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अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधानों के निर्माण और उपयेाग पर विवेकपूर्ण मानदंड

आरबीआई/2005-06/421
बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 89 /21.04.048/2005-06

22 जून 2006
01 आषाढ़ 1928 (शक)

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)

महोदय,

अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधानों के निर्माण और उपयेाग पर विवेकपूर्ण मानदंड

‘आय निर्धारण, प्रावधानीकरण और अन्य संबंधित मामले’ पर 4 फरवरी 1994 के परिपत्र बैंपविवि. सं. बीसी. 8/21.04.043/94 के पैरा (3) के अनुसार बैंकों को प्रावधानीकरण पर वर्तमान विवेकपूर्ण दिशा-निर्देशों के अनुसार, जहां कहीं उपलब्ध हो, प्रावधानों के संदर्भ अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधान निर्धारित करने की अनुमति दी गई है। इसके साथ ही, ‘आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और अग्रिमों से संबंधित प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड’ पर 01 जुलाई 2005 के हमारे मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 11/21.04.048/2005-06 के पैरा 5.6 के अनुसार बैंकों को एक अपेक्षित प्रथा के तौर पर न्यूनतम निर्धारित स्तर से काफी अधिक स्वैच्छिक रूप से प्रावधान करने की सूचना दी गई थी। ऐसा इस तथ्य के कारण किया गया है कि ऋण हानि संबंधी उच्च प्रावधानीकरण से बैंकों की समग्र वित्तीय सुदृढ़ता तथा वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता में भी वृद्धि होती है।

2. ऐसा प्रतीत होता है कि वर्तमान विवेकपूर्ण दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रावधानों के संदर्भ में अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधान निर्धारित करने का उपयोग कुछ मामलों में लाभों को सरल बनाने के लिए किया गया है। वर्तमान दिशा-निर्देशों की समीक्षा की गई तथा अस्थायी प्रावधानों, अर्थात् विशेष अनर्जक अस्तियों के संबंध में जो प्रावधान नहीं किये गये हैं या मानक आस्तियों के लिए प्रावधानों के लिए विनियामक अपेक्षाओं से अधिक किये गये हैं, के प्रयोग, निर्माण, लेखांकन और प्रकटीकरण पर पुनरीक्षित अनुदेश जारी करने का निर्णय लिया गया है।

(i) बैंकों द्वारा अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधानों के उपयोग के लिए सिद्धांत

अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधानों का उपयोग अनर्जक आस्तियों के संदर्भ में वर्तमान विवेकपूर्ण मानदंडों के अनुसार विशिष्ट प्रावधान करने या मानक आस्तियों के लिए विनियामक प्रावधान करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। अस्थायी प्रावधानों का उपयोग रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति से तथा अपने निदेशक बोर्ड का अनुमोदन प्राप्त कर असाधारण परिस्थितियों में सिर्फ आकस्मिकता के लिए अनर्जक (इंपेयर्ड) खातों में विश्ेाष प्रावधान करने के लिए किया जाना चाहिए। बैंकों के निदेशक बोर्डों को एक अनुमोदित नीति बनानी चाहिए जिसमें तय हो कि कौन-सी परिस्थितियाँ असाधारण मानी जाएंगी।

(ii) बैंकों द्वारा अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधानों के निर्माण के लिए सिद्धांत

अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधान किस पर स्तर निर्मित किये जा सकते हैं इस संबंध में बैंक के निदेशक बोर्ड को एक अनुमोदित नीति बनानी चाहिए। बैंक को ‘अग्रिमों’ तथा ‘निवेशों’ के लिए अलग-अलग अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधान रखने चाहिए तथा निर्धारित दिशा-निर्देश ‘अग्रिमों’ तथा ‘निवेश’ दोनों ही संविभागों के लिए धारित अस्थायी प्रावधानों पर लागू होंगे।

(iii) लेखांकन

अस्थायी (फ्लोटिंग) प्रावधान लाभ और हानि खाते नामे कर पलटे नहीं जा सकते हैं। उनका उपयोग सिर्फ ऊपर दर्शाई गई असाधारण परिस्थितियों में विशिष्ट प्रावधान करने के लिए ही किया जा सकता है। जब तक ऐसा उपयोग नहीं किया जाता तब तक निवल अनर्जक आस्तियों के प्रकटीकरण का निर्धारण करने के लिए इन प्रावधानों को सकल अनर्जक आस्तियों से घटाया जा सकता है। वैकल्पिक रूप में इन्हें कुल जोखिम भारित आस्तियों की 1.25 प्रतिशत की समग्र उच्चतम सीमा के भीतर टियर घ्घ् पूंजी के एक भाग के तौर पर माना जा सकता है।

(iv) प्रकटीकरण

बैंकों को तुलनपत्र में ‘लेखों पर टिप्पणियाँ’ में अस्थायी प्रावधानों के संबंध में निम्नलिखित के बारे में व्यापक प्रकटीकरण करना चाहिए (क) अस्थायी प्रकटीकरण खाते में अथशेष (ख) लेखा वर्ष में की गई अस्थायी प्रावधानों की मात्रा (ग) वर्ष के दौरान किये गये आहरण का प्रयोजन और मात्रा तथा (घ) अस्थायी प्रावधान खाते में अतिशेष।

(v) निर्धारित दरों से उच्च दरों पर अग्रिमों के लिए प्रावधान

बैंक, वर्तमान विनियमों के अंतर्गत निर्धारित दरों से उच्च दरों पर अग्रिमों का विशिष्ट प्रावधान स्वैच्छिक रूप से कर सकता है। बशर्ते ऐसी उच्च दरें निदेशक बोर्डों द्वारा अनुमोदित हों तथा वर्ष-दर-वर्ष इन्हें लगातार अपनाया गया हो। ऐसे अतिरिक्त प्रावधानों को अस्थायी प्रावधान नहीं माना जाएगा।

3. कृपया पावती भेजें।

भवदीय

(प्रशांत सरन)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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