RbiSearchHeader

Press escape key to go back

पिछली खोज

थीम
थीम
टेक्स्ट का साइज़
टेक्स्ट का साइज़
S3

Notification Marquee

आरबीआई की घोषणाएं
आरबीआई की घोषणाएं

RbiAnnouncementWeb

RBI Announcements
RBI Announcements

असेट प्रकाशक

79097039

बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना संबंधी विवेकपूर्ण दिशानिर्देश

आरबीआइ/2010-11/228
बैंपविवि. बीपी. बीसी. 49/21.04.132/2010-11

7 अक्तूबर 2010
15 आश्विन 1932 (शक)

अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/
मुख्य कार्यपालक अधिकारी
सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय

बैंकों द्वारा अग्रिमों की पुनर्रचना संबंधी विवेकपूर्ण दिशानिर्देश

कृपया ‘अग्रिमों के संबंध में आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण तथा प्रावधानीकरण से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड’ पर 01 जुलाई 2010 का हमारा मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 21/21.04.048/2010-11 देखें ।

2. उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 14.2.2(iv) के अनुसार प्रवर्तकों का त्याग तथा उनके द्वारा लाई गई अतिरिक्त निधियां बैंक के त्याग की कम-से-कम 15 प्रतिशत होनी चाहिए । अतिरिक्त निधियां प्रारंभ में ही प्रवर्तकों द्वारा लाई जानी अपेक्षित हैं न कि एक समय-सीमा के भीतर चरणबद्ध रूप से ।

3. बैंकों तथा भारतीय बैंक संघ से प्राप्त अभ्यावेदन में कहा गया है कि समस्याग्रस्त कंपनियों को कुछ अवसरों पर प्रवर्तकों के त्याग का अंश तथा अतिरिक्त निधियां प्रारंभ में ही लाने में कठिनाई हो रही है । इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि :

i) प्रवर्तकों का त्याग तथा उनके द्वारा लाई जाने वाली अपेक्षित अतिरिक्त निधियां सामान्यत: प्रारंभ में ही लाई जानी चाहिए । तथापि, यदि बैंक इस बात से सहमत हों कि प्रवर्तकों को अपने त्याग का अंश तत्काल लाने में वास्तव में कठिनाई हो रही है और उन्हें अपनी वचनबद्धताओं को पूरा करने के लिए कुछ समय-विस्तार दिए जाने की आवश्यकता है तो प्रवर्तकों को अपने त्याग का 50% अर्थात् 50% का 15% प्रारंभ में ही तथा शेष अंश एक वर्ष के भीतर लाने की अनुमति दी जा सकती है ।

ii) तथापि, यदि प्रवर्तक अपने त्याग का शेष अंश एक वर्ष तक बढ़ाई गई समय सीमा के भीतर नहीं ला पाते हैं तो उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 14.2.2 के अनुसार बैंकों द्वारा प्राप्त होने वाले आस्ति वर्गीकरण लाभों पर उपचय बंद हो जाएगा और बैंकों को पुन: उपर्युक्त परिपत्र के पैरा 11.2 के अंतर्गत निर्धारित आस्ति वर्गीकरण मानदंडों के अनुसार ऐसे खातों का वर्गीकरण करना होगा ।

4. इसके अतिरिक्त, हम यह भी स्पष्ट करते हैं कि प्रवर्तक का अंशदान अनिवार्य रूप से नकद लाया जाना आवश्यक नहीं है और उसे ईक्विटी की डि-रेटिंग, प्रवर्तक द्वारा बे-जमानती ऋण के ईक्विटी में संपरिवर्तन तथा ब्याज मुक्त ऋणों के रूप में लाया जा सकता है ।

भवदीय

(ए. के.खौंड)
मुख्य महाप्रबंधक

RbiTtsCommonUtility

प्ले हो रहा है
सुनें

संबंधित एसेट

आरबीआई-इंस्टॉल-आरबीआई-सामग्री-वैश्विक

RbiSocialMediaUtility

आरबीआई मोबाइल एप्लीकेशन इंस्टॉल करें और लेटेस्ट न्यूज़ का तुरंत एक्सेस पाएं!

Scan Your QR code to Install our app

RbiWasItHelpfulUtility

क्या यह पेज उपयोगी था?