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जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के अर्जन/नियंत्रण अंतरण के मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति प्राप्त करने की अपेक्षा

भारिबैं/2009-10/162
गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) कंपरि.सं./ 160 /03.10.001/2009-2010

17 सितंबर 2009

जमाराशियाँ स्वीकारने वाली सभी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ
(अवशिष्ट गैर बैंकिंग कंपनियों को छोड़कर)

प्रिय महोदय,

जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के अर्जन/नियंत्रण
अंतरण के मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति प्राप्त करने की अपेक्षा

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-झक(4)(ग) के अंतर्गत किसी कंपनी को पंजीकरण प्रमाणपत्र तभी प्रदान किया जा सकता है जब बैंक, अन्य बातों के साथ-साथ, इस बात से संतुष्ट हो कि गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के प्रबंधन या प्रस्तावित प्रबंधन का सामान्य स्वरूप जनहित या जमाकर्ताओं के हितों के विरुद्ध नहीं होगा।

2. इस संबंध में किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के प्रबंधन के स्वरूप के "उचित एवं सही" होने को सतत आधार पर सत्यापित करने के लिए भारतीय रिज़र्व बैंक को समर्थ बनाने हेतु यह निर्णय लिया गया है कि जमाराशियाँ स्वीकारने वाली किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के अधिग्रहण/शेयरों के अर्जन या किसी कंपनी/संस्था के साथ जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के विलयन/समामेलन या किसी कंपनी/संस्था का जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के साथ विलयन/समामेलन जिससे जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का नियंत्रण अर्जक/अन्य कंपनी को मिल जाए, ऐसे मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्वानुमति लेनी होगी।

3. इस संबंध में आवेदन गैर बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग के उस क्षेत्रीय कार्यालय को प्रस्तुत किए जाएंगे जिसके अधिकारक्षेत्र में संबंधित कंपनी का पंजीकृत कार्यालय अवस्थित होगा।

4. भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 की धारा 45-ट एवं 45-ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जारी 17 सितंबर 2009 की अधिसूचना सं.गैबैंपवि.(नीति प्रभा.)208/मुमप्र(एएनआर)/2009 सावधानीपूर्वक अनुपालन के लिए संलग्न है।  

भवन्निष्ठ

(ए. नारायण राव)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक


भारतीय रिज़र्व बैंक
गैर-बैंकिंग पर्यवेक्षण विभाग
केंद्रीय कार्यालय
सेंटर-1, विश्व व्यापार केंद्र
कफ परेड, कोलाबा
मुंबई-400 005

अधिसूचना सं. गैबैंपवि.(नीति प्रभा.) 208/मुमप्र (एएनआर)-2009, दिनांक 17 सितंबर 2009

भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम, 1934 (1934 का 2) की धारा 45-ट तथा 45-ठ द्वारा प्रदत्त शक्तियों और इस संबंध में प्राप्त समस्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए,धभारतीय रिज़र्व बैंक जनता के हित में यह आवश्यक समझकर और इस बात से संतुष्ट होकर कि देश के हित में ऋण प्रणाली को विनियमित करने के लिए बैंक को समर्थ बनाने हेतु ऐसा करना आवश्यक है, जमाराशियाँ स्वीकारने वाली प्रत्येक गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी को निम्नवत निदेश देता है ।

संक्षिप्त शीर्षक और निदेशों का प्रारंभ

1. (1) ये निदेश ’गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी (जमाराशि स्वीकरण) (अर्जन या नियंत्रण के अंतरण हेतु अनुमति) निदेश, 2009 के नाम से जाने जाएंगे।

(2) ये निदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे।

परिभाषाएं

2. इन निदेशों में जब तक प्रसंग से अन्यथा अपेक्षित न हो, -

(a) "नियंत्रण" का अर्थ वही होगा जो भारतीय प्रतिभूति एवं विनियम बोर्ड (शेयरों का भारी मात्रा में अर्जन तथा अधिग्रहण) विनियमावली, 1997 के विनियमन 2 के उप विनियम (1) के खंड (ग) में यथा परिभाषित है।

(b) "गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का अर्थ उस गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी से है जो "गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी जनता की जमाराशि स्वीकरण (रिज़र्व बैंक) निदेश, 1998 के पैराग्राफ 2 के उप पैराग्राफ (1) के खंड (xi) में परिभाषित है।

जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के अर्जन/नियंत्रण
अंतरण के मामलों में भारतीय रिज़र्व बैंक की पूर्व अनुमति प्राप्त करने की अपेक्षा

3. जमाराशियाँ स्वीकारने वाली किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का अधिग्रहण/के नियंत्रण का अर्जन, चाहे शेयरों के अर्जन से या अन्यथा किया जाए या जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी का विलयन/समामेलन किसी कंपनी/संस्था के साथ हो या किसी कंपनी/संस्था का जमाराशियाँ स्वीकारने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी के साथ विलयन/समामेलन हो, इस संबंध में भारतीय रिज़र्व बैंक की लिखित पूर्वानुमति लेनी आवश्यक होगी।

अन्य विधियों की प्रयोज्यता वर्जित न होना

4. इस निदेश के उपबंध संप्रति लागू किसी विधि, नियम, विनियमावली या निदेशों के उपबंधों के, अल्पीकारक न होकर, उनके अतिरिक्त होंगे।

छूट

5. भारतीय रिज़र्व बैंक, अगर ऐसा समझता है कि किसी समस्या से बचने के लिए या किसी अन्य सही और पर्याप्त कारण से ऐसा करना आवश्यक है, ऐसी शर्तों के अधीन जो रिज़र्व बैंक निर्धारित करेगा, इन निदेशों के सभी या किसी प्रावधान से, सामान्त: या किसी निर्दिष्ट अवधि के लिए, किसी गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी या गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के किसी वर्ग को अनुपालन से छूट दे सकता है।

(ए. नारायण राव)
प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक

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