक आस्ति प्रावधान में घाटा, अनर्जक आस्तियों पर गलत रूप से मानी गई आय, देयताओं के लिए आवश्यक प्रावधान करने हेतु बैंक के दायित्व आदि की राशि टायर I पूंजी में से घटा दी जाएगी।
इनकी विशेषताएं प्राय: सामान्य शेयर तथा प्रकटित आरक्षित निधियों जैसी होती हैं । इनमें अप्रत्याशित हानियों को खपा लेने की क्षमता होती है और उन्हें पूंजी में तभी शामिल किया जा सकता है जब वे संचित लाभ दर्शाती हों तथा किसी ज्ञात देयता से ऋण ग्रस्त न होती हों । सामान्य हानियों या परिचालनगत हानियों को खपा लेने के लिए इनका नियमित रूप से उपयोग नहीं किया जाना चाहिए ।
ये निधियां प्राय: अप्रत्याशित हानियों को सहन करने में सहारे के रुप में मदद करती हैं लेकिन उनका स्वरुप कम स्थायी होता है तथा उन्हें "स्थायी पूंजी" नहीं माना जा सकता । पुनर्मूल्यन वाली आरक्षित निधियां आस्तियों के पुनर्मूल्यन से उत्पन्न होती हैं जिनका बैंक के खातों में मूल्यन कम आंका गया होता है । इसका विशिष्ट उदाहरण है बैंक परिसर और बिक्री योग्य प्रतिभूतियां ।अप्रत्याशित हानियों को सहन करने के लिए सहारे के रुप में पुनर्मूलयन वाली आरक्षित निधियों पर किस हद तक भरोसा किया जा सकता है, वह मुख्यत: संबंधित आस्तियों के बाज़ार मूल्यों के अनुमानों पर लगायी जाने वाली निश्चितता के स्तर, कठिन बाज़ार परिस्थितियों में या मजबूरन बिक्री में मूल्यों की अनुवर्ती गिरावट, उन आस्तियों की वास्तविक बिक्री की संभाव्यता, पुनर्मूल्यन के कर परिणाम आदि पर निर्भर करता है । अत: पूनर्मूल्यनवाली आरक्षित निधियों को टायर II पूंजी में शामिल करने के लिए उनका मूल्य 55 प्रतिशत के बट्टे पर आंका जाना विवेकपूर्ण होगा अर्थात् टायर II में शामिल करने के लिए केवल 45% पुनर्मूल्यन आरक्षित निधि उपलब्ध होगी । ऐसी आरक्षित निधियें को तुलनपत्र के मुख्य पृष्ठ पर पुनर्मूल्यन आरक्षित निधि के रुप में दर्शाना होगा ।
इनमें बैंकों की बहियों में दर्शाए गए सामान्य स्वरुप के ऐसे प्रावधान शामाल होंगे जो पता चली किसी संभाव्य हानि या किसी आस्ति के मूल्य में ह्रास होने या किसी ज्ञात देयता के लिए नहीं किए गए हैं । सामान्य प्रावधान की किसी राशि को ऊपर बताए गए अनुसार टायर II का हिस्सा मानने से पहले यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानी बरती जाए कि सभी ज्ञात हानियों और भावी संभाव्य हानियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त प्रावधान किए गए हैं । उदाहरण के लिए, अशोध्य और संदिग्ध ऋणों के लिए किए गए अतिरिक्त प्रावधान, मानक आस्तियों के लिए सामान्य प्रावधान आदि को इस श्रेणी में शामिल किया जा सकता है ।टायर II की पूंजी में शामिल किए गए ऐसे प्रावधान कुल भारित जोखिम आस्तियों के 1.25 % तक स्वीकृत होंगे ।
बैंक के निवेश में घट-बढ़ के लिए आरक्षित निधियों में शेष, यदि कोई हों ।
नोट :
यह नोट किया जाए कि मानदंडों के अनुपालन के लिए टायर II के घटकों का जोड़ टायर I के कुल घटकों के अधिकतम 100 प्रतिशत तक सीमित होगा ।
जोखिम समायोजित आस्तियों का मतलब है निधिक और गैर-निधिक मदों का भारित जोड़ । तुलनपत्र की आस्तियों और तुलनपत्र से इतर मदों के परिवर्तन कारकों को प्रतिशतता भार के रुप में दर्शाए गए ऋण स्तर दिए गए हैं । आस्तियों और तुलनपत्र से इतर मदों का जोखिम समायोजित मूल्य निकालने के लिए प्रत्येक आस्ति / मद को संबंधित भार से गुणा किया जाएगा । न्यूनतम पूंजी अनुपात निकालने के लिए कुल जोड़ को हिसाब में लिया जाएगा । आस्तियों की प्रत्येक मद और तुलनपत्र से इतर मदों को दिए गए भारांक अनुबंध I में दिए गए हैं ।
अनुबंध 1
विवेकपूर्ण मानदंड
सीआरएआर की गणना के लिए जोखिम भारांक
I. घरेलू परिचालन
क. निधिक जोखिम आस्तियां
क्रम सं. |
विवरण |
जोखिम भार(%) |
I |
शेष |
|
1. |
भारतीय रिज़र्व बैंक के पास रखी नकदी, शेष |
0 |
2. |
अन्य बैंकों केध चालू खाते में शेष |
20 |
II |
निवेश |
|
1. |
सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश |
2.5 |
2. |
केंद्र / राज्य सरकार गारंटित अन्य प्रतिभूतियों में निवेश |
2.5 |
3. |
अन्य प्रतिभूतियों में निवेश जहां ब्याज का भुगतान और मूलधन की चुकौती केंद्र सरकार द्वारा गारंटित है । (इसमें इंदिरा / किसान विकास पत्र (आइवीपी/केवीपी) में किया गया निवेश और उन बांडों में किया गया निवेश शामिल है जहां ब्याज का भुगतान और मूलधन की चुकौती केंद्र /राज्य सरकार द्वारा गारंटित है । ) |
2.5 |
4. |
अन्य प्रतिभूतियों में निवेश जहां ब्याज का भुगतान और मूलधन की चुकौती राज्य सरकार द्वारा गारंटित है । नोट : उन प्रतिभूतियों में निवेश जहां ब्याज का भुगतान और मूलधन की चुकौती राज्य सरकार द्वारा गारंटित है और निवेश अनर्जक हो गए हैं उन पर 102.5 प्रतिशत भार लगेगा |
2.5 |
5. |
अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश जहां ब्याज का भुगतान और मूलधन की चुकौती केंद्र / राज्य सरकार द्वारा गारंटित नहीं है । |
22.5 |
6. |
सरकारी उपक्रमों की सरकार द्वारा गारंटित प्रतिभ्ंझतियों में किया गया ऐसा निवेश जो अनुमोदित बाजारी ऋण कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है । |
22.5 |
7. |
वाणिज्य बैंकों, जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंकों पर सावधि जमा, जमा प्रमाणपत्र, मांग और अल्प सूचना पर मुद्रा आदि जैसे दावे । |
20 |
8. |
अखिल भारतीय सार्वजनिक वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी बाँडों में निवेश। |
22.5 |
9. |
अपनी टायर II पूंजी के लिए सार्वजनिक वित्तीय संस्थाओं द्वारा जारी बाँडों में निवेश । |
102.5 |
10. |
अन्य सभी निवेश नोट : ऐसी अमूर्त आस्तियां जिनकी हानियों को टायर I की पूंजी में से घटा दिया गया है उन्हें शून्य भार दिया जाएगा । |
102.5 |
III |
ऋण और अग्रिम |
|
I |
खरीदी और भुनाई गई हुंडियों सहित ऋण और अग्रिम और अन्य ऋण सुविधाएं |
|
1. |
i. भारत सरकार द्वारा गारंटित ऋण |
0 |
ii. राज्य सरकार द्वारा गारंटित ऋण नोट : राज्य सरकार द्वारा गारंटित ऐसे अग्रिम पर जो अनर्जक अग्रिम हो गया हो 100 प्रतिशत जोखिम भार लगेगा |
0 |
|
iii. भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिए गए ऋण |
100 |
|
iv. राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को दिए गए ऋण |
100 |
|
v. (क) आवास वित्त (आवासीय संपत्तियों के दृष्टिबंधक द्वारा पूर्णत: जमानती) (ख) आवास वित्त - अन्य |
75 100 |
|
vi. वैयक्तिक ऋण सहित उपभोक्ता ऋण |
125 |
|
vii. अन्य |
100 |
|
viii. पट्टाकृत आस्तियां |
100 |
|
ix. इसीजीसी द्वारा कवर किए गए ऋण |
50 |
|
नोट : 50% का जोखिम भार गारंटित राशि तक सीमित होगा न कि खाते में बकाया संपूर्ण शेष तक । दूसरे शब्दों में, गारंटित राशि से ऊपर की बकाया राशि पर 100% प्रतिशत जोखिम भार लगेगा । |
||
x. मीयादी जमाराशियों, जीवन बीमा पालिसियों, एनएससी, आइवीपी और केवीपी की जमानत पर अग्रिम जहां पर्याप्त मार्जिन उपलब्ध है । |
0 |
|
xi. बैंक के स्टाफ को दिए गए ऋण जो सेवांत लाभों और प्लैट / मकान के दृष्टिबंधक द्वारा जमानतबद्ध हैं । |
20 |
|
नोट : i. जोखिम भार लगाने के प्रयोजन के लिए किसी उधारकर्ता के सकल निधिक और गैर निधिक एक्सपोज़र की गणना करने के लिए बैंक निम्नलिखित को उधारकर्ता के कुल बकाया एक्सपोजर में से घटाएं - |
||
(क) नकद मार्जिन या जमाराशियों द्वारा संपार्श्विकृत अग्रिम, |
||
(ख) उधारकर्ता के चालू या अन्य खातों में जमाशेष जो किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए नियत नहीं है और किसी भी प्रकार की लीयन से मुक्त हैं, |
||
(ग) किसी भी आस्ति के संबंध में जहां मूल्यह्रास या अशोध्य ऋण के लिए प्रावधान किया गया है , |
||
(घ) संबंधित खातों में बकाया देय के प्रति समायोजित न किए गए इसीजीसी से प्राप्त दावे जो समायोजन होने तक एक अलग खाते में रख दिए गए हैं। |
||
IV |
अन्य आस्तियां |
|
1. |
परिसर, फर्नीचर और फिक्सचर |
100 |
2. |
अन्य आस्तियां |
|
i. सरकारी प्रतिभूतियों पर देय ब्याज |
0 |
|
ii. सीआरआर शेषों पर उपचित ब्याज और सरकारी लेनदेन के कारण भारतीय रिज़र्व बैंक पर दावे (इन लेनदेनों के कारण बैंकों पर सरकार / रिज़र्व बैंक के निवल दावे ) |
0 |
|
iii. सभी अन्य आस्तियां |
100 |
|
V. |
खुली स्थितियों में बाज़ार जोखिम |
|
1. |
विदेशी मुद्रा की खुली स्थिति में बाजार जोखिम (केवल प्राधिकृत डीलरों के लिए लागू ) |
100 |
2. |
खुली स्वर्ण स्थिति में बाज़ार जोखिम |
100 |
ख. |
तुलनपत्र से इतर मदें |
|
तुलनपत्र से इतर मदों से जुड़े ऋण जोखिम एक्सपोज़र की गणना पहले तुलन पत्र से इतर प्रत्येक मद की अंकित राशि को "ऋण परिवर्तन कारक" से नीचे सारणी में बताए गए अनुसार गुणा करके की जाएगी । इसे ऊपर निर्दिष्ट संबंधित प्रति पक्ष को दिए गए भार से पुन: गुणा किया जाएगा । |
||
क्रम सं. |
लिखत |
ऋण परिवर्तन कारक (%) |
1. |
प्रत्यक्ष ऋण प्रतिस्थापक, उदा. ऋणग्रस्तता की सामान्य गारंटियां (ऋणों और प्रतिभूतियों के लिए वित्तीय गारंटियां माने जानेवाले आपाति साख पत्रों सहित) और स्वीकृत बिल (स्वीकृत बिलों की विशेषता वाले परांकनों सहित) |
100 |
2. |
कुछ निश्चित लेनदेन से संबंधित आकस्मिक मदें (उदा. विशेष लेनदेनों से संबंधित निष्पादन बाँड, बोली लगाने वाले बाँड, वारंटियां और आपाति साख पत्र) |
50 |
3. |
अल्पावधि स्वयं समापनीय व्यापार संबंधित आकस्मिकताएं (जैसे कि विचाराधीन पोतलदान द्वारा संपार्श्विकृत दस्तावेजी ऋण) |
20 |
4. |
बिक्री और पुनर्खरीद करार और आश्रय सहित आस्ति बिक्री जहां ऋण जोखिम बैंक को रहता है |
100 |
5. |
वायदा आस्ति खरीद, वायदा जमा और आंशिक रुप से प्रदत्त शेयर और प्रतिभूतियां जो विशिष्ट निकासी (ड्रा डाउन ) के लिए प्रतिबद्धता दर्शाती हैं |
100 |
6. |
नोट निर्गम सुविधाएं और परिक्रामी हामीदारी सुविधाएं |
50 |
7. |
एक वर्ष से अधिक की मूल परिपक्वता वाली अन्य हामीदारियां (उदा. औपचारिक आपाति सुविधाएं और ऋण सुविधाएं ) |
50 |
8. |
एक वर्ष की मूल परिपक्वतावाली या बिना शर्त किसी भी समय निरस्त की जा सकने वाली ऐसी ही हामीदारियां |
0 |
9. |
i. अन्य बैंकों की प्रतिपक्षी गारंटियों की जमानत पर बैंकों द्वारा जारी गारंटियां |
20 |
ii. बैंकों द्वारा स्वीकृत दस्तावेजी बिलों की पुनर्भुनाई (बैंकों द्वारा भुनाए गए ऐसे बिल जिन्हें अन्य बैंकों द्वारा स्वीकृत किया गया है, उन्हें किसी बैंक पर निधिक दावे माना जाएगा ) |
20 |
|
नोट : ऐसे मामलों में, बैंक इस बात से पूर्णत: आश्वस्त हो लें कि जोखिम एक्सपोज़र वास्तव में अन्य बैंकों पर हो । |
||
10. |
कुल बकाया विदेशी मुद्रा संविदाएं जिनकी मूल परिपक्वता - |
|
* 14 कैलेंडर दिन से कम है |
0 |
|
* 14 दिन से अधिक लेकिन एक वर्ष से कम है |
2 |
|
* प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष या उसके अंश के लिए |
3 |
|
नोट : * भार देने के प्रयोजन के लिए किसी उधारकर्ता के कुल निधिक और गैर निधिक एक्सपोजर की गणना करते समय बैंक उधारकर्ता के कुल बकाया एक्सपोजर में से चालू या अन्य खातों में स्थित उन ऋण शेषों को घटाएं जो किसी विशिष्ट प्रयोजन के लिए नियत नहीं किए गए हैं और किसी भी प्रकार के लीयन से मुक्त हैं । |
||
* ऊपर बताए गए अनुसार परिवर्तन गुणांक लगाने के बाद तुलनपत्र से इतर समायोजित मूल्य को निर्दिष्ट किए गए अनुसार संबंधित प्रति पक्ष को दिए गए भार से पुन: गुणा किया जाएगा । |
नोट : इस समय राज्य और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक तुलनपत्र से इतर लेनदेन अधिक मात्रा में नहीं कर रहे होंगे । तथापि, विस्तार करने की उनकी क्षमता को देखते हुए तुलन पत्र से इतर विभिन्न मदों के सामने जिन्हें शायद बैंक भविष्य में अंगीकर करने लगें, भार दर्शाए गए हैं ।
II. भारतीय बैंकों के विदेशी परिचालनों के संबंध में अतिरिक्त जोखिम भार (केवल प्राधिकृत डीलरों के लिए लागू)
- विदेशी मुद्रा और ब्याज दर से संबंधित संविदाएं
- विदेशी मुद्रा संविदाओं में निम्नलिखित शामिल हैं :
- जैसा कि तुलनपत्र से इतर अन्य मदों के मामले में होता है, नीचे बताए गए अनुसार एक द्विस्तरीय गणना लागू होगी :
- ब्याज दर संविदाएं
क. विदेशी मुद्रा ब्याज दर स्वैप
ख. वायदा विदेशी मुद्रा संविदाएं
ग. मुद्रा वायदे
घ. खरीदे गए मौद्रिक लेनदेन
ड़. इसी प्रकार की अन्य संविदाएं
(क) चरण 1 - प्रत्येक लिखत के आनुमानिक मूलधन को नीचे दिए गए परिवर्तन कारक से गुणा किया जाता है ।
मूल परिपक्वता परिवर्तन कारक
एक वर्ष से कम 2%
एक वर्ष लेकिन 2 वर्ष से कम 5% (i.e. 2% + 3%)
प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष के लिए 3%
(ख) चरण 2 - इस प्रकार से प्राप्त समायोजित मूल्य को ऊपर "क" में दिए गए अनुसार संबंधित प्रति पक्ष को आबंटित जोखिम भार से गुणा किया जाएगा ।
iii) ब्याज दर संविदाओं में निम्नलिखित शामिल हैं :
क. एकल मुद्रा ब्याज दर स्वैप
ख. मूल स्वैप
ग. वायदा दर करार
घ. ब्याज दर वायदे ". खरीदे गए ब्याज दर संबंधी लेनदेन च. इसी प्रकार की अन्य संविदाएं
- जैसा कि तुलन पत्र से इतर अन्य मदों के मामले में होता है, नीचे बताए गए अनुसार एक द्विस्तरीय गणना लागू होगी :
(क) चरण 1 - प्रत्येक लिखत के अनुमानिक मूलधन को नीचे दिए गए प्रतिशत से गुणा किया जाता है ।
मूल परिपक्वता परिवर्तन कारक
एक वर्ष से कम 0.5 %
एक वर्ष लेकिन दो वर्ष से कम 1.0%
प्रत्येक अतिरिक्त वर्ष के लिए 1.0 %
(ख) चरण 2 - इस प्रकार प्राप्त समायोजित मूल्य को ऊपर "क" में बताए गए अनुसार संबंधित प्रति पक्ष को आबंटित जोखिम भार से गुणा किया जाएगा ।
नोट : इस समय अधिकांश राज्य और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक विदेशी मुद्रा संबंधी लेनदेन नहीं कर रहे हैं । तथापि, उक्त जिन बैंकों को प्राधिकृत डीलर के लाइसेंस दिए गए हैं वे उपरोक्त लेनदेन कर सकते हैं । किसी विशिष्ट लेनदेन पर जोखिम भार लगाने की अनिश्चितता होने के मामले में भारतीय रिज़र्व बैंक से स्पष्टीकरण प्राप्त किया जाए ।
विवेकपूर्ण मानदंड
पूंजीगत निधियां, जोखिमवाली आस्तियां / एक्सपोज़र
और जोखिम आस्ति अनुपात का विवरण
भाग ए - पूंजीगत निधियां तथा जोखिम आस्ति अनुपात
(राशि - लाख रुपए में )
I पूंजीगत निधियां
ए टायर I - पूंजी के घटक
(क) चुकता पूंजी
घटाएं : अमूर्त आस्तियां और हानियां
कुल
(ख) आरक्षित निधियाँ और अधिशेष
1. सांविधिक आरक्षित निधिया
2. आरक्षित पूंजी (नीचे का नोट देखें )
3. अन्य आरक्षित निधियां
4. लाभ-हानि लेखा में अधिशेष *
कुल
नोट : आस्तियों की बिक्री पर अधिशेष दर्शाने वाली आरक्षित पूंजी जिसे अलग खाते में रखा गया है को शामिल किया जाएगा ।
पुनर्मूल्यन आरक्षित निधि, ऋण हानियां और अन्य आस्ति हानियों के लिए किए गए सामान्य/अस्थायी प्रावधान और विशिष्ट प्रावधान या किसी आस्ति के मूल्यह्रास को पूंजीगत निधियां नहीं माना जाएगा ।
* लाभ-हानि लेखा में कोई अधिशेष (निवल) अर्थात् देय लाभांश, शिक्षण निधि, अन्य निधियां जिनका उपयोग परिभाषित हो के प्राति विनियोजन के बाद शेष राशि तथा आस्ति हानि, यदि कोई हो, आदि ।
(बी) टायर II - पूंजी के घटक
- अव्यक्त आरक्षित निधियां
- पूनर्मूल्यन आरक्षित निधियां
- सामान्य प्रावधान तथा हानि वाली आरक्षित निधियां #
- निवेश में उतार-चढ़ाव हेतु रिज़र्व / निधियां
II जोखिम वाली आस्तियां
(क) निधिक जोखिम वाली आस्तियों का समायोजित मूल्य अर्थात् तुलन-पत्र की मदें
( भाग "ख" के साथ मेल खाए )
(ख) गैर निधिक तथा तुलन-पत्र से इतर मदों का समायोजित मूल्य
(भाग "ग" के साथ मेल खाए )
(ग) कुल जोखिम भारित आस्तियां ( क +ख)
III जोखिम भारित आस्तियों की तुलना में पूंजीगत निधि का प्रतिशत [ I:II (III) ]
# मानक आस्तियों पर सामान्य प्रावधान शामिल है ।
भाग ख - भारित आस्तियां अर्थात् तुलन-पत्र की मदों पर
(राशि - लाख रुपए में )
क्र.सं. |
बही मूल्य |
जोखिम भार |
समायोजित मूल्य |
|
1. |
नकदी और बैंक शेष |
|||
(क) |
हाथ में नकदी (विदेशी मुद्रा के नोटों सहित) |
|||
(ख) |
भारत में बैंकों के पास शेष |
|||
i) |
रिज़र्व बैंक के पास शेष |
|||
ii) |
अन्य बैंकों के पास शेष |
|||
|
||||
II. |
मांग और अल्प सूचना पर मुद्रा |
|||
III. |
निवेश |
|||
(क) |
सरकारी और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियां |
|||
(ख) |
अन्य ( मूल्यह्रास का निवल) जिसके लिए प्रावधान किया गया है ) |
|||
IV. |
अग्रिम ** |
|||
ऋण और अग्रिम, खरीदे और भुनाए गए बिल और अन्य ऋण सुविधाएं |
||||
(क) |
भारत सरकार द्वारा गारंटित दावे |
|||
(ख) |
राज्य सरकार द्वारा गारंटित दावे |
|||
(ग) |
भारत सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर दावे |
|||
(घ) |
राज्य सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों पर दावे |
|||
(V) |
अन्य |
|||
नोट : 1. नेटिंग केवल उन्हीं अग्रिमों के संबंध में की जाए जो नकद मार्जिन अथवा जमाराशियों द्वारा संपार्श्विकृत हों और उन आस्तियों के बारे में भी की जाए जहां अशोध्य और संदिग्ध ऋणों के मूल्यह्रास के लिए प्रावधान किया गया हो । |
||||
2. अमूर्त आस्तियों को जिनके लिए हानियां टायर I पूंजी से घटाई गई है शून्य भार दिया जाए । |
||||
V. |
परिसर (मूल्यह्रास का निवल जिसके लिए प्रावधान किया गया हो ) |
|||
VI. |
फर्नीचर और फिक्सचर (मूल्यह्रास का निवल जिसके लिए प्रावधान किया गया हो ) |
|||
VII. |
अन्य आस्तियां (शाखा समायोजन, गैर-बैंकिंग आस्तियां आदि सहित) |
कुल
* सरकारी और अन्य अनुमोदित प्रतिभूतियों में निवेश में ह्रास के लिए किये गये प्रावधान को फूट नोट देकर शामिल किया जाए ।
** अशोध्य और संदिग्ध ऋण के लिए धारित सामान्य या विशिष्ट प्रावधानों को फुटनोट देकर शामिल किया जाए ।
भाग ग - भारित गैर-निधिक एक्सपोजर / तुलनपत्र से इतर मदें
तुलन पत्र से इतर प्रत्येक मद को नीचे दिए गए फार्मेट में प्रस्तुत किया जाए :
( राशि - लाख रुपए में )
मद का स्वरुप |
बही मूल्य |
परिवर्तन कारक |
समान मूल्य |
जोखिम भार |
समायोजित मूल्य |