प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - लक्ष्य में संशोधन - शहरी सहकारी बैंक - आरबीआई - Reserve Bank of India
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - लक्ष्य में संशोधन - शहरी सहकारी बैंक
आरबीआई /2007-08/198
संदर्भ.शबैंवि.पीसीबी.परि.सं. 26 /09.09.001/2007-08
30 नवंबर 2007
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक
महोदय /महोदया
प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार - लक्ष्य में संशोधन - शहरी सहकारी बैंक
कृपया 30 अगस्त 2007 का हमारा परिपत्र शबैंवि.पीसीबी. परि.सं.11/09.09.01/2007-08 देखें जिसकेध माध्यम से प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार से संबंधित संशोधित दिशानिर्देश (http://www.rbi.org.in पर उपलब्ध ) जारी किए गए थे।
2. जैसा कि आप जानते होंगे, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा वर्ष 1983 में तत्कालीन उप गवर्नर डॉ. एम.वी. हाते की अध्यक्षता में शहरी सहकारी बैंकों के लिए गठित स्थायी सलाहकार समिति की सिफारिश के अनुसार प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार के लिए निर्धारित लक्ष्य को शहरी सहकारी बैंकों पर भी लागू किया गया था । स्थायी सलाहकार समिति ने अन्य बातों के साथ यह सिफारिश की थी कि शहरी सहकारी बैंकों द्वारा अपने कुल अग्रिमों का 60% प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को प्रदान किया जाना चाहिए । शहरी सहकारी बैंकों पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति, 1999 (माधवराव समिति) द्वारा इस सिफारिश को पुन: अनुमोदित किया गया । समिति ने अपनी रिपोर्ट में अन्य बातों के साथ यह सुझाव दिया था कि प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र के लिए निर्धारित 40% लक्ष्य को, जो वाणिज्यिक बैंकों पर लागू होता है, गैर-अनुसूचित शहरी सहकारी बैंकों के लिए कम सी आर ए आर तथा शहरी सहकारी बैंकों को आयकर से छूट के कारण कम करने की आवश्यकता नहीं है ।
3. वर्ष 1983 में शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र का लक्ष्य शुरू करने के समय से अब तक शहरी सहकारी बैंकों के विनियामक ढांचे में महत्वपूर्ण परिवर्तन हुए हैं और यह विशेष रूप से सी आर ए आर तथा आय-निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण (आईआरएसी) संबंधी मानदंडों के मामले में कमोबेश वाणिज्यिक बैंकों के समतुल्य हो गया है । शहरी सहकारी बैंकों द्वारा अब तक आयकर से ली जाती रही छूट को भी वापस ले लिया गया है । इसके अतिरिक्त, शहरी सहकारी बैंकों की निवल मांग एवं मीयादी देयताओं पर सीआरआर तथा एसएलआर के द्वारा निधियों के निम्न सांविधिक पूर्वक्रय अधिकार के आधार पर वाणिज्यिक बैंकों की तुलना में उनके लिए प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को अग्रिमों का ऊंचा लक्ष्य निर्धारित करने का तर्क हाल के वर्षो में वाणिज्यिक बैंकों के लिए सीआरआर तथा एसएलआर संबंधी अपेक्षाओं में क्रमिक रूप से की गई कमी को ध्यान में रखते हुए कदापि औचित्यपूर्ण नहीं है ।
4. उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए तथा शहरी सहकारी बैंकों तथा उनके महासंघों के अनुरोध पर यह निर्णय लिया गया है कि शहरी सहकारी बैंकों के लिए प्राथमिकताप्राप्त क्षेत्र को उधार के लक्ष्य को कमकर समायोजित बैंक ऋण (एबीसी) के 40% (कुल ऋण तथा अग्रिम और शहरी सहकारी बैंकों द्वारा गैर-सांविधिक चलनिधि अनुपात बांडों में किया गया निवेश) तक अथवा तुलन पत्रेतर ऋण जोखिम (ओबीई ) की राशि के बराबर ऋण, पिछले वर्ष के 31 मार्च की स्थिति के अनुसार इनमें से जो अधिक हो, तक लाया जाए ।
5. संशोधित लक्ष्य 01 अप्रैल 2008 से लागू होगा ।
6. हमारे 30 अगस्त 2007 के परिपत्र शबैंवि.पीसीबी.परि.सं.11/09.09.01/2007-08 के साथ अग्रेषित संशोधित दिशानिर्देशों में निहित अन्य सभी अनुदेश अपरिवर्तित रहेंगे ।
भवदीय
(ए.के. खौंड)
मुख्य महाप्रबंधक