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भारतीय रिज़र्व बैंक की विनियमित संस्थाओं के लिए स्व-विनियामक संगठनों को मान्यता देने के लिए बहुप्रयोजनीय (omnibus) ढांचा

अध्याय I – प्रस्तावना

परिचय

भारतीय रिज़र्व बैंक को देश की मुद्रा और ऋण प्रणाली को इनके अनुकूल परिस्थिति हेतु विनियमित करने का काम सौंपा गया है ताकि वित्तीय प्रणाली की स्थिरता बनाए रखी जा सके। इस प्रयोजन से रिज़र्व बैंक अपनी विनियमित संस्थाओं के लिए आवश्यक विनियामक ढांचा निर्धारित  करता है। संख्या के साथ-साथ परिचालन के पैमाने में विनियमित संस्थाओं की वृद्धि, नवीन प्रौद्योगिकियों को अपनाने में वृद्धि और ग्राहकों तक पहुंच में वृद्धि के चलते, स्व-विनियमन के लिए बेहतर उद्योग मानकों को विकसित करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है।

2.  स्व-विनियामक संगठन अभ्यासकर्ताओं (practitioners)  की तकनीकी विशेषज्ञता का उपयोग करके नियमों की प्रभावशीलता को बढ़ाते है और शामिल तकनीकी और व्यावहारिक पहलुओं, बारीकियों और व्यापार पर इनपुट प्रदान करके विनियामक नीतियों को तैयार करने/ ठीक करने में भी सहायता प्रदान करते है। स्व-विनियामक संगठन के माध्यम से नवाचार, पारदर्शिता, निष्पक्ष प्रतिस्पर्धा और उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ावा देने में भी मदद मिलती है। संक्षेप में, स्व-विनियमन मौजूदा विनियामक/ वैधानिक ढांचे का अक्षरश: बेहतर अनुपालन में पूरक होगा। इस भूमिका के निर्वहन में, स्व-विनियामक संगठन अपने सदस्यों द्वारा स्वैच्छिक अपनाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित नियामक ढांचे के तहत आवश्यक सर्वोत्तम प्रथाओं/मानकों/ संहिताओं को तैयार करेगा और ये विनियमित संस्थाओं के लिए निर्धारित नियामक ढांचे का विकल्प नहीं होंगे।

3.  जैसाकि 06 अक्टूबर 2023 को विकासात्मक और विनियामक नीतियों पर जारी वक्तव्य में घोषणा की गई थी, रिज़र्व बैंक के विनियमित संस्थाओं के लिए स्व-विनियामक संगठन को मान्यता देने के लिए एक बहुप्रयोजनीय ढांचा जारी करने का निर्णय लिया गया है। इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए, बहुप्रयोजनीय SRO ढांचा व्यापक उद्देश्यों, कार्यों, पात्रता मानदंडों और शासन मानकों को निर्धारित करता है, जो सभी स्व-विनियामक संगठनो के लिए समान होगा, चाहे वह किसी भी क्षेत्र के हो। यह ढांचा रिज़र्व बैंक द्वारा मान्यता प्रदान करने के लिए स्व-विनियामक संगठनो द्वारा पालन किए जाने वाले व्यापक सदस्यता मानदंडों और अन्य नियम एवं शर्तें को भी निर्धारित करता है। यह ध्यान दिया जाए कि ढांचे में शामिल दिशानिर्देश, न्यूनतम आवश्यकताएँ हैं और मान्यता प्राप्त स्व-विनियामक संगठनो को अपनी सर्वोत्तम प्रथाओं को विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। रिज़र्व बैंक द्वारा इस ढांचे की व्यापक रूपरेखा के तहत, विनियमित संस्थाओं की एक श्रेणी/वर्ग के लिए स्व-विनियामक संगठनो  को मान्यता देने के लिए आवेदन मांगते समय, यदि आवश्यक हो, क्षेत्र-विशिष्ट अतिरिक्त शर्तें निर्धारित की जा सकती हैं।

4.  रिज़र्व बैंक द्वारा पहले से ही मान्यता प्राप्त मौजूदा स्व-विनियामक संगठन तब तक उन नियमों और शर्तों द्वारा शासित होते रहेंगे जिनके अंतर्गत उन्हें मान्यता दी गई थी, जब तक कि यह ढांचा विशेष रूप से ऐसे स्व-विनियामक संगठनो पर विस्तारित नहीं किया जाता है।

स्व-विनियामक संगठन की विशेषताएं

5.  एक स्व-विनियामक संगठन से अपेक्षा की जाती है कि वह विनियामक की निगरानी में विश्वसनीयता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी के साथ काम करे, ताकि वह जिस क्षेत्र की पूर्ति करता है, उसके स्वस्थ और धारणीय विकास के लिए नियामक अनुपालन में सुधार हो सके। इसके अलावा, स्व-विनियामक संगठन में निम्नलिखित विशेषताएं होनी चाहिए:

  1. नैतिक, व्यावसायिक और शासन मानकों को निर्धारित करने और सदस्यों पर इन मानकों को लागू करने के लिए सदस्यता करारों से प्राप्त पर्याप्त अधिकार होना चाहिए। इनमें मजबूत प्रशासन तंत्र होना चाहिए, जिसमें स्वतंत्र बोर्ड, पारदर्शिता और अच्छी तरह से परिभाषित प्रक्रियाओं के पालन पर ध्यान केंद्रित करना शामिल है।

    नोट: इस ढांचे में प्रयुक्त 'सदस्य' शब्द उन विनियमित संस्थाओं को संदर्भित करता है जो स्व-विनियामक संगठन की सदस्यता स्वीकार करते हैं।

  2. अपने सदस्यों के आचरण से संबंधित नियम बनाने के लिए उद्देश्यपूर्ण, अच्छी तरह से परिभाषित और परामर्शात्मक प्रक्रियाएं होनी चाहिए और वे इन नियमों को लागू करने में सक्षम होने चाहिए। स्व-विनियामक संगठन द्वारा अपने सदस्यों की गतिविधियों की निगरानी के लिए स्पष्ट रूप से परिभाषित और पारदर्शी प्रक्रियाएं एवं पद्धति भी अपनाई जानी चाहिए। इनके द्वारा आचरण के स्पष्ट मानक स्थापित किए जाने चाहिए और सहमत नियमों/संहिताओं के उल्लंघन के परिणाम निर्दिष्ट किए जाने चाहिए जैसे की परामर्श देना, चेतावनी देना, फटकारना और सदस्यता रद्द करना। यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि ऐसे परिणामों मे किसी भी तरह के आर्थिक दंड शामिल नहीं हो।
  3. अनुपालन में सुधार लाने और अपने सदस्यों द्वारा रिज़र्व बैंक द्वारा बनाए गए नियमों और विनियमों के पालन के लिए मानक विकसित करने चाहिए।
  4. सदस्यों के बीच विवाद निपटान के लिए मानकीकृत प्रक्रियायें तैयार और कार्यान्वित की जानी चाहिए, जिसमें पारदर्शी और तर्कयुक्त विवाद समाधान/मध्यस्थता तंत्र के माध्यम से इन विवादों को हल करने की प्रक्रियाएं शामिल हो। (नीचे पैरा 8(iv) में विस्तृत जानकारी दी गई है)
  5. अपने क्षेत्र की प्रभावी निगरानी के लिए उपयुक्त निगरानी विधियां होनी चाहिए।
  6. अपने क्षेत्र के पारिस्थितिकी तंत्र को विकसित करने का प्रयास करें जिस क्षेत्र की पूर्ति करता है, और स्व-विनियामक संगठन द्वारा विकसित मानक/सर्वोत्तम प्रथाए, लागू वैधानिक/नियामक निर्देशों के अनुपालन और सीमा में, होना चाहिए।

अध्याय II – स्व-विनियामक संगठन के उद्देश्य और दायित्व

स्व-विनियामक संगठन के उद्देश्य

6.  सामान्य तौर पर, स्व-विनियामक संगठन से अपेक्षा की जाती है कि वे उस क्षेत्र जिसका वे प्रतिनिधित्व करते हैं की उन्नति को बढ़ावा देने और व्यापक वित्तीय प्रणाली के तहत महत्वपूर्ण औध्योगिक समस्याओं का समाधान करने जैसे कुछ व्यापक उद्देश्यों का पालन करेंगे । ये उद्देश्य उनके क्षेत्र को उन्नत व्यावसायिकता, अनुपालन, नवाचार और नैतिक आचरण की दिशा में चलाने के प्रति स्व-विनियामक संगठन की अपेक्षित भूमिका और जिम्मेदारियों को सामूहिक रूप से परिभाषित करेंगे। इसमें मजबूत स्व-विनियामक सिद्धांतों और प्रथाओं और परंपराओं के विकास और पालन पर अधिक बल देना शामिल है जो कि इस क्षेत्र के विस्तार के अनुकूल हों। सद्भावना के सिद्धांतों को बनाए रखना और हितों के टकराव से बचना इनके संचालन की आधारशिला होनी चाहिए।  

7.  विशेष रूप से, एक स्व-विनियामक संगठन से निम्नलिखित लक्ष्यों को प्राप्त करने की उम्मीद की जाती है:

  1. प्रगतिशील प्रथाओं और परंपराओं को प्रोत्साहित करते हुए अपने सदस्यों के बीच अनुपालन की संस्कृति को बढ़ावा देना। मार्गदर्शन और समर्थन प्रदान करने, विशेषकर क्षेत्र की लघु संस्थाओं को, और वैधानिक और नियामक नीतियों के साथ संरेखित सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। इस उद्देश्य के लिए, स्व-विनियामक संगठन को अपने सदस्यों के लिए एक व्यापक आचार संहिता तैयार और कार्यान्वित करना चाहिए।
  2. रिज़र्व बैंक, सरकारी प्राधिकरणों या अन्य विनियामक और वैधानिक निकायों, जो भारत में स्थित हो, के साथ विचार-विमर्श के समय अपने सदस्यों की सामूहिक आवाज के रूप में कार्य करे। इनका उद्देश्य उद्योग से संबन्धित व्यापक समस्याओ का प्रतिनिधित्व और उनका समाधान और वित्तीय प्रणाली के कामकाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाना होना चाहिए। यह उम्मीद की जाती है कि स्व-विनियामक संगठन स्व-हितों से ऊपर उठकर कार्य करे और समग्र रूप से उद्योग और वित्तीय प्रणाली की मुख्य समस्याओ को संबोधित करे। उद्योग प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते हुए, स्व-विनियामक संगठन से उम्मीद की जाती है की वह अपने सभी सदस्यों के लिए न्यायसंगत और पारदर्शी व्यवहार सुनिश्चित करे।
  3. नीति निर्माण में सहायता के लिए प्रासंगिक क्षेत्रीय जानकारी एकत्र करना और रिज़र्व बैंक के साथ उनको साझा करना। स्व-विनियामक संगठन को इन जानकारियों का प्रयोग रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित व्यापक नियामक ढांचे के तहत नवीन प्रौद्योगिकियों को प्रोत्साहित करने और नए उत्पादों की शुरूआत पर समन्वय करने के लिए करना चाहिए।
  4. अनुपालन और स्व-शासन के उच्चतम मानकों को सुनिश्चित करते हुए नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए क्षेत्र मे अनुसंधान और विकास की संस्कृति को प्रोत्साहित करें।

सदस्यों के प्रति स्व-विनियामक संगठन की जिम्मेदारियां  

8.  अपने सदस्यों के प्रति स्व-विनियामक संगठन की प्राथमिक जिम्मेदारी श्रेष्ठ व्यावसायिक प्रथाओं को बढ़ावा देना होगा। स्व-विनियामक संगठन अपने सदस्यों के बीच पेशेवर बाजार आचरण के लिए न्यूनतम बेंचमार्क और परंपरा स्थापित करेगा। अपने सदस्यों के हित में, स्व-विनियामक संगठन को पारिस्थितिकी तंत्र के ग्राहकों / जमाकर्ताओं, प्रतिभागियों और अन्य हितधारकों के हितों की रक्षा करने का प्रयास करना चाहिए। विशेष रूप से, स्व-विनियामक संगठन को अपने सदस्यों के प्रति निम्नलिखित जिम्मेदारियों का निर्वहन करना चाहिए:  

  1. अपने सदस्यों द्वारा पालन की जाने वाली आचार संहिता तैयार करे और अपने सदस्यों द्वारा संहिता के पालन के साथ-साथ विनियामक निर्देशों के अनुपालन की निगरानी करे।
  2. एक संरूप, उचित और गैर-भेदभावपूर्ण सदस्यता शुल्क संरचना विकसित करे।  
  3. सदस्यों के हित के मामलों पर जागरूकता निर्माण करने के लिए  बुलेटिनों, पैम्फलेट, पत्रिकाओं आदि के माध्यम से सार्वजनिक रूप से उपलब्ध डेटा से क्षेत्र-विशिष्ट जानकारी का प्रसार करे।
  4. अपने सदस्यों के लिए शिकायत निवारण और विवाद समाधान/ मध्यस्थता रूपरेखा स्थापित करे और प्रतिबंधात्मक, अस्वास्थ्यकर और ऐसी अन्य प्रथायें जो कि क्षेत्र के विकास के लिए हानिकारक हो सकती हैं उन पर सदस्यों को परामर्श प्रदान करे। विवाद समाधान प्रक्रिया में लगातार कुशल, निष्पक्ष और पारदर्शी नीतियों और प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाना चाहिए जो नियामक और वैधानिक आवश्यकताओं के अनुरूप हों।
  5. वैधानिक/नियामक प्रावधानों के ज्ञान को बढ़ावा दे और सदस्यों के बीच विशेषज्ञता और अनुभव के आदान-प्रदान के लिए आवश्यक संसाधन प्रदान करे। वे अपने सदस्यों के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम और समसामयिक मुद्दों पर जागरूकता कार्यक्रमों की भी व्यवस्था कर सकते हैं।
  6. जनता को विनियमित संस्थाओं के संचालन एवं उनके लिए उपलब्ध शिकायत निवारण तंत्र के बारे में शिक्षित करे और उनके क्षेत्र के बारे में सामान्य रूप से जागरूकता में वृद्धि करे।

विनियामक के प्रति स्व-विनियामक संगठन की जिम्मेदारियां

9. सामान्य तौर पर, स्व-विनियामक संगठन से विनियामक दिशानिर्देशों का बेहतर अनुपालन सुनिश्चित करने, क्षेत्र के विकास, हितधारक के हितों की सुरक्षा, नवाचार को बढ़ावा देने और प्रारंभिक चेतावनी संकेतों का पता लगाने में रिज़र्व बैंक का सहयोगी होने की उम्मीद की जाती है। उपरोक्त पैराग्राफ 6 के अंतर्गत स्व-विनियामक संगठन के लिए निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। स्व-विनियामक संगठन से यह भी अपेक्षा की जाती है कि वह विनियमित संस्थाओं और रिज़र्व बैंक के बीच एक सेतु के रूप में कार्य करेगा।

10. विशेष रूप से, स्व-विनियामक संगठन विनियामक के प्रति निम्नलिखित जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा:

  1. रिजर्व बैंक को क्षेत्र के विकास के बारे में नियमित रूप से सूचित करे। अपने सदस्य द्वारा अधिनियमों के प्रावधानों या रिज़र्व बैंक द्वारा जारी नियमों/ दिशानिर्देशों/ विनियमों/ निर्देशों के किसी भी उल्लंघन, जो उसके संज्ञान में हो, के बारे में रिज़र्व बैंक को तुरंत सूचित करे।
  2. रिज़र्व बैंक द्वारा सौंपे गए किसी भी कार्य को पूरा करे और उसे संदर्भित प्रस्ताव या सुझाव की जांच करे। वह रिज़र्व बैंक द्वारा आवधिक या सूचना के अनुसार मांगा गया डेटा/ सूचना प्रदान करे।
  3. लेखांकन वर्ष पूरा होने के तीन महीने के भीतर अपनी वार्षिक रिपोर्ट रिज़र्व बैंक को प्रस्तुत करनी चाहिए। स्व-विनियामक संगठन रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित आवधिक/ तदर्थ रिटर्न भी प्रस्तुत करे।
  4. रिज़र्व बैंक के साथ समय-समय पर बातचीत के लिए शामिल हों। स्व-विनियामक संगठन से अपने विचार/ निविष्टियाँ/ सुझाव देने में, उद्योग/ क्षेत्र के प्रमुख पहलुओं को ध्यान मे रखने की उम्मीद की जाती है।
  5. समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट ऐसे अन्य कार्यों का निर्वहन करे और ऐसे अन्य निर्देशों का भी पालन करे।
  6. आवश्यक होने पर रिज़र्व बैंक स्व-विनियामक संगठन के बहीखातों का निरीक्षण कर सकता है या किसी ऑडिट फर्म द्वारा बहीखातों का निरीक्षण करवाने की व्यवस्था कर सकता है। निरीक्षण के संचालन के उद्देश्य से स्व-विनियामक संगठन निरीक्षण दल को आवश्यक जानकारी प्रदान करने के लिए बाध्य होगा। ऐसे निरीक्षण का खर्च स्व-विनियामक संगठन द्वारा वहन किया जाएगा।

अध्याय III - पात्रता मानदंड, अभिशासन, और मान्यता के लिए आवेदन

आवेदक के लिए पात्रता मानदंड

11. यह सुनिश्चित करने के लिए कि स्व-विनियामक संगठन अपने उद्देश्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करता है, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि इनकी स्वतंत्रता और अखंडता इनकी स्थापना और संरचना में निहित है। अतः, स्व-विनियामक संगठन के रूप में कार्य करने की इच्छुक संस्थाओं को निम्नलिखित पात्रता मानदंडों को पूरा करना होगा:

  1. आवेदक को कंपनी अधिनियम, 2013 की धारा 8 के तहत पंजीकृत एक गैर-लाभकारी कंपनी के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए। आवेदक के पास पर्याप्त नेट वर्थ होना चाहिए, जो आवश्यकता के अनुसार, विनियमित संस्थाओं की श्रेणी/वर्ग के लिए आवेदन आमंत्रित करते समय निर्दिष्ट किया जाएगा, और उनके पास निरंतर आधार पर स्व-विनियामक संगठन की जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम करने के लिए बुनियादी ढांचा होना चाहिए या बनाने की क्षमता होनी चाहिए। स्व-विनियामक संगठन की शेयरधारिता पर्याप्त रूप से विविध होनी चाहिए, और कोई भी इकाई, अकेले या संयुक्त रूप, से अपनी चुकता (paid-up ) शेयर पूंजी का 10% या अधिक नहीं रखेगी।
  2. आवेदक को क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करना चाहिए और उसके पास निर्दिष्ट सदस्यता होनी चाहिए अन्यथा उचित समय-सीमा के भीतर निर्दिष्ट सदस्यता प्राप्त करने के लिए रोडमैप प्रस्तुत करना होगा।
  3. आवेदक और उसके निदेशकों के पास व्यावसायिक क्षमता होनी चाहिए और रिज़र्व बैंक की संतुष्टि के लिए निष्पक्षता और अखंडता की सामान्य प्रतिष्ठा स्थापित होनी चाहिए। न ही आवेदक और न ही उसके किसी निदेशक को किसी भी कानूनी  कार्यवाही में शामिल होना चाहिए, जिसका सेक्टर के हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता हो। इसके अलावा, न ही आवेदक और न ही उसके किसी निदेशक को अतीत में नैतिक अधमता/ आर्थिक अपराध सहित किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया हो।
  4. आवेदक को अन्य सभी मामलों में स्व-विनियामक संगठन के रूप में मान्यता प्रदान करने के लिए उचित और उपयुक्तहोना चाहिए।  आवेदक को इस ढांचे के तहत निर्धारित उद्देश्यों और जिम्मेदारियों के अनुसार कार्य करना होगा।
  5. स्व-विनियामक संगठन के रूप में मान्यता प्रदान करते समय, रिज़र्व बैंक, यदि आवश्यक समझे, ऐसी अन्य शर्तें निर्धारित कर सकता है जो यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक हो कि स्व-विनियामक संगठन की कार्यप्रणाली सार्वजनिक हित के लिए हानिकारक नहीं है।

स्व-विनियामक संगठन का अभिशासन ढांचा

12.  क्षेत्र की अखंडता में विश्वास को बढ़ावा देने के लिए स्व-विनियामक संगठन से पारदर्शिता, व्यावसायिकता और स्वतंत्रता के साथ काम करने की उम्मीद की जाती है। अभिशासन के उच्चतम मानकों का अनुपालन एक प्रभावी स्व-विनियामक संगठन के लिए पूर्वाकांक्षित है। तदनुसार, स्व-विनियामक संगठन निम्नलिखित दिशानिर्देशों का पालन करेंगे:

  1. स्व-विनियामक संगठन को पेशेवर रूप से प्रबंधित किया जाएगा और इसे सुनिश्चित करने के लिए उनके संस्था के अंतर्नियम (AoA)/ उपनियमों में उपयुक्त प्रावधान होगा। AoA/ उपनियम स्पष्ट रूप से प्रावधान करेंगे जिसके तहत निदेशक मंडल/अभिशासन निकाय, हितों के टकराव के मुद्दों को विधिवत संबोधित करते हुए कार्य करेगे।
  2. स्व-विनियामक संगठन के AoA/ उपनियमों में इसके मुख्य उद्देश्यों में से एक के रूप में इसके द्वारा निर्वहन किए जाने वाले कार्यों को विनिर्दिष्ट किया जाएगा। AoA/ उपनियम सदस्यों के प्रवेश, निष्कासन, निलंबन, पुनः प्रवेश आदि के मानदंड भी स्पष्ट रूप से निर्धारित करेंगे।
  3. निदेशकों को स्व-विनियामक संगठन के बोर्ड द्वारा निर्धारित 'उचित और उपयुक्त' मानदंडों को निरंतर आधार पर पूरा करना होगा और उनके पास प्रासंगिक विशेषज्ञता/ अनुभव होना होगा और वे उच्च निष्ठा वाले व्यक्ति होंगे। सभापति सहित निदेशक मंडल में कम से कम एक-तिहाई सदस्य स्वतंत्र होंगे और विनियमित संस्था की श्रेणी/ वर्ग के साथ किसी भी सक्रिय संबंध मे नहीं होंगे जिसके लिए स्व-विनियामक संगठन गठित किया गया है। बोर्ड, अन्य बातों के अलावा, बोर्ड में महत्वपूर्ण पदों के लिए निदेशकों के नियमित बदलाव पर एक नीति तैयार करे। निदेशक पद में कोई भी बदलाव या किसी निदेशक के बारे में कोई प्रतिकूल जानकारी तुरंत रिज़र्व बैंक को सूचित की जाएगी।
  4. निदेशक मंडल यह सुनिश्चित करेंगे कि स्व-विनियामक संगठन के पास इस क्षेत्र की निगरानी के लिए पर्याप्त रूप से कुशल मानव संसाधन और मजबूत तकनीकी क्षमता है। निदेशक मंडल अपनी अभिशासन प्रक्रियाओं को स्थापित करने के लिए पारदर्शी प्रथाओं का पालन करेंगे।
  5. मान्यता प्राप्त स्व-विनियामक संगठन समय-समय पर रिज़र्व बैंक द्वारा जारी प्रासंगिक अधिनियमों, लागू विनियमों, दिशानिर्देशों, निदेशों या परिपत्रों के प्रावधानों का अनुपालन सुनिश्चित करेंगे।

मान्यता हेतु आवेदन

13.  स्व-विनियामक संगठन के रूप में मान्यता प्राप्त करने की प्रक्रिया पुष्ट होनी चाहिए ताकि महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए आवश्यक कड़े मापदंडों के समूह का पालन सुनिश्चित किया जा सके। इस ढांचे के अंतर्गत स्व-विनियामक संगठन के रूप में कार्य करने की इच्छुक आवेदक को मान्यता के लिए आवेदन करते समय निम्नलिखित जरूरतों को पूरा करना होगा/ निम्नलिखित दस्तावेज जमा करना होगा:

  1. आवेदक द्वारा किए गए आवेदन के साथ निम्नलिखित संलग्न होना चाहिए:
  2. a. स्व-विनियामक संगठन के निर्माण से संबंधित संस्था ज्ञापन (MoA) की एक प्रति;

    b. स्व-विनियामक संगठन के संस्था के अंतर्नियम (AoA)/उपनियमों की एक प्रति;

    c. बोर्ड के गठन, निदेशकों का विवरण, प्रबंधन की भूमिकाओं/ जिम्मेदारियों और स्व-विनियामक संगठन के संचालन का विवरण;

    d. स्व-विनियामक संगठन के पदाधिकारियों[1] की शक्तियां एवं कर्तव्य;

    e. निर्धारित समय सीमा के भीतर न्यूनतम सदस्यता मानदंड प्राप्त करने के लिए रोडमैप;

    f. आवेदन को आवेदक की ओर से, अपने निदेशक मंडल के अनुमति के तहत अधिकृत व्यक्ति द्वारा हस्ताक्षरित किया जाएगा;

    g. रिज़र्व बैंक आवेदक को स्व-विनियामक संगठन के रूप में मान्यता देने से पहले स्व-विनियामक संगठन होने के लिए आवेदक की उपयुक्त और उचित स्थिति के बारे में खुद को संतुष्ट करने के लिए कोई और ऐसी जानकारी या स्पष्टीकरण प्रस्तुत करने की अपेक्षा कर सकता है जो उसके द्वारा आवश्यक समझी जाए;

  3. कोई भी आवेदन, जो सभी पहलुओं में पूर्ण नहीं है या अपेक्षित मानदंडों को पूरा नहीं करता है, रिज़र्व बैंक द्वारा अस्वीकार किया जा सकता है। तथापि, ऐसे किसी भी आवेदन को अस्वीकृत करने से पहले, रिज़र्व बैंक द्वारा सूचना भेजे जाने की तारीख से 15 दिनों के भीतर ऐसे आपत्तियों का समाधान करने का अवसर देगा।
  4. आवेदक को योग्य पाए जाने पर, रिज़र्व बैंक स्व-विनियामक संगठन के रूप में "मान्यता पत्र" जारी करने की आगे कार्रवाई करेगा। रिज़र्व बैंक किसी भी स्व-विनियामक संगठन को मान्यता न देने का अधिकार सुरक्षित रखता है। इस संबंध में रिज़र्व बैंक का निर्णय अंतिम होगा।

मान्यता प्रदान करने की शर्तें

14. स्व-विनियामक संगठन को दी गई मान्यता निम्नलिखित शर्तों के अधीन मान्य होगी:

  1. मान्यता प्राप्त स्व-विनियामक संगठन द्वारा दी गई जानकारी या विवरण सही है और किसी भी भौतिक पहलुओं में भ्रामक नहीं है।
  2. इस ढांचे में निर्धारित सदस्यता सहित निर्धारित आवश्यकताओं का निरंतर पालन किया जाएगा।
  3. स्व-विनियामक संगठन अपनी मान्यता को नियंत्रित करने वाले नियमों और शर्तों का पालन सुनिश्चित करेगा। स्व-विनियामक संगठन को दी गई मान्यता रिज़र्व बैंक द्वारा आवधिक समीक्षा, जैसा आवश्यक समझा जाए, के अधीन होगी।
  4. यदि रिज़र्व बैंक स्व-विनियामक संगठन की कार्यप्रणाली को सार्वजनिक हित या किसी अन्य हितधारक के लिए हानिकारक मानता है और/या स्व-विनियामक संगठन ऐसी गतिविधियों का संचालन करता पाया जाता है जो उद्देश्यों के अनुरूप नहीं हैं, तो स्व-विनियामक संगठन को सुनवाई का उचित अवसर देने के बाद रिज़र्व बैंक स्व-विनियामक संगठन को दी गई मान्यता रद्द कर देगा।

अध्याय IV – सदस्यता मानदंड

सदस्यता

15. यह आवश्यक है कि स्व-विनियामक संगठन अपने क्षेत्र और उनके सदस्यों के निष्पक्ष प्रतिनिधि के रूप में कार्य करे। इसलिए, स्व-विनियामक संगठन में समग्र रूप से क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने के लिए सभी स्तरों पर सदस्यों का एक अच्छा मिश्रण होना चाहिए। तदनुसार, स्व-विनियामक संगठन का सदस्यता मानदंड, विनियमित संस्था की प्रत्येक श्रेणी/ वर्ग के लिए आवेदन आमंत्रित करते समय रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित किया जाएगा। विशेष रूप से, स्व-विनियामक संगठन निम्नलिखित मानदंडों का भी पालन करेगा:

  1. रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित की जाने वाली न्यूनतम सदस्यता आवेदन करते समय प्राप्त की जाएगी या ऐसी समय सीमा के भीतर पूरी की जाएगी, जैसा कि रिज़र्व द्वारा निर्धारित किया गया हो, लेकिन समय सीमा मान्यता प्रदान करने की तारीख से दो साल से अधिक नहीं होगी। समय सीमा के भीतर निर्दिष्ट सदस्यता प्राप्त करने में विफलता के परिणामस्वरूप दी गई मान्यता रद्द हो सकती है।
  2. सदस्यों के लिए स्व-विनियामक संगठन की सदस्यता स्वैच्छिक होगी।

*****

 

[1] पूर्णकालिक निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी सहित, चाहे किसी भी नाम से संबोधित किया जाए, और इसमें आवेदक द्वारा अधिकृत कोई भी व्यक्ति शामिल है

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