30 जून 2012 तक संशोधित अधिसूचना - बंधक गारंटी कंपनी (मार्गेजगारंटी कंपनी) विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008 - आरबीआई - Reserve Bank of India
30 जून 2012 तक संशोधित अधिसूचना - बंधक गारंटी कंपनी (मार्गेजगारंटी कंपनी) विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008
भारिबैं/2012-13/17 2 जुलाई 2012 अध्यक्ष/मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय, 30 जून 2012 तक संशोधित अधिसूचना - बंधक गारंटी कंपनी जैसा कि आप विदित है कि उल्लिखित विषय पर सभी मौजूदा अनुदेश एक स्थान पर उपलब्ध कराने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक परिपत्र/अधिसूचनाएं जारी करता है। 15 फरवरी 2008 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि.(एमजीसी). 4/मुमप्र(पीके)-2008 में अंतर्विष्ट अनुदेश, जो 30 जून 2012 तक अद्यतन हैं, पुन: नीचे दिए जा रहे हैं। अद्यतन की गई अधिसूचना बैंक की वेब साइट (http://www.rbi.org.in). पर भी उपलब्ध है। भवदीया, (उमा सुब्रमणियम) भारतीय रिज़र्व बैंक अधिसूचना गैबैंपवि.(नीति प्रभा.)एमजीसी/ 4 /मुमप्र(पीके)-2008, 15 फरवरी 2008 भारतीय रिज़र्व बैंक , इस बात से संतुष्ट होने पर कि जनता के हित में और वित्तीय प्रणाली को देश के हित में विनियमित करने हेतु बैंक को समर्थ बनाने के लिए निम्नलिखित विवेकपूर्ण मानदण्डों से संबंधित निदेश जारी करना समीचीन है, भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ञक द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में उसे सक्षम बनाने वाली समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को निम्नलिखित विनिर्दिष्ट निदेश देता है। 1. निदेशों का संक्षिप्त शीर्षक, प्रारंभ और प्रयोज्यता (1) (i) इन निदेशों को "बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2008" के रूप में जाना जाएगा। (ii) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनियों को पंजीकरण प्रदान करने की योजना के अंतर्गत पंजीकरण प्रमाणपत्र प्राप्त प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी पर प्रयोज्य/लागू होंगे। परिभाषा 2. (I) इन निदेशों के प्रयोजन के लिए, जब तक संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न होः (i) "संदिग्ध परिसंपत्तियों" का अर्थ है ऐसी परिसंपत्ति से जो 12 माह से अधिक अवधि तक अवमानक परिसंपत्ति बनी रहे; (ii) "संमिश्र ऋण पूंजीगत लिखत" का अर्थ है ऐसा पूंजीगत लिखत जिसमें ईक्विटी तथा ऋण की कतिपय विशेषताएं हों; (iii) "हानि वाली परिसंपत्ति" का अर्थ हैः (क) ऐसी परिसंपत्ति जिसे बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा अथवा उसके आंतरिक या बाह्य लेखा-परीक्षकों द्वारा अथवा भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा हानि वाली परिसंपत्ति के रूप में उस सीमा तक पहचाना गया है जिस सीमा तक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा बट्टे खाते नहीं डाला गया है; और (ख) ऐसी परिसंपत्ति जो प्रतिभूति मूल्य में या तो क्षरण के कारण अथवा प्रतिभूति की अनुपलब्धता अथवा उधारकर्ता के धोखाधड़ीपूर्ण कृत्य या चूक के कारण वसूल न हो पाने के संभावित खतरे से (विपरीत रूप से) प्रभावित हो; (iv) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी का अर्थ बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) मार्गदर्शी सिद्धांत, 2008 के पैरा 2(1)(ठ) में यथा परिभाषित कंपनी से है; (v) (1) इस निदेशों के प्रयोजन से "निवल स्वाधिकृत निधियों" का अर्थ है: (क) चुकता ईक्विटी पूंजी और मुक्त आरक्षित निधियें का योग जिन्हें कंपनी के अद्यतन तुलनपत्र में प्रकट किया गया हो और जिसमें से निम्नलिखित को घटाया गया हो-
(ख) उसमें से निम्नलिखित का प्रतिनिधित्व करने वाली राशि को और घटाया जाए- (1) ऐसी कंपनी के निम्नलिखित के शेयरों में किए गए निवेश-
(2) डिबेंचरों, बांडों, निम्नलिखित को दिए गए बकाया ऋण तथा अग्रिमों (किराया खरीद तथा पट्टादायी वित्त सहित) एवं जमाराशियों का बही मूल्य-
उस सीमा तक जहाँ तक ऐसी राशि उल्लिखित (क) के 10 प्रतिशत से अधिक हो। (ii) "सहायक कंपनियों" एवं "उसी समूह की कंपनियों" के अर्थ वही होंगे जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में अभिप्रेत हैं।
ऐसी भुनाई का मूल्य टियर-I पूंजी के पचास प्रतिशत से अधिक न हो;
नोट:- सहायक कंपनियों, उसी समूह की कंपनियों तथा अन्य एनबीएफसी के शेयरों में किए गए निवेश का तात्पर्य उस निवेश से है जो बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी ने अपने ऋणों की पूर्ति के लिए अर्ह किया है; xiii. "टियर -II पूंजी" में निम्नलिखित शामिल हैः (क) अधिमानी शेयर ; (ख) 55 प्रतिशत की भुनाई /घटी दर पर पुनर्मूल्यांकन आरक्षित निधि; (ग) सामान्य प्रावधान एवं उस सीमा तक हानि आरक्षित निधि जो किसी विशिष्ट परिसंपत्ति के मूल्य में वास्तविक कमी अथवा उसमें ज्ञातव्य संभावित हानि के कारण नहीं है और ये अप्रत्याशित हानि तथा मानक परिसंपत्तियों के प्रावधानों की पूर्ति के लिए जोखिम भारित परिसंपत्तियों के एक और एक चौथाई प्रतिशत की सीमा तक उपलब्ध रहती हैं; (घ) संमिश्र (हाइब्रिड) ऋण पूंजी लिखत; और (ङ) गौण ऋण उस सीमा तक जहाँ तक सकल राशि, टियर-I पूंजी से अधिक न हो। xiv. "पण्यावर्त या व्यवसायगत पण्यावर्त" का अर्थ है एक वर्ष में की गई कुल बंधक(मार्गेज) गारंटी संविदाओं के साथ-साथ उस वर्ष में अन्य कार्यों/गतिविधिया से व्युत्पन्न कारोबार का योग; (2) इसमें प्रयुक्त अन्य शब्द अथवा अभिव्यक्तियों, जो यहां परिभाषित नहीं हैं और भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) अथवा बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी (रिज़र्व बैंक) मार्गदर्शी सिद्धांत, 2008 जो 15 फरवरी 2008 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) एमजीसी सं. 3 /मुमप्र (पीके) /2008 में अंतर्विष्ट हैं, में परिभाषित की गई है, का अर्थ वही होगा जो उक्त अधिनियम अथवा उक्त निदेशों में है। कोई अन्य शब्द अथवा अभिव्यक्ति, जो उक्त अधिनियम या उक्त निदेशों में परिभाषित नहीं है, का वही अर्थ होगा जो कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) में उनसे अभिप्रेत है। आय निर्धारण 3. (i) ब्याज/बट्टा सहित आय अथवा अनर्जक परिसंपत्ति अथवा ऐसी कोई परिसंपत्ति जो अनर्जक परिसंपत्ति है और ऋणदाता संस्था से ट्रिगर घटना होने पर ली गई है पर किसी अन्य प्रभार को नकदी के आधार पर आय में शामिल किया जाएगा। (ii) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी बंधक संविदाओं पर प्राप्त प्रीमियम या फीस को अपने लाभ-हानि खाते में भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान के लेखा मानकों के अनुसार आय के रूप लेंगी। अर्जित प्रीमियम की राशि तुलन पत्र के देयता खंड में अलग पंक्ति में दर्शाई जाएगी। (iii) बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झ (ग) में यथोल्लिखित अनुमत सीमा में किए गए किसी अन्य कारोबार से हुई आय की गणना, ऐसी परिसंपत्तियों के संबंध में "गैर-बैकिंग वित्तीय (जमाराशि स्वीकार या धारण न करनेवाली) कंपनी विवेकपूर्ण मानदण्ड (रिज़र्व बैंक) निदेश, 2007 में अंतर्विष्ट मानदण्डों के अनुसार की जाएगी। लेखांकन मानक 4. भारतीय सनदी लेखाकार संस्थान (इन निदेशों में "आइसीएआइ" नाम से उल्लिखित) द्वारा जारी लेखांकन मानक और मार्गदर्शी नोट का पालन उस सीमा तक किया जाएगा जहां तक वे इन निदेशों से बेमेल न हों। परिसंपत्ति वर्गीकरण 5. (1) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी, स्पष्ट रूप से परिभाषित ऋण कमज़ोरियों (वेल डिफाइन्ड क्रेडिट वीकनेस) की डिग्री एवं वसूली हेतु संपार्श्विक जमानत पर निर्भरता की सीमा को ध्यान में रखते हुए अपनी परिसंपत्तियों, ऋण और अग्रिमों तथा किसी अन्य प्रकार के ऋण (क्रेडिट) को निम्नलिखित श्रेणियों में वर्गीकृत करेगी, अर्थात्
* गारंटी दायित्वों के अंतर्गत अधिग्रहीत परिसंपत्तियों को मानक परिसंपत्तियों में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा। (2) उपर्युक्त परिसंपत्तियों की श्रेणी, मात्र पुनर्निर्धारण किए जाने के कारण पदोन्नत नहीं की जाएंगी, बल्कि रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में, समय-समय पर, विनिर्दिष्ट शर्तों को पूरा करने पर उनकी पदोन्नति होगी। प्रावधानीकरण अपेक्षा 6. (1) आहूत गारंटियों के लिए प्रावधान : जब बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा दी गई गारंटी आहूत की जाती है ते उसे संभावित हानि का जोखिम होता है। बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी को इस प्रकार आहूत की गई गारंटियों से होने वाली हानि के मद्देनज़र, परिसंपत्तियों की वसूली होने तक, प्रावधान रखना चाहिए। इस प्रकार रखे जाने वाले प्रावधान की राशि प्रत्येक आवास ऋण के संबंध में सकल गारंटी संविदावार राशि, जिसके संबंध में गारंटी आहूत हुई हो, के बाबत कंपनी के अधिकार में आयी परिसंपत्तियों से वसूलनीय मूल्य को समायोजित करके शेष रही राशि के बराबर होनी चाहिए। यदि किसी आहूत गारंटी के संबंध में रखी परिसंपत्ति से वसूलनीय राशि आहूत राशि से ज्यादा होती है तो तो उसे किसी अन्य आहूत गारंटी के मामले में घटने वाली /कम होने वाली राशि के प्रति समायोजित नहीं किया जा सकेगा। यदि पहले से किया गया प्रावधान उल्लेखानुसार गणना किये जाने पर अधिक होता है तो बढ़ी हुई राशि के प्रावधान को उलटा(रिवर्स) नहीं किया जा सकेगा। प्रत्येक वर्ष किए गए प्रावधान की राशि को लाभ-हानि खाते में अलग पंक्ति में दर्शाया जाएगा। आहूत गारंटियों के संबंध में भुगतान/निपटान से हुई हानि के लिए किए गए प्रावधान की राशि तुलनपत्र के देयता वाले भाग में अलग पंक्ति में दर्शायी जाएगी। (2) " हानि जो हुई किन्तु रिपोर्ट नहीं की गई के लिए प्रावधान (IBNR): बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा गारंटीकृत आवास ऋण के संबंध में की गई चूक से गारंटीदाता कंपनी को संभावित जोखिम हो सकता है। आवास ऋण संबंधी चूक के ऐसे मामले, जिनमें ट्रिगर घटना/इवेंट होनी है या गारंटी आहूत नहीं हुई है के बाबत बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा प्रावधान किया जाएगा। वह संभावित हानि जो गारंटी कंपनी को हो सकती है को "हानि जो हुई किन्तु रिपोर्ट नहीं की गई" कहा गया है। किए जाने वाले अपेक्षित प्रावधान की राशि बीमांकिक आधार पर निकाली जाएगी जो "हुई किन्तु रिपोर्ट न की गई हानि" की आवृत्ति/बारंबारता तथा हानि के असर/की कठोरता के अनुमान पर आधारित होगी। इन्हें ऐतिहासिक (historic) आंकड़ों, प्रवृत्तियों, आर्थिक कारकें एवं भुगतान किए / निपटाए गए दावों, भुगतान किए/निपटाए गए दावों के लिए किए गए प्रावधानों, जोखिम सांख्यिकी से संबंधित अन्य सांख्यिकीय आंकड़ों आदि के आधार पर आकलित किया जाएगा। यदि पहले से किया गया प्रावधान उल्लेखानुसार गणना किये जाने पर अधिक होता है तो बढ़ी हुई राशि के प्रावधान को उलटा(रिवर्स) नहीं किया जा सकेगा। प्रत्येक वर्ष किए गए प्रावधान को लाभ-हानि खाते में अलग पंक्ति में दर्शाया जाएगा। "हुई किन्तु रिपोर्ट न की गई हानि" के लिए किए गए प्रावधान की राशि तुलनपत्र के देयता वाले भाग में अलग पंक्ति में दर्शायी जाएगी। (3) उल्लिखित प्ररिप्रेक्ष्य में प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी, किसी खाते के अनर्जक होते जाने, उसके अनर्जक हो जाने के बीच लगने वाले समय, जमानत राशि की वसूली तथा उस समय में प्रभारित जमानती राशि के मूल्य में हुए क्षरण को ध्यान में रखकर प्रत्येक श्रेणी/वर्ग के लिए निम्नानुसार प्रावधान करेंगी (4) बंधक (मार्गेज) गारंटी परिसंपत्तियाँ बंधक (मार्गेज) गारंटी परिसंपत्तियों के संबंध में निम्नानुसार प्रावधान किया जाएगाः
नोट:-
अन्य गतिविधियाँ 7. कोई बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी अपनी कुल परिसंपत्तियों के 10% तक कोई गतिविधि/ कारोबार कर सकती है। यदि बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झ(ग) में यथोल्लिखित अनुमत सीमा में कोई अन्य कारोबार करती है जिसके लिए विवेकपूर्ण मानदण्ड पहले से लागू हैं जो 22 फरवरी 2007 की अधिसूचना सं. गैबैंपवि. 193/डीजी(वीएल)-2007, समय-समय पर यथा संशोधित, में अंतर्विष्ट हैं, तो उनका अनुसरण निवेशों के मूल्यांकन, परिसंपत्तियों के वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण के लिए किया जाए। लेखा - वर्ष 8. प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलन पत्र एवं लाभ-हानि लेखे 31 मार्च को समाप्त प्रत्येक वर्ष के लिए तैयार करेगी। जब भी कोई बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलनपत्र की तारीख कंपनी अधिनियम के उपबंधों के अनुसार बढ़ाना चाहे, तो वह कंपनी रजिस्ट्रार से एतदर्थ संपर्क करने से पहले भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति प्राप्त करे। इसके अतिरिक्त, उन मामलों में जिनमें रिज़र्व बैंक एवं कंपनी रजिस्ट्रार ने एतदर्थ मुहलत दे दी हे, उनमें भी बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी/याँ 31 मार्च की स्थिति के अनुसार प्रोफार्मा तुलन पत्र (बिना लेखा परीक्षित) तथा सांविधिक विवरणियाँ बैंक को नियत तारीख को प्रस्तुत करेगी। तुलन पत्र में प्रकटीकरण 9. (1) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने तुलनपत्र में अलग से उपर्युक्त पैरा 6 के अनुसार किए गए प्रावधानों को आय अथवा परिसंपत्तियों के मूल्य से घटाए बिना प्रकट करेंगी। (2) बंधक गारंटी कारोबार तथा अन्य एवं अलग-अलग प्रकार की परिसंपत्तियों के लिए प्रावधानों का उल्लेख विशेष रूप से निम्नलिखित पृथक खाता शीर्षकों के अंतर्गत किया जाएगाः
(3) ऐसे प्रावधान प्रति वर्ष लाभ-हानि खाते से किए जाएंगे। बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा लेखापरीक्षा समिति का गठन 10. बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनी एक लेखापरीक्षा समिति का गठन करेगी जिसमें कंपनी के बोर्ड के कम से कम तीन गैर कार्यपालक निदेशक शामिल किए जाएंगे और उनमें से कम से कम एक सनदी लेखाकार होगा। स्पष्टीकरण-I: इस पैराग्राफ के प्रयोजन के लिए लेखापरीक्षा समिति वह समिति होगी जिसका गठन कंपनी अधिनियम, 1956 (1956 का 1) की धारा 292ए के अनुसार हुआ हो। स्पष्टीकरण II: इस पैराग्राफ के तहत गठित लेखापरीक्षा समिति की वही शक्तियाँ, कार्य एवं कर्त्तव्य होंगे जो कंपनी अधिनियम, 1956(1956 का 1) की धारा 292ए में निर्धारित हैं। सरकारी प्रतिभूतियों का लेनदेन 11. प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी सरकारी प्रतिभूतियों का लेनदेन सीएसजीएल खाते या डिमैट खाते से कर सकती है: बशर्ते कि कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी किसी भी ब्रोकर के मार्फत सरकारी प्रतिभूतियों का भौतिक(कागजी) फार्म में लेनदेन नहीं करेगी। पूंजी पर्याप्तता अपेक्षा 12. (1) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी से यह अपेक्षित है कि वह निवल स्वाधिकृत निधियाँ न्यूनतम 100 करोड़ रुपए या रिज़र्व बैंक द्वारा इस संबंध में समय-समय पर विनिर्दिष्ट अन्य सीमा तक रखेगी, टियर 1 तथा टियर 2 पूंजी सहित न्यूनतम पूंजी अनुपात बनाए रखेगी जो उसकी तुलनपत्रगत सकल जोखिम भारित परिसंपत्तियों (CRAR) और तुलनपत्रेतर मदों के जोखिम समायोजित मूल्य के दस प्रतिशत (10%) से कम नहीं होगी। अपेक्षित पूंजी अनुपात में से वह अपनी सकल जोखिम भारित परिसंपत्तियों (CRAR) के कम से कम 6% को टियर 1 पूंजी के रूप में बनाए रखेगी। (2) टियर 2 पूंजी का योग, किसी भी समय, टियर 1 पूंजी के 100 प्रतिशत से अधिक नहीं होगी। स्पष्टीकरण: तुलनपत्र की परिसंपत्तियों के संबंध में (1) इन निदेशों में, प्रतिशत भार के रूप में व्यक्त ऋण जोखिम की मात्रा तुलनपत्र की परिसंपत्तियों के लिए है। अतः, परिसंपत्तियों के जोखिम समायोजित मूल्य की गणना के लिए प्रत्येक परिसंपत्ति/मद को संबंधित जोखिम भार से गुणा किया जाएगा ताकि परिसंपत्तियों का जोखिम समायोजित मूल्य निकाला जा सके। न्यूनतम पूंजी अनुपात की गणना हेतु इस प्रकार आकलित जोखिम भार के सकल (aggregate) को हिसाब में लिया जाएगा। जोखिम भारित परिसंपत्ति की गणना निधि प्रदत्त (funded) मदों के भारित सकल के रूप में निम्नानुसार की जाएगीः
टिप्पणी (1) घटाने का कार्य केवल उन्हीं परिसंपत्तियों के संबंध में किया जाए जिनमें मूल्यह्रास अथवा अशोध्य तथा संदिग्ध ऋणों के लिए प्रावधान किए गए हों। (2) निवल स्वाधिकृत निधि की गणना के लिए जिन परिसंपत्तियों को स्वाधिकृत निधि से घटाया गया है उस पर भार `शून्य' होगा। (3) जोखिम भार लगाने के प्रयोजन से किसी उधारकर्ता के समग्र निधिक जोखिम की गणना करते समय, बंधक(मार्गेज) गारंटी कंपनियाँ उधारकर्ता के खाते में कुल बकाया अग्रिमों से नकदी मार्जिन/प्रतिभूति जमा/जमानती राशि रूपी संपार्श्विक प्रतिभूति, जिसकी मुजरायी (set off) के लिए अधिकार उपलब्ध है, का समायोजन कर सकती हैं।" तुलनपत्र से इतर मदें (2) इन निदेशों में, तुलनपत्र से इतर मदों से संबद्ध ऋण जोखिम(एक्सपोजर) की मात्रा को ऋण परिवर्तन कारक के प्रतिशत के रूप में दर्शाया गया है। अतः, तुलनपत्र से इतर मदों के क्रेडिट तुल्य मूल्य की गणना के लिए सबसे पहले प्रत्येक मद के अंकित मूल्य को उसके संगत परिवर्तन कारक (कन्वर्सन फैक्टर) से गुणा करना होगा। उसके बाद प्रत्येक मद के क्रेडिट तुल्य मूल्य को संबंधित प्रति पार्टियों के लिए लागू जोखिम भार से गुणा करना होगा। सकल जोखिम भारित मूल्य को न्यूनतम पूंजी अनुपात निकालने के लिए हिसाब में लिया जाएगा। तुलनपत्र से इतर मदों के क्रेडिट तुल्य मूल्य की गणना, गैर-निधिक मदों के ऋण परिवर्तन कारकों द्वारा निम्नानुसार की जाएगीः-
टिप्पणी परिवर्तन कारक लागू करने से पहले नकदी मार्जिन/जमा राशियों को घटाया जाएगा। बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी के अपने शेयरों पर ऋण वर्जित 13. (1) कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी अपने शेयरों पर ऋण नहीं देगी। (2) पंजीकरण प्रमाणपत्र प्रदान किए जाने से पूर्व, बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी को अपने शेयरों पर दिए गए ऋण की बकाया राशि की वसूली, चुकौती अनुसूची के अनुसार, करनी होगी। ऋण/निवेश का संकेंद्रण 14. (1) कोई भी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी निम्नलिखित को ऋण नहीं देगीः (क) किसी एक उधारकर्ता को अपनी स्वाधिकृत निधि के पंद्रह प्रतिशत से अधिक; तथा (ख) किसी एक उधारकर्ता समूह को अपनी स्वाधिकृत निधि के पचीस प्रतिशत से अधिक; (2) प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी एक पार्टी/पार्टियों के एक समूह के संबंध में होने वाले जोखिमों के लिए नीति बनाएगी। नोट : (1) सीमाओं के निर्धारण के लिए, तुलनपत्र से इतर जोखिम (एक्सपोजर) को उल्लेखानुसार परिवर्तन कारकों का इस्तेमाल करके क्रेडिट जोखिम में बदला जाएगा। (2) इस पैराग्राफ में विनिर्दिष्ट प्रयोजन के लिए डिबेंचरों में किए गए निवेश को ऋण के रूप में माना जाएगा, न कि निवेश के रूप में। (3) ये अधिकतम सीमाएं किसी बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी द्वारा क्रेडिट जोखिम के संबंध में अपने समूह की कंपनियों/फर्मों के साथ-साथ उधारकर्ता कंपनी के समूह के संबंध में लागू होंगी। पते, निदेशकों, लेखापरीक्षकों आदि के परिवर्तन के संबंध में प्रस्तुत की जानेवाली सूचना 15. प्रत्येक बंधक (मार्गेज) गारंटी कंपनी निम्नलिखित में किसी प्रकार का परिवर्तन होने की सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक को एक माह के भीतर देगीः (क) पंजीकृत/कंपनी (कार्पोरेट) कार्यालय के डाक का पूरा पता, टेलीफोन नं. तथा फैक्स नंबर; (ख) कंपनी के निदेशकों के नाम तथा आवासीय पते; (ग) उसके प्रधान अधिकारियों के नाम एवं पदनाम; (घ) कंपनी के लेखापरीक्षकों के नाम तथा उनके कार्यालय के पते; (ङ) कंपनी की ओर से हस्ताक्षर करने के लिए प्राधिकृत अधिकारियों के हस्ताक्षरों के नमूने। छूट 16. भारतीय रिज़र्व बैंक, यह आवश्यक समझने पर कि किसी कठिनाई को दूर किया जा सके या किसी अन्य उचित और पर्याप्त कारण से, किसी मार्गेज गारंटी कंपनी या मार्गेज गारंटी कंपनियों की किसी श्रेणी या सभी मार्गेज गारंटी कंपनियों को इन मार्गदर्शी सिद्धांतों के सभी या किसी प्रावधान/शर्त/शर्तों से सामान्यत: या विनिर्दिष्ट अवधि तक, भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा उन शर्तों के तहत जिन्हें वह लगाए, के अंतर्गत छूट दे सकता है। निर्वचन / अर्थ - निर्णय 17. इन निदेशों के उपबंधों को लागू करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक, यदि आवश्यक समझेगा, इसमें अवरित/शामिल किसी मसले पर आवश्यक स्पष्टीकरण दे सकता है और इन निदेशों के किसी उपबंध के संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा दिया गया अर्थ-निर्णय अंतिम और सभी पार्टियों पर बाध्यकारी होगा। (पी. कृष्णमूर्ति) |