बैंकों के तुलन-पत्रेतर एक्सपोज़रों के लिए विवेकपूर्ण मानदंड - काउंटरपार्टी ऋण एक्सपोज़रों की द्विपक्षीय नेटिंग - आरबीआई - Reserve Bank of India
बैंकों के तुलन-पत्रेतर एक्सपोज़रों के लिए विवेकपूर्ण मानदंड - काउंटरपार्टी ऋण एक्सपोज़रों की द्विपक्षीय नेटिंग
आरबीआइ/2010-11/223 1 अक्तूबर 2010 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय बैंकों के तुलन-पत्रेतर एक्सपोज़रों के लिए विवेकपूर्ण मानदंड - जैसा कि आप जानते हैं, "पूंजी पर्याप्तता तथा बाजार अनुशासन पर विवेकपूर्ण दिशानिर्देश - नया पूंजी पर्याप्तता ढांचा" पर 1 जुलाई 2010 के हमारे मास्टर परिपत्र, बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 15/21.06.001/2010-11 द्वारा जारी किए गए हमारे मौजूदा अनुदेशों के अनुसार बैंकों को सूचित किया गया है कि ब्याज दर तथा विदेशी मुद्रा डेरिवेटिव लेनदेन तथा स्वर्ण की ऋण समतुल्य राशि की गणना करने के लिए वे ‘चालू एक्सपोज़र पद्धति’ अपनाएं । ऋण समतुल्य राशि का पूंजी पर्याप्तता तथा एक्सपोज़र मानदंडों के प्रयोजन के लिए उपयोग होता है। 2. बैंकों से अनुरोध प्राप्त होने पर ऐसी डेरिवेटिव संविदाओं में काउंटरपार्टी ऋण एक्सपोज़रों की द्विपक्षीय नेटिंग की अनुमति देने के मामले की विद्यमान विधिक ढांचे के भीतर जांच की गई है। द्विपक्षीय नेटिंग से संबंधित विधिक स्थिति असंदिग्ध रूप से स्पष्ट न होने के कारण यह निर्णय लिया गया है कि ऐसी डेरिवेटिव संविदाओं के कारण उत्पन्न होने वाले बाज़ार दर पर अंकित (एमटीएम) मूल्यों की द्विपक्षीय नेटिंग की अनुमति नहीं दी जा सकती है । तदनुसार, बैंकों को पूंजी पर्याप्तता तथा एक्सपोज़र मानदंडों के प्रयोजन के लिए ऐसी संविदाओं के सकल धनात्मक बाज़ार दर पर अंकित मूल्य की गणना करनी चाहिए। भवदीय (बी.महापात्र) |