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वित्तीय क्षेत्र में विनियमित कंपनियों द्वारा समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश

आरबीआइ/2006-07/125
एपी (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं. 6

सितंबर 06,  2006

श्रेणी I के सभी प्राधिकृत व्यापारी बैंक

महोदया / महोदय,

वित्तीय क्षेत्र में विनियमित कंपनियों द्वारा समुद्रपारीय प्रत्यक्ष निवेश

प्राधिकृत व्यापारी (श्रेणी I) बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7,  2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120 /आरबी-2004 [विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली, 2004] के विनियम 6 और 7 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार, समुद्रपार वित्तीय सेवा के कार्यकलापों में लगी कंपनियों में निवेश करनेवाली भारतीय कंपनियों को अधिसूचना के विनियम 7 में निर्धारित अतिरिक्त शर्तों का अनुपालन करना है ।

2.  वर्तमान में  समुद्रपारीय गैर वित्तीय सेवा के कार्यकलापों में निवेश करने वाली भारत स्थित वित्तीय सेवा के कार्यकलाप में लगी कंपनियों को अधिसूचना  के विनियम 7 में दी गई अतिरिक्त शर्तों के अनुपालन की आवश्यकता नहीं है ।  समेकित आधार पर  ऐसी कंपनियों के समुद्रपारीय परिचालनों के प्रभाव के मूल्यांकन के लिए यह निर्णय लिया गया है  कि समुद्रपार किसी भी कार्यकलाप में निवेश करनेवाली भारत के वित्तीय क्षेत्र की विनियमित कंपनियों को भी उक्त अधिसूचना के विनियम 7 में निर्धारित शर्तों का अनुपालन करना होगा ।

3.  आगे यह स्पष्ट किया जाता है कि समुद्रपार मंडियों (कोमोडिटिज़ एक्सचेंजेस ओवरसीज़) में व्यापार और समुद्रपार मंडियों में व्यापार के लिए संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्था की स्थापना को वित्तीय सेवा कार्यकलाप समझा जाएगा और उन्हें  वायदा बाजार आयोग (एफएमसी) से मंजूरी की आवश्यकता  होगी ।  हाल ही में, वायदा बाज़ार आयोग ने मंडियों के वायदा बाज़ार आयोग में पंजीकृत सदस्यों को विदेश में पण्य  संबंधी कार्यकलाप करने की अनुमति देने के लिए मार्गदर्शी  सिद्धांत  तैयार किए हैं । अतः समुद्रपार मंडियों में व्यापार करने के लिए संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक संस्था की स्थापना के इच्छुक भारतीय कंपनियां विनियामक मंजूरी के लिए वायदा बाजार आयोग से संपर्क करें ।

4.  भारत में वित्तीय सेवा कार्यकलापों में लगी हुई अविनियमित  भारतीय कंपनियां,  उक्त अधिसूचना के विनियम 6 के अधीन समुद्रपार गैर वित्तीय क्षेत्र के कार्यकलापों  में निवेश कर सकती हैं ।

5.  विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) (संशोधन) विनियमावली,  2004 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं ।

6.  प्राधिकृत व्यापारी - श्रेणी I इस परिपत्र की विषय वस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत कराएं ।

7. इस परिपत्र में निहित निर्देश, विदेशी मुद्रा प्रबंध  अधिनियम (फेमा) 1999 (1999 का 42) की धारा 10 (4) और 11 (1) के तहत और किसी अन्य कानून के तहत अपेक्षित अनुमति / अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले  बिना जारी किए गए हैं।

भवदीय

( सलीम गंगाधरन )
प्रभारी मुख्य महा प्रबंधक

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