बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देश
आरबीआइ /2008-09/311 8 दिसंबर 2008 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक / मुख्य कार्यपालक अधिकारी सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना के संबंध में विवेकपूर्ण दिशानिर्देश कृपया भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा विकास को प्रेरित करने से संबंधित 6 दिसंबर 2008 की हमारी प्रेस प्रकाशनी देखें। जैसा कि उसमें उल्लेख किया गया है , यह निर्णय लिया गया है कि उपर्युक्त विषय पर 27 अगस्त 2008 के हमारे परिपत्र आरबीआइ/2008-09/143/बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. सं. 37/ 21.04.132/ 2008-09 में निहित अग्रिमों की पुर्रचना संबंधी विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों में निम्नलिखित परिवर्तन लागू किए जाएं : (i)उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 6.1 के अनुसार, वाणिज्यिक स्थावर संपदा में एक्सपोजर, पूँजी बाजार में एक्सपोजर तथा वैयक्तिक/ उपभोक्ता ऋण उक्त परिपत्र के पैरा 6.2 में वर्णित अपवादात्मक विनियामक ट्रीटमेंट के पात्र नहीं है जिसके अनुसार पुनर्रचित मानक खातों का आस्ति वर्गीकरण मानक संवर्ग में बनाए रखा जाता है। चूँकि स्थावर संपदा क्षेत्र कठिनाइयों से गुज़र रहा है, अत: यह निर्णय लिया गया है कि 30 जून 2009 तक पुनर्रचित वाणिज्यिक स्थावर संपदा एक्सपोजरों पर भी अपवादात्मक / विशेष ट्रीटमेंट लागू किया जाए। (ii)उक्त परिपत्र के पैरा 6.2.2(vi) के अनुसार विशेष विनियामक ट्रीटमेंट केवल उन्हीं मामलों तक सीमित रहेगा जहाँ संबंधित पुनर्रचना परिपत्र के अनुबंध 2 के पैरा (v) में परिभाषित "बार-बार की गई पुनर्रचना" नहीं है। वर्तमान आर्थिक मंदी के दौरान ऐसे उदाहरण सामने आ सकते हैं, जहाँ समर्थ यूनिटों को भी अस्थायी नकदी प्रवाह की समस्या का सामना करना पड़ रहा हो। इस समस्या के निराकरण की दिशा में यह निर्णय लिया गया है कि एकबारगी उपाय के रूप में, 30 जून 2009 तक बैंकों द्वारा एक्सपोजरों (वाणिज्यिक स्थावर संपदा के एक्सपोज़र, पूँजी बाजार एक्सपोजर और वैयक्तिक /उपभोक्ता ऋण को छोड़कर) की की गई दूसरी पुनर्रचना भी अपवादात्मक / विशेष विनियामक ट्रीटमेंट की पात्र होगी। भवदीय (पी. विजयभास्कर) |