विदेशी विधि फ़र्मों (law firms) को संपर्क कार्यालयों (LOs) हेतु नई अनुमति न देना / दी गई अनुमति का नवीकरण न करना - उच्चतम न्यायालय के निर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी विधि फ़र्मों (law firms) को संपर्क कार्यालयों (LOs) हेतु नई अनुमति न देना / दी गई अनुमति का नवीकरण न करना - उच्चतम न्यायालय के निर्देश
भारिबैंक/2015-16/215 29 अक्तूबर 2015 सभी श्रेणी I प्राधिकृत व्यापारी बैंक महोदया/महोदय, विदेशी विधि फ़र्मों (law firms) को संपर्क कार्यालयों (LOs) हेतु नई अनुमति न माननीय उच्चतम न्यायालय ने बार काउंसिल ऑफ इंडिया बनाम ए.के.बालाजी एवं अन्य (A.K. Balaji & Ors) के मामले में 4 जुलाई 2012 एवं 14 सितंबर 2015 के अपने अन्तरिम आदेशों में भारतीय रिज़र्व बैंक को यह निर्देश दिया है कि उक्त अन्तरिम आदेश की तारीख से या उसके बाद वह किसी भी विदेशी विधि फ़र्म (law firm) को भारत में अपना संपर्क कार्यालय (LO) खोलने हेतु किसी भी प्रकार की अनुमति प्रदान न करे। अतः इस संबंध में अगले आदेश / अधिसूचना तक किसी भी विदेशी विधि फ़र्म (law firm) को भारत में अपना संपर्क कार्यालय (LO) खोलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। हालांकि, उक्त अन्तरिम आदेश की तारीख से पूर्व जिन विदेशी विधि फ़र्मों (law firms) को भारत में अपना संपर्क कार्यालय (LO) खोलने हेतु अनुमति दी जा चुकी है वह बनी रहेगी, बशर्ते ऐसी अनुमति प्रभावी (लागू) हो। अन्य बातों के साथ-साथ माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा संदर्भित मामले के अंतिम निपटान के आधार पर इस नीति की समीक्षा होने तक भारतीय रिज़र्व बैंक / प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा किसी भी विदेशी विधि फ़र्म (law firm) को भारत में अपना संपर्क कार्यालय (LO) खोलने हेतु क्रमशः नई अनुमति नहीं दी जाएगी / अनुमति नवीकृत नहीं की जाएगी। 2. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं। 3. इस परिपत्र में निहित निर्देश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अधीन और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर जारी किए गए हैं। भवदीय, (ए. के. पाण्डेय) |