प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा उधार - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा उधार
आरबीआइ/2006-07/338
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.42
अप्रैल 23, 2007
सेवा में
सभी प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक
महोदया/महोदय,
प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा उधार
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान प्राधिकृत व्यापारी बैंकों द्वारा समुद्रपारीय विदेशी मुद्रा उधार के संबंध में वर्ष 2006-07 के लिए अक्तूबर 31, 2006 को घोषित वार्षिक नीति के मध्यावधि समीक्षा की ओर आकर्षित किया जाता है (पैरा 97 संलग्न)।
2. प्रचलित बाज़ार की स्थितियों और चलनिधि पर संभावित प्रभाव को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि नीतिगत घोषणा के परिचालन को आस्थगित रखा जाए।
भवदीय
(सलीम गंगाधरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक
संलग्नक
अप्रैल 23, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.42 का संलग्नक
वर्ष 2006-07 की वार्षिक नीति की मध्यावधि समीक्षा का पैरा 97
समुद्रपार से बैंक के उधार : वृद्धि
समुद्रपारीय निधियों तक पहुंचने के लिए प्राधिकृत व्यापारियों को और लोच प्रदान करने के दृष्टि से निम्नलिखित उदारीकरण प्रस्तावित हैं :
• अब से प्राधिकृत व्यापारी बैंक अपने समुद्रपारीय शाखाओं और संपर्की बैंकों से (निर्यात ऋण के वित्तपोषण के लिए उधार, बाह्य वाणिज्यिक उधार और अपने प्रधान कार्यालय/ नॉॉााट खाते से ओवरड्राफ्ट सहित) अपने 25 प्रतिशत की पूर्ववर्ती समग्र सीमा (निर्यात ऋण के वित्तपोषण के लिए उधार को छोड़कर) की तुलना में अक्षत टीयर I पूंजी के 50 प्रतिशत अथवा 10 मिलियन अमरीकी डॉलर तक, जो भी अधिक हो, निधियां उधार ले सकते हैं। फिर भी, एक वर्ष या उससे कम की अवधि के लिए अल्पावधि उधार 50 प्रतिशत की समग्र सीमा के अंदर अक्षत टीयर I पूंजी के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
• टीयर II पूंजी के रूप में भारत में विदेशी बैंकों के प्रधान कार्यालयों द्वारा उनकी शाखाओं में रखे गए गौण ऋण ऋण के रूप में सभी उधार, नवीन बेमीयादी ऋण लिखतों के निर्गम द्वारा जुटाई/ संवर्धित पूंजी निधियां और भारतीय रिज़र्व बैंक के विशिष्ट अनुमोदन से अन्य समुद्रपारीय उधार पहले की तरह 50 प्रतिशत की सीमा के बाहर होगी।
• इन सीमाओं को गैर विघटनकारी तरीके से क्रमबद्ध करने के लिए बैंक जिनके समुद्रपारीय उधार संशोधित विवेकसम्मत सीमा से अधिक है, इन सीमाओं के अनुपालन के लिए प्रस्तावित रूपरेखा के साथ रिज़र्व बैंक से संपर्क करें।