म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेश - उदारीकरण - आरबीआई - Reserve Bank of India
म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेश - उदारीकरण
आरबीआइ/2007-08/149
ए पी(डीआइआर सिरीज़)परिपत्र सं.12
सितंबर 26, 2007
सेवा में
सभी श्रेणी-I प्राधिकृत व्यापारी बैंक
महोदया/महोदय,
म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेश - उदारीकरण
प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं.फेमा 120/आरबी-2004 डविदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा निर्गम) विनियमावली, 2004 के विनियम 6इ और विनियम 26 और अप्रैल 29, 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं 97, जुलाई 26, 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3, नवंबर 16, 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.11, मई 8, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.53 और जून 8, 2007 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.72 की ओर आकर्षित किया जाता है।
2. सेबी के पास पंजीकृत म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेशों के प्रावधानों को तत्काल प्रभाव से निम्नानुसार और उदार बनाया गया है :
क) सकल सीमा को बढ़ाना
सेबी के पास पंजीकृत म्यूचुअल फंडों द्वारा समुद्रपारीय निवेशों की सकल सीमा को तत्काल प्रभाव से 4 बिलियन अमरीकी डॉलर से बढ़ाकर 5 बिलियन अमरीकी डॉलर कर दिया गया है। समुद्रपारीय एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों में योग्य भारतीय म्यूचुअल फंडों की एक सीमित संख्या को संचयी रूप से एक बिलियन अमरीकी डॉलर तक के निवेश की वर्तमान सुविधा, जैसी सेबी द्वारा अनुमति दी जाए, जारी रहेगी।
ख) समुद्रपारीय निवेशों के लिए और अधिक मार्ग
सेबी के पास पंजीकृत म्यूचुअल फंडों को वर्तमान में भारतीय और विदेशी कंपनियों के एडीआर/ जीडीआर, प्रामाणिक/ पंजीकृत साख निर्धारक एजेंसियों द्वारा निवेश श्रेणी से कम न आंके गए श्रेणीकृत ऋण लिखतों, विदेशों में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध समुद्रपारीय कंपनियों की ईक्विटी में, समुद्रपारीय म्यूचुअल फंडों में, जो नाममात्र का निवेश (कहें निवल परिसंपत्ति मूल्य के 10 प्रतिशत तक) करते हैं और समुद्रपारीय एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों, जो प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं, में निवेश करने की अनुमति है। म्यूचुअल फंडों द्वारा विदेश में भारी मात्रा में निवेश योग्य स्टॉक का दोहन कराने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि म्यूचुअल फंडां को भी सेबी द्वारा जारी मार्गदर्शी सिद्धांतों के अधीन अतिरिक्त लिखतों में निवेश की अनुमति दी जाए।
तदनुसार, सेबी के पास पंजीकृत म्यूचुअल फंडों को निम्नलिखित में निवेश की अनुमति दी जाती है
i) भारतीय अथवा विदेशी कंपनियों द्वारा जारी एडीआर/ जीडीआर;
ii) विदेशों में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध विदेशी कंपनियों की ईक्विटी;
iii) विदेशों में मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होने के लिए सार्वजनिक प्रस्तावों को शुरू करना और जारी रखना;
iv) पूर्ण परिवर्तनीय मुद्रावाले देशों में विदेशी ऋण प्रतिभूतियां, अल्पावधि और दीर्घावधि ऋण लिखतें जिनकी रेटिंग प्रामाणिक/ पंजीकृत साख निर्धारण एजेंसियों द्वारा निवेश श्रेणी से में कम नहीं आंकी गई है;
v) निवेश ग्रेड से कम न आंकी गई मुद्रा बाज़ार लिखतें;
vi) निवेश के रूप में रिपो, जहां प्रतिपक्षी को निवेश ग्रेड से कम नहीं आंका जाता है। फिर भी, रिपो म्यूचुअल फंडों द्वारा फंडों के किसी उधार को शामिल न करे;
vii) सरकारी प्रतिभूतियां, जहां देशों को निवेश श्रेणी से कम नहीं आंका जाता है।
viii) केवल हेजिंग और पोर्टफोलियो के संतुलन के लिए विदेशों में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में व्यापारित डेरिवेटिव्स जिनका अंडरलाइंग प्रतिभूति हो;
ix) विदेशों में बैंकों के पास अल्पावधि जमा राशि जहां जारीकर्ता को निवेश श्रेणी से कम नहीं आंका जाता है;
x) विदेशी म्यूचुअल फंड अथवा समुद्रपारीय विनियामकों के पास पंजीकृत यूनिट ट्रस्ट द्वारा जारी यूनिट्स/ प्रतिभूतियां और (क) उपर्युक्त प्रतिभूतियों, (ख) विदेश में मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध जमीन जायदाद निवेश ट्रस्ट, अथवा (ग) असूचीबद्ध विदेशी प्रतिभूतियों (उनके निवल परिसंपत्तियों के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं) में निवेश।
4. जुलाई 26, 2006 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.3 द्वारा अनुबद्ध और जून 9, 2007 के संशोधित ए.पी. (डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.72 द्वारा आशोधित किए गए अनुसार रिज़र्व बैंक को मासिक रिपोर्टिंग की आवश्यकता सांख्यिकीय प्रयोजन हेतु निवेश के उपर्युक्त अतिरिक्त श्रेणियों को शामिल करने के लिए उचित आशोधनों के साथ जारी रहेंगी। प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी-I बैंक नोट करें कि अगले महीने की 10 तारीख को अथवा उससे पहले रिज़र्व बैंक को मासिक रिपोर्ट प्रस्तुत करना है। रिपोर्ट प्रस्तुत न करने को बैंक गंभीरता से लेगा।
5. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी I बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित घटकों और ग्राहकों को अवगत करा दें।
6. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।
?ावदीय
(सलीम गंगाधरन)
मुख्य महाप्रबंधक