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समुद्रपारीय निवेश : उदारीकरण

आरबीआइ/2005-06/338
ए.पी.(डीआइआर सिरीज़) परिपत्र सं.29

मार्च 27, 2006

सेवा में
विदेशी मुद्रा का कारोबार करने के लिए प्राधिकृत सभी बैंक

महोदया/महोदय

समुद्रपारीय निवेश : उदारीकरण

प्राधिकृत व्यापारी बैंकों का ध्यान समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं.फेमा.120/आरबी-2004 की ओर आकर्षित किया जाता है। भारत स्थित कंपनियों को और अधिक परिचालन लोचकता प्रदान करने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि विभिन्न विनियमों को निम्नानुसार और अधिक उदार बनाया जाए :

2. गारंटियां

वर्तमान में केवल प्रवर्तक कंपनियों को स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत संयुक्त उद्यमों/ पूर्ण स्वामित्ववाले सहायक कंपनियों की ओर से गारंटी देने की अनुमति है तथा वैयक्तिक, संपार्श्विक और तीसरी पार्टी गारंटी जारी करने के लिए रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन की आवश्यकता होती है और रिज़र्व बैंक मामला-दर-मामला आधार पर विचार करता है।

प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए स्वत: अनुमोदित मार्ग के तहत आनेवाले गारंटियों के क्षेत्र को अब और अधिक विस्तरित करने का निर्णय लिया गया है। तदनुसार भारतीय कंपनियां भारत में गारंटी के किसी भी रूप में कंपनी अथवा वैयक्तिक/ प्राथमिक अथवा संपार्श्विक/ प्रवर्तक कंपनी, समूह कंपनी, सहायक संस्था अथवा सहयोगी कंपनी द्वारा गारंटी का प्रस्ताव दे सकती हैं, बशर्ते :

क) गारंटियों के सभी प्रकार सहित सभी "वित्तीय प्रतिबद्धताएं" भारतीय पार्टी के समुद्रपारीय निवेश के लिए निर्धारित समग्र सीमा के अंदर हैं अर्थात् वर्तमान में निवेशकर्ता कंपनी (भारतीय पाटी) के निवल मालियत के 200 प्रतिशत के अंदर है।

ख) कोई भी गारंटी "निर्बंध" नहीं है अर्थात् गारंटी की राशि विनिर्दिष्ट वैध होनी चाहिए, तथा

ग) कंपनी गारंटी के मामले में सभी गारंटियां फार्म ओडीआर में भारतीय रिज़र्व बैंक को रिपोर्ट की जाएं।

यह स्पष्ट किया जाता है कि भारत के बाहर स्थित पूर्ण स्वामित्ववाले सहायक कंपनियों/संयुक्त उद्यमों के पक्ष में भारत स्थित बैंकों द्वारा जारी गारंटियां इस सीमा के बाहर तथा समय-समय पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी विवेकपूर्ण मानदंडों के अधीन होंगी।

  1. विनिवेश के लिए सामान्य अनुमति

समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 के विनियम 16 के अनुसार वर्तमान में "बट्टे खाते डालने" वाले सभी विनिवेशों अर्थात् जहां विनिवेश पर प्रत्यावर्तित राशि मूल निवेश राशि से कम है, रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन की आवश्यकता है।

कंपनियों को अपने वाणिज्यिक विवेक के अनुसार परिचालन लोच में सक्षम बनाने के लिए यह निर्णय लिया गया है कि विनिवेश के स्वत: अनुमोदित मार्ग को और उदार बनाया जाए। तदनुसार भारतीय पार्टियां निम्नलिखित श्रेणियों में रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन के बगैर विनिवेश कर सकती हैं।

    1. ऐसे मामलों में जहां संयुक्त उद्यमों/ पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनियां समुद्रपारीय स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं।

वव) ऐसे मामलों में जहां भारतीय प्रवर्तक कंपनी भारत में स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध तथा जिसकी निवल मालियत 100 करोड़ रुपये से कम नहीं है।

ववव) जहां भारतीय प्रवर्तक गैर सूचीबद्ध कंपनी है तथा समुद्रपारीय उद्यमों में जिनका निवेश 10 मिलियन डॉलर से अधिक नहीं है।

भारतीय पार्टी को विनिवेश की तारीख से 30 दिनों के अंदर अपने नामित प्राधिकृत व्यापारी के माध्यम से विनिवेश के ब्योरे प्रस्तुत करना आवश्यक है।

  1. समुद्रपाीय निवेश - स्वामित्ववाली कंपनियां

समय-समय पर यथासंशोधित जुलाई 7, 2004 की अधिसूचना सं. फेमा 120/आरबी-2004 के अनुसार भारत में कंपनी अथवा संसद के किसी अधिनियम के तहत सृजित कोई निकाय अथवा भारतीय साझेदारी अधिनियम 1932 के तहत पंजीकृत साझेदारी फर्म अथवा रिज़र्व बैंक द्वारा यथा अधिसूचित कोई अन्य कंपनी विदेश स्थित पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी/संयुक्त उद्यम में निवेश के लिए पात्र है।

प्रमाणित पिछले कार्य निष्पादन रिकार्ड और सतत अच्छे निर्यात कार्यनिष्पादन वाले मान्यता प्राप्त स्टार निर्यातकों को वैश्वीकरण के लाभ पहुंचाने के साथ ही उदारीकरण के लिए यह निर्णय लिया गया है कि स्वामित्व/ गैर पंजीकृत साझेदारी फर्मों को रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन से भारत से बाहर पूर्ण स्वामित्ववाली सहायक कंपनी/संयुक्त उद्यम स्थापित करने की अनुमति दी जाए। संलग्नक में दिए गए पात्रता मानदंड को पूरा करनेवाले स्वामित्व/ गैर पंजीकृत साझेदारी फर्में ओडीआइ फार्म में आवेदन अपने प्राधिकृत व्यापारी बैंक के माध्यम से मुख्य महाप्रबंधक, भारतीय रिज़र्व बैंक, विदेशी मुद्रा विभाग, समुद्रापारीय निवेश प्रभाग, केन्द्रीय कार्यालय, अमर भवन, तीसरी मंजिल, फोर्ट, मुंबई 400 001 को प्रस्तुत करें। तदनुसार प्राधिकृत व्यापारी बैंक पात्र पार्टियों से प्राप्त ऐसे निवेश प्रस्ताव को अपनी टिप्पणियों/ सिफारिशों के साथ रिज़र्व बैंक को विचारार्थ भेजें। ऐसे निवेशों का अनुमोदन सामान्य रिपोर्टिंग तंत्र के अधीन होगा।

4. विदेशी मुद्रा प्रबंध (किसी विदेशी प्रतिभूति का अंतरण अथवा जारी करना) विनियमावली, 2004 में आवश्यक संशोधन अलग से जारी किए जा रहे हैं।

6. प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999 (1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं और अन्य किसी कानून के अंतर्गत अपेक्षित अनुमति/ अनुमोदन, यदि कोई हो, पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बगैर है।

भवदीय

 

(विनय बैजल)

मुख्य महाप्रबंधक


संलग्नक

डमार्च 27, 2006 के ए.पी.डीआइआर(सिरीज़) परिपत्र सं.29 का संलग्नक

 

प्रतिष्ठित स्वामित्ववाले अथवा गैर-पंजीकृत साझेदारी निर्यातक फर्मों द्वारा भारत से बाहर निवेश प्रस्तावों पर विचार करने के लिए मानदंड

 

i) साझेदारी/ स्वामित्ववाला फर्म, विदेशी व्यापार महानिदेशालय द्वारा मान्यता प्रात स्टार निर्यात गृह (प्रति वर्ष 15 करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात) है।

ii) प्राधिकृत व्यापारी बैंक इस बात से संतुष्ट है कि निर्यातक अपने ग्राहक को जानिए का अनुपालन करता है, प्रस्तावित व्यापार मे लगा हुआ है तथा यथादर्शाए गए अनुसार उसका कुल कारोबार है।

iii) निर्यात का प्रमाणित पिछला कार्य निष्पादन रिकार्ड है अर्थात् निर्यात बकाया पिछले 3 वर्षों के औसत निर्यात वसूली के 10 प्रतिशत से अधिक नहीं है।

iv) प्रवर्तन निदेशालय, केन्द्रीय जांच ब्यूरो जैसी किसी सरकारी एजेंसी ने निर्यातक पर प्रतिकूल टिप्पणी नहीं दी है तथा रिज़र्व बैंक की सतर्कता सूची अथवा भारत में बैंकिंग प्रणाली के चूककर्ता सूची में निर्यातक का नाम नहीं है।

v) भारत से बाहर निवेश की राशि पिछले 3 वर्षों के निर्यात वसूली के औसत का 10 प्रतिशत अथवा फर्म की स्वाधिकृत निवल निधियों के 20 प्रतिशत, जो भी कम हो, से अधिक नहीं है।

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