अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - कार्यान्वयन के अधीन परियोजनाएं - आरबीआई - Reserve Bank of India
अग्रिमों से संबंधित आय निर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण पर विवेकपूर्ण मानदंड - कार्यान्वयन के अधीन परियोजनाएं
आरबीआई/2013-14/664 26 जून 2014 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/मुख्य कार्यपालक अधिकारी (स्थानीय क्षेत्र बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर) महोदय अग्रिमों से संबंधित आयनिर्धारण, आस्ति वर्गीकरण और प्रावधानीकरण परविवेकपूर्णमानदंड- कार्यान्वयनकेअधीनपरियोजनाएं कृपया हमारा 31 मार्च 2010 का परिपत्र बैं प विवि. बीपी. बीसी. सं. 85/21.04.048/2009-10 तथा 30 मई 2013 का परिपत्र बैं प विवि. बीपी. बीसी. सं. 99/21.04.132/2012-13 देखें, जिनमें अन्य बातों के साथ-साथ वाणिज्यिक परिचालन शुरू होने से पहले परियोजना ऋणों के लिए आस्ति वर्गीकरण संबंधी अनुदेश दिए गए हैं। 2. उपर्युक्त परिपत्रों में वर्णित मौजूदा दिशानिर्देशों के अनुसार, वाणिज्यिक परिचालनों की तारीख (डीसीओसी) में परिवर्तन और इसके परिणामस्वरूप चुकौती अनुसूची में समान या लघुतर अवधि (संशोधित चुकौती अनुसूची के आरंभ और समापन की तारीखों सहित) के बदलाव को पुनर्रचना नहीं माना जाएगा, बशर्ते- (क)संशोधित डीसीसीओ वित्तीय क्लोजर के समय तय की गई मूल डीसीसीओ से क्रमशः बुनियादी संरचना परियोजनाओं तथा गैर बुनियादी संरचना परियोजनाओं के लिए दो वर्ष तथा एक वर्ष के भीतर पड़ती हों, और (ख) ऋण की अन्य सभी शर्तें अपरिवर्तित हों। 3. इसके अलावा, बैंक अग्रिमों की पुनर्रचना पर मौजूदा विवेकपूर्ण दिशानिर्देशों के तहत उपर्युक्त पैरा 2 (क) में उद्धृत समय सीमा से आगे जाकर डीसीसीओ में संशोधन करते हुए तथा ‘मानक’ आस्तिवर्गीकरण को बनाए रखते हुए ऐसे ऋणों की पुनर्रचना कर सकते हैं, बशर्ते नई डीसीसीओ का निर्धारण नीचे दी गई सीमाओं के भीतर किया गया हो तथा पुनर्रचना शर्तों के अनुसार खाते में लगातार चुकौती होती रही हो : (क) बुनियादी संरचना परियोजनाएं जिन पर अदालती मामले हों यदि डीसीओसी में विस्तार का कारण न्यायालयीन मामला या पंचाट की कार्यवाही हो तो अगले दो वर्ष तक (उपर्युक्त पैरा 2 (क) में उद्धृत दो वर्ष की अवधि के बाद अर्थात कुल विस्तार चार वर्ष के लिए) (ख) बुनियादी संरचना परियोजनाएं जहां विलंब प्रवर्तकों के नियंत्रण के बाहर के कारणों से हुआ यदि डीसीओसी में विस्तार प्रवर्तकों के नियंत्रण से बाहर के कारण (न्यायालयीन मामलों से इतर) हुआ हो तो अगले एक वर्ष तक (उपर्युक्त पैरा 2 (क) में उद्धृत दो वर्ष की अवधि के बाद अर्थात कुल विस्तार तीन वर्षों के लिए) (ग) गैर बुनियादी संरचना क्षेत्र के लिए परियोजना ऋण (वाणिज्यिक स्थावर संपदा एक्सपोजर के अलावा) अगले एक वर्ष तक (उपर्युक्त पैरा 2 (क) में उद्धृत एक वर्ष की अवधि के बाद अर्थात कुल विस्तार दो वर्ष के लिए) 4. इस संबंध में, यह स्पष्ट किया जाता है कि डीसीओसी में कई संशोधनों और इसके परिणामस्वरूप चुकौती समय-सारणी में समान या लघुतर अवधि (संशोधित चुकौती समय-सारणी के आरंभ और समापन की तारीखों सहित) के लिए होने वाले बदलाव को पुनर्रचना का एक ही अवसर माना जाएगा बशर्ते संशोधित डीसीओसी का निर्धारण उपर्युक्त पैरा 3 (क) से (ग) में उद्धृत समय सीमा के अनुरूप किया गया हो तथा ऋण की अन्य सभी शर्तें अपरिवर्तित हों। 5. इसके अलावा यह भी स्पष्ट किया जाता है कि बैंक, यदि उचित समझें तो उपर्युक्त पैरा 3 (क) से (ग) में उद्धृत समय सीमा से आगे भी डीसीओसी को बढा सकते हैं; तथापि, इस मामले में बैंक ऐसे ऋण खातों के लिए ‘मानक’ आस्ति वर्गीकरण दर्जा बरकरार नहीं रख सकेंगे। भवदीय (राजेश वर्मा) |