अस्थायी प्रावधानों के उपयोग से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड - कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना, 2008 - आरबीआई - Reserve Bank of India
अस्थायी प्रावधानों के उपयोग से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड - कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना, 2008
आरबीआइ 2008-09/189 22 सितंबर 2008 अध्यक्ष /अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक /प्रबंध निदेशक /मुख्य कार्यपालक अधिकारी महोदय अस्थायी प्रावधानों के उपयोग से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड - कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना, 2008 कृपया अग्रिमों के संबंध में आय-निर्धारण, आस्ति-वर्गीकरण और प्रावधान करने से संबंधित विवेकपूर्ण मानदंड पर 1 जुलाई 2008 के मास्टर परिपत्र बैंपविवि. सं. बीपी. बीसी. 20/21.04.048/2008-09 का पैरा 5.6 देखें, जिसमें बैंकों द्वारा अस्थायी प्रावधानों के उपयोग पर लागू होने वाले मानदंड सूचित किये गये हैं । 2. कृषि ऋण छूट और ऋण राहत योजना 2008 से संबंधित 30 मई 2008 के परिपत्र आरपीसीडी. सं. पीएलएफएस. बीसी. 73/ 05.04.02/2007-08 के अनुबंध के पैरा 2 (ix)(क) के अनुसार ऋण देने वाली संस्थाएँ मूल ऋण राशि से अधिक ब्याज, नहीं लगाया गया ब्याज, दांडिक ब्याज, विधिक प्रभार, निरीक्षण प्रभार और विविध प्रभार आदि के संबंध में न तो केंद्र सरकार से दावा करेंगी और न उनकी वसूली किसान से करेंगी। 3. उपर्युक्त असाधारण परिस्थिति को देखते हुए, जिसमें बैंकों से यह अपेक्षा की गयी है कि वे ऊपर पैरा 2 में उल्लिखित ब्याज/प्रभार वहन करें, यह निर्णय लिया गया है कि बैंकों को केवल ऊपर पैरा 2 में उल्लिखित ब्याज / प्रभार वहन करने की सीमा तक ‘अग्रिम’ संविभाग में धारित अस्थायी प्रावधानों को अपने विवेक के अनुसार उपयोग करने की अनुमति दी जाए। तथापि, अब तक की तरह भारतीय रिज़र्व बैंक से पूर्व अनुमोदन प्राप्त किये बिना इन अस्थायी प्रावधानों का उपयोग प्रावधानन संबंधी किसी अन्य अपेक्षा को पूरा करने के लिए नहीं किया जाना चाहिए। भवदीय (पी. विजय भास्कर) |