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भारत से विविध प्रेषण

भारत से विविध प्रेषण

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई - 400 001

मास्टर परिपत्र क्र.: 5 /2003-04

जुलाई 01, 2003

सेवा में
विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी
महोदया/महोदय

मास्टर परिपत्र - भारत से विविध प्रेषण

जैसा कि आप जानते हैं विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 , 1 जून 2000 से लागू हो गया है। अधिनियम की धारा 5 के अनुसार कोई भी व्यक्ति चालू खाता लेन देन के माध्यम से प्राधिकृत व्यक्ति को विदेशी मुद्रा बेच सकता है अथवा उससे आहरित कर सकता है। परंतु केन्द्रीय सरकार को, लोक हित में रिज़र्व बैंक के साथ परामर्श द्वारा चालू खाता लेन देन पर कुछ प्रतिबंध लगाने की शक्ति प्राप्त है। तदनुसार, भारत सरकार ने 3 मई 2000 और 30 मार्च 2001 की अधिसूचना सं.एस.ओ. 301 (E) द्वारा संशोधित अधिसूचना स ंजीएसआर.381(E) जारी की है।

2. रिज़र्व बैंक ने अभी हाल ही में अनिवासी भारतीय /भारतीय मूल के व्यक्तियों के लिए विभिन्न प्रयोजरों के लिए प्रेषण सुविधा ओं को उदार बनाया है ।

3. "भारत से बाहर यात्रा और अन्य विविध लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा देना" विषय पर प्राधिकृत व्यापारियों (एडी) और स्वयंपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों (एफएफएमसी) को जुलाई 1, 2003 तक के सभी अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए निवासियों के लिए सुविधाएं भाग ट और अनवासी भाजतीय / भारतीय मूल के व्यक्तियों के लिए सुविधाएं भाग आा मे देते हूए मास्टर परिपत्र तैयार किया गया है।

4. इस परिपत्र में जुलाई 01, 2003 तक जारी निम्नलिखित परिपत्रों में समाहित निदेश सम्मिलित किए गए हैं।

i) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं.1
ए.पी.(एफ.एल. सिरीज़) परिपत्र सं. 1

...

जून 1, 2000

ii) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 19

...

अक्तूबर 30, 2000

iii) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 20
ए.पी.(एफ.एल. सिरीज़) परिपत्र सं. 2

...

नवंबर 16, 2000

iv) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 11
ए.पी.(एफ.एल. सिरीज़) परिपत्र सं.1

...

नवंबर 13, 2001

v) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 12
ए.पी.(एफ.एल. सिरीज़) परिपत्र सं.2

...

नवंबर 23, 2001

vi) ईसी.सीओ.एफॅएमडी.599/18.08.01/2001-02

...

जनवरी 21, 2002

vii) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 16

...

सितंबर 12, 2002

viii) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 17

...

सितंबर 12, 2002

ix) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 37

...

नवंबर 01, 2002

x) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 40

...

नवंबर 05, 2002

xi) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 43
ए.पी.(एफ.एल./आर.एल. सिरीज़) परिपत्र सं.1

...

नवंबर 12, 2002

xii) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 51
ए.पी.(एफ.एल./आर.एल. सिरीज़) परिपत्र सं.2

...

नवंबर 18, 2002

xiii) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 53

...

नवंबर 23, 2002

xiv) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 54

...

नवंबर 25, 2002

xv) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 64

...

दिसंबर 24, 2002

xvi) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं.65

...

जनवरी 06, 2003

xvii) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 73

...

जनवरी 24, 2003

xviii) ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिपत्र सं. 103

...

मई 21, 2003

भवदीय

ग्रेस कोशी
मुख्य महा प्रबंधक

(जुलाई 1, 2003 तक अद्यतन)

विषय सूची

भाग I - विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन नियमावली), 2000

भाग II - प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा यात्रा और विविध लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा देना

भाग III- स्वयंपूर्ण मुद्रा परिवर्तकों (एफएफएमसी) द्वारा यात्रा के लिए विदेशी मुद्रा देना

भाग 1

अधिसूचना

नई दिल्ली मई 3, 2000

(30 मार्च 2001 की अधिसूचना.एसओ.301(E) द्वारा यथा संशोधित)

जी.एस.आर.381(E) - विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 5 और उपधारा (1) तथा धारा 46 की उपधारा (2) के खंड (क) में प्रदत्त शक्तियों और रिज़ॅर्व बैंक के साथ परामर्श के पश्चात केंद्रीय सरकार लोकहित में आवश्यक समझकर निम्नलिखित नियमावली बनाती है, नामत:;

1. संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ

(1) यह नियमावली विदेशी मुद्रा प्रबंध (चालू खाता लेनदेन) नियमावली, 2000 कहलाएगी।

(2) यह 1 जून 2000 से प्रभावी होगी।

2. परिभाषा -जब तक कि प्रसंग से भिन्न वांछनीय न हो, इस विनियमावली में ;

क) "अधिनियम" से, विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) अभिप्रेत है ;

ख) "आहरण" से किसी प्राधिकृत व्यक्ति से विदेशी मुद्रा का आहरण अभिप्रेत है और जिसमें साख पत्र खोलना अथवा अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ अथवा अंतरराष्ट्रीय डेबिट काड़ अथवा एटीएम काड़ अथवा कोई अन्य वस्तु चाहे जिस भी नाम से अभिहित हो जिससे विदेशी मुद्रा की देयता का निर्माण होता है, शामिल है ;

ग) "अनुसूची" से तात्पर्य विनियमावली से अनुबद्ध अनुसूची है;

घ) इस नियमावली में अपरिभाषित परंतु अधिनियम में परिभाषित शब्द और अभिव्यक्तियों का क्रमश: वही अर्थ होगा जो अधिनियम में दिया गया है।

3. विदेशी मुद्रा के आहरण पर प्रतिबंध्ा - किसी व्यक्ति द्वारा निम्नलिखित प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा का आहरण प्रतिबंधित है, नामत: ;

ख) अनुसूची I में विनिर्दिष्ट कोई लेन देन ; अथवा

ग) नेपाल और /अथवा भूटान की यात्रा और अथवा;

घ) नेपाल अथवा भूटान में निवासी किसी व्यक्ति के साथ लेनदेन ।

परंतु खंड (ग) के अंतर्गत के प्रतिबंध को भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किसी विशेष अथवा सामान्य आदेश में नियत शर्तों के अधीन छूट दी जा सकती है।

4. भारत सरकार का पूर्वानुमोदन -भारत सरकार के पूर्वानुमोदन के सिवाय कोई भी व्यक्ति अनुसूची II में शामिल लेनदेन के लिए विदेशी मुद्रा आहरित नहीं करेगा।

परंतु यह नियम उस लेनदेन पर लागू नहीं होगा यदि प्रेषक के विदेशी मुद्रा खाता (आरएफसी) और निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाते में धारित निधि में से भुगतान किया गया हो।

5. रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन - कोई भी व्यक्ति रिज़ॅर्व बैंक वे पूर्वानुमोदन के बिना अनुसूची III में शामिल लेन देन के लिए विदेशी मुद्रा आहिरत नहीं करेगा;

परंतु यह नियम उस लेनदेन पर लागू नहीं होगा यदि प्रेषक के विदेशी मुद्रा खाता (आरएफसी) और निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाते में धारित निधि में से भुगतान किया गया हो।

6. (1) नियम 4 अथवा नियम 5 में समाहित कुछ भी, विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा में खाता (ईईएफसी) में धारित निधियों में से आहरण पर लागू नहीं होगा

(2) उपनियम (1) में अंतर्भूत किसी भी बात के साथ साथ नियम 4 अथवा नियम 5 के अंतर्गत लगाए गए प्रतिबंध विदेशी मुद्रा अर्जक विदेशी मुद्रा खाता (ईईएफसी) खाते में से किए गए आहरणों सूची II की मद सं. 10 और 11 अथवा सूची III में विनिर्दिष्ट मद सं. 3,4,11,16 और 17 में विनिर्दिष्ट प्रयोजनों के लिए, जैसा कि मामला हो, पर लागू रहेंगे ।

7. भारत से बाहर रहने के दौरान अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ का उपयोग

नियम 5 में समाहित कोई भी बात भारत से बाहर रहने के दौरान किसी व्यक्ति द्वारा अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ से किए गए खर्चे के भुगतान पर लागू नहीं होगी।

परंतु प्रतिबंधित मदों के उपयोग के लिए काड़ पर लगी रोक जारी रहेगी।

अनुसूची I

(नियम 3 देखा जाए)

1. लाटरी की जीत में से प्रेषण;

2. घुड़दौड़ आदि अथवा किसी अन्य और शौक से प्राप्त आय से प्रेषण;

3. लाटरी टिकट की खरीद, प्रतिबंधित जॅप्त पत्रिकाओं फुटबाल पूल, शर्त की समग्र जीत/राशि में से प्रेषण;

4. भारतीय कंपनी की विदेश में संयुक्त उद्यम/ पूर्णत: स्वाधिकृत सहायक कंपनी की ईक्विटी में निवेश के लिए निर्यात मूल्य में से कमीशन व ा भुगतान;

5. किसी कंपनी द्वारा लाभांश का प्रेषण जहां लाभांश तुलन के लिए आवश्यक है;

6. रुपया राज्य ऋण मार्ग के अंतर्गत निर्यात पर कमीशन का भुगतान;

7. टेलिफोन की कॉल बैक सेवाओं से संबंधित भुगतान;

8. अनिवासी विशेष रुपया (खाता) योजना के अंतर्गत खाते में जमा रकम पर ब्याज की आय का प्रेषण ।

अनुसूची II

(देखें नियम 4)

प्रेषण का प्रयोजन

भारत सरकार का मंत्रालय विभाग, जिसका अनुमोदन वांछित है

1. सांस्कृतिक दौरे

मानव संसाधन विकास मंत्रालय (शिक्षा और सांस्कृतिक विभाग)

2. राज्य सरकार और उसके सरकारी क्षेत्र के उपक्रमों द्वारा पर्यटन संवर्धन के सिवाय अन्य प्रयोजनों, विदेशी निवेशाें और अंतरराष्ट्रीय बोली लगाने के लिए विदेशी मीडिया में विज्ञापन छपाना, (10,000 अमरीकी डॉलर से अधिक )

वित्त मंत्रालय (आर्थिक कार्य विभाग )

 

 

 

3. सरकारी क्षेत्र के उपक्रम द्वारा किराये पर लिए गए जहाज़ के भाड़े का प्रेषण

भूतल परिवहन मंत्रालय (चार्टरिंग स्कंध)

4. लागत बीमा भाड़ा आधार पर सरकारी विभाग अथवा सरकारी क्षेत्राें ंके उपक्रम द्वारा आयात मूल्य का भुगतान (अर्थात् पोत तक नि:शुल्क के सिवाय और एफ्एएस आधार पर)

भूतल परिवहन (चार्टरिंग स्कंध)

 

 

5. बहु विध परिवहन परिचालक द्वारा अपने विदेशी एजेंट को प्रेषण

नौवहन महानिदेशक से पंजीकरण प्रमाणपत्र

6. * निरस्त किया गया

भूतल परिवहन मंत्रालय (नौवहन महानिदेशक)

7. तकनीकी सहयोग करार के तहत जहॉं पर रॉयल्टी का भुगतान स्थानीय बिक्री पर 5 प्रतिशत से अधिक और निर्यात पर 8 प्रतिशत और एकमुश्त भुगतान की रकम 2 मिलियन अमरीकी डॉलर से अधिक हो उसके लिए प्रेषण

उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय

 

 

8. अंतरराष्ट्रीय / राष्ट्रीय / राज्य स्तरीय खेल निकाय से भिन्न किसी व्यक्ति द्वारा विदेश में खेल कार्यकलाप के प्रयोजन के पुरस्क्ार के लिए धन भेजने के लिए, यदि रकम 100,000 अमरीकी डॉलर से अधिक हो तो

मानव संसाधन विकास (युवा मामला और खेल विभाग )

9. किसी विदेशी कंपनी से स्वास्थ्य रक्षा बीमा के लिए भुगतान

वित्त मंत्रालय (बिमा प्रभाग)

 

 

10. बचाव और रोग रोधीकरण क्लब की सदस्यता शुल्क का प्रेषण

वित्त मंत्रालय (बीमा प्रभाग)

11. पी एण्ड आई क्लब की सदस्यता के लिए प्रेषण ।

वित्त मंत्रालय (बीमा प्रभाग)

अनुसूची III

(देखें नियम 5)

1. कलाकार जैसे पहलवान, नर्तक मनोरंजनकर्ता आदि, द्वारा प्रेषण ( यह प्रतिबंध उन कलाकारों को लागू नहीं होगा जो भारत में पर्यटन से संबंधित संस्थाओं, जैसे, भारतीय पर्यटन विकास निगम, राज्य पर्यटन विकास निगम आदि द्वारा विशेष त्यौहारों पर आयोजित कार्यक्रमों के लिए सन्नद्ध, अथवा पाँच सितारा श्रेणी के होटलों में कार्यरत कलाकारों को लागू नहीं होगा, बशर्ते कि व्यय ईईएफसी खाते में से किया गया हो ।)

2. किसी भी देश में एक अथवा उससे अधिक निजी दौरे के लिए एक कैलेंडर वर्ष में 5,000@ अमरीकी डॉलर से अधिक अथवा उसके समतुल्य विदेशी मुद्रा जारी करना (नेपाल और भूटान के सिवाय )

3. प्रति वर्ष, प्रति प्रेषक / उपहार दाता 5,000 अमरीकी डॉलर से अधिक उपहार प्रेषण।

4. प्रति वर्ष , प्रति प्रेणक /दाता 5000 अमरीकी डॉलर से अधिक का दान ।

5. रोजॅगार के लिए विदेश जाने वाले व्यक्ति को 5,000 अमरीकी डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा की सुविधाएं ।

6. 5,000 अमरीकी डॉलर से अधिक उत्प्रवास अथवा उत्प्रवासी देश द्वारा निर्धारित राशि के लिए विदेशी मुद्रा की सुविधाएं ।

7. विदेश में घनिष्ठ रिश्तेदार के भरण पोषण के लिए प्रेषण जो,

  1. ऐसा निवासी परंतु स्थायी तौर पर भारत मे न रहने वाला और जो पाकिस्तान के सिवाय विदेशी देश का नागरिक हो उसके निवल वेतन से अधिक हो । (भविष्य निधि अंशदान और अन्य कटौतियों के पश्चात्) ।
  2. अन्य सभी मामलों में प्रति वर्ष, प्रति ग्राही 5,000 अमरीकी डॉलर से अधिक ।

स्पष्टीकरण :-

इस मद के प्रयोजनार्थ किसी निर्दिष्ट अवधि के लिए रोजगार के कारण (अवधि को ध्यान में लिए बिना) भारत में निवासी कोई व्यक्ति अथवा किसी विशिष्ट कार्य अथवा दत्तकार्य के लिए, जिसकी अवधि तीन वर्ष से अधिक न हो , निवासी है पर स्थायी निवासी नहीं है ।

8. किसी व्यक्ति को, ठहरने की अवधि का ध्यान किए बिना, व्यापार यात्रा, अथवा सम्मेलन के मामले में अथवा किसी विशेषीकृत प्रशिक्षण अथवा चिकित्सीय उपचार के लिए विदेश में गए किसी व्यक्ति के उपचार अथवा चिकित्सीय जॉंच के लिए विदेश जानेवाले मरीजॅ अथवा चिकित्सीय उपचार / जाँंच के लिए विदेश जानेवाले सहयोगी के खर्च को पूरा करने के लिए प्रति व्यक्ति 25,000 अमरीकी डॉलर से अधिक विदेशी मुद्रा जारी करना ।

9. विदेश में चिकित्सा उपचार के लिए भारत के डॉक्टर से अथवा विदेश के डॉक्टर / अस्पताल द्वारा किए गए अनुमान से अधिक व्यय को पूरा करने के लिए विदेशी मुद्रा जारी करना ।

10. विदेश में अध्ययन के लिए विदेशी शैक्षणिक संस्था द्वारा बताए गए अनुमानित व्यय से अधिक व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए प्रति शैक्षणिक वर्ष 30,000 अमरीकी डॉलर, जो भी अधिक हो, के लिए विदेशी मुद्रा जारी करना ।

11. भारत में आवासीय फ्ॅलैट / व्यापारीय भूखंड की विक्री के लिए विदेशी एजेंट को दिए गए कमीशन जो आवक प्रेषण से 5 प्रतिशत से अधिक हो ।

12. भारतीय कंपनियों के विदेशी कार्यालयों को अल्पावधि ऋण ।

13. पूर्ववर्ती दो वर्ष के दौरान प्रत्येक वर्ष जिनका 10 लाख रुपये से कम निर्यात अर्जन है ऐसे व्यक्ति द्वारा विदेश के दूरदर्शन पर विज्ञापन के लिए प्रेषण ।

14. तकनीकी सहयोग करार, जिसका रिज़र्व बैंक में पंजीकरण नहीं हुआ है ; उसके अंतर्गत रॉयल्टी और एक मुश्त राशि का प्रेषण ।

15. भारत से बाहर से ली गई परामर्शी सेवा के लिए प्रति परियोजना 100,000 अमरीकी डॉलर से अधिक प्रेषण ।

16. किसी ट्रेड मार्क/फ्रेंचायजी के भारत में उपयोग और/ अथवा खरीद के लिए प्रेषण ।

17. भारत में किसी सत्ता द्वारा निगमन पूर्व व्यय की प्रतिपूर्ति के लिए 100,000 अमरीकी डॉलर से अधिक का प्रेषण ।

*18. ट्रासंपाँडर के भाड़ा प्रभारों का प्रेषण ।

*टिप्पणी : भारत सरकार की अक्तूबर 22, 2002 व ी अधिसूचना क्रमांक : जीएसआर.442
के अनुसार जोड़ा गया।

@ 5000 हज़ार अमरीकी डॉलर की सीमा को नवंबर 18, 2002 के ए.पी. (डीआईआर
सिरीज़) परिपत्र क्र. 51 द्वारा बढ़ाकर 10,000 अमरीकी डॉलर कर दी गई है।

भाग II

प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा विदेशी मुद्रा देना

अ. 1 सामान्य

1.1 भारत में निवासी किसी व्यक्ति की विदेश यात्रा के लिए विदेशी मुद्रा देने हेतु प्राधिकृत व्यापारी विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 5 के अंतर्गत भारत सरकार द्वारा बनाई गई नियमावली का अनुसरण करेंगे। दिनांक 3 मई 2000 की भारत सरकार की अधिसूचना सं. जीएसआर.381(E) के नियम 3 की मद (ख) के अनुसार नेपाल और भूटान की यात्रा के लिए कोई विदेशी मुद्रा नहीं दी जानी चाहिए। अनुसूची III में विनिर्दिष्ट सीमा से अधिक विदेशी मुद्रा देने से पहले रिज़र्व बैंक का पूर्वानुमोदन प्राप्त किया जाना चाहिए। भारत सरकार की अधिसूचना की अनुसूची III में निर्धारित सीमा से अधिक विदेशी मुद्रा देने से संबंधित सभी आवेदनों को विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को संदर्भित किया जाए जिसके कार्यक्षेत्र में आवेदक कार्यरत हैं/निवास करते हैं।

1.2 लेकिन, समुद्रपारीय टीवी चैनलों पर विज्ञापन के लिए विदेशी मुद्रा जारी करने के आवेदन विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग के केंद्रीय कार्यालय को प्रेषित करें जिसके साथ सनदी लेखाकार से प्राप्त इस आशय का प्रमाण पत्र कि जिस विज्ञापन के लिए विदेशी मुद्रा जारी की जाने वाली है उसे विदेश में विदेशी कंपनी के टीवी चैनलों पर प्रदर्शित किया जाए केवल भारत में ही नहीं और साथ ही साथ प्राधिकृत व्यापारी से प्राप्त इस आशय का प्रमाणपत्र कि जिसमें आवेदक की पिछले 2 वर्ष की निर्यात आय का उल्लेख हो।

1.3 सरकार की 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.जीएसआर.381(E)के खंड (ख) के अनुसार आहरण में किसी प्राधिकृत व्यक्ति से विदेशी मुद्रा का आहरण अभिप्रेत है और जिसमें साख पत्र खोलना अथवा अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ अथवा अंतरराष्ट्रीय डेबिट काड़ अथवा एटीएम काड़ अथवा कोई अन्य वस्तु चाहे जिस भी नाम से अभिहित हो जिससे विदेशी मुद्रा की देयता का निर्माण होता है, शामिल है। अत: स्पष्ट किया जाता है कि इस अधिसूचना के अंतर्गत लगाए गए प्रतिबंध इन लिखतों पर लागू हैं। विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 की धारा 2 खंड (ज) के अनुसार "मुद्रा" में अंतराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ भी शामिल है। भारतीय रिज़र्व बैंक भी 3 मई 2000 की अपनी अधिसूचना सं.फेमा.15/2000-आरबी द्वारा अधिसूचित किया है कि एटीएम काड़ और डेबिट काड़ भी "मुद्रा" की भांति माने जाएंगे । तदनुसार, क्रेडिट काड़, एटीएम काड़ और डेबिट काड़ आदि के माध्यम से किए गए भुगतान, भुगतान का अलग तरीका होने के कारण, अधिनियम के अंतर्गत जारी किए गए सभी नियम, विनियम और निदेश क्रेडिट काड़, एटीएम काड़ और डेबिट कार्डाेंं पर भी लागू होगे।

1.4 विस्तारित विदेशी मुद्रा विनियमावली के अंतर्गत अनुमत भारत में प्राधिकृत व्यापारी के पास अथवा निदेश के बैंक में विदेशी मुद्रा खाता बनाए रखनेवाला निवासी व्यक्ति, विदेशी बैंकों और अन्य प्रतिष्टित एजेंसी द्वारा जारी अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ प्राप्त करने के लिए मुक्त हैं। प्राधिकृत व्यापारी उनके पास विदेशी मुद्रा खाताधारी ग्राहकों को विदेशी बैंकों तथा अन्य प्रतिष्ठित एजेंसियों द्वारा जारी अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ द्वारा किए गए खर्चो के भुगतान के लिए प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं। लेकिन प्रेषण, काड़ जारी करने वाले बैंक/ एजेंसी को ही किया जाए न कि अन्य पार्टी को।

अ. 2 विदेशी मुद्रा की विक्री

2.1 जहां अनुमोदन रिज़र्व बैंक/भारत सरकार द्वारा जारी किए गए हैं वहाँ अनुमोदन पर उल्लिखित वैधता अवधि के अंतर्गत ही विदेशी मुद्रा बेची जानी चाहिए और बिक्री से उसका पृष्ठांकन मूल अनुमोदन पर किया जाना चाहिए।

2.2 एक कैलेंडर वर्ष के दौरान यात्री द्वारा ली गई विदेशी मुद्रा की रकम के बारे में उसकी घोषणा के आधार पर प्राधिकृत व्यापारी पर्यटन और निजी प्रयोजनों के लिए विदेशी मुद्रा दे सकते हैं

2.3 प्राधिकृत व्यापारी विदेश यात्रियों के लिए बेची गई विदेशी मुद्रा का पृष्ठांकन यात्री के पासपोर्ट में न करें। परंतु यदि यात्री द्वारा अनुरोध किया जाए तो वे अपनी मोहर के साथ तारीख और हस्ताक्षर करके यात्री को बेची गई विदेशी मुद्रा का विवरण लिख सकते हैं।

2.4 यात्री चेक जारी किए जाने के मामले में यात्री प्राधिकृत अधिकारी के समक्ष चेक पर हस्ताक्षर करें और यात्री को दिए गए यात्री चेक की रसीद विधिवत् रूप से रखी जाए।

2.5 यात्री को बेची जाने वाली समग्र विदेशी मुद्रा में से निम्नलिखित सीमा के अनुसार विदेशी करेंसी नोट और सिक्के के रूप में दी जाए:

i)

ईराक, लीबिया, इस्लामिक रिपब्लिक, ईरान रूसी फेडरेशन और स्वतंत्र देशों के अन्य कॉमन वेल्थ के अन्य गणराज्य

2000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अनधिक

ii)

ईराक लीबिया जाने वाले यात्री

5000 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य से अनधिक

iii)

इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ् ईरान, रूसी फेडरेशन और स्वतंत्र देशों के अन्य कॉमन वेल्थ के गणराज्य की यात्रा पर जाने वाले यात्री

जारी की गई समस्त विदेशी मुद्रा

2.6 विदेश यात्रा से संबंधित विदेशी मुद्रा की बिक्री से संबंधित फार्म ए 2 प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा अन्य संबंधित दस्तावेजॉें के साथ, अपने आंतरिक लेखा परीक्षकों द्वारा सत्यापन के प्रयोजन के लिए एक साल तक सुरक्षित रखा जाए।

अ. 3 चिकित्सीय उपचार

3.1 यात्रा पर जाने के बाद बीमार पड़ गए व्यक्ति को भारत से बाहर चिकित्सीय उपचार के लिए भारत सरकार की 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.जीएसआर.381(E)के नियम 5 के अनुसार विदेशी मुद्रा दी जा सकती है।

3.2 निवासियों को विदेश में चिकित्सकीय उपचार के लिए विदेशी मुद्रा सुविधाजनक अथवा समय की बरबादी से बचकर हासिल कर सकें इसे ध्यान में रखते हुए प्राधिकृत व्यापारी अस्पताल/डॉक्टर क्षरा दिए गए अनुमान प्रस्तुत करने का आग्रह किए बिना उनके स्वयं के प्रमाणपत्र के आधार पर 50,000 अमरीकी डॉलर या उसके समतुल्य विदेशी मुद्रा जारी कर सकते हैं।

3.3 उक्त सीमा के अधिक राशि के लिए भारत के या विदेशी डॉक्टर /अस्पताल से प्राप्त अनुमान प्राधिकृत कों देना आवश्यक है (गज़ेट अधिसूचना में यथा उपबंधित)।

अ.4 छोटे मूल्य के प्रेषण

निवासी व्यक्तियों को बिना किसी असुविधा के, विभिन्न प्रयोजनों के लिए, विदेशी मुद्रा उपलब्ध कराने के विचार से प्राधिकृत व्यापारी 500 अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य रकम सभी स्वीकार्य लेनदेनों के प्रयोजन के लिए आधारभूत जानकारी देते हुए आवेदक के साधारण आवेदन पत्र के आधार पर, अर्थात् जिसमें नाम, पता हिताधिकारी का नाम और पता, प्रेषण का प्रयोजन, प्रेषण की रकम आदि की जानकारी दी गई हो,दे सकते हैं। यह स्पष्ट किया जाता है कि ऐसे मामलों में ए-2 फॉर्म प्रस्तुत करने के लिए ज़ोर न दिया जाए।

अ. 5 सांस्कृतिक दौरे

नृत्य मंडली, कलाकार आदि जो सांस्कृतिक प्रयोजन के लिए विदेश का दौरा करना चाहते हैं वे अपनी विदेशी मुद्रा की सिफारिश के लिए भारत सरकार मानव संसाधन विकास (शिक्षा और संस्कृति विभाग) मंत्रालय में आवेदन प्रस्तुत करें। प्राधिकृत व्यापारी मंत्रालय की स्वीकृति के आधार पर और उसके अंतर्गत उल्लिखित शर्तों के अनुसार उस सीमा तक विदेशी मुद्रा दे सकते हैं।

अ. 6 निजी यात्राएं

भारत से बाहर किसी भी प्रयोजन के लिए निजी यात्रा हेतु सुविधा का लाभ उठाने वाले किसी भी व्यक्ति को विदेशी मुद्रा दी जा सकती है।

अ. 7 विदेशीं मुद्रा अभ्यर्पण अवधि

यदि किसी प्रयोजन के लिए खरीदी गई विदेशी मुद्रा उस प्रयोजन के लिए अथवा फेमा 1999 अथवा उसके अंतर्गत बनाए गए नियम अथवा विनियम के अंतर्गत जिस स्वीकार्य प्रयोजन के लिए विदेशी मुद्रा की खरीद या उसका अभिग्रहण अनुमत है, उसके लिए उपयोग में नहीं लाई जाती है तो उस विदेशी मुद्रा अथवा बची हुई विदेशी मुद्रा को उसकी खरीद से 60(साठ) दिन के भीतर (स्पष्टीकरण: 3 मई 2000 अधिसूचना सं.फेमा.9/2000-आरबी) प्राधिकृत व्यक्ति को लौटानी होगी।

टिप्पणी:-

यदि कोई व्यक्ति 60 दिन के बाद विदेशी मुद्रा लौटाने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति के पास आता है तो प्राधिकृत व्यक्ति इस आधार पर विदेशी मुद्रा की खरीद से मना नहीं करेगा कि 60 दिन की निर्धारित अवधि बीत गई है।

अ. 8 व्यय न की गई विदेशी मुद्रा

8.1 यदि यात्री द्वारा विदेशी मुद्रा करेंसी नोटों के रूप में बचाकर भारत में लाई गई है तो उस खर्च न की गई विदेशी मुद्रा को 90 दिन के भीतर प्राधिकृत व्यक्ति को अभ्यर्पित करना होगा। यदि ऐसी विदेशी मुद्रा यात्री चेक के रूप में भारत में वापस लाई गई है तो उसे यात्री की वापसी की तारीख से 180 दिन के भीतर प्राधिकृत व्यक्ति को लौटाना होगा । इस प्रकार लाई गई विदेशी मुद्रा को यात्री अपनी बाद की विदेश यात्रा के लिए उक्त विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान, उपयोग कर सकता है ।

8.2 परंतु वापस आने वाला यात्री अपने पास कुल 2000 अमरीकी डॉलर की राशि तक की विदेशी करेंसी और सीमित सिक्के (स्पष्टीकरण: 3 मई 2000 की अधिसूचना सं.फ्ेमा.11/2000-आरबी) अपने पास रख सकता है । इस प्रकार अपने पास रखी गई विदेशी मुद्रा यात्री द्वारा अपनी बाद में विदेशी यात्रा के लिए उपयोग में लाई जा सकती है।

8.3 भारत में निवासी व्यक्ति भारत के प्राधिकृत व्यापारी पास, भारत से बाहर किसी स्थान की यात्रा के दौरान दी गई सेवा के लिए प्राप्त भुगतान, मानदेय अथवा उपहार, भारत में न निवास करनेवाले भारत की यात्रा पर किसी भी व्यक्ति से किसी कानूनी देयता के भुगतान स्वरूप करेंसी नोट/ बैंक नोट अथवा यात्री चेकों के रूप में प्राप्त विदेशी मुद्रा से निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाता खोल,धारित या बनाए रख सकता है।

8.4 करेंसी नोट, बैंक नोट और यात्राी चेकों के रूप में प्राप्त विदेशी मुद्रा में से निवासी विदेशी मुद्रा (घरेलू) खाते में जमा करने के लिए पात्र राशियां निम्नानुसार हैं :-

(i) विदेश यात्रा के लिए किसी प्राधिकृत व्यक्ति से अभिगृहीत विदेशी मुद्रा में से बची हुई रकम;

अथवा

(ii) भारत से बाहर किसी भी स्थान की यात्रा के दौरान सेवा प्रदान करने के लिए प्राप्त भुगतान हो परंतु जो भारत में किए गए किसी कारोबार के लिए भुगतान न हो;

अथवा

(iii) भारत में न निवास करने वाले भारत की यात्रा पर किसी भी व्यक्ति से मानदेय अथवा उपहार अथवा दी गई सेवा अथवा किसी कानूनी देयता के भुगतान स्वरूप हो;

अथवा

(iv) भारत से बाहर किसी स्थान की यात्रा के दौरान प्राप्त मानदेय अथवा उपहार ।

टिप्पणी:-

यदि कोई व्यक्ति निर्धारित अवधि के बाद विदेशी मुद्रा लौटाने के लिए प्राधिकृत व्यक्ति के पास आता है तो प्राधिकृत व्यक्ति इस आधार पर विदेशी मुद्रा की खरीद से मना नहीं करेगा कि निर्धारित अवधि बीत गई है।

अ. 9 दौरा व्यवस्था आदि के लिए प्रेषण

9.1 प्राधिकृत व्यापारी विदेश यात्रा करने वाले यात्री को यात्रा के लिए प्रस्तावित देशों में होटल, दौरा व्यवस्था आदि के लिए उचित सीमा तक विदेशी मुद्रा प्रेषित कर सकते हैं, बशर्ते कि वह रकम प्रचलित नियमों, विनियमों और निदेशों के अनुसार यात्री ने किसी प्राधिकृत व्यक्ति (विदेश में निजी यात्रा के लिए आहरित विदेशी मुद्रा) से खरीदी गई विदेशी मुद्रा में से हो।

9.2 प्राधिकृत व्यापारी भारत में स्थित कार्यरत ऐसे एजेंटों के, अनुरोध पर, जिनसे विदेश में होटल/होटल अथवा एजेंटों के साथ गठबंधन है, दौरे के व्यवस्था के लिए उनके लिए विदेशी मुद्रा प्रेषित कर सकता है बशर्ते कि प्राधिकृत व्यापारी इस बात से आश्वस्त है कि विदेशी मुद्रा का प्रेषण, संबंधित यात्री द्वारा किसी प्राधिकृत व्यक्ति (विदेश में निजी यात्रा के लिए आहरित विदेशी मुद्रा) से प्रचलित नियमों, विनियमों और निदेशों के अंतर्गत खरीदी गई मुद्रा में से हो।

9.3 प्राधिकृत व्यापारी भारत में उस एजेंट के नाम में विदेशी मुद्रा खाते खोल सकते हैं जो गठबंधन व्यवस्था के अंतर्गत विदेश में होटल अथवा दौरे की अन्य व्यवस्था के लिए होटल/एजेंट के साथ अनुबंधित हैं, बशर्ते कि :

क) खाते में रकम

i) यात्री से विदेशी मुद्रा में उगाही रकम में से जमा की गई हो

ii) बुकिंग/दौरे की व्यवस्था आदि रद्द करने के कारण भारत से बाहर से रकम लौटाई गई हो।

ख) विदेशी मुद्रा की नामे रकम भारत से बाहर उक्त (ii) के अनुसार होटल, दौरा व्यवस्था के लिए किए गए भुगतान के प्रयोजन से हो।

9.4 प्रधिकृत व्यापारी यात्रा आयोजकों को भारत से बाहर रेल/सडक/जल परिवहन प्रभारों की प्रेषण के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमति के बिना, एजंट को देय कमीशन काटकर,भेज सकतें है । भारत में पास / टिकटों की विक्री भारतीय रुपयों अथवा विदेश यात्रा के लिए दी गयी विदेशी मुद्रा में भुगतान पर की जा सकती है । पास / टिकटों की विक्री से प्राप्त भारतीय रुपयों में किमत को यात्री को निजी यात्रा के लिए उपलब्ध विदेशी मुद्रा में से काटने की आवश्यकता नही है ।

9.5 भारत और पड़ोसी देशों जैसे नेपाल, बांगला देश, श्रीलंका आदि की यात्रा के लिए विदेशी यात्रियो हेतु यात्रा एजेंटो द्वारा समेकित यात्रा व्यवस्थाओं के संबध में, किसी प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से अग्रिम भुगतान /प्रतिपूर्ति पर ऐसी समेकित यात्रा व्यवस्था के लिए भारत में प्राप्त आंशिक विदेशी मुद्रा को पडोसाी देंशों में यात्रा एजंटो और होटल मालिकों को सेवाओ के लिए भारत से उन देशों में भोजना पड सकता है । प्राधिकृत व्यापारी इस बात का सत्यापन करने के पश्चात कि पड़ोसी देशो में भेजी जानेवाली राशि (यात्रा के लिए यदि पहले कोई राशि भेजी गयी हो तो उसे शामिल कर के) भारत मे वास्तविक रूप से भेजी गयी राशि से अधिक न हो और हिताधिकारी के निवास का देश पाकिस्तान न हो, भेजने की अनुमति दे सकते है ।

अ. 10 रुपये में भुगतान

प्राधिकृत व्यापारी विदेशी मुद्रा की बिक्री के बदले विदेश यात्रा (निजी यात्रा अथवा किसी अन्य प्रयोजन के लिए) हेतु रुपये 50 हज़ार तक नकद रूप में स्वीकार कर सकते हैं। यदि विदेशी मुद्रा की बिक्री की रकम 50 हज़ार रुपये से अधिक हो तो रकम :

i) आवेदक के बैंक खाते के रेखांकित चेक अथवा

ii) आवेदक को प्रायोजित करने वाली फर्म/कंपनी के बैंक खाते के रेखांकित चेक अथवा

iii) बैंकर चेक/पे ऑड़र मांग ड्रॉफ्ॅट द्वारा ली जाए।

टिप्पणी :- जहां पर किसी एकल यात्रा/भेंट के लिए किसी एकल आहरण अथवा एकल यात्रा/भेंट के लिए एक से अधिक बार किए गए आहरणों को मिलाकर कुल आहरित विदेशी मुद्रा की रकम 50 हज़ार रुपये से अधिक हो तो वह रकम चेक अथवा ड्रॉफ्ॅट, जैसा कि ऊपर कहा गया है, द्वारा दी जाए।

अ. 11 अग्रिम प्रेषण

प्राधिकृत व्यापारी किसी चालू खाता लेन देन के लिए जिसके लिए विदेशी मुद्रा देना स्वीकार्य है उसके लिए अग्रिम प्रेषण की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते कि प्रेषण की रकम 25 हज़ार अमरीकी डॉलर अथवा उसके समतुल्य रकम से ज्यादा न हो। जहां पर रकम 25 हज़ार अमरीकी डालर अथवा उसकी समतुल्य रकम से ज्यादा हो भारत से बाहर किसी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बैंक से गारंटी अथवा भारत में किसी प्राधिकृत व्यापारी से गारंटी, यदि ऐसी गारंटी भारत से बाहर अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त बैंक द्वारा चालू गारंटी व ी प्रतिगारंटी के रूप में जारी की जाती हो, समुद्रपारीय हिताधिारी से प्राप्त की जानी चाहिए। प्राधिकृत व्यापारी द्वारा यह सुनिश्चित करने के लिए कि अग्रिम प्रेषण के हिताधिकारी ने भारत के प्रेषक के साथ किए गए संविदा अथवा करार के दायित्वों को पूरा किया है, के लिए अनुवर्तन किया जाना चाहिए।

भाग III

स्वयंपूर्ण परिवर्तकों (एफएफएमसी) द्वारा विदेशी मुद्रा देना

आ. 1 सामान्य

स्वयंपूर्ण परिवर्तकों का ध्यान 16 मई 2000 के ए.डी.(एमए सिरीज) परिपत्र क्र.11 के पैरा 4 की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें उल्लिखित है कि उसमें समाहित निदेश यथा आवश्यक संशोधन के साथ मुद्रा परिवर्तकों पर लागू होंगे और वे एफएलएम/आरएलएम के प्रावधानों से, यथा समय समय से संशोधित, द्वारा नियंत्रित होते रहेंगे। फेमा 1999 के अनुसार वर्तमान विनियमावली निम्न प्रकार संशोधित हो गई है :

आ. 2 अनुमोदित प्रयोजनों के लिए दी जाने वाली विदेशी मुद्रा की अनुमत प्रमात्रा

2.1 प्रति व्यक्ति एक कैलेंडर वर्ष में 10 हज़ार अमरीकी डॉलर से अनधिक विदेशी मुद्रा अथवा उसके समतुल्य, किसी देश में एक या उस से अधिक दौरों के लिए (नेपाल और भूटान के सिवाय) बीटीक्यू (एफएलएम का पैरा 10) के अंतर्गत अनुमत प्रमात्रा के बदले

2.2 किसी व्यक्ति को कारोबार के लिए यात्रा या सम्मेलन में शामिल होने या विशेष प्रशिक्षण के संबंध में बाहर बिताई गई अवधि को ध्यान में रखे बिना वर्तमान में मौजूद विदेशी मुद्रा के विविध मान दंडों के लिए 25 हज़ार अमरीकी डॉलर से अनधिक।

आ.3 प्रलेखन

रिज़र्व बैंक अब से, किसी मुद्रा परिवर्तक द्वारा विदेशी मुद्रा देने से पहले सत्यापित किए जाने वाला कोई प्रलेख नहीं निर्धारित करेगा जिसके सत्यापन के बाद मुद्रा परिवर्तक विदेश मुद्रा देंगे। इस संबंध में मुद्रा परिवर्तकों का ध्यान विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10 की उपधारा (5) की ओर आकृष्ट किया जाता है जिसमें प्रावधान है कि कोई भी प्राधिकृत व्यक्ति किसी व्यक्ति की ओर से विदेशी मुद्रा के संबंध में कोई लेन देन करने से पहले उस व्यक्ति से घोषणा लेगा और ऐसी जानकारी जिसमें उचित रूप से संतुष्टि हो कि लेन देन में अधिनियम के प्रावधानों अथवा किसी नियम, विनियम, अधिसूचना, निदेश या उनके अंतर्गत जारी किसी आदेश का उल्लंघन अथवा उनकी अवहेलना नहीं होगी। मुद्रा परिवर्तकों को यह सूचित किया जाता है कि वे ऐसी जानकारी अथवा/प्रलेखन अपने रेकाड़ में रखेंगे जिसके आधार पर किए गए लेन देन का रिज़र्व बैंक द्वारा सत्यापन किया जा सके। उस खंड में यह भी प्रावधान है कि यदि व्यक्ति (आवेदक) ऐसी किसी अपेक्षा के अनुपालन से इन्कार करता है अथवा उसका अनुपालन असंतोषजनक है तो प्राधिकृत व्यक्ति उसे लिखित रूप से ऐसा लेन देन करने से मना करेगा और उसके विश्वास में यदि उस व्यक्ति द्वारा किसी प्रकार का उल्लंघन अथवा अवहेलना होने की संभावना हो तो रिज़र्व बैंक को उसकी सूचना दी जाएगी ।

आ.4 पासपोर्ट पर पृष्ठांकन

प्राधिकृत व्यक्ति के लिए यह आवश्यक नहीं होगा कि वह विदेश यात्रा के लिए बेची गई विदेशी मुद्रा की रकम व्यक्ति के पासपोर्ट में लिखे। परंतु यदि यात्री ऐसा अनुरोध करता है तो वे अपनी मोहर लगाकर और तारीख के साथ हस्ताक्षर करके यात्री को बेची गई विदेशीं मुद्रा का विवरण लिख सकता है।

आ.5 एफएलएम प्रावधान

5.1 दिनांक नवंबर 12, 2002 के ए.पी. (डीआई आर सिरीज़) परिपत्र क्र. 43 / ए.पी. (एफएल/आरएल सिरीज ) परिपत्र क्र. 1 जारी करने के परिणम स्वरूप ज्ञापन एफएलएम और ज्ञापन आरएलएम ज्ञापन ए एम सी द्वारा अधिक्रमित हो गए है ।

5.2 स्वयंपूर्ण मुद्रा परिवर्तक एफएलएम के सभी अन्य प्रावधानों से नियंत्रित होते रहेंगे।

भाग आ

अनिवासी भारतीय / भारतीय मूल के व्यक्ति और विदेशी नागरीकों के लिए प्रेषण सुविधाएं

आ.1 परिसंपत्तियों का प्रेषण

1.1 अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्ति/ विदेशी नागरिक (सेवानिवृत्त कर्मचारी अथवा भारतीय नागरिकों की अनिवासी विधवाओं समेत), प्रेषण करने वाले व्यक्ति द्वारा केंद्रीय आयकर बोड़ के अक्तूबर 9, 2002 के परिपत्र क्र. 10/2002 में निर्धारित फार्मेट में वचन और प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर, प्राधिकृत व्यापारी द्वारा संतुष्ट होने के बाद, प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से, प्रति कैलण्डर वर्ष अपने अनिवासी साधारण रुपया (एनआरओ)खाता/ परिसंपत्तियों की विक्री आय में से सभी जायज प्रयोजनों के लिए 1.00 मिलियन अमरीकी डॉलर तक प्रेषित कर सकते हैं।

1.2 अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों को अपने द्वारा कम से कम 10 वर्ष तक धारित अचल संपत्ति की विक्री आय को, लागू करों का भुगतान करने पर, ऊपर (i) में उल्लिखित 1.00 मिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के अंतर्गत प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से प्रेषण करने की अनुमति है।

वे 10 वर्ष से कम अवधि के लिए धारित संपत्ति के लिए भी उक्त सुविधा के पात्र होंगे, बशर्ते कि संपत्ति धारित करने और उसकी विक्री आय को एनआरओ खाते में जमा करने, दोनों अवधि मिलाकर, आवेदन की तारीख को 10 साल से कम न हो।

1.3 अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों को प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से, 1.00 मिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा तक, ऊपर (i) में उल्लिखित के अनुसार, भारत में उत्तराधिकार/ विरासत द्वारा अभिगृहीत परिसंपत्ति की विक्री आय की राशि को प्रस्तुत करने की अनुमति है।

1.4 उक्त सुविधा पाकिस्तान, बांगला देश, श्रीलंका, चीन, अफ्गानिस्तान, इरान, नेपाल और भूटान के नागरिकों के लिए उपलब्ध नहीं है।

2. अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों
द्वारा संपत्ति की विक्री आय का प्रत्यावर्तन

2.1 संपत्ति अभिग्रहण के समय अथवा संपत्ति धारित रखने की अवधि (3 वर्ष की समय बंदी अवधि सीमा हटा दी गई है) के दौरान प्रचलित विदेशी मुद्रा प्रबंध विनियमावली के प्रावधानों अथवा विदेशी मुद्रा नियंत्रण से संबंधित प्रावधानों के अनुसार प्राधिकृत व्यापारी भारत में अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों द्वारा अभिगृहीत अचल संपत्ति (कृषि भूमि/ फार्म हाऊस/ वृक्षारोपण संपत्ति के सिवाय) की विक्री आय को प्रत्यावर्तित करने की अनुमति दे सकते हैं। परन्तु, प्रत्यावर्तित करने हेतु अनुमत विक्री आय लायी गई विदेशी मुद्रा से अधिक नहीं होनी चाहिए, संपत्ति अभिग्रहण करने के लिए अथवा भुगतान की तारीख को विदेशी मुद्रा के समतुल्य भुगतान की गई राशि यदि भुगतान अनिवासी बाह्य खाते में जमा राशि में से किया गया हो।

2.2 आवासीय संपत्ति के मामले में विक्री आय का प्रत्यावर्तन ऐसी दो संपत्तियों से अधिक नहीं होना चाहिए।

2.3 प्राधिकृत व्यापारी अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों को आवेदन/ बयानधन/ विक्री मूल्य आवासीय निर्माण एजेंसियों/ विक्रेता द्वारा आवासीय / व्यापारिक संपत्ति की बुकिंग /सौदा के निरसन फ्लैट/भूखंड आबंटित न करने के कारण खरीद मूल्य के यदि कोई ब्याज समेत (उस पर देय निवल आयकर) वापसी के अधीन के मूल्य की वापसी के प्रत्यावर्तन की अनुमति दे सकते हैं बशर्ते कि मूल भुगतान खाता धारक के एनआरई/एफसीएनआर खाते में से किया गया हो अथवा भारत के बाहर से सामान्य बैंकिंग के माध्यम से प्राप्त प्रेषण से किया गया हो और जिसके बारे में प्राधिकृत व्यापारी उसकी लेनदेन की सत्यता से संतुष्ट हों। यदि वे चाहते हैं तो ऐसे धन को उनके एनआरई/एफसीएनआर खाते में जमा करने की अनुमति भी दी जा सकती है।

2.4 प्राधिकृत व्यापारी अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों द्वारा प्राधिकृत व्यापारी/ आवास वित्त संस्थाओं से लिए गए ऋण से खरीदे गए आवासीय स्थानोंकी विक्री आय को ऋण की / भुगतान की गई राशि के बराबर राशि के प्रत्यावर्तन की अनुमति दे सकते हैं जो उनके आवक प्रेषणों में से की गई हो और जो सामान्य बैंकिंग माध्यम से प्राप्त हुआ हो अथवा उनके एनआरई/ एफसीएनआर खाते में नामे द्वारा भुगतान की गई हो।

3. चालू आय का प्रेषण

अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों को विकल्प है कि वे अपनी चालू आय को अनिवासी (बाह्य) रुपया खाते में जमा कर सकते हैं बशर्ते कि प्राधिकृत व्यापारी इस बात से संतुष्ट हों कि चालू आय अनिवासी खाता धारक को और उस पर आयकर की कटौती/ का भुगतान हो चुका हो।

4. आयकर देयता अनापत्ति प्रमाणपत्र

प्राधिकृत व्यापारियों द्वारा आयकर विभाग से अनापत्ति प्रमाणपत्र मांगे बिना, प्रेषक द्वारा वचनपत्र प्रस्तुत करने पर और केन्द्रीय प्रत्यक्ष कर बोड़, वित्त मंत्रालय, भारत सरकार के अक्तूबर 9, 2002 के परिपत्र सं. 10/2002 (हमारा एपी (डीआईआर सिरीज़) सं.56 दिनांक 26 नवंबर 2002) द्वारा निर्धारित प्ररूप में सनदी लेखाकार द्वारा प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने पर प्रेषण भेजने की अनुमति होगी।

5. अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़

प्राधिकृत व्यापारियों को अनुमति दी गई है कि वे अनिवासी भारतीय/ भारतीय मूल के व्यक्तियों को भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमति के बिना अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट काड़ जारी कर सकते हैं। ऐसे लेनदेन का भुगतान आवक प्रेषण अथवा काड़धारक के एफसीएनआर/ एनआरई/ एनआरओ रुपया खाते में धारित राशि में से किया गया हो।

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