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धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 - उसके अन्तर्गत अधिसूचित नियमों के अनुसार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का दायित्व

आरबीआइ / 2005-06 / 321
ग्राआऋवि.केका.आरआरबी.एएमएल.बीसी. 68/03.05.33(ई)/2005-06

9 मार्च 2006

सभी क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्ष

महोदय,

धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 - उसके अन्तर्गत अधिसूचित नियमों के अनुसार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का दायित्व

कृपया "अपने ग्राहक को जानिए" (केवाइसी) संबंधी दिशा-निर्देशों तथा धन शोधन निवारण के मानदंडों पर 18 फरवरी 2005 का हमारा परिपत्र ग्राआऋवि.सं.आरआरबी.बीसी. 81/03.05.33(ई)/2004-05 देखें । क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया गया था कि परिपत्र की तारीख से तीन महीनों के भीतर एक नीतिगत ढाँचा तैयार करें तथा यह सुनिश्चित करें कि 31 दिसंबर 2005 तक क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा उक्त परिपत्र में निहित प्रावधानों का पूर्णत: अनुपालन किया गया है । क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्षों को सूचित किया गया था कि वे इस संबंध में प्रगति की व्यक्तिगत तौर पर निगरानी रखें तथा यह सुनिश्चित करने के लिए यथोचित कदम उठाएँ कि संबंधित प्रणालियाँ तथा प्रक्रियाएँ सही ढंग से काम कर रही हैं तथा अनुदेश परिचालन स्तर तक पहुँच गए हैं । यह भी सुनिश्चित किया जाए कि गंभीर चूक तथा निर्धारित प्रक्रियाओं और दिशानिर्देशों के संबंध में जानबुझकर कपटपूर्ण व्यवहार के मामलों के संबंध में जिम्मेदारी निश्चित करने के लिए एक उचित प्रणाली विद्यमान है ।

2. इसके अतिरिक्त, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का ध्यान हमारे उपर्युक्त परिपत्र के साथ संलग्न पैरा 4 से 9 तक की ओर भी आकर्षित किया जाता है जिसके अनुसार क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया गया था कि वे एक प्रधान अधिकारी की नियुक्ति करें तथा संदिग्ध लेनदेनों और 10 लाख रुपये और उससे अधिक राशि के नकद लेनदेनों की आंतरिक रिपोर्टिंग की एक प्रणाली शुरु करें । इस संबंध में हम सूचित करते हैं कि भारत सरकार, वित्त मंत्रालय , राजस्व विभाग ने भारत के राजपत्र में 1 जुलाई 2005 की एक अधिसूचना जारी की जिसमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के अंतर्गत नियमावली को अधिसूचित किया गया । इन नियमों के अनुसार धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 के उपबंध 1 जुलाई 2005 से प्रभावी हो गये । धनशोधन निवारण अधिनियम की धारा 12 के अनुसार बैंकिंग कंपनियों पर ग्राहकों के खातों की सूचना के परिरक्षण और रिपोर्टिंग के संबंध में कुछ दायित्व रखे गये हैं । अत: क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे धनशोधन निवारण अधिनियम, 2002 और उसके अंतर्गत बनाये गये नियमों के उपबंध पढ़ें तथा उक्त अधिनियम की धारा 12 की अपेक्षाओं का अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक समझे जानेवाले सभी कदम उठाएँ ।

3. लेनदेनों के रिकार्डों का रखरखाव

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को चाहिए कि वे नियम 3 के अंतर्गत निर्धारित लेनदेनों का उचित रिकार्ड रखने की प्रणाली शुरु करें जैसा कि नीचे बताया गया है :

(i) विदेशी मुद्रा में दस लाख रुपये से अधिक मूल्य वाले अथवा उसके समकक्ष मूल्य के सभी नकद लेनदेन ;

(ii) समग्र रुप में एक दूसरे से संबध्द नकद लेनदेनों की सभी श्रृंखलाएँ जिनका मूल्यांकन विदेशी मुद्रा में दस लाख रुपये से कम अथवा उसके समकक्ष किया गया है जहाँ ऐसे लेनदेन एक महीने के भीतर घटित हुए हैं और ऐसे लेनेदनों का कुल मूल्य दस लाख रुपये से अधिक हो जाता है ;

(iii) ऐसे सभी नकद लेनदेन जहाँ नकली और जाली करेंसी नोटों या बैंक नोटों का प्रयोग असली नोटों के रुप में किया गया है तथा जहाँ किसी मूल्यवान प्रतिभूति की जालसाजी की गई है ;

(iv) सभी संदिग्ध लेनदेन चाहे नकदी में किये गये हैं या नहीं तथा उक्त नियमों के अंतर्गत उल्लिखित रुप में किये गये हैं ।

4. परिरक्षण की जानेवाली सूचना

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों से अपेक्षित है कि वे नियम 3 में उल्लिखित लेनदेनों के संबंध में निम्नलिखित सूचना का परिरक्षण करें :

(i) लेनदेनों का स्वरुप ;
(ii) लेनदेन की राशि और वह मुद्रा जिसमें उसका मूल्यवर्गीकरण किया गया;
(iii) वह तारीख जब वह लेनदेन संचालित किया गया;
(iv) तथालेनदेन के पक्षकार ।

5. रिकार्डों का परिरक्षण और रखरखाव

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक, लेखों संबंधी सूचना के उचित रखरखाव और परिरक्षण की ऐसी प्रणाली विकसित करें ताकि इससे आवश्यकता पड़ने पर या जब भी सक्षम प्राधिकारियों द्वारा इनके लिए अनुरोध किया जाए तब आसानी से और तुरंत आँकड़े पुन: प्राप्त हो सकें । इसके अलावा बैंक, ग्राहक और बैंक के बीच लेनदेन के बंद होने की तारीख से कम से कम दस वर्षों तक घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों प्रकार के लेनदेनों के सभी आवश्यक रिकार्डों का अनुरक्षण करें, जिससे अलग-अलग लेनदेनों के पुननिर्माण (शामिल राशि तथा यदि कोई विदेशी मुद्रा हो तो उसके प्रकार सहित) में मदद मिलेगी ताकि यदि जरुरत पड़े तो आपराधिक गतिविधियों के अभियोजन के लिए साक्ष्य प्रदान किया जा सके ।

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक यह सुनिश्चित करें कि गा्रहक द्वारा खाता खोलते समय तथा कारोबारी संबंध बने रहने के दौरान उसकी पहचान और पते के संबंध में प्राप्त अभिलेख (जैसे पासपोर्टों, पहचान पत्रों, ड्राइविंग लाइसेंसों, पैन, उपभोक्ता बिलों जैसे दस्तावेजों आदि की प्रतिलिपियाँ) कारोबारी संबंध के समाप्त हो जाने के बाद कम से दस वर्ष तक उचित रुप में सुरक्षित रखे जाएँ । सक्षम प्राधिकारियों द्वारा अनुरोध किए जाने पर पहचान के रिकार्ड और लेनदेन के आँकड़े उन्हें उपलब्ध कराए जाने चाहिए ।

6. वित्तीय गुप्तचर इकाई - भारत को रिपोर्टिंग :

यह सूचित किया जाता है कि पीएमएलए नियमों के अनुसार बैंकों से अपेक्षित है कि वे नकदी और संदेहास्पद लेनदेनों की सूचना निम्नांकित पते पर निदेशक, वित्तीय गुप्तचर इकाई - भारत (एफआइयू-आइएनडी) को दें :

निदेशक, एफआइयू - आइएनडी,
फाइनैंशियल इंटेलिजेंस यूनिट - इंडिया,
6ठी मंजिल, होटल सम्राट,
चाणक्यपुरी,
नई दिल्ली - 110021

क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक सभी रिपोर्टिंग फार्मेटों को ध्यान से पढें । कुल मिलाकर पाँच रिपोर्टिंग फार्मेट हैं अर्थात (व) नकदी लेनदेनों की मैन्युअल रिपोर्टिंग (वव) संदेहास्पद लेनदेनों की मैन्युअल रिपोर्टिंग (ववव) बैंक के प्रधान अधिकारी द्वारा नकदी लेनदेनों की समेकित रिपोर्टिंग (वख्) नकदी लेनदेनों की रिपोर्टिंग के लिए इलेक्ट्रॉनिक डाटा संरचना और (ख्) संदेहास्पद लेनदेनों की रिपोर्टिंग के लिए इलेक्ट्रानिक डाटा संरचना जो इस परिपत्र के साथ संलग्न हैं । रिपोर्ट करने के प्रपत्रों में रिपोर्टों के संकलन तथा एफआइयू - आइएनडी को रिपोर्ट प्रस्तुत करने के तरीके / प्रक्रिया के विस्तृत दिशा-निर्देश दिए गए हैं । बैंकों के लिए यह आवश्यक होगा कि वे नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) की इलेक्ट्रॉनिक फाइलिंग सुनिश्चित करने के लिए तुरंत कदम उठाने के संबंध में यथाशीघ्र पहल करें । इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रिपोर्टेंं तैयार करने के लिए संबंधित हार्डवेयर और तकनीकी आवश्यकता, संबंधित डाटा फाइलें तथा उनकी डाटा संरचना संबंधित फार्मेटों के अनुदेश वाले भाग में दी गई हैं । तथापि जो क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्टें तुरंत फाइल करने की स्थिति में नहीं हैं, वे एफआइयू - आइएनडी को मैन्युअल रिपोर्टें फाइल करें । जबकि सभी प्रकार की रिपोर्टें फाइल करने के विस्तृत अनुदेश संबंधित फार्मेटों के अनुदेश वाले भाग में दिये गये हैं, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक निम्नलिखित बातों का अत्यंत सावधानी से पालन करें :

(क) प्रत्येक माह की नकदी लेनदेन रिपोर्ट (सीटीआर) अगले महीने की 15वीं तारीख तक एफआइयू - आइएनडी को प्रस्तुत कर देनी चाहिए । सीटीआर फाइल करते समय, पचास हजार रुपये से कम राशि के अलग-अलग लेनेदनों को शामिल न किया जाए ।

(ख) कोई भी लेनदेन चाहे नकदी हो या नकदी से इतर या लेनदेनों की एक श्रृंखला जो समग्रत: आपस में जुड़े हों, संदिग्ध स्वरुप के हैं, इस निष्कर्ष पर पहुँचने के 7 दिनों के भीतर संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट (एसटीआर) प्रस्तुत कर देनी चाहिए । प्रधान अधिकारी को वे कारण रिकार्ड करने चाहिए जिससे किसी लेनदेन या लेनदेनों की श्रृंखला को संदिग्ध माना गया है । यह सुनिश्चित किया जाए कि एक बार किसी शाखा या अन्य कार्यालय से संदिग्ध लेनदेन रिपोर्ट प्राप्त होने के बाद ऐसे किसी निर्णय पर पहुँचने में अनावश्यक देरी नहीं करनी चाहिए । ऐसी रिपोर्ट सक्षम प्राधिकारियों के अनुरोध पर उन्हें उपलब्ध करायी जाए ।

(ग) एफआइयू - आइएनडी को समय पर सीटीआर और एसटीआर रिपोर्टें प्रस्तुत करने का उत्तरदायित्व प्रधान अधिकारी का होगा ।

(घ) एफआइयू - आइएनडी को सीटीआर और एसटीआर फाइल करते समय अत्यंत गोपनीयता बरती जाए । ये रिपोर्टें अधिसूचित पते पर स्पीड पोस्ट/रजिस्टर्ड पोस्ट, फैक्स, ई-मेल द्वारा भेजी जाए ।

(ड़) यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी शाखाओं की रिपोर्टें किसी एक पध्दति अर्थात् इलेक्ट्रॉनिक या मैन्युअल द्वारा जी भेजी जाएँ ।

(च) बैंक के प्रधान अधिकारी द्वारा समग्र रुप में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक के समूचे नकदी लेनदेनों की रिपोर्ट का सारांश विनिर्दिष्ट प्रपत्र के अनुसार भौतिक रुप में संकलित किया जाना चाहिए । इस संक्षिप्त रिपोर्ट पर प्रधान अधिकारी के हस्ताक्षर होने चाहिए तथा मैन्युअल और इलेक्ट्रॉनिक दोनों प्रकार की रिपोर्टिंग के लिए प्रस्तुत की जानी चाहिए ।

7. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक उन खातों पर कोई प्रतिबंध न लगाएं जहां एसटीआर रिपोर्टं भेजी गई हैं । तथापि यह सुनिश्चित किया जाए कि ग्राहक को किसी भी स्तर से गुप्त रुप से सचेत (टिपिंग ऑफ) नहीं किया जाए ।

8. ये अनुदेश बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 35, तथा धन शोधन निवारण (बैंककारी कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं के ग्राहकों और मध्यवर्तियों के संव्यवहारों की प्रकृति और मूल्याें के अभिलेखों का अनुरक्षण, अनुरक्षण की प्रक्रिया और रीति तथा सूचना प्रस्तुत करने का समय और उनके ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और अनुरक्षण ) नियम, 2005 के नियम 7 के अंतर्गत जारी किये जाते हैं तथा इनका किसी भी प्रकार से उल्लंघन होने पर अथवा इनका अनुपालन नहीं करने पर दंड की कार्रवाई की जाएगी ।

9. धन शोधन निवारण (बैंककारी कंपनियों, वित्तीय संस्थाओं के ग्राहकों और मध्यवर्तियों के संव्यवहारों की प्रकृति और मूल्यों के अभिलेखों का अनुरक्षण, अनुरक्षण की प्रक्रिया और रीति तथा सूचना प्रस्तुत करने का समय और उनके ग्राहकों की पहचान के अभिलेखों का सत्यापन और अनुरक्षण ) नियम, 2005 की एक प्रति तुरंत संदर्भ के लिए संलग्न है ।

भवदीय

( जी.श्रीनिवासन )

मुख्य महाप्रबंधक

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