विदेशी दूतावासों / राजनयिकों/ कॉन्सुलेट जनरलों द्वारा अचल परिसंपत्ति की खरीद/विक्री - आरबीआई - Reserve Bank of India
विदेशी दूतावासों / राजनयिकों/ कॉन्सुलेट जनरलों द्वारा अचल परिसंपत्ति की खरीद/विक्री
ए.पी(डीआईआर सिरीज़)परिपत्र सं. 19 सितंबर 23, 2003 सेवा में विदेशी मुद्रा के समस्त प्राधिकृत व्यापारी महोदया /महोदय, विदेशी दूतावासों / राजनयिकों/ कॉन्सुलेट जनरलों प्राधिकृत व्यापारियों का ध्यान भारत से बाहर निवासी व्यक्तियों को अनुमत कार्यकलाप करने के लिए भारत में अचल संपत्ति अभिगृहीत करने के बारे में मई 3, 2000 की अधिसूचना सं. फेमा 21/2000-आरबी के विनियम सं.5 की ओर आकृष्ट किया जाता है । 2. भारत सरकार के परामर्श से मामले की समीक्षा की गई और विदेशी दूतावास /राजनयिक / कॉन्सुलेट जनरल को भारत में कृषि भूमि /वृक्षारोपण संपत्ति / फार्महाउस के सिवाय अचल संपत्ति खरीदने /बेचने की अनुमति देने का निर्णय किया गया है । बशर्ते कि (i) ऐसी खरीद / विक्री के लिए भारत सरकार, विदेशी कार्य मंत्रालय से अनुमति प्राप्त की गई हो और (ii) भारत में अचल संपत्ति अभिगृहीत करने के लिए मुल्य का भुगतान विदेश से बैकिंग माध्यम से प्रेषित निधियों में से किया जाए ।तद्नुसार, भारतीय रिज़र्व बैंक ने मौजूदा विनियम में विनियम 5अ जोड़ते हुए संशोधन करने के लिए जून 9, 2003 की अधिसूचना सं. फेमा 93/2003-आरबी (प्रतिलिपि संलग्न) जारी की है । 3. प्राधिकृत व्यापारी उक्त परिपत्र की विषयवस्तु से अपने सभी संबंधित ग्राहकों को अवगत करा दे। 4. इस परिपत्र में समाहित निदेश विदेशी मुद्रा प्रबंध अधिनियम, 1999(1999 का 42) की धारा 10(4) और धारा 11(1) के अंतर्गत जारी किए गए हैं । भवदीय (ग्रेस कोशी) |