आरबीआइ/2010-11/485 बैंपविवि. सं.बीपी. बीसी. 87/21.04.048/2010-11 21 अप्रैल 2011 01 वैशाख 1933 (शक) अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक (क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय अग्रिमों के लिए प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात (पीसीआर) कृपया 01 दिसंबर 2009 का परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 64/21.04.048/2009-10 देखें जिसके अनुसार एक समष्टिगत के उपाय के रूप में यह निर्धारित किया गया था कि कुल अनर्जक आस्तियों के लिए बैंकों का प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात 70 प्रतिशत से कम नहीं होना चाहिए, जिसका उद्देश्य यह था कि जब बैंकों को अच्छा लाभ हो रहा हो तब प्रति-चक्रीय ढंग से प्रावधानीकरण बफर में वृद्धि की जाए । 2. तब से अब तक अधिकतर बैंकों ने 70 प्रतिशत प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात हासिल कर लिया है और वे भारतीय रिज़र्व बैंक से अपने अभ्यावेदनों में पूछते रहे हैं कि क्या उक्त निर्धारित प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात सतत बनाए रखा जाएगा। 3. हमने इस मामले की समीक्षा की है और जब तक कि भारतीय रिज़र्व बैंक बैंकिंग पर्यवेक्षण पर बासल समिति (बीसीबीएस) द्वारा वर्तमान में विकसित किए जा रहे अंतर्राष्ट्रीय मानकों तथा अन्य प्रावधानीकरण मानदंडों को ध्यान में रखते हुए प्रति-चक्रीय प्रावधानीकरण की एक अपेक्षाकृत अधिक व्यापक विधि लागू न कर दे, तब तक के लिए बैंकों को सूचित किया जाता है कि :
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70 प्रतिशत प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात 30 सितंबर 2010 की स्थिति के अनुसार बैंकों में सकल अनर्जक आस्तियों के संदर्भ में होना चाहि
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विवकेपूर्ण मानदंडों के अनुसार किए गए प्रावधान की तुलना में प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात के अंतर्गत किए गए अधिशेष प्रावधान को एक "प्रति-चक्रीय प्रावधानीकरण बफर" नामक खाते में अलग से रखा जाना चाहिए जिसकी गणना संलग्न प्रारूप के अनुसार की जानी चाहिए; तथा
बैंकों को यह अनुमति दी जाएगी कि वे प्रणालीव्यापी मंदी की अवधि के दौरान भारतीय रिज़र्व बैंक के पूर्वानुमोदन से इस बफर का उपयोग अनर्जक आस्तियों के लिए विनिर्दिष्ट प्रावधान करने में कर सकते हैं ।
4. कुछ बैंकों के अनुरोध पर 70 प्रतिशत प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात का लक्ष्य हासिल करने की निर्धारित तिथि यानी 30 सितंबर 2010 की समय सीमा आगे बढ़ा दी गई थी। ऐसे बैंकों को 70 प्रतिशत प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात के लिए अपेक्षित प्रावधानों की गणना 30 सितंबर 2010 की स्थिति के अनुसार करनी चाहिए और उनमें हुई कमी की गणना भी करनी चाहिए । इस कमी को यथाशीघ्र पूरा किया जाना चाहिए और यदि इन बैंकों को बफर पूरा करने के लिए 31 मार्च 2011 से आगे भी समय चाहिए तो उन्हें अपेक्षित समय की गणना कर भारतीय रिज़र्व बैंक से अनुमोदन प्राप्त करना चाहिए । 5. जैसा कि अब तक किया जाता रहा है, प्रावधानीकरण सुरक्षा अनुपात का प्रकटीकरण तुलन पत्र के लेखे पर टिप्पणी के अंतर्गत किया जाना चाहिए । भवदीय (बी. महापात्र) प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक |