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विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - स्वचालित मार्ग का उदारीकरण

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशी मुद्रा नियंत्रण विभाग
केद्रीय कार्यालय
मुंबई

ए.पी.(डीआईआर सिरीज़) परिक्रम क्र.83

मार्च 1, 2003

सेवा में

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय,

विदेशी प्रत्यक्ष निवेश - स्वचालित मार्ग का उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान मई 3, 2000 को जारी रिज़र्व बैंक की अधिसूचना क्र. फेमा 19 आरबी-2000 समय समय पर यथासंशोधित, द्वारा अधिसूचित विदेशी मुद्रा प्रबंध (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 के विनियम 6 की ओर आकृष्ट किया जाता है।

2. प्राधिकृत व्यापारियों इस बात से अवगत है कि वर्तमान में भातरीय कंपनियों को रिज़र्व बैंक के बिना किसी पूर्व अनुमोदन के 100 मिलियन अमरीकी डॉलर तक की राशि का निवेश करने की अनुमति है बशर्ते कि भारत में भारत में प्राधिकृत व्यापारी से आहरित विदेशी मुद्रा भारतीय कंपनी की शुद्ध मालियत के 50 प्रतिशत से अधिक न हो, भारतीय कंपनी रिज़र्व बैंक की सावधानी / चूककर्ता सूची में न हो समान प्रमुख कार्यकलाप में रत विदेशी सत्ता में निवेश किया जाता हो।

3. इसमें और उदारीकरण के रूप में निम्नलिखित निर्णय किया गया है

i) विदेश में संयुक्त उद्यम / पूर्ण स्वाधिकृत सहायक कंपनी में निवेश के लिए बाज़ार से विदेशी मुद्रा की खरीद हेतु शुद्ध मालियत के 50 प्रतिशत की सीमा को निवेशकर्ता कंपनी शुद्ध मालियत के 100 प्रतिशत तक कर दी गई है

ii) स्वयंसिद्ध पूर्व अभिलेख वाली भारतीय कंपनी अब अपनी शुद्ध मालियत के बराबर, 100 मिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के अंतर्गत, बाज़ार खरीद के माध्यम से किसी भी जायज़ कारोबार में रत विदेशी सत्ता में निवेश करने के लिए पात्र होगी।

4. तथापि, वित्तीय कार्यकलापों में सन्नद्ध होने की इच्छुक कंपनियां मई 3, 2000 की फेमा अधिसूचना सं.19 आरबी-2000 के विनियम 7 में निर्धारित अपेक्षाओं से नियंत्रित होती रहेंगी।

5. फरवरी 19, 2002 के ए.पी. (डीआईआर.सिरीज) क्र.23 में निर्धारित द्विस्तरीय निवेश के संबंध में प्रतिबंध पूर्ववत् बने रहेंगे ।

6. रिज़र्व बैंक की सावधानी / चूककर्ता की सूची में शामिल कंपनियों के लिए स्वचालित मार्ग की सुविधा की अनुपलब्धता की शर्त जारी रहेगी।

7. विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम (विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली 2000 में वांछित संशोधन अलग से जारी किया जा रहा है।

8. प्राधिकृत व्यापारी इस परिपत्र की विषय-वस्तु की जानकारी अपने सभी संबंधित ग्राहकों को दे दें।

9. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं।

भवदीय,

(ग्रेस कोशी)
मुख्य महा प्रबंधक

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