शून्य कूपन बांडों में निवेश से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड - आरबीआई - Reserve Bank of India
शून्य कूपन बांडों में निवेश से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड
आरबीआइ/2010-11/219 29 सितंबर 2010 अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक/ महोदय शून्य कूपन बांडों में निवेश से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड हमारे ध्यान में यह बात आयी है कि बैंक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों सहित कार्पोरेट द्वारा जारी दीर्घावधिक शून्य कूपन बांडों में निवेश कर रहे हैं । शून्य कूपन बांडों के मामले में निर्गमकर्ता से यह अपेक्षा नहीं की जाती है कि वे बांडों की परिपक्वता तक कोई ब्याज या किस्त की अदायगी करें । इसके परिणामस्वरूप बांडों की परिपक्वता तक ऐसे निवेशों में ऋण जोखिम का पता नहीं चलता और यह जोखिम दीर्घावधिक शून्य कूपन बांडों के मामले में विशेष रूप से महत्वपूर्ण हो सकता है । इस प्रकार के निर्गम और निवेश यदि बड़े पैमाने पर किये जाएं तो इनसे प्रणालीगत समस्या उत्पन्न हो सकती है । 2. उपर्युक्त को ध्यान में रखते हुए, यह निर्णय लिया गया है कि : • बैंकों को अब से शून्य कूपन बांडों में तभी निवेश करना चाहिए जब निर्गमकर्ता सभी उपचित ब्याजों के लिए एक निक्षेप निधि निर्मित करे तथा उस निधि को तरल निवेश/प्रतिभूतियों (सरकारी बांडों) में निविष्ट रखे, और • बैंकों को शून्य कूपन बांडों में अपने निवेश पर एक कंजरवेटिव सीमा लागू करनी चाहिए । 3. बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे उपर्युक्त अनुदेशों के अनुपालन के लिए शीघ्र कार्रवाई करें । भवदीय (बी. महापात्र) |