2. प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र मानदंडों के अंतर्गत बैंकों द्वारा कृषि को दिए जाने वाले प्रत्यक्ष उधार के लक्ष्य का उद्देश्य है किसानों को प्रत्यक्ष रूप से ऋण के प्रवाह में वृद्धि करना। अत्यंत वंचित किसानों, छोटे और सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष उधार समायोजित निवल बैंक ऋण (अथवा तुलनपत्रेतर ऋण सममूल्य राशि, इसमें से जो भी अधिक हो) का लगभग 6 प्रतिशत है। कृषि को प्रत्यक्ष उधार में वृद्धि करने के प्रयास में हाल ही में संशोधित प्राथमिकता-प्राप्त क्षेत्र मानदंडों के अंतर्गत छोटे और सीमांत किसानों को प्रत्यक्ष उधार का लक्ष्य बढ़ाकर 2015-16 के लिए 7 प्रतिशत और 2016-17 के लिए 8 प्रतिशत किया गया है। इसके अलावा कई प्रकार के कारपोरेट ऋणों को प्रत्यक्ष उधार की स्थिति से अलग किया गया है। इससे मध्यम और बड़े किसानों सहित कृषि को समग्र प्रत्यक्ष उधार में सुनिश्चित वृद्धि होगी।
3. तथापि सरकार ने हाल ही में कृषि क्षेत्र द्वारा अनुभव की जा रही मौसम संबंधी कठिनाइयों को देखते हुए एकल किसानों को दिए जाने वाले प्रत्यक्ष ऋण में किसी प्रकार की कटौती के प्रतिकूल प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त की है। अत: बैंकों को निदेश दिया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें की उनका कारपोरेटेतर किसानों को दिया गया समग्र प्रत्यक्ष उधार पिछले तीन वर्ष की उपलब्धि (शीघ्र ही अधिसूचित किया जाएगा, और आगे से प्रतिवर्ष के आरंभ में) के प्रणालीगत औसत से कम नहीं है तथा ऐसा न करने पर कमी के लिए सामान्य दंड लगाया जाएगा। उन्हें ऐसे हिताधिकारी, जो पहले प्रत्यक्ष कृषि क्षेत्र में समाविष्ट थे, को प्रत्यक्ष उधार के 13.5 प्रतिशत का स्तर प्राप्त करने के लिए सारे प्रयास जारी रखने चाहिए ।
भवदीय
(ए. उदगाता) प्रधान मुख्य महाप्रबंधक
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