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79053648

निर्यात ऋण की समीक्षा के लिए कार्यकारी दल की सिफारिशे

भारिबैं/2005-06/297
बैंपविवि.डीआइआर. (ईएक्सपी) बीसी. सं. 61/04.02.02(डब्ल्यूजी)/2005-06

7 फरवरी 2006
18 माघ 1927 (शक)

सभी अनुसूचित वाणिज्य बैंक
(क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को छोड़कर)
महोदय

निर्यात ऋण की समीक्षा के लिए कार्यकारी दल की सिफारिशें

भारतीय रिज़र्व बैंक ने निर्यात ऋण की समीक्षा के लिए एक कार्यकारी दल गठित किया था । बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, केंद्रीय कार्यालय के प्रभारी मुख्य महाप्रबंधक की अध्यक्षता में गठित इस दल में चुने हुए बैंक और निर्यातकों के संगठन शामिल थे तथा इसका कार्य निर्यात ऋण योजना की कार्यप्रणाली के विभिन्न पहलुओं की समीक्षा करना था ।

2. उक्त कार्यकारी दल की सिफारिशों के परिप्रेक्ष्य में बैंकों को निम्नप्रकार सूचित किया जाता है :

(क) निर्यात ऋण की वर्तमान क्रियाविधि की समीक्षा

(i) छोटे और मझौले निर्यातकों के साथ कार्रवाई करते समय बैंकों के दृष्टिकोण के रुख में परिवर्तन की ज़रूरत है । बैंक इस संबंध में उपयुक्त कदम उठाएं ।

(ii) बैंकों को ऐसा नियंत्रण और सूचना तंत्र स्थापित करना चाहिए जिससे यह संनिश्चित हो कि विशेष रूप से छोटे और मझौले निर्यातकों के निर्यात ऋण के आवेदनों का निर्धारित समय-सीमा के भीतर निपटान किया जाता है । बैंकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस सिफारिश का उसमें निहित पूरे भाव के साथ कार्यान्वयनॅ किया जाता है । बैंकों में की जानेवाली आंतरिक/सहवर्ती लेखा परीक्षा में इस बात पर टिप्पणी की जानी चाहिए कि बैंकों द्वारा निर्यात ऋण के आवेदनों का निर्धारित समय सीमा में निपटान किया गया है या नहीं । बैंकों के क्षेत्रीय प्रबंधकों को शाखा दौरों के दौरान इस पहलू पर भी गौर करना चाहिए ।

(iii) निर्यात ऋण के आवेदनों पर कार्रवाई करते समय बैंकों को एक ही बार में सभी प्रश्न उठाने चाहिए और ऋण मंजूर करने में विलंब को टालने के लिए थोड़े-थोड़े करके प्रश्न उठाने से बचना चाहिए ।

(iv) विलंब से बचने के लिए फार्मों को सही ढंग से भरने और बैंकों को सभी अपेक्षित सूचना देने के संबंध में बैंकों से तकनीकी सहायता से लघु उद्योग/निर्यात संगठनों द्वारा विशेष रूप से दूर-दराज के केंद्रों में छोटे और मझौले निर्यातकों को उचित रूप से प्रशिक्षित किया जाना चाहिए । बैंकों को लघु उद्योग/निर्यात संगठनों द्वारा अपने परिचालन क्षेत्रों में ऐसे प्रशिक्षण सत्र आयोजित कराने में आगे आना चाहिए ।

(v) भारतीय बैंक संघ को सूचित किया गया है कि वे भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ (एफआईईओ) तथा अन्य निर्यात संवर्धन एजेंसियों से परामर्श कर एक सरल ऋण आवेदन फार्म तैयार करें । भारतीय बैंक संघ द्वारा तैयार किया जानेवाला आवेदन फार्म सभी बैंकों के लिए मॉडल का कार्य करेगा ।

(vi) बैंकों को ऐसे दिशानिर्देश ब‘नाने चाहिए जिससे कि जहां तक हो सके संपार्श्विक जमानत पर ज़ोर न देना पड़े ।

(vii) राज्य स्तरीय शाखा समितियों (एसएलबीसी) की उप-समितियों के रूप में पुनर्गठित राज्य स्तरीय निर्यात संवर्धन समितियों (एसएलईपीसी) को अपने-अपने राज्यों में बैंकों और निर्यातकों के बीच समन्वय बढ़ाने में अधिक भूमिका निभानी चाहिए और निर्यात संवर्धन संगठनों को बैठकों का समन्वय करने में पहल करनी चाहिए । एसएलईपीसी के संयोजक बैंक इस संबंध में उपयुक्त कार्रवाई करें ।

(ख) गोल्ड कार्ड योजना की समीक्षा

(i) चूंकि बैंकों द्वारा जारी गोल्ड कार्डों की संख्या कम है, अत: बैंकों को सूचित किया जाता है कि वे सभी पात्र निर्यातकों, खास तौर से लघु और मध्यम उद्यम निर्यातकों को कार्ड जारी करने की प्रक्रिया में तेजी लाएं और यह सुनिश्चित करें कि यह प्रक्रिया तीन महीनों की अवधि के भीतर पूरी की जाती है ।

बैंक उपर्युक्त अपेक्षा के अनुपालन की पुष्टि बैंकिंग परिचालन और विकास विभाग, भारतीय रिज़र्व बैंक, कफ परेड, मुंबई - 400 005 को करें तथा उनके द्वारा जारी किये गये गोल्ड कार्डों की कुल संख्या तथा छोटे और मझौले निर्यातकों एवं निर्यातोन्मुख यूनिटों और एसईज़ेड यूनिटों को जारी गोल्ड कार्डों की संख्या निर्दिष्ट करें । यह सूचना ऊपर उल्लिखित 3 महीने की अवधि की समाप्ति की तारीख से 15 दिन के भीतर प्रस्तुत की जाए ।

(ii) सभी बैंकों द्वारा इस योजना के अधीन परिकल्पित गोल्ड कार्ड जारी करने की सरल क्रियाविधि कार्यान्वित की जानी चाहिए । भारतीय बैंक संघ से सरल आवेदन फार्म तैयार करने का अनुरोध किया गया है । सभी बैंक भारतीय बैंक संघ द्वारा तैयार किये जानेवाले, आवेदन के सरल फार्म अपनाएं । बैंकों के पास पहले से उपलब्ध सूचना/ब्योरे निर्यातकों से न मांगे जाएं ।

(iii) भारतीय निर्यात ऋण गारंटी निगम की पैकिंग ऋण गारंटी-क्षेत्रीय योजनाओं से सभी पात्र गोल्ड कार्ड धारक निर्यातकों को छूट देने के संबंध में गोल्ड कार्ड योजना के पैरा 3.4.3 में दिये गये अनुदेशों को लागू करने के लिए बैंक उनके पिछले (ट्रेक) रिकार्ड के आधार पर विचार करें ।

(ग) गैर-स्टार निर्यातकों के लिए निर्यात ऋण की समीक्षा

बैंकों को छोटे और मझौले उद्यम निर्यातकों की ऋण समस्याओं को हल करने के लिए क्षेत्रीय/आंचलिक कार्यालयों और पर्याप्त निर्यात ऋण वाली प्रमुख शाखाओं में नोडल अधिकारी नियोजित करने चाहिए ।

(घ) अन्य मुद्दों की समीक्षा

(i) रिज़र्व बैंक द्वारा निर्धारित ब्याज दरें उच्चतम दरें हैं । चूंकि बैंकों को कम ब्याज दरें लगाने की स्वतंत्रता है, अत: बैंक निधियों की लागत, मार्जिन संबंधी अपेक्षाओं, जोखिम बोध आदि को ध्यान में रखते हुए रिज़र्व बैंक द्वारा निर्दिष्ट उच्चतम दरों से कम दरों पर निर्यात ऋण प्रदान करने पर विचार करें ।

(ii) बैंकों को चाहिए कि वे नर्यातकेतर उधारकर्ताओं को विदेशी मुद्रा ऋणों की तुलना में निर्यातकों की विदेशी मुद्रा निर्यात ऋण आवश्यकताओं को प्राथमिकता दें ।

भवदीय

(पी. विजय भास्कर)

मुख्य महाप्रबंधक

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