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भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं और सहायक कंपनियों के परिचालन - सांविधिक / विनियामक / प्रशासनिक निषेधों / प्रतिबंधों का अनुपालन

आरबीआई/2013-14/588
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 111/21.04.157/2013-14

12 मई 2014

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(स्थानीय क्षेत्र बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
अखि‍ल भारतीय मीयादी ऋण और पुनर्वित्त प्रदान करने वाली संस्थाएं

महोदय/महोदया,

भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं और सहायक कंपनियों के परिचालन -
सांविधिक / विनियामक / प्रशासनिक निषेधों / प्रतिबंधों का अनुपालन

कृपया उपर्युक्त विषय पर दिनांक 1 दिसंबर 2008 का हमारा परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 89/21.04.141/2008-09 देखें। परिपत्र के पैरा 5 के अनुसार यदि भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाएँ/ विदेशी सहायक कंपनियाँ स्ट्रक्चर्ड वित्तीय उत्पादों में कारोबार करना चाहती हैं तो इसके लिए बैंकों को भारतीय रिजर्व बैंक से पूर्व अनुमोदन प्राप्त करना अपेक्षित है ।

2. इस संबंध में समीक्षा किए जाने पर, यह निर्णय लिया गया है कि यदि भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाएं और सहायक कंपनियाँ ऐसे स्ट्रक्चर्ड वित्तीय और डेरिवेटिव उत्पादों में कारोबार करना चाहती हैं, जिनके लिए विशिष्ट रूप से घरेलू बाजार में भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा अनुमति नहीं है, तो ऐसा केवल भारत के बाहर स्थापित वित्तीय केन्द्रों यथा- न्यूयार्क, लंदन, सिंगापुर, हांगकांग, फ्रेंकफर्ट, दुबई में ही किया जा सकता है। बैंकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि विदेशी अधिकार क्षेत्रों में ऐसे उत्पादों में कारोबार करने वाली उनकी विदेशी शाखाओं और सहायक कंपनियों के पास ऐसे उत्पाद से संबंधित पर्याप्त ज्ञान, समझ और जोखिम प्रबंधन की योग्यता है। अन्य केन्द्रों पर बैंक केवल वे ही उत्पाद शुरू कर सकते हैं जिनके लिए भारत में विशिष्ट रूप से अनुमति है।

3. जिन उत्पादों में भारतीय बैंकों की विदेशी शाखाओं / सहायक कंपनियों द्वारा विदेशी स्थलों में कारोबार किया जाता है, वे मेजबान देश के विनियमनों के अनुरूप होने चाहिए तथा इनके लिए उनके बोर्ड तथा संबंधित विदेशी अधिकार क्षेत्र के उपयुक्त प्राधिकारी से पूर्वानुमति प्राप्त की जानी चाहिए । ऐसे उत्पादों के संबंध में, बैंकों को मेजबान देश के विनियमनों तथा घरेलू विनियमनों में जो अधिक कठोर हों उनका पालन करते रहना होगा। बैंकों को, खास तौर पर यह सुनिश्चित करना होगा कि भारतीय रिजर्व बैंक तथा मेजबान देश के विनियामकों की अपेक्षानुसार उपयुक्तता और औचित्य नीति का कड़ाई से पालन किया जाता है ।

4. इस बात को पुनः दुहराया जाता है कि भारतीय बैंकों की विदेश स्थित शाखाओं और सहायक कंपनियों द्वारा ऐसा कारोबार शुरू करने के लिए, जिसके लिए बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 / सरकारी क्षेत्र के बैंको के संबंधित क़ानूनों के तहत अनुमति नहीं है, बैंकों को बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 6(1) (एम) या 19(1) (सी), जो भी लागू हो, के अंतर्गत ऐसा कारोबार शुरू करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक/भारत सरकार से आवश्यक अनुमति लेनी चाहिए ।

भवदीय,

(राजेश वर्मा)
मुख्य महाप्रबंधक

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