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समुद्रपारीय निवेश

भारतीय रिज़र्व बैंक
विदेशीमुद्रानियंत्रणविभाग
केंद्रीय कार्यालय
मुंबई 400 001

ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.97

29 अप्रैल 2003

विदेशी मुद्रा के सभी प्राधिकृत व्यापारी

महोदया/महोदय

समुद्रपारीय निवेश

1. कंपनियां/व्यक्तिगत

प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान 13 जनवरी 2003 के ए.पी.(डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.66 की ओर आकर्षित किया जाता है, जिसके अनुसार,भारत में किसी मान्यताप्राप्त स्टॉक एक्स्चेंज  में सूचीबध्द भारतीय कंपनियों में  न्यूनतम 10 प्रतिशत की शेयर धारिता वाली भारतीय कंपनियों और निवासी  व्यक्तियों को सूचीबध्द विदेशी कंपनियों की ईक्विटी में निवेश करने की अनुमति है ।

इसके आगे और उदारीकरण के उपाय के रुप में, अब यह निर्णय लिया गया है कि भारतीय कंपनियों और निवासी  व्यक्तियों को निर्धारित बांडों /नियत आय प्रतिभूतियों में भी यथा लागू संबंधित उच्चतम सीमा के भीतर निवेश करने के लिए अनुमति दी जाए । अल्पावधि दायित्वों के लिए न्यूनतम दर-निर्धारण स्टैंडर्ड एण्ड पुअर की ए-1/एएए अथवा मूडीज़ की पी-1/एएए अथवा एफआइटीसीएच आइबीसीए की एएए और दीर्घावधि दायित्वों के लिए तदनुरुपी दर-निर्धारण होना चाहिए ।

2. म्युच्युअल फंडों द्वारा निवेश

वर्तमान में, भारतीय म्युच्युअल फंडों को भारतीय कंपनियों के एडीआर/जीडीआर में और 1.0 (एक) बिलियन अमरीकी डॉलर की समग्र सीमा के भीतर निर्धारित ऋण/ईक्विटी लिखतों में निवेश करने के लिए अनुमति दी गयी है । इस सुविधा का लाभ उठाने के इच्छुक म्युच्युअल फंड इस विषय में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के बाद फेमा 1999 के तहत रिज़र्व बैंक से संपर्क करें ।

अब यह निर्णय लिया गया है कि सामान्य अनुमति प्रदान की जाए और फेमा 1999 के तहत रिज़र्व बैंक से अलग से अनुमति प्राप्त करने की अपेक्षा समाप्त कर दी जाए । तदनुसार, इस सुविधा का लाभ उठाने के लिए इच्छुक  और ऐसे निवेश के लिए भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी)से अनुमोदन लेने के  बाद म्युच्युअल फंडों  को रिज़र्व बैंक से अलग से अनुमति प्राप्त करना आवश्यक नहीं है ।

3. दिनांक 28 अप्रैल 2003 के ए.पी. (डीआइआर सिरीज) परिपत्र सं.96 के जरिये निर्धारित रिज़र्व बैंक को मासिक रिपोर्टिंग की आवश्यकता बनी रहेंगी ।

4.  विदेशी मुद्रा प्रबंध   विनियमावली, 2000 में जहां आवश्यक हो,  आवश्यक संशोधन अलग से जारी किये जा रहे हैं ।

6. प्राधिकृत व्यापारी श्रेणी -। बैंक इस परिपत्र की विषयवस्तु से अपने निर्यातक घटकों को  और संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दें ।

7. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा अधिनियम,1999 (1999का42) की धारा 10 (4) और धारा 11 (1) के अंतर्गत जारी किये गये हैं  ।

भवदीया

(ग्रेस कोशी)
मुख्य महाप्रबंधक

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