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बैंकों द्वारा निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्‍यांकन और परिचालन संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड – सहकारी बैंकों द्वारा एमटीएम हानियों का विभाजन (स्प्रेडिंग) और निवेश अस्थिरता रिज़र्व (आईएफआर) का सृजन

आरबीआई/2018-19/12
डीसीबीआर.बीपीडी.(पीसीबी/आरसीबी).परि.सं.1/16.20.000/2018-19

6 जुलाई 2018

मुख्‍य कार्यपालक अधिकारी
सभी प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंक/
सभी राज्‍य सहकारी बैंक/
सभी जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंक

बैंकों द्वारा निवेश पोर्टफोलियो के वर्गीकरण, मूल्‍यांकन और परिचालन संबंधी विवेकपूर्ण मानदंड – सहकारी बैंकों द्वारा एमटीएम हानियों का विभाजन (स्प्रेडिंग) और निवेश अस्थिरता रिज़र्व (आईएफआर) का सृजन

कृपया प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों को “निवेश अस्थिरता रिज़र्व” (आईएफआर) विषय पर जारी 04 सितंबर 2003 के परिपत्र शबैंवि.सं.बीपीडी.पीसीबी.परि सं 12/09.29.00/2003-04 तथा राज्‍य सहकारी बैंकों (एसटीसीबी) और जिला मध्‍यवर्ती सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को “बैंकों का निवेश संविभाग – प्रतिभूतियों में लेनदेन” विषय पर जारी 04 सितंबर 1992 के परिपत्र आरपीसीडी.सं.आरफ.बीसी.17/ए.4-92/93 तथा उसके बाद जारी संबन्धित अनुदेशों का संदर्भ लें।

2. सरकारी प्रतिभूतियों के प्रतिफल (यील्ड) में हुए उछाल के प्रणालीगत प्रभाव को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है कि ऐसे शहरी सहकारी बैंकों, जिनसे 04 सितंबर 2003 के उक्‍त परिपत्र के पैरा (2) में यथा-विनिर्दिष्‍ट आईएफआर का सृजन करना अपेक्षित नहीं हैं (अर्थात 100 करोड रु से कम डीटीएल वाले शसबैं), को केवल 31 दिसंबर, 2017, 31 मार्च 2018 और 30 जून 2018 को समाप्‍त तिमाहियों के लिए एएफएस और एचएफटी श्रेणियों में धारित निवेशों पर मार्क टू मार्केट (एमटीएम) हानियों के लिए किए जानेवाले आवश्यक प्रावधान को स्प्रेड करने का विकल्‍प दिया जाए। उपर्युक्त प्रत्‍येक तिमाही में किए जानेवाले आवश्यक प्रावधान को संबन्धित तिमाही से शुरुआत कर कुल चार तिमाहियों तक में समान रूप से स्‍प्रेड किया जा सकता है। सभी एसटीसीबी/डीसीसीबी को भी उनके ‘वर्तमान’ (करेंट) श्रेणी में धारित निवेशों हेतु समान विकल्प प्रदान करने का निर्णय लिया गया है।

2.1 सभी पात्र सहकारी बैंक जो उक्‍त विकल्‍प का प्रयोग करते हैं वे अपने लेखों की टिप्‍पणियों (नोट्स टू आकाउंट्स) में निम्‍नलिखित विवरणों के साथ यथोचित प्रकटीकरण (डिस्क्लोजर) करें:

(क) निवेश संविभाग के मूल्‍य ह्रास हेतु तिमाही/वर्ष के दौरान दिसंबर 2017, मार्च 2018 और जून 2018 को समाप्‍त प्रत्‍येक तिमाहियों हेतु किए गए प्रावधान और

(ख) शेष तिमाहियों में किए जाने वाले बाकी प्रावधान।

3. भवि‍ष्‍य में बाज़ार जोखिमों के विरुद्ध सुरक्षा प्रदान करने की दृष्टि से पर्याप्‍त रिज़र्व बनाए रखने के लिए सभी सहकारी बैंक निवेशों की बिक्री से प्राप्‍त लाभों से, उपलब्‍ध निवल लाभ के अधीन, आईएफआर का सृजन करें। सभी शहरी सहकारी बैंकों, चाहे उनका डीटीएल कितना भी हो, को “निवेश अस्थिरता रिज़र्व संबंधी दिशानिर्देश” विषय पर जारी दिनांक 04 सितंबर 2003 के परिपत्र सं शबैंवि.सं.बीपीडी.पीसीबी.परि.12/09.00/2003-04 के पैरा (i) में बताए अुनसार आईएफआर को बनाकर रखना होगा। सभी एसटीसीबी/डीसीसीबी को भी इसी प्रकार आईएफआर का सृजन करना होगा, जिसके न्‍यूनतम सीमा की गणना उनके ‘वर्तमान’ श्रेणी के निवेशों के संदर्भ में की जाएगी।

3.1 बैंक, स्वविवेक से, ‘एचएफ़टी’ तथा ‘एएफ़एस’ / ‘वर्तमान’ श्रेणी (यथालागू) मे रखे गए निवेशों के 5 प्रतिशत से अधिक की आईएफ़आर की राशि को लेखा वर्ष में लाभ-हानी खाते में यथाप्रकटित लाभ-हानि शेष में क्रेडिट करने के लिए आहरित कर सकते हैं। आईएफ़आर का शेष ‘एचएफ़टी’ तथा ‘एएफ़एस’ / ‘वर्तमान’ श्रेणी (यथालागू) के अंतर्गत किए गए निवेश पोर्टफोलियो के 5 प्रतिशत से कम होने की स्थिति में, निम्न शर्तों के अधीन आहरण करने की अनुमति होगी:

क) यदि आहरित राशि का उपयोग केवल फ्री रिज़र्व के विनियोजन के माध्यम से टियर I पूंजीगत आवश्यकताओं को पूरा करने अथवा हानि के शेष को कम करने के लिए किया गया है, और

ख) आहरित राशि, संदर्भित वर्ष के दौरान किए गए निवेश की बिक्री पर अर्जित निवल लाभ से वर्ष के दौरान किया गया एमटीएम प्रावधान जितना अधिक हो, से अधिक न हो।

3.2 ‘एएफएस’ और ‘एचएफटी’ / ‘वर्तमान’ श्रेणी (यथालागू) में रखे गए निवेशों की बिक्री से प्राप्‍त लाभ द्वारा सृजित आईएफआर टियर-II पूंजी में शामिल होने का पात्र होगा।

भवदीय,

(नीरज निगम)
मुख्‍य महाप्रबंधक

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