बैंकों द्वारा पेंशन निधि प्रबंध (पीएफएम) - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा पेंशन निधि प्रबंध (पीएफएम)
आरबीआइ/2006-07/446
बैंपविवि. सं. एफएसडी. बीसी. 102 /24.01.022/2006-07
28 जून 2007
7 आषाढ़ 1929 (शक)
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय
बैंकों द्वारा पेंशन निधि प्रबंध (पीएफएम)
बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 6 की उप-धारा (1) के खंड (ओ) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए भारत सरकार ने 24 मई 2007 को अधिसूचना एफ. सं. 13/6/2005 - बीओए जारी की है जिसमें "पेंशन निधि के प्रबंधक के रूप में कार्य करने" को एक कारोबार के तौर पर विनिर्दिष्ट किया गया है जिसे कोई बैंकिंग कंपनी विधिसम्मत रूप से कर सकती है। तदनुसार, बैंक इस प्रयोजन के लिए स्थापित सहायक कंपनियों के माध्यम से पेंशन निधि प्रबंध (पीएफएम) का कार्य कर सकते हैं बशर्ते वे पेंशन निधि प्रबंधक के लिए पीएफआरडीए द्वारा निर्धारित पात्रता के मानदंड पूरी करती हों । पेंशन निधि प्रबंधक का कार्य विभागीय स्तर पर नहीं करना चाहिए । पेंशन निधि प्रबंध प्रारंभ करने के इच्छुक बैंकों को परिशिष्ट में दर्शाए गए दिशानिर्देश के अनुसार, ऐसा कारोबार शुरू करने से पहले रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी चाहिए। अतएव बैंक अनुबंध में उल्लिखित विभिन्न पात्रता मानदंडों के संबंध में तथा सहायक कंपनी में किए जानेवाले प्रस्तावित इक्विटी अंशदान के संबंध में पूर्ण ब्योरे सहित आवश्यक आवेदन पत्र हमें प्रस्तुत करें । इस संबंध में बोर्ड का नोट तथा इस संबंध में तैयार की गई अर्थक्षमता रिपोर्ट सहित बैंक के प्रस्ताव का अनुमोदन करते हुए पारित किया गया संकल्प भी हमें प्रेषित किया जाए ।
भवदीय
(पी. विजय भास्कर)
मुख्य महाप्रबंधक
पेंशन निधि प्रबंधक के रूप में कार्य करनेवाले बैंकों के लिए दिशानिर्देश
1. पात्रता मानदंड
बैंक केवल अपनी सहायक कंपनियों के माध्यम से ही पेंशन निधि प्रबंध (पीएफएम) का कार्य प्रारंभ कर सकते हैं — पेंशन निधि प्रबंध विभागीय स्तर पर नहीं किया जाना चाहिए — बैंक, पेंशन निधि प्रबंध के लिए गठित अपनी सहायक कंपनियों को विशेष सुविधा देने के लिए अपने ब्रांड नाम और संबद्ध लाभों का उपयोग करने के लिए अपने नाम/आद्यक्षर दे सकते हैं बशर्ते बैंक अपनी सहायक कंपनियों से उचित दूरी बनाए रखें। इस कारोबार से संबद्ध जोखिमों के विरुद्ध पर्याप्त सुरक्षा उपाय करने के लिए तथा सिर्फ मजबूत और विश्वसनीय बैंकों की पेंशन निधि प्रबंध के कारोबार में प्रविष्टि सुनिश्चित करने के लिए निम्नलिखित पात्रता मानदंड (तथा पीएफआरडीए द्वारा निर्धारित शोधक्षमता मार्जिन) का अनुपालन करनेवाले बैंक पेंशन निधि प्रबंध के कारोबार में प्रवेश करने की आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के लिए रिज़र्व बैंक से संपर्क कर सकते हैं ।
(i) बैंक की निवल मालियत 500 करोड़ रुपये से कम नहीं होनी चाहिए ।
(ii) पिछले 3 वर्षों के दौरान जोखिम भारित परिसंपत्ति की तुलना में पूंजी का अनुपात (सीआरएआर) 11 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए ।
(iii) पिछले तीन वर्षों में बैंक ने लगातार निवल लाभ प्राप्त किया हो ।
(iv) आस्तियों पर प्रतिफल (आरओए) कम-से-कम 0.6 प्रतिशत या अधिक होना चाहिए ।
(v) निवल अनर्जक आस्तियों का स्तर 3 प्रतिशत से कम होना चाहिए ।
(vi) बैंक की कोई सहायक कंपनी/कंपनियां हो तो उनका कार्य निष्पादन संतोषजनक होना चाहिए ।
(vii) रिज़र्व बैंक की एएफआई रिपोर्ट के अनुसार बैंक के निवेश संविभाग का प्रबंध अच्छा होना चाहिए तथा इस रिपोर्ट में पर्यवेक्षीय चिन्ता से संबंध्ंाति कोई विपरीत टिप्पणी /टिप्पणियां नहीं होनी चाहिए ।
2. पेंशन निधि सहायक कंपनी - सावधानी
पेंशन निधि प्रबंधकों के लिए पीएफआरडीए द्वारा निर्धारित मानदंडों के साथ उपर्युक्त पात्रता मानदंड पूरे करनेवाले बैंकों को पेंशन निधि प्रबंध के लिए सहायक कंपनियां स्थापित करने की अनुमति दी जाएगी बशर्ते निम्नलिखित शर्तों का पालन किया जाए :
- बैंक को सहायक कंपनी स्थापित करने के उद्देश्य से इक्विटी में निवेश करने के लिए रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमति प्राप्त करनी चाहिए — सहायक कंपनी में अपनी शेयरधारिता का अंतरण करने या इस संबंध में अन्य कोई कार्रवाई करने के लिए भी रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमति लेनी होगी ।
- सहायक कंपनी के निदेशक मंडल का गठन विस्तृत आधार पर होना चाहिए तथा यदि पीएफआरडीए द्वारा निर्धारित कोई दिशानिर्देश हो तो उनके अनुरूप होना चाहिए।
- मूल बैंक अपनी सहायक कंपनी से उचित दूरी बनाए रखें । बैंक और सहायक कंपनी के बीच कोई लेनदेन बाज़ार आधारित मूल्यों पर होना चाहिए ।
- बैंक द्वारा सहायक कंपनी में और अधिक इक्विटी अंशदान रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति से तथा उसकी अपनी चुकता पूंजी और रिज़र्व के 10 प्रतिशत तक ही सीमित होना चाहिए ।
- बैंक की वर्तमान सहायक कंपनियों, प्रस्तावित पेंशन निधि सहायक कंपनी तथा भविष्य में बनाई जानेवाली सहायक कंपनी में इक्विटी अंशदान के द्वारा कुल निवेश और अन्य वित्तीय सेवा कंपनियों में संविभाग निवेश मिलाकर उसकी चुकता पूंजी और रिज़र्व के 20 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए ।
- मूल बैंक के निदेशक मंडल द्वारा सहायक कंपनियों सहित समस्त समूह के लिए व्यापक जोखिम प्रबंध नीति बनायी चाहिए जिसमें वास्तविक जोखिम प्रबंध के साधन शामिल हों । उसे उनका प्रभावी कार्यान्वयन भी सुनिश्चित करना चाहिए ।
- सहायक कंपनी के परिचालन की निगरानी करने के लिए बैंक को एक समुचित प्रणाली विकसित करनी चाहिए ।
- सहायक कंपनी को पेंशन निधि प्रबंध के कारोबार तथा ऐसा अन्य कारोबार जो पूर्णतया प्रासंगिक और उससे सीधे संबंधित हो, तक ही सीमित रहना चाहिए ।
- पेंशन निधि सहायक कंपनी को रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति के बगैर अन्य सहायक कंपनी नहीं बनानी चाहिए ।
- सहायक कंपनी को रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति के बगैर कोई नई कंपनी जो उसकी सहायक कंपनी नहीं है, को प्रवर्तित नहीं करना चाहिए ।
- रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति के बगैर सहायक कंपनी को नियंत्रक हित प्राप्त करन ट के उद्देश्य से अन्य वर्तमान कंपनी में संविभाग निवेश नहीं करना चाहिए ।
- बैंक को रिज़र्व बैंक को एक कारोबार योजना प्रस्तुत करनी चाहिए जिसमें सहायक कंपनी के पहले 5 वर्षों के कारोबार अनुमान विशेष रूप से उल्लिखित हों ताकि यह पता लगाया जा सके कि सहायक कंपनी पीएफआरडीए द्वारा निर्धारित किए जानेवाले शोधक्षमता मार्जिन का अनुपालन कर पाने में समर्थ है तथा अपनी पूंजी बढ़ाने के लिए बैंक के पास वापस नहीं आएगी ।
- रिज़र्व बैंक द्वारा किसी बैंक को सहायक कंपनी स्थापित करने के लिए दी गई अनुमति का पीएफआरडीए द्वारा पेंशन निधि प्रबंध कारोबार करने के लिए सहायक कंपनी को दी जाने वाली अनुमति के निर्णय पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
- सहायक कंपनी को पेंशन निधि प्रबंध पर पीएफआरडीए द्वारा समय-समय पर जारी सभी अनुदेश, दिशानिर्देश आदि का पालन करना चाहिए ।
- बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सहायक कंपनी का बैंक के ग्राहकों के खातों तक ऑन-लाइन पहुँच नहीं है ।
- बैंक की प्रणाली अखंडता को बनाए रखने के लिए बैंक की प्रणालियों तथा सहायक कंपनियों की प्रणालियों के बीच पर्याप्त सुरक्षा उपाय स्थापित किये जाने चाहिए ।
- जहां भी लागू हो बैंक को "वित्तीय महासमूह " रूपरेखा के अंतर्गत निर्धारित रिपोर्टिंग अपेक्षाओं का कड़ाई से अनुपालन करना चाहिए ।
- रिज़र्व बैंक के पूर्व अनुमोदन के बगैर बैंक को संयुक्त उद्यम या सहायक कंपनी को प्रतिभूतिरहित अग्रिम मंजूर नहीं करना चाहिए ।