इंटरनेट आधारित इलेक्ट्रॉनिक पर्स योजनाओं के लिए समाशोधन - आरबीआई - Reserve Bank of India
इंटरनेट आधारित इलेक्ट्रॉनिक पर्स योजनाओं के लिए समाशोधन
आरबीआई/2006-07/100
ग्राआऋवि.आरएफ.बीसी14/07.40.06/06-07
7 अगस्त 2006
सभी राज्य और जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक
महोदय
इंटरनेट आधारित इलेक्ट्रॉनिक पर्स योजनाओं के लिए समाशोधन
तथा निबटान सेवाएं प्रदान करना - शहरी सहकारी बैंक
हमें ज्ञात हुआ है कि कुछ कंपनियों ने इंटरनेट आधारित इलेक्ट्रॉनिक पर्स योजनाएं शुरू की हैं जिनकी निम्नलिखित विशेषताएं हैं:
- इस योजना का सदस्य बनने का इच्छुक कोई व्यक्ति वेबसाइट में जाकर अपना पंजीकरण कर सकता है और एक सामान्य फॉर्म भर सकता है जिसमें उसको केवल अपने ब्योरे भरने होते हैं।
- इसके बाद पंजीकृत व्यक्ति का सेवा प्रदाता के पास अपना एक खाता बन जाता है।
- खातों को बैंक खातों अथवा क्रेडिट कार्ड खातों से धन अंतरित कर निधीकृत किया जाता है।
- धन को खाताधारक के इलेक्ट्रॉनिक पर्स खाते में जमा कर दिया जाता है और वास्तविक रूप से धन को सेवा प्रदाता के समाशोधन तथा निपटान बैंक में चालू खाते में जमा कर दिया जाता है।
- इलेक्ट्रॉनिक पर्स खाताधारक अपने खाते के धन का इस्तेमाल किसी दूसरे इलेक्ट्रॉनिक पर्स खाते में अथवा कहीं भी अन्य किसी खाते (जिसे आरटीजीएस/डीडी के माध्यम से संपन्न किया जाता है) में अंतरित करने में कर सकता है अथवा ऑन-लाइन खरीद करने में कर सकता है।
2. उपर्युक्त लेनदेनों की प्रकृति जमाराशियों की स्वीकृति की तरह ही है जिसे मांग पर आहरित किया जा सकता है। मांग पर पुन: भुगतानयोग्य जमाराशियां स्वीकार करना ग़ैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के
पंजीकरण तथा जमाराशियों की स्वीकृति से संबंधित भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 के उपबंधों का उल्लंघन है।
3. रिज़र्व बैंक ने इस प्रकार की सेवाएं प्रदान करने वाली एक कंपनी को ऐसा करने रोका है। तथापि, बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त पैराग्राफ 1 में वर्णित इस प्रकार की योजनाओं से स्वयं को संबद्ध न करें।
4. कृपया प्राप्ति-सूचना भारतीय रिज़र्व बैंक के संबंधित क्षेत्रीय कार्यालय को दें।
भवदीय
(के भट्टाचार्य)
महाप्रबंधक