बैंक के गैर-संघटक उधारकर्ताओं को गैर-निधि आधारित सुविधा देना - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंक के गैर-संघटक उधारकर्ताओं को गैर-निधि आधारित सुविधा देना
भारिबैंक/2015-16/281 जनवरी 07, 2016 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय/महोदया, बैंक के गैर-संघटक उधारकर्ताओं को गैर-निधि आधारित सुविधा देना कृपया बैंकों द्वारा बिलों की भुनाई/पुनर्भुनाई विषय पर दिनांक 24 जनवरी 2003 के हमारे परिपत्र बैंपविवि.डीआईआर.बीसी.सं.62/13.07.09/2002-03 का पैरा 2(iii) देखें, जिसमें बैंकों को सूचित किया गया था कि वे बैंक के असंघटक उधारकर्ताओं को कोई गैर-निधि आधारित सुविधाएं न दें। यदि बैंक सुस्थापित ऋण मानदंडों के आधार पर उधारकर्ताओं की ऋण आवश्यकताओं का मूल्यांकन किए बिना ही “एकबारगी” लेन-देन सुविधा मंजूर करता है, तो ऐसे मामलों में धोखाधड़ियां, निधियों का विपथन आदि रोकने के लिए यह प्रतिबंध लगाया गया था। 2. उक्त प्रतिबंध के कारण उन ग्राहकों के सामने समस्या आने लगी, जो साख-पत्र (एलसी), बैंक गारंटी जैसी गैर-निधि आधारित सुविधाएं चाहते हैं, लेकिन बैंक से कोई निधि-आधारित सुविधा नहीं लेते हैं। ऋण सूचना संग्रहण और संकलन की प्रणाली को मजबूत करने संबंधी हाल ही की गतिविधियों को देखते हुए उक्त प्रतिबंधों की समीक्षा की गई। तदनुसार, यह निर्णय लिया गया कि अनुसूचित वाणिज्य बैंक निम्नलिखित शर्तों के अधीन उन ग्राहकों को आंशिक ऋण वृद्धि (पीसीई) सहित गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्रदान कर सकते हैं, जो भारत में किसी भी बैंक से निधि-आधारित सुविधा नहीं लेते हैं: क) बोर्ड द्वारा अनुमोदित नीति बैंक ऐसे ग्राहकों को गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्रदान करने के लिए बोर्ड द्वारा अनुमोदित विस्तृत ऋण नीति तैयार करेंगे। ख) ग्राहक के परिचय-पत्र का सत्यापन बैंक यह सुनिश्चित करेंगे कि उधारकर्ता ने भारत में परिचालन करने वाले किसी भी बैंक से कोई निधि-आधारित सुविधा नहीं ली है। तथापि, गैर-निधि आधारित सुविधाएं प्रदान करते समय बैंक ग्राहक से दूसरे बैंकों से पहले ही गैर-निधि आधारित सुविधाएं लिए जाने के बारे में घोषणापत्र प्राप्त करेंगे। ग) ऋण मूल्यांकन तथा समुचित सावधानी बैंक उसी स्तर का ऋण-मूल्यांकन करेंगे, जैसाकि निधि आधारित सुविधाओं के मामले में निर्धारित किया गया है। घ) अपने ग्राहक को जानिए' मानदंड (केवायसी)/ धनशोधन निवारण मानक(एएमएल)/ आतंकवाद के वित्तपोषण का प्रतिरोध (सीएफटी)/ धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएलएमए), 2002 के अन्तर्गत बैंकों के दायित्व का अनुपालन ऐसी सभी ऋण सुविधाओं के संबंध में बैंकों पर लागू केवायसी/ एएमएल/ सीएफटी संबंधी भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर जारी किए गए अनुदेशों/ दिशानिर्देशों का पालन किया जाएगा। ङ) सीआईसी को ऋण सूचना की प्रस्तुति ऐसी सुविधाएं प्रदान करने से संबंधित ऋण सूचना अनिवार्य रूप से ऋण सूचना कंपनियों (विशेषत: आरबीआई द्वारा प्राधिकृत) को प्रस्तुत की जाएगी। ऐसी रिपोर्टिंग ऋण सूचना कंपनियां (विनियमन) अधिनियम, 2005 के दिशानिर्देशों के अधीन होंगी। च) एक्सपोजर मानदंड बैंक रिज़र्व बैंक द्वारा समय-समय पर यथा-निर्धारित एक्सपोजर मानदंडों का पालन करेंगे। 3. तथापि, 'ऋण और अग्रिम – सांविधिक तथा अन्य प्रतिबंध' पर दिनांक 01 जुलाई 2015 के हमारे मास्टर परिपत्र भारिबैं/2015-16/95.बैंविवि.सं.डीआईआर.बीसी.10/13.03.00/2015-16 के पैरा 2.3.9 के अनुसार अब तक की तरह बैंकों को गैर-संघटकों के लिए अप्रतिबंधित एलसी के बेचान से प्रतिबंधित किया गया है। ऐसे मामलों में, जहां एलसी के अंतर्गत आहरित बिल का बेचान किसी विशिष्ट बैंक तक सीमित है तथा एलसी का हिताधिकारी उस बैंक का संघटक नहीं है, तो उस बैंक के पास ऐसे एलसी का बेचान करने का विकल्प होगा, बशर्ते उससे मिलने वाली आय को वह हिताधिकारी के नियमित बैंकर को विप्रषित करता है। भवदीया, (लिली वडेरा) |