भारिबैं/2011-12/466 गैबैंपवि(नीप्र) कंपरि.सं:264 /03.10.42/2011-12 21 मार्च 2012 सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां / अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियां महोदय अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी) मानदंड/धनशोधन निवारणमानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध/धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत दायित्व- जोखिम का मूल्यांकन तथा निगरानी कृपया अपने ग्राहक को जानिए मानदंड/धनशोधन निवारण मानक/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध / धनशोधन निवारण अधिनियम (पी एल एम ए), 2002 के अंतर्गत बैंकों के दायित्व पर 01 जुलाई 2011 का हमारा मास्टर परिपत्र डीएनबीएस(पीडी)सीसी सं: 231/03.10.42/2011-12 का संदर्भ लें। 2. उक्त मास्टर परिपत्र के अनुबंध vi के पैराग्राफ 2 के अनुसार गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से अपेक्षित है कि वे प्रत्येक ग्राहक की एक जोखिम प्रोफाइल तैयार करें और उच्चतर जोखिम ग्राहकों के लिए गहन `उचित सावधानी' लागू करें । उच्चतर सावधानी की आवश्यकता वाले ग्राहकों के कुछ उदाहरण भी संदर्भाधीन पैराग्राफ में दिए गए हैं । इसके अलावा इस मास्टर परिपत्र के अनुबंध vi के पैराग्राफ 5 के अंतर्गत गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों से अपेक्षा की गई है कि वे किसी लेनदेन, खाता या बैंकिंग/व्यवसाय संबंध को ध्यान में रखते हुए जोखिम प्रबंधन के लिए नीतियां, प्रणालियां तथा क्रियाविधियां स्थापित करें । 3. भारत सरकार ने भारत में धनशोधन एवं आतंकवाद के वित्तपोषण से जुड़े जोखिमों, धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध की एक राष्ट्रीय रणनीति तथा धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के संस्थागत ढांचे का मूल्यांकन करने के लिए एक राष्ट्रीय धनशोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिम मूल्यांकन समिति का गठन किया था । धनशोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण के जोखिम के मूल्यांकन से सक्षम प्राधिकारियों तथा विनियमित संस्थाओं दोनों को जोखिम आधारित दृष्टिकोण का प्रयोग करते हुए धनशोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध करने के लिए आवश्यक कदम उठाने में सहायता मिलती है । इससे संसाधनों के न्याय संगत एवं दक्ष आबंटन में मदद मिलती है और धनशोधन निवारण/आतंकवाद के वित्तपोषण के प्रतिरोध की व्यवस्था मजबूत होती है । उक्त समिति ने जोखिम आधारित दृष्टिकोण अपनाने, जोखिम के मूल्यांकन तथा एक ऐसी प्रणाली स्थापित करने के बारे में सिफारिशें की हैं जो इस मूल्यांकन का प्रयोग धनशोधन/आतंकवाद के वित्तपोषण का कारगर ढंग से प्रतिरोध करने में करेगी । भारत सरकार ने समिति की सिफारिशें मान ली हैं और उन्हें कार्यान्वित करने की आवश्यकता है । 4. तदनुसार, गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियां को 1 जुलाई 2011 का उक्त हमारे मास्टर परिपत्र के पैराग्राफ 2 के अंतर्गत उल्लिखित परिपत्र में निर्धारित मदों के अतिरिक्त ग्राहकों, देशों तथा भौगोलिक क्षेत्रों और उत्पादों/ सेवाओं/ लेनदेनों / सुपुर्दगी चैनलों में भी अपने धनशोधन/आतंकी वित्तपोषण जोखिमों की पहचान तथा उनका मूल्यांकन करने के लिए कदम उठाना चाहिए । जैसी कि ऊपर चर्चा की गई है, गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को जोखिम आधारित दृष्टिकोण का प्रयोग करते हुए कारगर ढंग से अपने जोखिम का प्रबंधन करने तथा उसे कम करने के लिए नीतियां, नियंत्रण तथा क्रियाविधियां स्थापित होनी चाहिए जो उनके बोर्ड द्वारा विधिवत् अनुमोदित हों । इसी के एक उप-सिद्धांत के रूप में गैर बैकिंग वित्तीय कंपनियों से अपेक्षित है कि वे मध्यम एवं उच्च जोखिम रेटिंग के साथ उत्पादों, सेवाओं तथा ग्राहकों के लिए सघन उपाय करें । 5. इस संबंध में, भारतीय बैंक संघ (आईबीए) ने बैंकिंग क्षेत्र में धनशोधन/आतंकी वित्तपोषण के जोखिमों के मूल्यांकन की दिशा में पहल की है। आईबीए ने जुलाई 2009 में अपने ग्राहक को जानिए (केवाईसी)/धनशोधन निवारण (एएमएल) मानकों पर मार्गदर्शी नोट तैयार की है मार्गदर्शी नोट आईबीए की वेबसाइट पर उपलब्ध है। इसे तथा जोखिम आधारित लेनदेन नियंत्रण पर उनकी रिपोर्ट की प्रतिलिपि को 18 मई 2011 को अपने सदस्य बैंकों के बीच परिचालित किया गया है। आईबीए मार्गदर्शी नोट में उच्च जोखिम ग्राहकों, उत्पादों तथा भौगोलिक क्षेत्रों की एक सांकेतिक सूची भी दी गई है । गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियां अपने जोखिम मूल्यांकन में इसका बतौर मार्गदर्शी सिद्धांत उपयोग कर सकते हैं । 6. ये दिशानिर्देश धनशोधन निवारण (लेनदेन के स्वरूप तथा मूल्य के अभिलेखों का रखरखाव, सूचना प्रस्तुत करने की समयसीमा तथा उसके रखरखाव की क्रियाविधि तथा पद्धति तथा बैंकिंग कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं तथा मध्यवर्ती संस्थाओं के ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन तथा रखरखाव) संशोधन नियमावली, 2005 के नियम 7 के साथ पठित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934की धारा 45ट और 45ठ के अंतर्गत जारी किए जा रहे हैं । इसका किसी भी रूप में उल्लंघन या अनुपालन न किया जाना भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के अंतर्गत दंडनीय होगा । कृपया परिपत्र की प्राप्ति सूचना दें । भवदीया (उमा सुब्रमणियम) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |