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अनर्जक आस्ति (एनपीए) प्रबंधन – एक प्रभावी कार्यप्रणाली एवं सघन आँकड़ों की आवश्यकता

आरबीआई/2012-13/208
बैंपविवि सं.बीपी.बीसी/42/21.04.048/2012-13

14 सितंबर 2012

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यपालक प्राधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

अनर्जक आस्ति (एनपीए) प्रबंधन – एक प्रभावी कार्यप्रणाली एवं सघन आँकड़ों की आवश्यकता

कृपया दिनांक 17 अप्रैल 2012 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 का पैराग्राफ 100 (उद्धरण संलग्न) देखें।

2. जैसा कि वक्तव्य में उल्लेख किया गया है, बैंकों की आस्ति-गुणवत्ता उनकी वित्तीय सुदृढ़ता के सर्वाधिक महत्वपूर्ण संकेतकों में से एक है। तथापि, यह पाया गया है कि आस्ति गुणवत्ता की शीघ्र चेतावनी देने वाली प्रणालियों से संबंधित मौजूदा प्रबंध सूचना प्रणाली (एमआईएस) में सुधार की आवश्यकता है। अतः बैंकों को सूचित किया जाता है कि उन्हें अपने मौजूदा सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) एवं एमआईएस फ्रेमवर्क की समीक्षा करनी चाहिए तथा अलग अलग खाते के स्तर पर एवं सेगमेंट (आस्ति श्रेणी, उद्योग, भौगोलिक आकार आदि) स्तर पर संकट के लक्षणों को आरंभ में ही पकड़ने के लिए एक मजबूत प्रबंध सूचना प्रणाली (एमआईएस) स्थापित करनी चाहिए। ऐसे शीघ्र-चेतावनी देने वाले संकेतकों को एक प्रभावी निवारक आस्ति गुणवत्ता प्रबंधन फ्रेमवर्क स्थापित करने हेतु प्रयोग में लाया जाना चाहिए जिसमें उस समय लागू विनियामक फ्रेमवर्क के अंतर्गत दबावग्रस्त अर्थक्षम खातों के लिए पारदर्शी पुनर्रचना प्रणाली शामिल है , ताकि सभी सेगमेंट में उन संस्थाओं के आर्थिक मूल्य को बचाए रखा जा सके।

3. बैंक की आईटी तथा एमआईएस प्रणाली मजबूत और सक्षम होनी चाहिए जो प्रभावी निर्णय लेने हेतु बैंक की आस्ति गुणवत्ता के संबंध में विश्वसनीय और गुणवत्तापूर्ण सूचना उत्पन्न करने में समर्थ हो। विनियामक/सांविधिक रिपोर्टिंग तथा बैंक की अपनी एमआईएस रिपोर्टिंग द्वारा प्रस्तुत सूचनाओं में परस्पर कोई विसंगति नहीं होनी चाहिए। बैंकों को यह भी सूचित किया जाता है कि वे अनर्जक आस्तियों तथा पुनर्रचित आस्तियों के संबंध में प्रणाली से उत्पन्न सेगमेंट–वार सूचना रखें जिनमें प्रारंभिक शेष, परिवर्धन, कटौतियां (उन्नयन, वास्तविक वसूली, राईट-ऑफ आदि), अंतिम शेष, धारित प्रावधान, तकनीकी राईट-ऑफ इत्यादि शामिल हो सकते हैं।

भवदीय

(दीपक सिंघल)
प्रभारी मुख्य महाप्रबन्धक


17 अप्रैल 2012 को घोषित मौद्रिक नीति वक्तव्य 2012-13 से उद्धरण

अनर्जक आस्ति (एनपीए) प्रबंधन – एक सशक्त कार्यप्रणाली एवं वर्गीकृत आँकड़ों की आवश्यकता

100. बैंकों की आस्ति-गुणवत्ता उनकी वित्तीय स्थिति का एक महत्वपूर्ण सूचक है। इससे यह भी पता चलता है कि बैंकों का ऋण जोखिम प्रबंधन तथा वसूली का माहौल कितना प्रभावशाली है। यह अहम बात है कि सभी समस्याग्रस्त खातों में गड़बड़ी के लक्षणों को पहले ही पकड़ लिया जाए और उनमें से संभावना वाले खातों को जल्द से जल्द पुनर्रचना सुविधाएँ भी प्रदान की जाएं ताकि उनका आर्थिक मूल्य बचाए रखा जा सके। वार्षिक वित्तीय निरीक्षण (एएफआई) के दौरान यह पाया गया है कि छोटे खातों को पुनर्रचना सुविधाएँ तत्काल नहीं प्रदान की जातीं। बैंकों की अपनी अनर्जक आस्तियों (एनपीए) तथा पुनर्रचित खातों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने की क्षमता बढ़ाने के लिए तथा यह मानते हुए कि बैंकों की सभी शाखाएँ कंप्यूटरीकृत हो गई हैं, प्रस्ताव है कि :

  • बैंकों को यह निदेश दिया जाए कि वे एक ऐसी मजबूत कार्यप्रणाली स्थापित करें जिसमें गड़बड़ी के लक्षणों का पहले ही पता चल सके और अन्य उपायों सहित जरूरत के मुताबिक संभावना वाले सभी खातों की शीघ्र पुनर्रचना व्यवस्था भी हो ताकि उनका आर्थिक मूल्य बचाए रखा जा सके; और

  • बैंकों को यह निदेश दिया जाए कि वे अपने एनपीए खातों, बट्टे-खातों, समझौता निपटानों, वसूली तथा पुनर्रचित खातों संबंधी मदवार समुचित आंकड़े रखें जो सिस्टम जेनरेटेड / कंप्यूटर से प्राप्त किए गए हों।

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