उधारकर्ता संस्थाओं (कार्यनीतिक ऋण पुनर्रचना योजना से बाहर) के स्वामित्व में परिवर्तन पर विवेकपूर्ण मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
उधारकर्ता संस्थाओं (कार्यनीतिक ऋण पुनर्रचना योजना से बाहर) के स्वामित्व में परिवर्तन पर विवेकपूर्ण मानदंड
आरबीआई/2015-16/187 दिनांक 24 सितंबर 2015 सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक महोदय, उधारकर्ता संस्थाओं (कार्यनीतिक ऋण पुनर्रचना योजना से बाहर) के स्वामित्व में परिवर्तन पर विवेकपूर्ण मानदंड कृपया “कार्यनीतिक ऋण पुनर्रचना योजना (एसडीआर)” पर 8 जून 2015 का हमारा परिपत्र बैंविवि.बीपी.बीसी.सं.101/21.04.132/2014-15 देखें, जिसके अनुसार उन उधारकर्ता संस्थाओं, जो मुख्यतः विद्यमान प्रवर्तकों की परिचालनात्मक / प्रबंधकीय अकुशलताओं के कारण दबाव में हैं, के स्वामित्व में परिवर्तन करते समय भारतीय रिजर्व बैंक के विद्यमान आस्ति वर्गीकरण मानदंडों में बैंकों को कुछ छूट दी गई थी। जब एसडीआर दिशानिर्देशों में विनिर्दिष्ट शर्तों के अधीन ऋण का उधारकर्ता संस्थाओं की इक्विटी में संपरिवर्तन किया जाता है तब भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) (पूंजी जारी करना और प्रकटीकरण अपेक्षाएं) विनियमावली, 2009 के अंतर्गत एसडीआर में इक्विटी संपरिवर्तन मूल्य के संबंध में तथा भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (शेयरों का महत्वपूर्ण अर्जन और अधिग्रहण) विनियमावली, 2011 के कतिपय खण्डों के तहत भी एसडीआर में कुछ छूट निहित है। 2. ऋणदाता बैंकों द्वारा काफी त्याग किए जाने के बावजूद जो उधारकर्ता संस्थाएं मुख्यतः परिचालनात्मक / प्रबंधकीय अकुशलताओं के कारण दबाव में हैं, उनके स्वामित्व में परिवर्तन लाने हेतु बैंकों की योग्यता और अधिक बढ़ाने की दृष्टि से यह निर्णय लिया गया है कि ऐसी उधारकर्ता संस्थाओं, जिनके स्वामित्व में एसडीआर के बाहर परिवर्तन किया गया है, को प्रदत्त ऋण सुविधाओं को ऐसे स्वामित्व में परिवर्तन के बाद उन्नत करके ‘मानक’ श्रेणी में लाने की अनुमति बैंकों को दी जाए, बशर्ते; (i) ऋणदाताओं द्वारा, किसी नए प्रवर्तक को, गिरवी रखे गए शेयरों की बिक्री अथवा उधारकर्ता के कर्ज़ को एसडीआर के बाहर इक्विटी के रूप में रूपान्तरण, अथवा उधारकर्ता संस्था द्वारा नए शेयर जारी कर नए प्रवर्तक को जोड़कर या उधार लेने वाली संस्था का किसी अन्य संस्था द्वारा अधिग्रहण द्वारा स्वामित्व में परिवर्तन हो सकता है। तथापि, इस परिपत्र के पैरा 1 में बताए गए एसडीआर दिशानिर्देशों के अंतर्गत सेबी अधिनियमों से छूट उपलब्ध नहीं रहेगी; (ii) उधारदाता संस्थाओं के स्वामित्व में इस प्रकार के परिवर्तन के बाद, संबंधित उधारकर्ता संस्थाओं की ऋण सुविधाओं की श्रेणी को उन्नत कर ‘मानक’ कर दिया जाए। तथापि, कथित खाते के लिए बैंक द्वारा उधारकर्ता संस्थाओं के स्वामित्व में परिवर्तन की तिथि के अनुसार प्रावधान की धारित मात्रा को, नीचे (v) में दी गई अनुमति को छोड़कर, रिवर्स नहीं किया जाएगा; (iii) आस्ति वर्गीकरण में आस्ति की श्रेणी को उन्नत किए जाने की निम्नलिखित शर्ते हैं:
(iv) ‘नए प्रवर्तक’ द्वारा उधारकर्ता संस्था का अधिग्रहण करते समय बैंक, परिवर्तित जोखिम प्रोफाइल के मद्देनजर, इस प्रक्रिया को ‘पुनर्रचना’ माने बिना उधारकर्ता संस्थाओं के मौजूदा कर्ज़ को पुनर्वित्त प्रदान कर सकते हैं बशर्ते, पुनर्वित्त के कारण मौजूदा कर्ज़ के उचित मूल्य में आई किसी प्रकार की कमी के लिए बैंक प्रावधान करें। (v) बैंक कथित खाते के लिए धारित प्रावधान को केवल तभी रिवर्स कर सकते हैं जब उधारकर्ता संस्थाओं के सभी बकाया ऋण/सुविधाएं ‘विनिर्दिष्ट अवधि’ (अग्रिमों की पुनर्रचना पर मौजूदा मानदंडों में यथापरिभाषित) के दौरान संतोषजनक रूप से निष्पादन कर रहे हों, अर्थात खाते में समस्त सुविधाओं से संबंधित मूलधन और ब्याज की चुकौती उस अवधि के दौरान भुगतान की शर्तों के अनुसार की जाती है; (vi) यदि विनिर्दिष्ट अवधि के दौरान संतोषजनक रूप से निष्पादन नहीं पाया जाता है, तो पुनर्रचित खाते का आस्ति वर्गीकरण उस समय मौजूद आस्ति वर्गीकरण मानदंडों के अनुसार उस ऋण चुकौती अनुसूची के संदर्भ में किया जाएगा जो स्वामित्व में परिवर्तन के पूर्व अस्तित्व में थी, जैसा कि उपर्युक्त (ii) में परिकल्पित है, और यह मानते हुए किया जाएगा कि आस्ति की श्रेणी में उन्नयन नहीं प्रदान किया गया था। तथापि जिन मामलों में बैंक पूरी तरह से खाते से एक्ज़िट कर जाता है, अर्थात उधारकर्ता के प्रति उसका कोई एक्सपोजर नहीं रह जाता, वहां एक्ज़िट करने की तिथि के अनुसार प्रावधान को अवशोषित/रिवर्स किया जा सकता है। भवदीय, (सुदर्शन सेन) |